Tuesday, September 22, 2015

मीठापन ही जीत गया

जन्म से कायस्थ, कर्म से क्षत्रिय , कलम उठाये चलते हैं,
आभासी या असल ज़िन्दगी , शस्त्र उठाये चलते हैं !!
जीवन आधा बीत गया यूँ लड़ने और झगड़ने में,
जाने कितनी जीत मिली है अपने इन आंदोलन में 
.
लेकिन मितरा जीत न पाये, तुमसे झगड़ा करने में, 
अहम हमारा टूट गया, अब तुमसे दूरी करने में ,
मीठे-मीठे बोल तुम्हारे , मीठी सी मुस्कान है जो,
मीठापन ही जीत गया, हम हार गए कड़वेपन में !!

.
Zeal 'Divya'

4 comments:

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

वाह ..बहुत ही अच्छी रचना .

Unknown said...

भावपूर्ण
कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

Bhola-Krishna said...

लम्बे अंतराल के बाद आपका ब्लॉग देखा , जन्म से कायस्थ हूँ , कविता पढ़ी अच्छी लगी ! बधाई !
कृष्णा जी और मैं दोनों ही अब बृद्ध हो गये हैं!मेरी आँखों की ज्योति दिन पर दिन घटी जा रही है , विभिन्न दवाइयों के कारण गला और मुंह सूखे रहते हैं ! महाबीर बिनवौ हनुमाना - हमारा ब्लॉग संकुचित हो गया है ! महीने में एक दो ही प्रेषित कर पाते हैं ! तीज त्योहारों पर कुछ कृपा करतीं हैं मा वीणापाणी कुछ रचना हो जाती है , कुछ स्वर प्रस्फुटित हो जाते हैं , कृष्णा जी रेकोर्ड करके वीडियो बना देती हैं तो यूट्यूब के भोला कृष्णा चेनेल में डाल देती हैं और यदि कोयी सामयिक ब्लॉग लिख जाता है तो उसमे संलग्न कर देते हैं ! हम पिछले ८ वर्षों में एक बार ही भारत आ सके ! अभी हम यू एस ए में ही हैं! आप सब कैसे हैं !हम हैं आपके अंकल आंटी
वी एन एस भोला और डॉक्टर श्रीमती कृष्णा भोला

Eva Little said...

Hello mate nice postt