हो रहा विकास, पतन का
डाक्टरेट बन रहे हैं चपरासी
पांचवी पास की नौकरी पाने के लिए
पी एच डी लगे हैं कतार में
लकवाग्रस्त शिक्षातंत्र, बोझ बढ़ा रहा है
हर मासूम विद्यार्थी का !
दिखावे की शिक्षा, दिखावे के प्रोजेक्ट्स
ढेरों आडम्बर, गला काटती पतियोगी परीक्षाएं
खून चूसता तंत्र, अपाहिज होती व्यवस्था
सड़ी गली राजनीति , कुंठित प्रतिभाएं
व्यवसाय बनी ये शिक्षा, महज़
चपरासी और क्लर्क पैदा कर रही हैं ...
Zeal
डाक्टरेट बन रहे हैं चपरासी
पांचवी पास की नौकरी पाने के लिए
पी एच डी लगे हैं कतार में
लकवाग्रस्त शिक्षातंत्र, बोझ बढ़ा रहा है
हर मासूम विद्यार्थी का !
दिखावे की शिक्षा, दिखावे के प्रोजेक्ट्स
ढेरों आडम्बर, गला काटती पतियोगी परीक्षाएं
खून चूसता तंत्र, अपाहिज होती व्यवस्था
सड़ी गली राजनीति , कुंठित प्रतिभाएं
व्यवसाय बनी ये शिक्षा, महज़
चपरासी और क्लर्क पैदा कर रही हैं ...
Zeal
5 comments:
सही कहा .
आज की शिक्षा पद्धति का कड़वा सच
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-09-2015) को "प्रबिसि नगर की जय सब काजा..." (चर्चा अंक-2104) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
What a material of un-ambiguity and preserveness of precious knowledge
regarding unpredicted emotions.
Feel free to surf to my web site :: ประตูม้วนไฟฟ้า
सत्य एवं सामयिक रचना ...सच मे व्यवस्था अपाहिज ही हो गयी है, साथ ही गूँगी बहरी अौर असंवेदनशील भी
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