Thursday, February 26, 2015

वामपंथ के चंगुल में फंसी मेरी सहेली

रोहिणी (दिल्ली) निवासी, पेशे से इंजिनियर मेरी सहेली का फ़ोन आया कल , हमने पूछा किसे वोट दिया था? बोली-- "जो जीता है उसे ही दिया था " ! बहुत खुश लग रही थी !
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हमने पूछा - क्यों वोट दिया उसे ? कोई ठोस कारण ? 
वो सोच में पड़ गयी !कारण नहीं बता पायी !
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मुफ्त पानी, बिजली, वाई फाई के लिए दिया है?
वो 'मुफ्त' के नाम पर हामी नहीं भर पायी ! चुप रह गयी !
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हमने कहा यदि केजरीवाल ने ये कहा होता की हम चौबीसों घंटे बिजली पानी उपलब्ध कराएंगे ! वाई फाई और समस्त आधुनिक सुविधाओं से लैस करेंगे दिल्ली को और दिल्लीवासियों को कोई तकलीफ नहीं होंगे तब तो बात समझ आती ! लेकिन मुफ्त क्यों? क्या ये सब मुफ्त में उत्पादन हो रहा है ? मुफ्त किसलिए ? स्वाभिमान से जो उपभोग कर रहे हैं उसका भुगतान करना दायित्व नहीं जनता का ? --- वो चुप रही !
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स्वाभिमानी लड़के अपने विवाह में 'मुफ्त का दहेज़' नहीं लेते ! पढ़ी-लिखी लड़की लाते हैं घर! पूरी उम्र सम्मान करते हैं अपनी पत्नी का ! लेकिन जितने भी नालायक और लोभी हैं उन्हें लड़की वालों की गर्दन पर तलवार रखकर सबकुछ मुफ्त चाहिए दहेज़ में ! जीवन भर मांगते हैं ! न देने पर जला कर मार डालते हैं ! ऐसी होती है मुफ्तखोरों की प्रकृति !-- वो चुप रही !
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विदेशों से फंडिंग होती है उसे ! करोड़ों का चंदा आता है उसके घर ! सब 'फ्री' में ! क्यों आ रहा इसके पास विदेशी फंड और बदले में ये विदेशों को क्या मुहैय्या करा रहा है , कभी सोचा इस विषय पर? --वो धीरे से सकुचाते हुए बोली--"ये सब तो हम जानते ही नहीं , जितना टीवी पर देखा है वही जानती हूँ केवल , इतनी गहराई से कभी सोचा ही नहीं "
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केजरीवाल की जीत पर पाकिस्तान ने 'जश्न' मनाया ! क्यों मनाया , कभी सोचा? कभी पाकिस्तानी दहशतगर्दों के ट्वीट देखे? सब केजरीवाल के सगे हैं और इससे क्या-क्या अपेक्षाएं लगाएं बैठे हैं , और खुलेआम इससे क्या क्या करने को कह रहे हैं , कभी सोचा इस विषय पर?-- वो चुप रही !
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ये दाऊद , दुबई , पाकिस्तान और अमरीका का करीबी है ! ईसाईयों और मुस्लिमों का हमदर्द ! ---वो गुस्से में अकड़कर बोली--"मैं हिन्दू मुस्लिम नहीं करती, मैं सेक्युलर हूँ , हम सब एक हैं "--- हमने कहा विवेकानंद को पढ़ो , अपने धर्म की इज़्ज़त करो ! जिस धर्म-निरपेक्षता की तुम बात कर रही हो वो केवल हमारे सनातन हिन्दू धर्म में है, किसी नेता की बदनीयती में नहीं !-- वो चुप रही !
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हम फिर पूछा --"कोई एक वजह तो बताओ, तुमने AAP पार्टी को क्यों चुना?
वो बोली- "हमने महिला सुरक्षा के लिए उसे वोट दिया"
हमने कहा "यदि किरण बेदी मुख्यमंत्री बनतीं तो क्या दिल्ली की महिलाएं असुरक्षित रहतीं?"
वो चुप रही !
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पछतावे और लज्जा के साथ बोली --"हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी, हमें तो इतनी गहराई से किसी बात की जानकारी ही नहीं थी ! हम तो बस जितना टीवी पर दिखाते हैं उतना ही जानते हैं"
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हमने कहा पछताओ मत ! आगे से वृहद-परिपेक्ष्य में राष्ट्रहित में सोचकर वोट देना ! निजी हित में वोट मत देना ! हम जैसे लोगों के पास ईश्वर की कृपा से सब कुछ है ! मुफ्त बिजली पानी के मोहताज नहीं हैं ! अतः लोभ कैसा? हमें तो गिद्ध-दृष्टि गड़ाए विदेशी ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर राष्ट्रहित में सोचना है ! सही व्यक्ति को चुनना है , शेष तुम समझदार हो !
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वो मुस्कुरा रही थी अब ! फोन रखते समय बेहद खुश और उल्लासित थी ! मैं भी खुश थी !
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5 comments:

Anonymous said...

Article writing is also a fun, if you be acquainted with then you can write otherwise it is complex to write.



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Prabodh Kumar Govil said...

केवल आपकी सहेली ही क्यों, पूरी दिल्ली !
दिल्ली पूरे देश की लाड़ली है, उसे शुरू से सबके हिस्से का सब कुछ "मुफ्त" ही मिला है, वह इसी की आदी भी है।

Anonymous said...

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राजीव तनेजा said...

बढ़िया...