हमारा एक सवाल...
इंडिया टुडे में प्रकाशित कवर स्टोरी और इसकी तस्वीर का समर्थन करने वाले इंडिया टुडे के अगले अंक के लिए अपनी मां, बहन या बेटी की 'ऐसी' तस्वीर भेजेंगे...?
-------------------------------------------------------------------------------
अश्लीलता के पुजारी हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति का गला बेदर्दी से घोंट रहे हैं। पहले तो फूहड़ता से फिल्म इंडस्ट्री चलती थी केवल , लेकिन अब इस फूहड़ता ने ब्लॉग-जगत को भी संक्रमित कर दिया है। नारी को इंसान न समझकर , प्रोडक्ट की तरह नुमाईश करते पत्र-पत्रिका और कुछ ब्लॉग अत्यंत घ्रणित कार्य कर रहे हैं।
ऐसे लोग अश्लीलता परोसने के बहाने ढूंढते रहते हैं। कभी अरूंधती राय की गिलानी के साथ न्यूड तस्वीर को कला के नाम पर समर्थन देखर तो कभी इंडिया टुडे की अभद्र तस्वीर को तुरुप का पत्ता बनाकर , अपने ब्लॉग की दूकान चलाते हैं।
धन्य हैं ऐसी घिनौनी मानसिकता वाले जो स्त्री का पग-पग पर अपमान करते हैं। ऐसे लोग ही समाज में विकृत मानसिकता को जन्म देते हैं। युवाओं को गलत दिशा में भटकाते हैं ।
जिस देश में नारायण दत्त तिवारी, मदेरणा और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे 'डर्टी' लोग सत्ता में होंगे वहाँ तो 'डर्टी-फिल्में' ही राष्टीय पुरस्कार की हक़दार होंगी।
शर्म आती है विद्या बालन जैसी अभिनेत्रियों पर जो चंद पैसों और सस्ती-शोहरत के लिए अपना जिस्म बेच रही हैं।
ऐसा ही कर रही है एक और महिला ब्लॉगर जो अश्लील साहित्य लिखने वाले ब्लौगरों के समर्थन में फिरदौस के एक वाजिब और अहम् सवाल का विरोध कर रही है। शर्म आनी चाहिए इस महिला को जो स्त्रियों की अस्मिता की रक्षा के लिए नहीं लडती बल्कि जहाँ देखो वहीँ, स्त्रियों के खिलाफ ही लडती है। यह महिला विषय से भटकाकर, व्यक्ति के विरोध में उतर आती है।
हमें पूरी ताकत से इस अश्लीलता और फूहड़पन का विरोध करना है। और स्त्री के सम्मान की रक्षा करने के साथ-साथ अपनी संस्कृति को भी बचाए रखना है।
जो भी पुरुष अपने मन को चंगा बताकर स्त्रियों की आपत्तिजनक तस्वीर लागायेगा कहीं भी , वहीँ पर उसकी माँ-बहन और बेटी की तस्वीर उसी दशा में लगाई जानी चाहिए, फिर देखेंगे इनके चंगे-मन का भूत कितनी जल्दी उतरेगा।