आज सुबह तुमने पूछा था,
बताओ तुम्हारी आँखों में आँसू क्यों है?
ये उस अकाल मृत्यु का शोक है जो,
सरहद पर डटे जवानों को आ जाती है,
बारिश में बर्बाद हुए किसानों को आ जाती है,
और कभी-कभी, जीते जी हम जैसे इंसानों को आ जाती है
रो लेती हैं ज़िंदा लाशें अपनी ही मौत पर ,
घुट जाते हैं शब्द सारे, रूंधे गले में ऐंठ कर !!
7 comments:
फिए भी जीना पडता है1 दिल को छूती रचना 1 शुभ्कामनाये
बेहतरीन
आपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा,आपकी रचना बहुत अच्छी और यहाँ आकर मुझे एक अच्छे ब्लॉग को फॉलो करने का अवसर मिला. मैं भी ब्लॉग लिखता हूँ, और हमेशा अच्छा लिखने की कोशिश करता हूँ. कृपया मेरे ब्लॉग www.gyanipandit.com पर भी आये और मेरा मार्गदर्शन करें
सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
सार्थक भाव।
बहुत खूब.... लाजवाब !!!
बधाई स्वीकारें
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