Monday, March 3, 2014

शर्म करो नहरू

शहीदे आज़म भगत सिंह को फांसी कि सजा सुनाई जा चुकी थी ,इसके कारन हुतात्मा चंद्रशेखर आज़ाद काफी परेसान और चिंतित हो गय। भगत सिंह कि फांसी को रोकने के लिए आज़ाद ने ब्रिटिश सरकार पर दवाब बनाने का फैसला लिया इसके लिए आज़ाद ने गांधी से मिलने का वक्त माँगा लेकिन गांधी ने कहा कि वो किसी भी उग्रवादी से नहीं मिल सकते। गांधी जनता था कि अगर भगत सिंह और आज़ाद जेसे क्रन्तिकारी और ज्यादा जीवित रह गय तो वो युवाओ के हीरो बन जायेंगे। ऐसी स्थति में गांधी को पूछने वाला कोई ना रहता। हमने आपको कई बार बताया है कि किस तरह गांधी ने भगत सिंह को मरवाने के लिए एक दिन पहले फांसी दिलवाई। खैर हम फिर से आज़ाद कि व्याख्या पर आते है।

https://twitter.com/Khileri108गांधी से वक्त ना मिल पाने का बाद आज़ाद ने नेहरू से मिलने का फैसला लिया ,27 फरवरी 1931 के दिन आज़ाद ने नेहरू से मुलाकात की। ठीक इसी दिन आज़ाद ने नेहरू के सामने भगत सिंह कि फांसी को रोकने कि विनती कि। बैठक में आज़ाद ने पूरी तैयारी के साथ भगत सिंह को बचाने का सफल प्लान रख दिया। जिसे देखकर नेहरू हक्का -बक्का रह गया क्यूंकि इस प्लान के तहत भगत सिंह को आसानी से बचाया जा सकता था।

नेहरू ने आज़ाद को मदत देने से साफ़ मना कर दिया ,इस पर आज़ाद नाराज हो गय और नेहरू से जोरदार बहस हो गई फिर आज़ाद नाराज होकर अपनी साइकिल पर सवार होकर अल्फ्रेड पार्क कि होकर निकल गय। पार्क में कुछ देर बैठने के बाद ही आज़ाद को पोलिस ने चारो तरफ से घेर लिया। पोलिस पूरी तैयारी के साथ आई थी जेसे उसे मालूम हो कि आज़ाद पार्क में ही मौजूद है।

आखरी साँस और आखरी गोली तक वो जाबांज अंग्रेजो के हाथ नहीं लगा ,आज़ाद कि पिस्तौल में जब तक गोलिया बाकि थी तब तक कोई अंग्रेज उनके करीब नहीं आ सका। आखिर कार आज़ाद जीवन भरा आज़ाद ही रहा और आज़ादी में ही वीर गति प्राप्त की। 


https://twitter.com/Khileri108अब अक्ल का अँधा भी समज सकता है कि नेहरु के घर से बहस करके निकल कर पार्क में १५ मिनट अंदर भारी पोलिस बल आज़ाद को पकड़ने बिना नेहरू कि गद्दारी के नहीं पहुच सकता। नेहरू ने पोलिस को खबर दी कि आज़ाद इस वक्त पार्क में है और कुछ देर वही रुकने वाला है। साथ ही कहा कि आज़ाद को जिन्दा पकड़ने कि भूल ना करे नहीं तो भगत सिंह कि तरफ मामला बढ़ सकता है।

लेकन फिर भी कांग्रेस कि सरकार ने नेहरू को किताबो में बच्चो का क्रन्तिकारी चाचा नेहरू बना दिया और आज भी किताबो में आज़ाद को "उग्रवादी" लिखा जाता है। लेकिन आज सच को सामने लाकर उस जाबाज को आखरी सलाम देना चाहते हो तो इस पोस्ट को शेयर करके सच्चाई को सभी के सामने लाने में मदत करे।


साभार --फेसबुक 

5 comments:

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दिवस said...

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आपने इसे शेयर कर बहुत बड़ा काम किया है. आप वन्दनीय हैं...

Anonymous said...
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