Saturday, June 7, 2014

"मृगतृष्णा"

क्या वास्तव में भारत "कांग्रेस मुक्त " हो सकेगा या ये भी महज एक "मृगतृष्णा" है! केजरीवाल ने बिजली पानी और जन लोकपाल के मन लुभावन वादे किये और भाग खड़ा हुआ ! शीला दीक्षित के खिलाफ ३७० पन्ने के सबूत होने की बात कही , लेकिन जब कार्यवाई करने का वक़्त आया तो मुकर गया ! अब वही काम मोदी भी कर रहे हैं ! बड़ी बड़ी रैलियां कीं ! शहजादे , वाड्रा और सोनिया के भ्रष्टाचार का पुराण खोला ! पाकिस्तान के खिलाफ ज़हर उगलकर जनता का वोट बटोरा ! अब जब सत्ता हाथ आ गयी तो वाड्रा समेत नवाज़ शरीफ को भी माफ़ कर दिया ! प्यार एवं भाईचारा बरसने लगा ! पाकिस्तान से अमरीका तक , काठमांडू से कांग्रेस तक सभी अपने हो गए !

कांग्रेस कोई पार्टी नहीं , महज़ एक मानसिकता है ! जिसका अर्थ है जनता को उल्लू बनाकर चुनाव जीत लेना फिर मनमाने तरीके से शासन करना ! जनता की भावनाओं और अपेक्षाओं का ध्यान नहीं रखा जाता जिसने बड़ी उम्मीद से चुन कर भेजा होता है इन्हें !सत्ता के नशे में जिसका सबसे ज्यादा अपमान होता है वो है मासूम जनता ! वो ही ठगी जाती है हर बार !

बीजेपी हो या कोई भी अन्य पार्टी , सत्ता में आने के बाद ये भी अपने आचार विचार और व्यवहार से "कांग्रेस " बन जाती है !

चुनावी मुद्दों को दरकिनार कर मनमानी करना ही भारतीय राजनीतिक पार्टियों का एजेंडा है ! सब एक जैसी हैं ! सत्ता में आने के बाद इन लीडरों का आई क्यु (IQ) और विज़न एक जैसा हो जाता है!

वन्दे मातरम !

3 comments:

सूबेदार said...

नेतृत्व की कसौटी है हमे आशावादी होने की अवस्यकता है।

समयचक्र said...

बढ़िया पोस्ट आभार ... आखिर में सब कांग्रेसी हो जाते हैं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-06-2014) को ""मृगतृष्णा" (चर्चा मंच-1637) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक