कल रचना जी के ब्लॉग पर निम्नलिखित पोस्ट पढ़ी।
कुछ प्रश्न अपनी साथी महिला ब्लॉग लेखिकाओ से
बहुत सी महिला बहनों ने वहाँ पूरे जोश में कमेंट्स लिखे , रचना जी के सभी प्रश्नों का सुंदर से सुन्दर जवाब दिया।
मैंने अपना एक कमेन्ट लिखा जो इस प्रकार था--
" रचना जी,
जब किसी नारी को कटही और खोरही कुतिया कहा जाता है तो नारियां अपने बिलों में दुपक जाती हैं। कोई भी नारी ऐसी नहीं थी जिसको बुरा लगा हो की एक महिला को कुतिया कहा गया । कोई नहीं था जिसने कहा हो की ये गलत है। फिर इस तरह के नारी समूह और नारियों से प्रश्न पूछने का ओचित्य क्या है जब नारी , नारी के ही काम न आये और उसे बाज़ार में लुटते-पिटते देखती रहे ? "
खैर १२ घंटे इंतज़ार किया , जब कमेन्ट को पब्लिश नहीं किया गया, जबकि नये कमेन्ट वहां आते रहे। तो सोचा अपना कमेन्ट यहाँ लिख दूँ । क्यूंकि ब्लॉग स्वामिनी तो यही कहेगी की वो नेट से दूर थी अतः कमेन्ट मोडरेशन में पड़ा रह गया।
खैर , जिन्दा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करती।
मन में विचार आते जाते हैं यहाँ लिखती जाती हूँ। मन में आये कुछ विचारों को यहाँ लिख रही हूँ ।
१- क्या शुभ चिन्तक सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं?
२- हाथी के दांत , खाने के और , दिखाने के और ?
३- क्या महिलाओं का खून नहीं खौलता जब उसकी किसी बहेन को कुतिया कहा जाता है तो ?
४- वो पोस्ट जो खासकर महिलाओं को सचेत करने के लिए निस्वार्थ भावना से लिखी गयी थी , क्या उस पर महिलाओं को आने से भय लगा ?
५- महिलाएं बकरियों की तरह डर-डर कर क्यों जीती हैं।
६-क्या वो डरती हैं की उनके ब्लोग्स पर टिपण्णी करने वो पूजनीय पुरुष नहीं आएगा।?
७-कब तक ढोती रहोगी , ऐसे गन्दी मानसिकता वाले पुरुषों को ?
८- कब पहचानोगी अपने अस्तित्व को ?
९- कब जीना सीखोगी निडर निर्भीक और स्वाभिमान के साथ।
१० क्या अपनी बीबी 'लक्ष्मी ' और भाई की बीबी 'कुतिया' होती है ?
११-क्या एक स्त्री जो आप के चंगुल में फंसने से इनकार कर दे वो गालियों की हकदार हो जाती है?
१२- क्या सिर्फ सरकार को गाली देते हुए ही हम मर जायेंगे ?
१३- भारत में corruption है चिल्लाते रहेंगे ?...क्या कभी अपनी इमानदारी के बारे में भी सोचेंगे?
१४ क्या ओह, आह, औच , उफ़ ही आपके विचार हैं ऐसे कृत्य के लिए ?
१५-क्या आप सभी अपने आप से इमानदार है ?