आज मलाड - मुंबई स्थित जैन मंदिर तोड़ने आई बिकाऊ सरकार
कई दिनों से देखा जा रहा हे की भारत में जो सब से ज़यादा पवित्र माने जाते हे, जो लोग सब से ज़यादा टैक्स भरते हे, जिनकी वजह से ये देश प्रगति पर हे उन जैन लोगो पे बार बार ये सरकार अत्याचार कर रही हे
पहले लखनऊ में भगवान श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा तोड़ दी गई
राजस्थान के तीर्थ में भी श्री नेमनाथजी की प्रतिमा तोड़ दी गई
फ़िर गिरनार में साधू भगवंत पे हमला
फिर महाराष्ट्र में मुनी श्री प्रशांत विजयजी कि हत्या
चंदेरी, मध्य प्रदेश में भी दिगंबर मुनि पे हमला
अहमदाबाद में भी बहोत से जैन मंदिर से चोरी
श्री समेत सिखर तीर्थ भी सरकार ने ले लिया और सब भंडार पे सरकार कि नजर
राजस्थान के केसरियाजी तीर्थ की आय सरकार ले रही हे - जब की राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी केस हार चुकी हे
महाराष्ट्र में भी अंतरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ सरकार कि नजर में
इतना ही नहीं करीब हर २ महीने में किसी न किसी साधू - साध्वी भगवंत पर जानलेवा हमला होता हे
और हमेशा जैन धर्म के सिद्धांतो के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हे
और आज फिर से मलाड में सरकार का हमला
मानो कि ये सरकार हाथ धो के धर्म के पीछे पड़ी हे
जब देश में बलात्कार होते हे तब कहा जाती हे ये सरकार
जब देश में गन्दी से गन्दी फिल्मे बनती हे तब कहा जाती हे ये सरकार
सब एकजुट हो के इस सरकार का विरोध करे - आखिर कब तक हम हमारी संस्कृति को ऐसे सरेआम बिकने देंगे ?
कई दिनों से देखा जा रहा हे की भारत में जो सब से ज़यादा पवित्र माने जाते हे, जो लोग सब से ज़यादा टैक्स भरते हे, जिनकी वजह से ये देश प्रगति पर हे उन जैन लोगो पे बार बार ये सरकार अत्याचार कर रही हे
पहले लखनऊ में भगवान श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा तोड़ दी गई
राजस्थान के तीर्थ में भी श्री नेमनाथजी की प्रतिमा तोड़ दी गई
फ़िर गिरनार में साधू भगवंत पे हमला
फिर महाराष्ट्र में मुनी श्री प्रशांत विजयजी कि हत्या
चंदेरी, मध्य प्रदेश में भी दिगंबर मुनि पे हमला
अहमदाबाद में भी बहोत से जैन मंदिर से चोरी
श्री समेत सिखर तीर्थ भी सरकार ने ले लिया और सब भंडार पे सरकार कि नजर
राजस्थान के केसरियाजी तीर्थ की आय सरकार ले रही हे - जब की राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी केस हार चुकी हे
महाराष्ट्र में भी अंतरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ सरकार कि नजर में
इतना ही नहीं करीब हर २ महीने में किसी न किसी साधू - साध्वी भगवंत पर जानलेवा हमला होता हे
और हमेशा जैन धर्म के सिद्धांतो के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हे
और आज फिर से मलाड में सरकार का हमला
मानो कि ये सरकार हाथ धो के धर्म के पीछे पड़ी हे
जब देश में बलात्कार होते हे तब कहा जाती हे ये सरकार
जब देश में गन्दी से गन्दी फिल्मे बनती हे तब कहा जाती हे ये सरकार
सब एकजुट हो के इस सरकार का विरोध करे - आखिर कब तक हम हमारी संस्कृति को ऐसे सरेआम बिकने देंगे ?
Courtesy- Facebook
6 comments:
य़ेह आतंकवदियों की सरकार है अॉर जहां सरकार ही आतंक कर रही हो तो और क्या होगा। इनके वक्तव्य देखिये
मैं सोनिया गांधी का विदेश मंत्री हूं - सलमान ख़ुर्शीद
सलमान ख़ुर्शीद नें यू०पी० कान्ग्रेस का अध्यक्ष रहते हुये सिमी संगठन की न्यालय में वकालत की और सिमी को शांतिप्रिय संगठन बताया
तथा अपनी किताब “AT HOME IN INDIA: A STATEMENT OF INDIAN MUSLIMS” में लिखा कि जिन मुसलमानों ने १९४७ में विभाजन के समय दंगे देखे थे उनको १९८४ में सिखों का भयानक नरसंहार देखकर आत्मिक शांति का अनुभव हुआ ।
अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने से इन्कार किया तो उनके घर के समने धरने पर बैठूंगा - बेनी प्रसाद वेर्मा
गोधरा में ६० निरपराध कारसेवकों को जिन्दा जला दिया उस पर किसि नें एक शब्द भी नहीं कहा और इशरतजहां पर करोडों खरच कर दिये और किये हि जा रहे हैं येह कोइ नहीं कहता कि अगर वह एक इज्जतदार घर की शरीफ व गरीब छात्रा थी तो उसके पास लग्जरी कार कहां से अायी और सुबह ५ बजे अपने घर से सैकडॉं कोश दूर पाकिस्तानियों के साथ क़्या कर रही थी।
देश के 95 प्रतिशत संसाधनों पर मुसलमानों का अधिकार है - मनमोहन सिंह
संघ आतंकवादी संगथन है - सिन्दे गृह मंत्री
देश के चालू खाते का घाटा है २५ लाख क़रोड और अबानी व दूसरे उद्योगपतियों को कर में छूट दी गयी ३० लाख करोड ।
अभी नया विधेयक ला रहे हैं जिसमें अगर एक अल्प संख्यक १०० हिन्दू मार दे तो भी दोसी हिन्दू हि होंगे ।
इतना सबहोने पर भी कांग्रेस लक्षित हिंसा बिधेयक लाने पर संकल्पित है यह देश का दुर्भाग्य है। हिन्दू कब चेतेगा।
सच्च कहा है...
एक मंच[mailing list] के बारे में---
अपनी किसी भी ईमेल द्वारा ekmanch+subscribe@googlegroups.com
पर मेल भेजकर जुड़ जाईये आप हिंदी प्रेमियों के एकमंच से।हमारी मातृभाषा सरल , सरस ,प्रभावपूर्ण , प्रखर और लोकप्रिय है पर विडंबना तो देखिये अपनों की उपेक्षा का दंश झेल रही है। ये गंभीर प्रश्न और चिंता का विषय है अतः गहन चिंतन की आवश्यकता है। इसके लिए एक मन, एक भाव और एक मंच हो, जहाँ गोष्ठिया , वार्तालाप और सार्थक विचार विमर्श से निश्चित रूप से सकारात्मक समाधान निकलेगे इसी उदेश्य की पूर्ति के लिये मैंने एकमंच नाम से ये mailing list का आरंभ किया है। आज हिंदी को इंटरनेट पर बढावा देने के लिये एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है, सभी मिलकर हिंदी को साथ ले जायेंगे इस विचार से हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित ये संयुक्त मंच है। देश का हित हिंदी के उत्थान से जुड़ा है , यह एक शाश्वत सत्य है इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है। हिंदी के चहुमुखी विकास में इस मंच का निर्माण हिंदी रूपी पौधा को उर्वरक भूमि , समुचित खाद , पानी और प्रकाश देने जैसा कार्य है . और ये मंच सकारात्मक विचारो को एक सुनहरा अवसर और जागरूकता प्रदान करेगा। एक स्वस्थ सोच को एक उचित पृष्ठभूमि मिलेगी। सही दिशा निर्देश से रूप – रेखा तैयार होगी और इन सब से निकलकर आएगी हिंदी को अपनाने की अद्भ्य चाहत हिंदी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाना, तकनिकी क्षेत्र, विज्ञानं आदि क्षेत्रो में विस्तार देना हम भारतीयों का कर्तव्य बनता है क्योंकि हिंदी स्वंय ही बहुत वैज्ञानिक भाषा है हिंदी को उसका उचित स्थान, मान संमान और उपयोगिता से अवगत हम मिल बैठ कर ही कर सकते है इसके लिए इस प्रकार के मंच का होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हमारी एकजुटता हिंदी को फिर से अपने स्वर्ण युग में ले जायेगी। वर्तमान में किया गया प्रयास , संघर्ष , भविष्य में प्रकाश के आगमन का संकेत दे देता है। इस मंच के निर्माण व विकास से ही वो मुहीम निकल कर आयेगी जो हिंदी से जुडी सारे पूर्वग्रहों का अंत करेगी। मानसिक दासता से मुक्त करेगी और यह सिलसिला निरंतर चलता रहे, मार्ग प्रशस्त करता रहे ताकि हिंदी का स्वाभिमान अक्षुण रहे।
अभी तो इस मंच का अंकुर ही फुटा है, हमारा आप सब का प्रयास, प्रचार, हिंदी से स्नेह, हमारी शक्ति तथा आत्मविश्वास ही इसेमजबूति प्रदान करेगा।
ज आवश्यक्ता है कि सब से पहले हम इस मंच का प्रचार व परसार करें। अधिक से अधिक हिंदी प्रेमियों को इस मंच से जोड़ें। सभी सोशल वैबसाइट पर इस मंच का परचार करें। तभी ये संपूर्ण मंच बन सकेगा। ये केवल 1 या 2 के प्रयास से संभव नहीं है, अपितु इस के लिये हम सब को कुछ न कुछ योगदान अवश्य करना होगा।
तभी संभव है कि हम अपनी पावन भाषा को विश्व भाषा बना सकेंगे।
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वाह क्या बात! बहुत ख़ूब!
इसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं
सच को उकेरती
बहुत सही कहा..
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