धन्य हैं यशवंत सिन्हा जिन्होंने बहुत सटीक जड़ दिया -- " राहुल शादी का घोडा हैं जो अक्सर बिदक कर खड़ा हो जाता है , चलता ही नहीं "
चलो अच्छा हुआ भाजपा ने भी मुंह खोलना सीख लिया वरना ये भी मनमोहन की चुप्पी ही फौलो कर रहे थे। 'टिट फॉर टैट ' का ज़माना है अब लोग मोदी को हत्यारा और बन्दर कहेंगे तो क्या राहुल को घोडा भी न कहा जाएगा ?
Tit for tat,
Don't touch my hat,
You will kill my dog,
I will kill your cat.
दूसरा गाल सामने नहीं करेंगे बल्कि एक हाथ से देगा तो दोनों हाथ से खायेगा! संभल के जबान खोलना कांग्रेसियों !
वन्दे मातरम् !
चलो अच्छा हुआ भाजपा ने भी मुंह खोलना सीख लिया वरना ये भी मनमोहन की चुप्पी ही फौलो कर रहे थे। 'टिट फॉर टैट ' का ज़माना है अब लोग मोदी को हत्यारा और बन्दर कहेंगे तो क्या राहुल को घोडा भी न कहा जाएगा ?
Tit for tat,
Don't touch my hat,
You will kill my dog,
I will kill your cat.
दूसरा गाल सामने नहीं करेंगे बल्कि एक हाथ से देगा तो दोनों हाथ से खायेगा! संभल के जबान खोलना कांग्रेसियों !
वन्दे मातरम् !
11 comments:
दीपावली की शुभकामनाये-------
जनता तो बीजेपी को लाना चाहती हैलेकिन बीजेपी स्वयं नहीं आना चाहती.
भगवन इनको सद्बुद्धि दे.
शादी का घोडा नोट देख कर ही आगे बढ़ता है...
शुक्र है भाजपा की तरफ से यशवंत सिन्हा ने पहल तो की। अजीब ज़माना आ गया है। गांधी के नाम पर पार्टी बनाई थी कांग्रेसियों ने और फौलो कर रहे थे भाजपाई। कांग्रेसी बने हुए हैं अंग्रेज़ और भाजपा बन रही थी कांग्रेस।
सही बात है, टिट फॉर टैट का ही ज़माना है। इन बदतमीज़ कांग्रेसियों को उनकी औकात बताने के लिए उन्ही की भाषा में ज़वाब देना होगा ताकि उन्हें समझ तो आए कि किसी ने बेईज्जती कर दी।
Pashuon ko samman milne ke din aaye.
अंग्रेज़ी की कविता .. बहुत पसंद आयी।
भाव लाजवाब हैं ... भली प्रकार व्यक्त हुए हैं।
सिन्हा जी ने तो बहुत आदर दे दिया
'' दीप पर्व की अनंत शुभकामनाएं ''
गधे को घोड़ा करार देने पर सिंसिन्हा साहब को शर्म आनी चाइये, सारे घोड़े शर्मन्दगी महसूस कर रहे होंगे खैर . दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !
nice view,we can avoid defaming horse
सुन्दर प्रस्तुति!
--
दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
--
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ल्हे का घोड़ा
कांग्रेस का यह दुर्भाग्य है उसे यह ही इल्म नहीं है कौन उसका हितेषी है ,कहाँ बैठा है .पता होता तो विपक्षी पार्टी में बैठे राहुल जी के
प्रशंसक माननीय यशवंत सिन्हा के बयान पे कांग्रेसी यूं न बिदकते .
.अब यशवंत जी ने तो राहुल बाबा की तुलना घोड़े से ही की है .घोड़े का तो सम्मान है .(गधे से तो की नहीं है) और घोड़ा भी ऐसा वैसा नहीं
बरात का घोड़ा जो दुल्हे से कम सज धज लिए नहीं होता है .बल्कि दुल्हे से ज्यादा ही सजा रहता है .कुछ लोग तो दुल्हे की बजाय
दुल्हे के घोड़े को देखतें हैं .यह क्या कम सम्मान की बात है .
.बरात के घोड़े को हर कोई अपनी सामर्थ्य के अनुसार बढ़िया से बढ़िया चना भी खिलाता है घास नहीं खिलाता है .भले कोंग्रेस जितनी
मर्ज़ी
महंगाई बढ़ा ले बारात के घोड़े के चनों में कटौती नहीं की जाती है .
एक तरह से यशवंत जी ने राहुल बाबा को ,उनकी समर्थक कांग्रेस को यह इशारा भी कर दिया है -भैया अब तुम भी घोड़ी पे बैठो .यही
वक्त है .अगर पहले से ही बैठ चुके हो तो इस राज को खोलने में कोई हर्ज़ ही नहीं है .बहर हाल हम उनके किसी व्यक्ति गत राज को
नहीं
जानना चाहते ,जानना भी नहीं चाहिए पर अगर उनके छिटकने को दुल्हे के घोड़े की छिटकन से उपमा दी गई है तो कांग्रेसी मंत्रियों और
प्रवक्ताओं को तैश में आने की क्या ज़रुरत है .और फिर अगर उदाहरण भी दिया है तो घोड़े का दिया हैं न .वह तो समझदार हैं और कोंग्रेस
के हितेषी हैं जिस तरह के घटिया राजनीतिक वक्तव्य आ रहे हैं उसमें घोड़े से उपमा देना तो गौरव की बात है अगर उनकी जगह कोई
और होता तो शायद दुल्हे के घोड़े से भी उपमा न देता और
राजनीति में तो एक से एक खिलाड़ी हैं वहां राहुल बाबा लडखडाने लगतें हैं वह नए खिलाड़ी हैं उस बरात की घोड़ी की तरह जो सधी हुई
नहीं होती कभी बैंड की
आवाज़ से बिदक जाती है कभी बरात में छोड़ी जाने वाली आतिशबाजी पटाखों की आवाज़ से .
चलिए दिग्विजय जी का तो छौडिए वह तो मंत्री नहीं हैं कब कहाँ क्या कहना है वह भ्रम में ही रहतें हैं .घडी की सुइयों के विपरीत घूमता
है उनका चेहरा और
मुद्राएँ .हाँ अगर कोई मंत्री होकर बार बार कांग्रेस पार्टी का प्रवक्ता बनकर आ जाए तो उसके बारे में क्या कहा जाए .कहीं ऐसा तो नहीं है
की वह मंत्री होकर भी यह इशारा कर रहें हैं की मैं तो प्रवक्ता ही ठीक था .बिना टिपण्णी किये मुझसे रहा ही नहीं जाता .
कौन से मंत्री हैं यह तो हमें नहीं पता लेकिन वह आज भी कांग्रेस
प्रवक्ता के रूप में ही ज्यादा मुखर दिखलाई देते हैं .सोनिया जी और मनमोहन जी कृपया नोट करें यह मंत्री पद की अवमानना कर रहें
हैं
हमें अभी - अभी किसी ने बतलाया है आप हैं भी सूचना प्रसारण मंत्री .यह कैसे सूचना मंत्री हैं जो मंत्री पद को प्रवक्ता पद में तब्दील
किए हुए हैं .सूचना तो इनके पास कोई है ही नहीं यह तो कोंग्रेस का फटा हुआ ढोल ही पीट रहें हैं .
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