क्या सिर्फ माँ-बाप , भाई-बहेन और दोस्त ही हमारे शुभ चिन्तक होते हैं? दुर्घटना के समय , अक्सर ये सभी हमारे साथ नहीं होते। जो बुरे वक्त में हमारे साथ होते हैं वो भी हमारे शुभ चिन्तक होते हैं और इश्वर के भेजे हुए फ़रिश्ते होते हैं। जिनके साथ एक अनजाना सा रिश्ता बन जाता है। कुछ शुभ चिंतकों के नाम नीचे लिख रही हूँ तथा ब्लॉग के माध्यम से उन सभी को आभार व्यक्त करना चाहती हूँ।
Lucknow: Passengers of a Delhi-bound Air India flight from here experienced some scary moments on Saturday as the pilot noticed smoke in one of the engines while taxiing for take-off and applied emergency brakes leading to a tyre burst.
One of the left tyres of the Airbus-320 aircraft, with 140 passengers and six crew on board, burst when the plane was taxiing for take-off around 9.45 am, official sources said.
Air India sources in New Delhi said the pilot noticed smoke in one of the engines, which possibly occurred due to overheating, and applied emergency brakes leading to a tyre burst। The take-off was aborted and the passengers were de-boarded from the Lucknow-Delhi IC-412 flight।
As the plane was in the process of take-off, we heard a loud noise after which the aircraft swayed both ways creating panic among passengers। Some women started crying,”
आभार इन सभी का --
१-विमान चालक जिनके विवेकपूर्ण निर्णय ने १४० लोगों की जान बचाई !
२-सुनील शर्मा जी - जो इसी आभासी दुनिया के मित्र हैं तथा इंडियन airlines , में aircraft इंजिनियर हैं, इन्होने हमारी काफी मदद की !
३- चौहान जी- Indian airlines के वरिष्ठ अधिकारी हैं !
४ अजय शर्मा जी... Indian airlines के वरिष्ठ अधिकारी हैं
५ कपिल जी - वरिष्ठ अधिकारी
जिसको देखो वही इंडियन airlines को कोस रहा था ! लेकिन जिन लोगों ने सहायता की उनको शायद ही किसी ने याद किया हो । मुझे तो इन लोगों की भलाई हमेशा याद रहेगी ।
Flight मिस हो जाने के बाद शुरू हुई जद्दोजेहद connecting flight के लिए...बहुत मदद की कपिल जी, सुनील जी और चौहान जी ने, लेकिन सफलता नहीं मिली । २१ की रात होटल Centaur ,दिल्ली में हम IA के मेहमान रहे । अभी भी मुसीबत टली नहीं थी। २२august की flightमें जगह मिलना अभी बाकी था। सभी flights फुल जा रही थीं ।
दोपहर एक बजे चेक-इन की लाइनमें थे, जबकि २ बजे departure था। कस्टमर काउंटर पर बैठी महिला के कंप्यूटर पर flight suspended दिखने लगा, उसने मुझे अजय शर्मा जी के पास अगले काउंटर पर भेजा। वहां अगली मुसीबत मेरा इंतज़ार कर रही थी। काउंटर पर एक अमेरिकेन सबसे आगे खड़ा था। वो मुझे अजय जी से संबोधित देखकर जोर-जोर से गुस्से में चिल्लाने लगा। कहने लगा- "You should go and stand at the end of the queue , I am waiting for past half an hour , go from here, and this is cheating ". जब वोह काफी गुस्से में चिल्ला कर रुका तो मैंने धीरे से कहा...." I was not aware that civilized Americans shout like this at public places. You ought to be more polite and decent". ऐसा कहकर मैं काउंटर के कोने पर खड़ी रही ...अजय जी के फ्री होने का..विश्वास हो गया था की २२ तारिख की भी flight नहीं मिलेगी । निराशा अपनी चरम सीमा पर थी । तभी किसी ने मेरे हाथ से पपेर्स खींच लिए । मुड़कर देखा तो अजय जी ने मेरे हाथ से पपेर्स लेकर फटाफट हमारे बोर्डिंग- पास बना दिए। वो अमेरिकेन लज्जित और आवाक खड़ा था। उस पर घड़ों पानी गिर गया था । अजय जी की मदद के लिए आजीवन हम उनके आभारी रहेंगे। अजय शर्मा जी ने न केवल मेरी मदद की बल्कि उस अमेरिकन को ये सबक भी दे दिया की भारत की धरती पे खड़े होकर भारतीयों को नीचा नहीं दिखा सकते।
अब केवल १० मिनट बचे थे । Immigration से लेकर विमान में चढ़ने हमारी कोई checking .... हुई । हर जगह छूटते हुए प्लेन तक बोर्डिंग में सभी ने मदद की ।
खैर ,आखिरकार विमान उड़ चला। कोल्ड ड्रिंक्स के साथ 'नाना-पाटेकर' की मूवी का आनंद ले ही रहे थे की दो घंटे के बाद जब हम काफी ऊँचाई पर थे , तो विमान हवा में लहराने लगा। घोषणा होने लगी अपनी जगह बैठे रहिये और पेटियां बांधे रखिये ! सभी लोग सकते की हालत में आ गए। बहुत से लोग रो रहे थे और एक दुसरे की तरफ असहाय होकर देख रहे थे, सभी के टीवी स्क्रीन्स बंद हो गए, लोग लाचारी में खिड़की के बाहर देख रहे थे।
मेरे साथ मेरी सासु मा भी थीं , जो पीछे की सीट पर बैठी थीं। मेरे मन में ख़याल आया की अब मृत्यु तो निश्चित ही है, ऐसी स्थिति में मेरे पति को किसके साथ होना चाहिए ?...मेरे या फिर माँ के ?
मैंने पति से कहा , आप जाकर माँ के साथ बैठिये , वो घबरा रही होंगी । वो थोडा सा हिचके , फिर माँ के साथ जाकर बैठ गए।
अब मैंने अपनी आँख बंद कर ली और अपने घर के सभी सदस्यों को अंतिम बार याद किया। अन्य यात्रियों की तरह मैं भी रो रही थी । सोचने लगी , मैं रो क्यूँ रही हूँ जब मौत से डर नहीं लगता ? कारण ?---- बार-बार पिताजी, भाई और दीदी का चेहरा दिख रहा था , जो लखनऊ एअरपोर्ट पर हम लोगों को विदा करने आये थे । अगर उन लोगों को ये खबर मिले की प्लेन क्रेश हो गया और हम लोग अब जीवित नहीं हैं तो क्या होगा ? यही सोचकर....
थोड़ी देर बाद विमान में डिनर सर्वे हो गया । आधे से ज्यादा यात्रियों ने भोजन छुआ तक नहीं। मेरे बगल बैठे इजरायली यात्री को मुझसे सहानुभूति हो रही थी शायद। उसने मुझसे खाने को कहा, मैंने मना कर दिया। थोड़ी देर बाद उसने हिम्मत करके मुझसे बात करनी शुरू की , भारत के बारे में पूछने लगा। फिर उसने बताया की वो भारत घुमने गया था और जो किताब पढ़ रहा है वो भारत के बारे हैं और 'इबु' [ इजरायली ] भाषा में लिखी हुई है।
फिर उसने पूछा - " इस किताब में लिखा है की भारत में corruption बहुत है , क्या ये सच है ? "
मैंने कहा भारत में corruption नहीं population की प्रॉब्लम है। भारत की जनसँख्या विश्व की एक-छटवीं है. Population , frustation का कारण है ।
उसने भारत और थाईलैंड के बारे में जानकारी हासिल की और मुझे अपने देश इजरायल के बारे में काफी कुछ बताया। वो इंडियन culture के बारे में सुनकर बहुत impressed था।
उसके साथ बात-चीत करते हुए यात्रा के अंतिम एक घंटे आराम से गुज़र गए , उसने मेरा e-mail ID लिया और तब तक विमान सुरक्षित बंगकोक के स्वर्णभूमि एअरपोर्ट पर लैंड कर गया !
माँ गायत्री का जप किया और गणेश जी के द्वादश नामों के जप से हम सुरक्षित रहे , इसलिए सर्वप्रथम इश्वर को धन्वाद, फिर हमारे काबिल विमान चालकों और अन्य सभी शुभ चिंतकों का पुनः-पुनः आभार ।
इस हादसे के बाद , सब कुछ अनिश्चित सा लगता है !
यदि मैं आप लोगों को ज्यादा दिन तक ब्लॉग पर न दिखूं,, तो ये मत समझिएगा की दिव्या ब्लॉग जगत से पलायन कर गयी, बल्कि वो इस दुनिया से ही पलायन कर गयी है , यही समझिएगा ।
48 comments:
बिल्कुल सही कहा आपने बुरे समय में जो सहायता करे वही शुभचिंतक होता है| ईश्वर आपको दीर्घायु करे
ब्रह्माण्ड
अंत भला तो सब भला !!
जो हुआ उसको जल्द से जल्द भूलने की कोशिश कीजिये !
शुभकामनाएं !
आपने तो अपनी इस कुशल लेखनी के ज़रिये वो दृश्य हमारे सामने हुबहू प्रस्तुत कर दिया ,सच में भगवान के साथ-२ वो सभी तकनीकी जानकार और कार्य करने वाले भी धन्यवाद के पात्र हैं जिनकी कुशलता और प्रयासों से ये हादसा टल सका
उम्दा प्रयास ,जो भी लोग अपने कार्यों के प्रति ईमानदारी और इंसानियत की भावना के साथ काम करते हैं उनका हमें आभार जरूर व्यक्त करना चाहिए ...अच्छे और इमानदार लोग हर क्षेत्र में हैं लेकिन इनकी संख्या कम है ,आप खुसनसीब हैं की आपको ऐसे लोग जरूरत के वक्त सहायता के लिए मिले ...
भगवान का शुक्र है की कुछ नहीं हुआ जिस किसी ने भी आप की सहायता की उसका तो आभारी होना ही चाहिए
वो क्षण कितने भारी गुजरे होंगे...सोच कर ही मन काँप जाता है.
बहुत बहुत स्वागत है...वापस ब्लॉगजगत में...पर जाने के पहले एक लाइन लिख तो देना था...कि मैं इतने दिन ब्लॉगजगत से दूर रहूंगी...फिर लोग तरह तरह के कयास नहीं लगाते...कोई नहीं.. अगली बार से ऐसा ही करना अच्छी बच्ची..:)
जिस किसी ने भी आप की सहायता की उसका तो आभारी होना ही चाहिए
अंत भला तो सब भला
हम सबका पुण्य है कि आप बच गयीं। आभार ईश्वर का।
अब जब सब बात अपने डिसाइड कर ली हो त हमरा बोलने का कोनो फायदा नहीं है..तनी सोच समझ कर बात करना चाहिए कि का बोल रही हो...हमरा पोस्ट पढो अऊर खुस हो जाओ!!
इसको एक अनुभव समझिये और अच्छाइयों पर नये सिरे से भरोसा बनने का मौका। शुभकामनायें हैं। मंगलकामनायें हैं।
हिला देने वाला संस्मरण । सर्वशक्तिमान का शुक्रिया
ओह यह तो बड़ी घटनापूर्ण यात्रा रही ...और मरे तो आपके दुश्मन और न चने वाली भी नहीं .....
बात अभी बाकी है .....उपन्यास अधूरा ......
चने *-चाहने
"जाको रखे साईया मार सके ना कोय , बाल ना बाका कर सके जो जग बैरी होय "
आप सुरक्षित पहुच गयी, इश्वर का धन्यवाद , बाकी जिन्होंने भी आपकी कठिन समय में साथ दिया , वो धन्यवाद के पात्र तो है ही.
कभी-कभी हो जाता है ऐसा।
हमारे साथ सभी तरह की दुर्घटनाएं घट चुकी है।
नाव पलटने पर पानी में डूबना,ट्रेन डिरेलमेंट हादसा,कार एक्सीडेंट, बाईक एक्सीडेंट आदि आदि, अब फ़्लाईट वाला ही बचा है। वो भी एक दिन होते-होते बचा।कभी लिंखुंगायहां पर।एक बार तो अहसास हो गया था जब पायलट ने काकपिट से निकल कर दो चक्कर लगाए प्लेन के। लेकिन सही सलामत पहुंच गए।जब तक मौत आई नहीं तो कोई भी ले जा नहीं सकता। मैं तो यह मानता हूँ।
शुभकामनाएं
बुरे समय में जो सहायता करे वही शुभचिंतक होता है| ईश्वर आपको दीर्घायु करे....
शुक्र है ईश्वर का .. अंत भला तो सब भला !!
It's nice to see you back.
हार्दिक शुभकामनायें !
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ललित जी ,
आपकी बात से हिम्मत मिली,
That's the spirit !
Reading your comment, the joy pervaded the body, mind and soul.
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वैसे बात सही है ललित जी की
हम भी पिछले महीने करीब-करीब जा ही चुके थे, लेकिन अब फिर सड़क मार्ग से यात्रा की तैयारी है।
पाबला जी ,
आपको स्वस्थ एवं सकुशल ब्लॉगजगत में वापस देखकर बेहद प्रस्संनता हुई।
AAPKI POST NE YE ZAHEER KIYA HAI KI ,HUM UNHE HAMESHA HI DHANYWAAD DE , JO KISI NA KISI ROOP ME HAME DUKH ME SAATH DETE HAI .. AAPKE SAATH JO BEETI , USE AAPNE ITNI ACCHI TARAH SE VARNIT KIYA HAI KI MAIN KYA KAHUN..
BADHAI
VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
क्या कहें:मौत का भय या जीवन की जीजिविषा?
ईश्वर का बहुत बहुत धन्यवाद की दुर्घटना टल गई |
बहुत भुत शुभकामनाये |
भुत bahut padhe
जी आपके ना लिखने को पलायन बिलकुल नहीं समझेंगे.:)
लम्बे समय से आपको अनुपस्थित देखकर मन में शंका बनी हुई थी ...
शुक्र है आप सही सलामत हैं ...बनी रहें ...!
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
अंत भला तो सब भला.
जो बुरे वक्त में हमारे साथ होते हैं वो भी हमारे शुभ चिन्तक होते हैं और ईश्वर के भेजे हुए फ़रिश्ते होते हैं।
आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ. वास्तव में इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता.
आपके अनुभव को पढ़कर ही इतनी सिहरन हो गयी तो विमान में जो बैठे थे उनकी मनोस्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है.ईश्वर का आभार की आप सभी सकुशल हैं.
वो पल कैसे गुजरे होंगे हम समझ सकते हैं ..पर अंत भला तो सब भला .
इंसानियत अभी बाकि है मेरे दोस्त :)
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डॉ अमर कुमार ,
लक्ष्मीबाई और झलकारीबाई का स्मरण किया , कोई फ़ायदा नहीं हुआ, दिल धुकुर- धुकुर किया ही जा रहा था। फिर सोचा किसका स्मरण करूँ ताकि मन का भय दूर हो जाये , ब्रम्हा विष्णु , महेश को भी याद किया ताकि , कोई जेंडर बायस न हो जाए , फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ।
मालूम है फिर क्या हुआ ?
अजी जनाब, आपका स्मरण किया। विमान का turbulence एकदम से बंद हो गया ।
पाठकों से निवेदन है , जब भी कोई आपात स्थिति आये , कृपया अपने डॉ अमर को याद कीजिये । सुरक्षा guaranteed है।
धन्यवाद डॉ अमर !
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विजय जी ,
'मोरे सजनवा' कविता का लिंक दीजिये कृपया । , मुझे मिल नहीं रही ।
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हा हा
@ डॉ अमर कुमार
अंत भला तो सब भला! अपन दोनों संडे को एक साथ बैठेंगे (उसी दिन!!)
फिर देखा जाए बेचारे मुर्गे का कैसा अंत होता है :-)
दिल से किया हुआ धन्यवाद किसी दुआ से कम नहीं होता है
भगवान का शुक्र है!
भगवान का शुक्र है दिव्या की अब सब कुछ ठीक है... मैं बहुत दिनों से नेट से दूर हूँ इसलिए इस दुर्घटना का पता अभी चला.
बहुत सी बातें होती हैं जो हम ऐसी विपत्तियों में ही समझ पाते हैं. अंत भला तो सब भला...
हाँ, तुम्हारे शुभचिंतकों के साथ-साथ तुम्हारी अपनी शुभेच्छाएं भी हमेशा साथ रहती हैं... शुभकामनाएँ !
हादसे न हो तो अच्छा होता है ...पर उससे बच निकलना और भी अच्छा .....हर जगह मददगार मौजूद होते है ...क्योकि ईश्वर को सबकी फिक्र होती है उसके दूत फैले हुए है सब ओर.....वो हिम्मत और हौसले का साथ हमेशा देता है ....डर ....इससे शायद वो अपनी परीक्षा लेता है ...आप सब सकुशल है धन्यवाद ईश्वर का .......
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आज न्यूज़ में सुना, मुंबई एअरपोर्ट पर emergency लैंडिंग के दौरान बहुत से यात्री विमान से कूद पड़े और अफरा तफरी मच गयी।
सोचा कुछ बातें अपनी तरफ से पाठकों की जानकारी के लिए लिख दूँ।
- Engine में overheating के कारण अक्सर धुआं निकलने लगता है।
- आग लगने से पहले alarm बजने लगता है , headphone में भिन्न आवाज़ आने लगती है तथा बत्तियां जलने लगती हैं।
- ऐसी स्थिति में Crew-members अक्सर घोषणा नहीं करते असली स्थिति की, जिससे यात्री panic में न जाएँ।
- ऐसी स्थिति में थोडा धैर्य बनाए रखने की जरूरत है।
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मुक्ति एवं अर्चना जी...धन्यवाद ।
Divyaajee,
I just got introduced to your blog, courtesy Shri Gyandutt Pande's blog.
Thank God you are safe.
Keep writing.
It's not often that one gets to read first hand experiences like this.
Over a period of time, I hope to read your old posts too but please don't mind if I do not post any comment on each of your posts.
I will try to post comments in Hindi but in case I am hard pressed for time, do allow me to write a quick comment in English.
Hindi is not my native language but I love this language very much and am trying to gain proficiency in it.
With best wishes
G Vishwanath
(A casual blog reader and friend of Gyandutt Pande)
Vishwanath ji,
Glad to read your comment. Yes, by Divine grace , myself , along with 140 passengers and 6 crew members are safe.
Do not bother about the language used in comments. I love English and Hindi equally.
Regards,
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कर्ज़दार?
Dearest ZEAL:
An experience of a lifetime.
Nice narration.
Felt like I was there.
Arth kaa
Natmastak charansparsh
Didn't know you had been through such a harrrowing incident first hand. With God's grace, you , your co-passengers and the crew came out safe. Besides, you had two extremes as far as the behaviour of two foreigners encountered by you is concerned. I have something more for you in the following link:
http://aarkay-musings.blogspot.com/2009/09/kaisey-kaisey-log.html. or simply go back to my blogposts of September, 2009.
Feeling grateful to your well-wishers certainly presents you as a very likable person !
Best wishes !
RK Sir, Thanks.
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