Wednesday, February 11, 2015

चन्दा फ्री , धंधा फ्री



जिसे करोड़ों रुपया चंदे में 'फ्री' मिलता हो
वो किसी भी चीज़ की कीमत क्या समझेगा !
मुफ्तखोर ही बनेगा और मुफ्तखोरी ही बढ़ाएगा
मूल्य और टैक्स चुकाना तो दूर, वो देश बेच कर खायेगा !
बहुत जल्दी दिल्ली को समझ में आएगा कि,
'फ्री' के चक्कर में कितना 'भारी मूल्य' चुकाया है!

7 comments:

surenderpal vaidya said...

सही कहा आपने। जनता को मुफ्तखोरों के चक्कर में पड़कर पछताना पड़ेगा।

Unknown said...

कहीं ........ के हाथ मे उस्तरा तो नहीं दिया गया, बिजली पानी मुफ्त नही तो सड़क पर धरना, पूरी दिल्ली मे सीसीटीवी लगाने के लिये पैसे केंद्र ने नहीं दिये तो पार्लियामेंट रोड पर अनशन .... भूँख ज्यादा बढ़ी तो .... व्यंग कवि सम्मेलन भी है कतार मे और अंत मे पुलिस राज्य के अधीन नही पर पलायन .........

Pratibha Verma said...

बिलकुल सही कहा आपने ...

Anonymous said...

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Unknown said...

बहुत सही !
गोस्वामी तुलसीदास

Rakesh Kumar said...

देखतें है जी फ्री का धंधा , कब पड़ता है मंदा

Anonymous said...

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