गलत संगत करने से परिणाम हमेशा अपमानजनक ही होते हैं ! कांग्रेस की संगत में रहकर कल के पैदा राहुल ने प्रधानमन्त्री के निर्णय को " नॉनसेंस" बताकार उनके मुंह पर चांटा जड़ा और पाकिस्तानियों से दोस्तीदारी का नतीजा क्या निकला ? नवाज़ शरीफ ने प्रधानमन्त्री मनमोहनसिंह को "देहाती औरत " कहा जो प्रपंच और चुगली करती है ! और पड़िए गलत संगत में , परिणाम सामने है।
वैसे क्या गलत कहा शरीफ ने ? काश हमारे प्रधानमन्त्री में भी इतना दम होता ही वे एक के बदले दो चांटा जड़ आते नवाज़ शारीफ के मुंह पर , तब तो कोई बात थी वरना लौलीपॉप चाटने वाले बहुत हैं।
10 comments:
बहुत बढ़िया |
शुभकामनायें -
बहुत बढ़िया |...
फेसबुक पे एक चुटकुला था...शरीफ कह रहे हैं मै सिर्फ नाम का शरीफ हूँ...और अपने भाई कह रहे हैं मै भी सिर्फ नाम का सिंह हूँ...
राहुल ,राजीव की तरह सरल हैं , उन्हें जो ठीक लगा उन्होंने कह दिया ।
कांग्रेस पार्टी ने कब अपने नेताओं की इज्ज़त की है ? चाहे वो इंदिरा गांधी के समय में लाल बहादुर शास्त्री जी रहे हों या फिर इंद्र कुमार गुजराल ,इस कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं को हमेशा एक बलि का बकरा ही समझा है जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कभी भी बलि दे सकता है|कांगेस के भूतकालीन इतिहास को देखते हुए यही लगता है दिव्या जी कि मनमोहन जी तो शायद सांस ही अपनी मर्जी से ले पाते होंगे बाकी उनकी जुबां से वही शब्द निकलते हैं जो सोनिया चाहती हैं और सोनिया सिर्फ और सिर्फ हिन्दू समाज के टुकड़े करने में ही यकीन रखती है | इनके एक और स्वघोषित महापुरुष है राहुल गांधी जो हर कांग्रेसी को अपना व्यक्तिगत नौकर और देश के संविधान को अपनी बपौती समझता है आज ये अपने आप को लोकतंत्र से भी बड़ा और संविधान से महान समझने लगा है|मेरी नजर में सोनिया को अपने इलाज से ज्यादा आवश्यकता अपने सुपुत्र के इलाज की जरुरत है जो बचकाना हरकतें कर अपने बीमार मानसिक स्तर का उदाहरण हर जगह दे रहा है| वैसे राहुल गांधी की दशा को देखते हुए एक मुहावरा बहुत सटीक बैठता है "खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे " |
बिल्कुल सही कहा दिव्या जी...
बिल्कुल सही कहा दिव्या जी...
bilkul sahi baat...
kunwar ji,
वीर सिक्ख समुदाय के पुरुषों ने तो मनमोहन को खालसा पर कलंक मान ही लिया है. हद तो तब हो गई कि जिस इंसान को किन्नरों ने भी अपनी बीरादरी में शामिल करने को अपना अपमान समझा आज देहात की औरतों ने भी नवाज शरीफ द्वारा मनमोहन को दिये गये इस संबोधन को अपना अपमान माना.
मनमोहन तुम तो कहीं के न रहे. सच पूछें तो ये घटना भी शर्मिंदा करने वाली है कि अंतर्राष्ट्रीय बीरादरी में भारतीय प्रधानमंत्री का अपमान दरअसल तुम्हारा नहीं इस देश का अपमान है जिसका कारण तुम हो. यदि तुम मैडम की चापलूसी करने के बजाय अपने व अपने राष्ट्र के स्वाभिमान के लिए जरा भी सचेत होते, यदि तुमने गुरुग्रंथ साहिब को अपने जीवन में उतारा होता तो देश का ऐसा अपमान न होता और उसका दाग तुम पर न आता. सच तो ये है कि तुम इस पूरे देश के लिए अपमान बन चुके हो...
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