बदलते तो हम खुद हैं,
और दोष बताते हैं उसका
और तालमेल बैठाने की जद्दोजहद में वो
इतना बदल चुका होता है कि,
अपने अस्तित्व को ही खो देता है,
फिर हम तलाशते हैं उसको
जिसे प्यार करते थे
मिल भी जाता है वो
लेकिन ये क्या ....
अब तो वो खुद को भी नहीं पहचानता !!
और दोष बताते हैं उसका
और तालमेल बैठाने की जद्दोजहद में वो
इतना बदल चुका होता है कि,
अपने अस्तित्व को ही खो देता है,
फिर हम तलाशते हैं उसको
जिसे प्यार करते थे
मिल भी जाता है वो
लेकिन ये क्या ....
अब तो वो खुद को भी नहीं पहचानता !!
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मॉरल ऑफ द स्टोरी :
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जो जैसा है उसे वैसा ही प्यार करो, स्वार्थ में अंधे होकर उसे अपने साँचे में ढालने कि कोशिश मत करो ! व्यक्ति कि खूबसूरती उसके मूल-स्वरुप में ही होती है !
5 comments:
bilkul saty,
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-03-2015) को "जिनके विचारों की खुशबू आज भी है" (चर्चा - 1927) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शहीदों को नमन करते हुए-
नवसम्वत्सर और चैत्र नवरात्रों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया
सत्य वचन !!!
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