हिन्दू, सिक्ख और इसाई गंवारा नहीं है पाकिस्तान को --भगतसिंह के नाम पर चौक का फैसला रोका !
लाहौर में जहाँ शादमन चौक है , वहां पहले सेन्ट्रल जेल होती थी ! इसी जेल में मार्च 1931 को अंग्रेजों ने भगत सिंह को फांसी पर चढ़ा था! जिला प्रशासन ने पिछले महीने इसका नाम 'भगत सिंह चौक' रखने का एलान किया था, लेकिन जमात उद दावा और कट्टरपंथी मुसलामानों को हिन्दू स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर चौक होना गंवारा नहीं अतः उन्होंने चेतावनी दी है ! प्रशासन ने चौक का नाम सरदार भगत सिंह के नाम पर रखने की योजना निरस्त कर दी !
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अकृतज्ञ लोग हैं ये ! जिसने आजादी दिलाई उसके लिए इनके मन में कोई श्रद्धा नहीं है ! इनको जन्नत में हूर नहीं, नरक मिलेगा नरक !
Zeal
17 comments:
और यहां के स्यूडो धर्म निरपेक्षिये इस में भी कोई तर्क खोज लेंगे..
सीधे से शब्दों में-
मज़हब ही है सिखाता आपस में बैर रखना
pakistan islamik desh hai we thik kar rahe hai ham hinduo ko bharat ke bare me bichar karna hoga.
हकीकत है-
हिन्दुस्तानी मुहाजिर मुसलमान भी
upyogi jaankari. yah udarta kewal bharteey manas ke hisse men aai hai.
पकिस्तान को अल्पसंख्यकों के रक्षण और पोषण के बारे में भारत से सीखना चाहिए.
पाकिस्तान की तो बुनियाद ही नफरत और इस्लामी अलगाववाद पर रखी गई है । उनसे किसी अच्छे काम की उम्मीद नहीँ की जा सकती ।
नर्क किसने देखा है ....और जन्नत हमने इनको सौंप रखी है ???
शुभकामनाएँ!
नर्क किसने देखा है ....और जन्नत हमने इनको सौंप रखी है ???
शुभकामनाएँ!
किसी भी मजहब की बुनियाद नफरत और बदले की भावना पर नहीं टिकी है. ये चंद लोग ही होते हैं जो अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए समाज को नेक राह से हटाते हैं. भारत और पाकिस्तान तो बाद का मसला था, पाकिस्तान की हुक्मरान को गौर करना चाहिए की भगत सिंह किसके लिए शहीद हुआ था.
बहुत बढ़िया!
भारत जैसी आजादी वहाँ कहाँ?
करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाएँ!
I agree to what you say .. but jab hamare khud ke desh main.. hamare hi log.. in shaheedon ko yaad nahin rakhte ..
We indians have not done anything for which the martyrs gave their life .. then why should we point a finger at a neigbour country..
I somehow dont agree to it .. what have we done for the martyrs ..
lets get together and Do what the martyrs gave their life for.. and THEN think about outsiders..
Bikram's
अपवाद तो तब हुआ जब नाम रखा जा रहा था।
जिसकी बुनियाद ही नफ़रत पर टिकी हुयी है उससे और क्या आशा की जा सकती है !!
जिस थाली में खाते हैं उसी में मूतते भी हैं, यही है मुल्लों की जमात।
अगर भगत सिंह ने अपनी जान न दी होती तो आज तक ये स्साले किसी अँगरेज़ के घर का संडास साफ़ कर रहे होते, वो भी चाटकर।
payare bhaiyo m lekh t su koni per baat kehoo ya sab kami h mahre muslmaan bhaiya ki kuki ye pela te un payar t maana le nat mahari gel laag ke un semer wade bas ib t 1 bhagat sing gaya h desh tai ib aur bhagat sing koi mahara muslmaan bhai aur h bhot unh samr do dono desa ka 1 desh bana lo aur na t kehrcha jayada hoya sanika ka na pakistan na bharat ka
bilkol thik kha divas ne
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