कल रचना जी के ब्लॉग पर निम्नलिखित पोस्ट पढ़ी।
कुछ प्रश्न अपनी साथी महिला ब्लॉग लेखिकाओ से
बहुत सी महिला बहनों ने वहाँ पूरे जोश में कमेंट्स लिखे , रचना जी के सभी प्रश्नों का सुंदर से सुन्दर जवाब दिया।
मैंने अपना एक कमेन्ट लिखा जो इस प्रकार था--
" रचना जी,
जब किसी नारी को कटही और खोरही कुतिया कहा जाता है तो नारियां अपने बिलों में दुपक जाती हैं। कोई भी नारी ऐसी नहीं थी जिसको बुरा लगा हो की एक महिला को कुतिया कहा गया । कोई नहीं था जिसने कहा हो की ये गलत है। फिर इस तरह के नारी समूह और नारियों से प्रश्न पूछने का ओचित्य क्या है जब नारी , नारी के ही काम न आये और उसे बाज़ार में लुटते-पिटते देखती रहे ? "
खैर १२ घंटे इंतज़ार किया , जब कमेन्ट को पब्लिश नहीं किया गया, जबकि नये कमेन्ट वहां आते रहे। तो सोचा अपना कमेन्ट यहाँ लिख दूँ । क्यूंकि ब्लॉग स्वामिनी तो यही कहेगी की वो नेट से दूर थी अतः कमेन्ट मोडरेशन में पड़ा रह गया।
खैर , जिन्दा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करती।
मन में विचार आते जाते हैं यहाँ लिखती जाती हूँ। मन में आये कुछ विचारों को यहाँ लिख रही हूँ ।
१- क्या शुभ चिन्तक सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं?
२- हाथी के दांत , खाने के और , दिखाने के और ?
३- क्या महिलाओं का खून नहीं खौलता जब उसकी किसी बहेन को कुतिया कहा जाता है तो ?
४- वो पोस्ट जो खासकर महिलाओं को सचेत करने के लिए निस्वार्थ भावना से लिखी गयी थी , क्या उस पर महिलाओं को आने से भय लगा ?
५- महिलाएं बकरियों की तरह डर-डर कर क्यों जीती हैं।
६-क्या वो डरती हैं की उनके ब्लोग्स पर टिपण्णी करने वो पूजनीय पुरुष नहीं आएगा।?
७-कब तक ढोती रहोगी , ऐसे गन्दी मानसिकता वाले पुरुषों को ?
८- कब पहचानोगी अपने अस्तित्व को ?
९- कब जीना सीखोगी निडर निर्भीक और स्वाभिमान के साथ।
१० क्या अपनी बीबी 'लक्ष्मी ' और भाई की बीबी 'कुतिया' होती है ?
११-क्या एक स्त्री जो आप के चंगुल में फंसने से इनकार कर दे वो गालियों की हकदार हो जाती है?
१२- क्या सिर्फ सरकार को गाली देते हुए ही हम मर जायेंगे ?
१३- भारत में corruption है चिल्लाते रहेंगे ?...क्या कभी अपनी इमानदारी के बारे में भी सोचेंगे?
१४ क्या ओह, आह, औच , उफ़ ही आपके विचार हैं ऐसे कृत्य के लिए ?
१५-क्या आप सभी अपने आप से इमानदार है ?
84 comments:
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एक प्रश्न और मन को मथ रहा था , जो लिखना भूल गयी थी...
क्या पुरुष किसी स्त्री के समर्थन में बोलने से डरते हैं ? क्या ऐसा करने से उनके अहम् को ठेस पहुँचती है ?
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क्योंकि मैंने देखा की एक पुरुष ब्लॉगर को मरहम लगाने अनेक विद्वान् पहुंचे।
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क्या पुरुष , पुरुषों के साथ ज्यादा इमानदारी से मित्र निभाते हैं ?
क्या महिला मित्र का सम्मान करना नहीं जानते ? उसके साथ लम्बे अरसे तक मित्रवत क्यूँ नहीं रहते ?
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क्या पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में इमानदारी कम होती है ?
क्या महिलाओं को अपनी महिला मित्रों के स्वाभिमान और सम्मान की ज़रा भी चिंता नहीं होती ?
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अगर देश की हर इकाई अपने नैतिक मूल्यों को इतना गिरा देगी, डर कर जियेगी और 'हमे क्या ' , ऐसा सोचेगी , तो क्या हमारा देश तरक्की कर सकेगा ?
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" United we stand, divided we fall "
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भारत में corruption है चिल्लाते रहेंगे ?...क्या कभी अपनी इमानदारी के बारे में भी सोचेंगे?
सही कहा आपने ...
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com
Dearest ZEAL:
Ab to uth saktaa nahi aankho se baar-e-intezaar
Kis taraah kaate koi lail-o-nahaar-e-intezaar
[Baar-E-Intezaar = Burden of Waiting, Lail-O-Nahaar-E-Intezaar = Night & Day Of Waiting / Eternal Waiting]
Freedom Of Speech is one of the Fundamental Rights conferred on us Indians by Our Constitution.
However, from what little I have seen of the blog world, rarely is anyone willing to imbibe the practice on their blogs. The convenience of 'moderation' has been more often used as a weapon of outright blockage rather than a subtle tool of controlling the content to the mainstream of the topic.
But then, as you have chosen, when there is an expression in the heart, words in the mind and strength in the hand to pen them down, the roads to publication are myriad.
What if one lane is blocked. The world has a zillion lanes. As long as one has the conviction in one's heart, there will be no dearth of the channels of expression.
The expectation that what is writ MUST BE PUBLISHED is grievously in error in this blog world. Here freedom of speech is not guaranteed. Zmiles.
There is a beautiful line in the movie Jurassic Park which goes thus - Life Finds Its Way.
You found yours!
As to lack of many women [and men too] to come out openly in support of your boldly exposing the malevolent elements, leave it to their conscience which must have answers for their reservations about participation on such matters.
Karmaniye Vaadhikaaraste Maa Faleshu Kadaachan
You did you duty by bringing to the notice of all who may read the misdeeds of the pretenders.
Further, the blog world is very much a number game and Quid Pro Quo is the natural order here. So probably, no one wants ruffled feathers which would reduce their 'fan' following. Zmiles.
Meri aahe naa-rasaa, meri duaa-e naa-qabool
Yaa Ilaahi kyaa karu, main sharmsaar-e-intezaar
[Naa-rasaa = Not Reaching, Naa-Qabool = Unacceptable]
Arth kaa
Natmastak charansparsh
ये कहा.न क्या हो गया है - किसने कुतिया कहा - कौन पुरुष ब्लौगर - मुझे तो खैर गैरहाजिरी के चलते पता नहीं ज्यादा...
मगर परिपक्वता के साथ सोचें तो ये सब विवाद या तो बचकाने लगते हैं या जानबूझ कर विवाद और तज्जनित 'भीड़' मानसिकता - जो निरर्थक अनुयायी बना सके - की कामना जनित.
आप इन चीजों से जहां ताका बचा सकें - उतना अच्छा, यह मेरी शुभकामना है.
बाकी अबा ब्लॉग-संसार की सिर करने पर समझ पाया तो समझ पाया - वरना ये सब घटिया चीजें तवज्जो के काबिल हैं ही नहीं...
बज़ से देख कर आया था, और यह गूगल का हिंदी टूल लिखने में गडबड करवा रहा है - कहां को कहा.न और सैर को सिर - अभी तो पहले इसी से उलझ लें...
aap kaa kament indian time 7.30 am publish ho gaya haen
रचना said...
दिव्या हिंदी ब्लोगिंग मे टिप्पणी करने कुछ देर से पहुची हैं २००७ या उससे पहले आयी होती तो मोरनी , चोरनी कहलाती जैसे सुजाता या नीलिमा के लिये कहा जाता था , या एक कवियत्री को छिनाल और वेश्या का संबोधन दिया गया था , २००७ मे आयी होती तो परिवार का महत्व ना समझने वाली , पुरुष विरोधी , नारीवादी , ब्लॉग जगत कि ठेकेदारनी कहलाती जैसे रचना को कहा जाता हैं या कम से कम टिप्पणीकारा कहलाती ब्लोगरा कि तरह !!!
अच्छा लगा कि अब खुल कर टिप्पणी लिखने वाली "जील" को सकारत्मक समझा जा रहा हैं और वो भी आप के ब्लॉग पर !!!!!!! वरना नारी का काम तो केवल child churning device ही हैं प्राकृतिक और वैज्ञानिक कारणों मे जैसे यहाँ
आज की अत्याधुनिकाओं व तथाकथित आदर्शवादियों का यह नारा कि नारी हर क्षेत्र में पुरुष से `कन्धा से कन्धा´ मिलाकर चले सर्वथा अजैविकीय, अप्राकृतिक है। प्रकृति ने तो दोनों के कार्यक्षेत्रों का बँटवारा स्वयं कर रखा है।
6 June 2010 14:17
Arvind Mishra said...
रचना जी ,
आप औचक मार करती हैं -
उसी पोस्ट पर मेरी यह टिप्पणी भी तो है -
टिप्पणी :इस विषय को लेकर अभी कोई अन्तिम मत नही उभरा है -वैज्ञानिकों -जैव विदों ,समाज जैविकी विदों और व्यव्हारशास्त्रियों के बीच विचार मंथन जारी है ! यहाँ प्रस्तुत मत को अनिवार्यतः मेरा दृष्टिकोण न समझा जाय !
संदर्भ से काट कर अधूरा उद्धरण दिया जाना क्या उचित है?
और ब्लागरा केवल एक परिहास भर है ..जीवन में हास परिहास क्यों न हो ?
बहरहाल आपकी अपनी खूबियाँ भी हैं -और हमें उनका भान भी है ....
रचना said...
डॉ मिश्र
सन्दर्भ वही/ उतना दिया जाता हैं जिसकी जरुरत होती हैं हाँ सन्दर्भ कहा से लिया गया अगर ये ना दिया जाए तो जरुर गलत हैं शायद bibliography इसीलिये बनाई जाती हैं । परिहास कि परिभाषा मौज से अलग होती हैं । मौज के आप भी उतने ही विरोधी हैं !!!! सो ब्लोगरा को परिहास का नाम दे कर मौज कि परवर्ती को ना बदले बदलना हैं तो अन्दर छुपे जेंडर बायस को बदले शायद zeal के प्रभावी कमेन्ट ये करने मे सफल हो । मै तो यही खुश हूँ कि २००५ से २०१० तक मे बदलाव कि बयार चल ही पड़ी हैं और वहाँ से जहाँ सबसे जरुरी था ।
"समय की जरूरत है कि हम प्रवंचित महिलाओं को जागृत करें और उन्हें उनके अधिकारों और सामर्थ्य का ज्ञान कराएं "
वही हम भी कर रहे हैं
zeal said...
Arvind ji,
Many times when my comments went unnoticed by the blog author , I always felt why I am wagging my tail here? What’s the use? What’s the purpose it is solving? What’s the worth of my comments? When there are no takers then the writing becomes worthless. A healthy discussion aborts with an abrupt end when people pull away or withdraw due to some fear or ego. This prompted me to write a book which has crossed over 100 pages so far.
I wanted to have meaningful discussions with intellectuals over here, which will somehow help in reforming our society. But unfortunately, I realized lately that I am not at the right place. My motive to correct/reform and shape people is not welcome by the majority here. So I thought of quitting. Many at times I felt like having my own blog where I can express my views freely but I am aware I will be biased after having a blog space here and above all I have to learn typing in Hindi before writing a blog here.
I am writing a book which will definitely interest you all and soon it will be in market. Arvind ji you have to translate it in Hindi as you have promised.[no excuse will be accepted later on ].
Ek anjana sa rishta hai kuchh bloggers ke saath, those who communicated to me through comments- Mukti ji, Vani ji, Rachna ji, Alpana ji, Sadhna ji, Gyan ji, Praveen ji, Pratul ji, Ali ji, Girijesh ji, Himanshu Mohan ji, Satish Pancham ji and of course Pabla ji.
I am mesmerized by the wonderful Hindi used by the bloggers here. Hindi is my mother tongue and above all Hindi is my National language. I am proud of all the bloggers here who write so beautifully in Hindi.
I feel ashamed in commenting in English. But it is not by choice, it is my constraint. I do not know how to type in Devnagri and I hate writing in Roman. I hope this constraint will be attended soon. Let’s hope for the best.
Again thanks to everyone and Arvind ji.
Divya
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रचना said...
Divya
The most importanyt part of your comment here
I wanted to have meaningful discussions with intellectuals over here, which will somehow help in reforming our society. But unfortunately, I realized lately that I am not at the right place.
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No place is right place , we have to make it "right " . You should not think of moving on rather you should become a part and then be loud enough to make your self heard
The society has become deaf to gender bais as its deep rooted in the system and the only way of making poeple realise that they are gender baised is to keep hammering in .
A book has a long shelf life but how many of those who really need a change would read a book
blog has better reach and being impersonal in blog is better an option because then we dont need to think wo we are displeasing
we have to be HONEST to our MOTO
Join us and help us to remove this gender bais , if we can do it on blogs then at least we have done a bit
MAKE YOUR BLOG use phonetic hindi to put in your post its simple
and be prepared for the foul language comments for your self
Cheers young lady , i am waiting for you to join naari blog where you can even post in english
love
rachna
PLEASE READ THESE COMMENTS AGAIN AND SEE WHAT I SAID THEN AND WHAT REPLY YOU GAVE ME
बी एस पाबला said...
अरविन्द जी,
Zeal की यहाँ आईं टिप्पणियों का ही भावानुवाद हो जाए तो अरसे से व्यक्ति विशेष द्वारा घोली जा रही कड़वाहट कुछ कम हो!
बहुत ही सुलझी हुई अभिव्यक्तियाँ है Zeal द्वारा
Three Cheers for Divya!
U NEEDED TO READ THESE AND RETATRIATE
एक ही पोस्ट से अपना और आपका संवाद कॉपी पेस्ट किया हैं । आप नयी हैं यहाँ पर इस दुनिया मे नयी नहीं हैं और यहाँ के पर्पंचो से अनजान भी नहीं हैं । किसी को "मान " देने से पहले एक बार देख ले उसके पूरे ब्लॉग पर कि वो क्या करता हैं । कुछ लोग महिला को महिला के विरुद्ध खडा करने के लिये हर हफ्ते किसी ना किसी महिला के ऊपर चर्चा करते हैं । यहाँ तक कि चर्चा के बाद उसको ये भी कहते हैं जिन महिला ने आप कि चर्चा मे कमेन्ट नहीं दिया वो आप से जलती हैं
नारी ब्लॉग पर मेने कई बार ऐसी पोस्ट को पुब्लिश किया हैं जहां छुप्पी हुई मानसिकता से जेंडर बायस दिखता हैं । और इस लिये मुझे यहाँ टार्गेट किया जाता हैं और रहेगा
आता हैं गुस्सा बहुत आता हें जब साडी ब्लॉगर दोस्ती नहीं बोलती हैं लेकिन सब अपनी छवि मे कैद हैं आप बहादुर हैं अपने गुस्से को बनाये रखे और लिखे ताकि जो लोग नकाब मे हैं उनके नकाब उतर सके
आज के ज़माने में पुरुष और महिला एक समान है बल्कि महिलाएं पुरुष से एक कदम आगे हैं! महिलाएं पीछे नहीं हटेंगी बल्कि हर सवाल और मुश्क़िलों का डटकर मुकाबला करेंगी!
सभी के सभी विचारणीय प्रश्न हैं. महिला हो अथवा पुरुष, किसी के लिए भी किसी को भी व्यक्तिगत आक्षेप करना अथवा उसका समर्थन करना बहुत ही गलत है. हम समाज से नहीं बल्कि समाज हम से होता है, इसलिए समाज बनाने की ज़िम्मेदारी भी हमारी ही है.
बबली जी से सहमत हूँ,
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
कहते हैं समुन्द्र मंथन के समय पहले विष निकला था फिर अमृत, विष तो बहुत निकल चुका, अब विचार चर्चा सार्थक होनी चाहिये..कुछ अमृत कण बरसने चाहिये अब.
जन्मों जन्मों की परतंत्रता के कारण बहुत आक्रोष अभी रहेगा भी भीतर कहीं. अभी रुख प्रतिक्रियावादी है और यह पुरुष के प्रभाव से मुक्त होने की प्रक्रिया का एक संक्रमण काल है शायद.
मेरी सोच के अनुसार लड़ाई जारी रहेगी, दिव्या जैसे सीधे सीधे मैदान में लड़ेंगे और बाकी सब भीतर भीतर तब तक जब तक they don't attain critical mass. कई पीड़ीयां भी लग सकती हैं, क्योकिं आर्थिक स्वतंत्त्रता के मामले में ही नारी अभी बहुत पीछे है, कहते हैं कि विश्व की सारी सम्पदां का मात्र 3% से भी कम नारी के स्वमित्व में है शेष पुरुष के पास. बाज़ारवाद को नियंत्रित करने वाली पर्सुएशन इंडस्ट्री के पुरुष से अगले दौर की लड़ाई तो बहुत बाद की बात है (खैर! वो इस तरह लड़ी भी नही जा सकती!) अभी तो इस भों भों से निबटिये.
इस पुरुष की हार्दिक शुभकामनायें! क्योकिं उसके बाद ही सम्म्पूर्ण मनुष्यता की बात हो सकती है.
dher saare vaajib savaal.....achhi post ke saath...saath kafi acchhe comment bhi......saarthak conclussion yahi ki ourat our purush dono kaa samman kiyaa jaye.
हमें तो यहाँ के मर्द और औरतें दोनों महामूर्ख नज़र आ रहे हैं। न लेख में दम है न टिप्पणियों में। सभी कुछ बिल्ली का गू है न लीपने का न पोतने का।
आता हैं गुस्सा बहुत आता हें जब साडी ब्लॉगर दोस्ती नहीं बोलती हैं लेकिन सब अपनी छवि मे कैद हैं आप बहादुर हैं अपने गुस्से को बनाये रखे और लिखे ताकि जो लोग नकाब मे हैं उनके नकाब उतर सके
को सही करके पढे
आता हैं गुस्सा बहुत आता हें जब सारी ब्लॉगर दोस्ते नहीं बोलती हैं लेकिन सब अपनी छवि मे कैद हैं आप बहादुर हैं अपने गुस्से को बनाये रखे और लिखे ताकि जो लोग नकाब मे हैं उनके नकाब उतर सके
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रचना जी ,
आज आपके कमेन्ट से पता चला की पूर्व मैं महिला ब्लोग्गेर्स को --
-मोरनी
-चोरनी
-छिनाल
-ब्लोगारा
आदि कहा गया।
मैं नीलम और अन्य पीड़ित महिलाओं की तरफ से आज की तारीख में यह लिख रही हूँ , कि...
-सड़क पे नाचने वाले मोर [Road side Romeos] है जिसने मोरनी कहा।
-पैदायशी चोर-उचक्का जिसने चोरनी कहा।
-खुद हिन्जरा [ Eunuch ] है , जिसने छिनाल कहा ।
-वो ब्लोग्गेर्स के नाम पर कलंक है , जो साथी महिला ब्लोगर्स को ब्लोगरा कहकर अनायास नीचा दिखाए।
अंत में उन जीभ लपलपाते , और दुम हिलाते कुत्तों कि तो बात ही क्या कि जाए जो साथी ब्लोगर को कुतिया कहे।
ऐसे लोग अपनी संतान को क्या संस्कार देंगे भला ?
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is baar........awaaj nahi......TANNKAAR.
divya
what ever i have pasted here i said on the blog where you were being praised for commenting long back
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/06/blog-post_20.html is the link you have asked for
your comments have been all in favour of woman but in chosing blog friends you ignored the woman crusaders who have been fighting here with tooth and nail and are being abused time and again
woman bloggers like sujata have been told to open a red light area
woman bloggers like me have been told that since we dont have family we are sanskaarheen
when ever i raise the issue of gender bias i am told it does not exist in hindi bloging where is its so deep rooted that we cant even imagine
friendships made here among male bloggers are very deep rooted where abusing a woman is concerned
u are upset DONT BE just take it in your stride and remember that wars are fought with brain and not body
for any thing else email me if it would make you feel that we are with you in the hour of your emotional need
but stop being emotional because emotions make us blind BE PRACTICAL AND KEEP ALL THESE POST READY BECAUSE VERY SOON GENDER BIAS LAW WILL BE THERE AND THEN WE CAN US ALL THESE POST
Dr Amar,
You need not be scared. There is no such post on you in near future. Many in blog world are putting posts on you to flatter you.
I trusted the two guys, so they erred . I got my reward and they got their dues.
Public need not panic .
regards,
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आपके सवाल सभी वाजिब और तार्किक भी है ,महिला हो ,पुरुष हो,भाई हो,रिश्तेदार हो या कोई पराया किसी को भी उसकी गलती पर उसे टोकना ही एक इंसान के वजूद को दिखाता है ,हर इंसान को नफे नुकसान की परवाह किये वगैर सच और न्याय का साथ देना चाहिए | आपके और अरविन्द मिश्र के विवाद में मैं इतना ही कहना चाहूँगा की यह बेहद दुखद और शर्मनाक है और इससे ब्लोगिंग की मर्यादा तार-तार हुयी है | अरविन्द मिश्र ने अगर आपको कटही कुतीया कहा है तो निश्चय ही यह निंदनीय और घृणित कृत्य है और हम सबको इसकी निंदा करनी चाहिए | लेकिन आपसे आग्रह है की आप भी इंसान को पूरी तरह पहचान कर ही ज्यादा बातें करें और संबंध को आगे बढ़ाएं तो अच्छा रहेगा क्योकि आजकल इंसानियत से ज्यादा लोगों पर हैवानियत हावी है |
SUNA THA KI AURAT HI AURAT KI SABSE BADI DUSMAN HOTI HAI.
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धन्यवाद रचना जी, वह लिंक देने के लिए। काश मुझे सब कुछ पहले से पता होता ।
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तारकेश्वर जी, आपने गलत सुना था।
औरत , औरत की दुश्मन नहीं होती।
हाँ कुछ लोग इस तरह के भ्रम फैलाते जरूर हैं, लेकिन पढ़े-लिखे लोग भ्रमित नहीं होते।
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दिव्या जी आपके कुछ सवालों से मैं सहमत हूँ "क्या पुरुष किसी स्त्री के समर्थन में बोलने से डरते हैं ? क्या ऐसा करने से उनके अहम् को ठेस पहुँचती है ?" हाँ बिलकुल ही पुरुष स्त्री के समर्थन में बोलने से डरते हैं| असल में दोष पुरुष प्रधान मानसिकता का है और महिलाएं भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने खुद को पुरुषों का दास समझ लिया है इसलिए वो विरोध में सवाल नहीं उठाती हैं, जो इसका सबसे दुखद पहलु है| आपकी चिंता जायज़ है|
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bhut khub chn alfaazon men bhut kuch likh dala he sht prtisht shi likha he lekin aap khud hi btaaye aek ort ghr men maan ke rup men bhn ke rup men ptni ke rup men bchchi ke rup men kbhi kbhi premikaa ke rup men jb ath rhti he to purush ko hr pl hr vqt usi ke adhin rhna pdhta he aek bat or sas nnd ki bhu saas ki kyun dushmn hoti he is pr mhilaayen chintn mnthn kr is kuri ko khtm krne is nfrt ko pyar men bdlne ka faarmulaa apni bhnon maataaon ko kyun nhin sikhati he. jb sikh len to pliz mujh bhi btaa denaa taaki me fir akela nhin rhne ke baare men sochungaa. akhtar khan akela kota rajsthan
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@-संवेदना के स्वर,
कितनी सही बात लिख दी आपने। आपके कमेन्ट में, एक शिक्षित एवं सुसंस्कृत पुरुष है। आप जैसे लोगों से ही हमेशा ज्ञानवर्धन होता है।
जो बात आप इतनी सहेजता से लिख गए हैं, मैं तो धन्य हो गयी।
आप के आशीर्वाद और शुभ कामनाओं के लिए बहुत बहुत आभार। इसकी मुझे हमेशा आवश्यकता पड़ेगी जीवन में।
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@--But then, as you have chosen, when there is an expression in the heart, words in the mind and strength in the hand to pen them down, the roads to publication are myriad....
Very well said Mr. Desai.
I am glad to see how positive your thoughts are. Thanks for your wonderful comment.
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@--आज के ज़माने में पुरुष और महिला एक समान है बल्कि महिलाएं पुरुष से एक कदम आगे हैं! महिलाएं पीछे नहीं हटेंगी बल्कि हर सवाल और मुश्क़िलों का डटकर मुकाबला करेंगी!
Babli ji,
I am extremely glad to see a woman dared to speak fearlessly. I fully agree with your views. Indeed women are ahead of men in many sphere.
We need strong will, determination and confidence in ourselves.
Thanks for your valuable comment.
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हिमांशु जी ,
देर आयद दुरुस्त आयद।
आप की मजबूरी समझ सकती हूँ।
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@--saarthak conclussion yahi ki ourat our purush dono kaa samman kiyaa jaye.
अरविन्द जी,
बहुत सुन्दर बात लिखी आपने। काश ऐसा ही हो।
कोई तो कह दे तथास्तु !
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शाहनवाज़ जी,
बहुत सही बात कही आपने। एक उत्तम सोच ही एक स्वस्थ्य समाज को जन्म दे सकती है।
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@-honesty project democracy
@-Voice of youths
आप दोनों ने विषय को सही परिपेक्ष्य में समझा और अपने विचार इमानदारी से , बिना किसी पूर्वाग्रह के रखे, इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार।
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अख्तर खान अकेला जी,
जो प्रश्न आपने पूछा है , उसका उत्तर उनकी अज्ञानता है।
सुलझे व्यक्तित्व के लोग एक दुसरे से इर्ष्य नहीं रखते।
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राजन जी ,
@--is baar........awaaj nahi......TANNKAAR.
बस इतना बताइए सही पथ पर हूँ या गलत ? क्या ये टंकार सही है ?
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आवेगों को वश में किजिये दिव्या जी,
जलती में घी होमने वाले मिल जायेंगे।
हितेषी वे है तो क्रोध शांत करने में सहायता करे।
क्रोध न केवल सामने वाले का अहित करता है बल्कि स्वयं का स्वास्थय दांव पर लगा देता है।
शुभांकांषा!!
sugyaji ki baton par gour karen.........
do din se sirf dekh raha hoon....
uttejna me kuch bhi sahi nahi hota.....
shant man se sisht aur sahishnu sahyogion(blog) ka kamment padhen. khud ka introspection karen aur apne dainik charya me manoyog se lag jain.
finally, phursatiyaji ka kamment jaroor gune.
sadar pranam.
Bilkul sahi path par hai aap divya ji.apne picihlee post par apni kamiyo ko swikaar kiya hai.jo ki sakaraatmak baat hai.aur ek mahila ke atam vishwaas ko digaane ki koshish karne walon se to bas ye hi kahunga ki/ JO KHUD TINKO KE DHER P AR BAITHE HAI UNHE JYADA JOR SE PHOONK NAHI MAARNI CHAHIYE.
दिव्या मैं हर गलत बात के खिलाफ हूं। और ब्लाग जगत में बढ़ रही इस असंसदीय भाषा के सख्त खिलाफ। मेरी राय में गंदगी फैलाने वालों का सामूहिक बहिष्कार किया जाना ही सबसे अच्छा उपाय है। आप उनकी जितनी चर्चा करेंगी,वे अपने उद्देश्य में उतने ही सफल होंगे। इसलिए अपनी रचनात्मक उर्जा का उपयोग सार्थक लेखन में करें। निश्चित ही अपमान बर्दाशत नहीं किया जाना चाहिए।
इत्ता बवाल मचा रखा है - समझ से परे है
sugya ji ki baat bhi sahi hai.ab khud ko sambhalne ka samay hai.
विचारणीय पोस्ट, लेकिन ये सत्य नहीं है की पुरुष किसी स्त्री के पक्ष में बोलने से डरते हो जबकि वो स्त्री के विचार सही हो. . ये मेरा व्यक्तिगत विचार है, रही बात महिलायों की महिला से दोस्ती निभाने की तो उसके बारे में मै कुछ नहीं जानता हूँ. ये बात भी सही है की सत्य कभी कुचला नहीं जा सकता , और विचार सत्य है तो वो एक ना एक दिन खल विचारो पर विजय प्राप्त कर ही लेंगे. आप करते रहो विचारो का सत्याग्रह , समाज बदलेगा.
राजेश उत्साही जी की बात पर गौर कीजिये ,और हां एक निवेदन-इसे नारी Vs पुरुष होने से बचाइये । कुछ लोगों की वजह से पूरे समूह (नारी या पुरुष ) को गलत ठहराना ठीक नही है । आप का लेखन बहुत अच्छा है ,मैं नियमित पाठक हूं ,शायद इसीलिये यह अनुरोध करने का मन हो गया ।
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sugya जी,
क्रोध कहाँ है मुझमें ? मैं तो निराश और हताश हूँ। पुरे ब्लॉग जगत में तकरीबन १० पोस्ट्स मेरे खिलाफ लगी हैं। जुर्म क्या है मेरा ?
देखिये अमरेन्द्र का ब्लॉग, अदा जी का ब्लॉग।
सभी लोग लांछन लगा रहे हैं।
अमरेन्द्र को बहुत सी स्त्री एवं पुरुष मरहम लगाने पहुंचे हैं।
अदा जी ने तो एक डॉक्टर के नैतिक मूल्यों पर ही प्रश् चिन्ह लगा दिया। बिना मेरा पक्ष जाने। उन्होंने अमरेन्द्र से दोस्ती निभाई , जबकि अरविन्द मिश्र के खिलाफ पोस्ट देखकर बहुत प्रस्सन्न थीं। क्यूँ की वो अरविन्द द्वारा सताई गयी हैं। लेकिन अमरेद्र से दोस्ती निभाने में कोई कसार नहीं राखी।
श्रीश और अदा जी मुझसे किस बात की दुश्मनी निकाल रहे हैं, समझ नहीं आ रहा, इन लोगों से तो कभी मेरा संपर्क भी नहीं रहा।
अजय जी,
नारी और पुरुष चर्चा कहाँ कर रही हूँ ।
साri नारियां और पुरुष तो एकमत हैं अमरेन्द्र की पोस्ट पर।
दिव्या कितनी निम्न star की है, ये जानना है तो अमरेन्द्र और अदा जी की पोस्ट पढ़िए। दोनों ने मुझे चरित्र certificate दिए हैं। वहाँ के टिप्पणीकारों ने भी मुझे खूब जम कर कोसा है।
आप लोग भी जाकर दो चार शब्द लिख दीजिये।
अमरेन्द्र को ख़ुशी मिलेगी, अदा जी की पोस्ट भी सार्थक हो जायेगी।
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If any of you are interested , you can go through my next post, revealing some facts.
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Nishant ji,
I have already deleted three of my recent posts on suggestion of my well wishers.
I am very thankful to people who are really kind and generous.
Thanks to you too, for this beautiful gesture.
Regards,
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दिव्या इस सकारात्मक कदम के लिए बधाई और शुभकामनाएं। यह संदेश है उनके लिए भी जो दूसरी तरफ बैठे हैं। आपसे अनुरोध है अब आप इस कीचड़ में पांव न रखें। कैसे दूर रह सकती हैं,यह आप बेहतर जानती हैं।
निशांत मिश्र - Nishant Mishra has left a new comment on the post "जिन्दा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं ---दिव...":
Divya,
I guess everything is over now... even if there wasn't a thing.
Now... what can you do? You must have many options before you... you can go on... forever. But it's not going to end.
It's a sincere request... please do not let this episode turn you into a humiliated and dejected lot. Do now make it haunt you and others... for the flashbacks will keep coming into memory.
Relax, even if you feel you must revolt. Take some time out and better take a break from all this stuff. This does not mean setting your foot back in defeat. You may be a tireless soul but there comes a time when one has to stop and ask oneself 'where it will lead me to?'.
You are young and have family & you still have to learn a lot... from people, life, and world. Look yourself into mirror within you and tell that you are going to stop all this, for a better life. You don't even have to start afresh!
& don't think that people who don't understand you are wrong. You are too big for that!
माफ करें,एक बार फिर यह कहने आया हूं कि निशांत जी की सलाह बिलकुल उचित है। मैं भी उनसे सहमत हूं।
राजेश उत्साही जी,
मैंने तीन पोस्टें डिलीट कर दिन हैं, अपने कुछ शुभ-चिंतकों के कहने पर।
लेकिन मेरा एक प्रश्न है आप सभी से की क्या मुझे अपना पक्ष नहीं रखना चाहिए था ? यदि मैं अपना पक्ष नहीं रखूंगी तो लोग मुझे कायर और झूठा समझेंगे।
पोस्ट डिलीट करने पर मुझपे ये लांछन भी लगायेंगे की देखो भाग गयी मैदान छोड़ कर। कृपया अपनी राय दें इस विषय पर ?, मन में उलझन है ।
आभार।
:)
zeal ...
doctor ko mareez ke dwaaraa kahi har baat par yakeen nahin karnaa chaahiye.....
thoda shaql surat se bhi andaajaa lagaa lenaa chaaiye...
दिव्या मैं इस बात में आपके साथ हूं कि आपने अपना पक्ष रखने के लिए वे पोस्ट लिखीं। आप उन्हें न भी हटातीं तो उससे मेरे मत कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आपने जब उन्हें हटाने का फैसला किया तो मुझे लगता है कि वह एक बड़ा साहसिक और सकारात्मक कदम है।
रही बात लांछन लगाने की तो कौन लगाएगा। वे ही जो आपका अपमान कर रहे हैं। तो उनकी बातों पर ध्यान देने की जरूरत ही क्या है। उनकी बातों पर ध्यान दीजिए जिनसे आपको हौसला मिलता है,उर्जा मिलती है। मैंने अपने पहले कमेंट में कहा कि अब आप इस कीचड़ में पांव मत रखिए। दूर रहिए। निशांत जी ने कहा अच्छा ही होगा आप कुछ दिन इस ब्लाग की दुनिया से दूर रहें।
हम सब शायद यहां अपने को अभिव्यक्त करने आते हैं ताकि कुछ सूकून मिले,हौसला मिले। लेकिन अगर इस तरह की गंदगी हो तो उसमें क्यों रहना चाहिए। मैं नहीं कह रहा हूं कि आप ब्लाग लिखना बंद कर दें। पर शायद अपने लिए कुछ मर्यादा या सीमारेखा बनाना जरूरी होगा। कभी शायद मैंने ही कहा था कि मुझे आपके ब्लाग पर आपके द्वारा हर टिप्पणी का जवाब देना अच्छा लगता है। पर अब मुझे लग रहा है कि इस पर भी आपको विचार करना चाहिए। शायद कहीं न कहीं यह एक अनर्गल संवाद के लिए जगह बना देता है।
यह संयोग ही है कि आज जन्माष्टमी है। कृष्ण का जन्मदिन है। उस कृष्ण का जो कहता है कि इस नश्वर दुनिया में कोई किसी का सगा नहीं है। सच तो यही है दिव्या। इसलिए आप जो सार्थक करना चाहती हैं वह करें।
और हां आप अपना पक्ष रख चुकी हैं जो कहना है वह कह भी चुकीं हैं। इसलिए कायर या झूठा होना का कोई सवाल नहीं है।
दिव्याजी
क्रष्ण जन्म हो चुका है |आपके उर्जावान विचारो का हम इंतजार कर रहे है |हम आपके साथ है |
जब जब होता हास धर्म का ,और पाप बढ़ जाते है
तब लेते अवतार प्रभु विश्व शांति को पाता है |
जन्माष्टमी कि शुभकामनाये |
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Rajesh utsaahi ji, and
Shobhna Chaure ji,
After writing my last comment to you , I want to sleep in a very dejected state of mind. I tried to sleep but I couldn't . To my utter surprise God came to show me the right path. He asked me to forgive him , then only I will be at peace. I said I want to forgive him but am unable to do so.
God said, forgive Amrendra and treat him like your son .
After getting this divine message , I was at peace and bounced back to my original zeal.
In the morning I just saw the two messages from both of you. They are very soothing.
Thanks to both of you.
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Shobhna chaure ji,
For last three days I was in utter agony. I was missing my mom who is not alive. Almost thousand times I asked my mother to come and guide me.
In the morning today when I logged in the first message I saw was yours.
I feel my mother reached me through you.
I am in tears , touching your feet with both hands.
Please accept my regards.
I love you Shobhna ji. I am falling short of words to express my gratitude .
Your kind words have given me a new life.
I will be indebted to you , through out my life.
Happy Janmaashtami to you too.
Ajit ji,
I never delete comments. When I deleted the post, The comments got deleted.
You pasted it here. Hope you are also at peace now.
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Dear Amrendra,
I love you.
I love you as my son.
Wish you good health and happiness in your life.
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Arvind Mishr ji,
I deleted the post on you as well. Wish you name fame and success in your life.
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I was distracted from the right path i was supposed to follow .
By divine grace I got my mental peace back.
I will write my next post soon, which needs a peaceful mind.
last month I had a long discussion with my father , in which I learned a lot. I will share that in my next post . The upcoming post will be dedicated to my father.
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Dear Ajit,
One important update for you. I recognized who you are , so updated all my well wishers about your real name. Now no point remaning behind the veil now.
You pasted your filthy comment on all my 60 posts.
I feel pity for the sick mentality you possess.
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आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
dhanyawad di....oos post ko mitane ke liye.
.....be continue with fresh post.....
pranam.
दिव्याजी
ईश्वर ने आपकी प्रार्थना सुन ली और आपको पथ दिखा दिया इससे बढ़कर और कोई ख़ुशी की बात नहीं हो सकती आज जन्माष्टमी के दिन |
जो पंक्तिया गीत की लिखी है उसके आगे है -
भज ले राम भज ले श्याम
कोई नहीं पराया रे
तुझमे राम मुझमे राम, राम तो सबमे समाया रे |
ये गीत मेरी माँ बहुत ही मीठे स्वर से गाया करती थी |
ईश्वर बेटी के साथ हमेशा रहे ऐसी ही अनेक शुभकामनाये |
कभी कभी आत्मीयता में शब्द ही नहीं मिल पाते और आँखे अपनी बात कह देती है |
आज सूरज की चमक दिव्य है ...
Dearest ZEAL:
Removal of the posts is a very wrong decision.
You have extinguished the light of the lighhouse which could have shown the right way to some stranded in the sea surrounded by sharks like Arvind and Amrendra.
As such they were going to carry on with their filthy chases of newer and newer women, but your blog would have kept them in check a bit with the fear that may be the new prey wull get to read your blog which shows their true colors.
With the blog deleted, the guilty are the biggest beneficiaries.
Anyways, it is your blog and your 'well-wishers' advised you to delete it which you followed. You had followed your heart while posting the blogs. Wish you had stood firm with your heart;'s voice.
Arth kaa
Natmastak charansparsh
Divya ji,yadi aapne posts delete kar di hai to ye faisla bhi aapne kaafi soch p samajhkar hi liya hoga.pura prakaran dukhad par raha bahut kuch sikha bhi gaya.apke blog par maine kuch galat kah diya ho to kshama.kyonki kuch benaamiyon ke anusaar meri bhasha shaleen nahi thi.jabki yah mera akrosh tha.khair..... asha hai hum 3 post purani divya se jald hi milenge.f subh kaamnayen
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राजन जी,
१-हाँ बहुत सोच समझ कर निर्णय लेती हूँ। और लिया है।
२-आपसे कोई गलती नहीं हुई है, न ही आपने कहीं पर भी कुछ गलत लिखा है।
३- मुझे आपकी भाषा कभी गलत नहीं लगती।
४- बिना आक्रोश के कुछ नहीं होता दुनिया में। बिना रीढ़ की हड्डी वाले केंचुए की तरह जीना और किसी के पाँव के नीचे दब कर मर जाने से बेहतर है , थोड़े से आक्रोश के साथ समाज को कुछ दे सकें।
आभार।
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Dear Arth Desai,
Just answer me one thing-- " Can anything be removed or deleted from one's mind ? "
The posts will last in everyone's mind forever.
Removal of posts doesn't mean that I have forgiven them.
The culprits are exposed and punished properly.
Regards,
Oh, I did n't knew that this candid comment box is camouflaged with clause of approval !
@ Dr Amar..
Candid comments are still published through this comment box.
Let the morons pull their hair.
Regards,
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With havin so much content do you ever run into any issues of plagorism or
copyright infringement? My website has a lot of exclusive content I've either
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it is popping it up all over the internet without my authorization. Do you know any solutions to help
protect against content from being ripped off?
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I don't even know how I ended up here, but I thought this post was great.
I don't know who you are but certainly you
are going to a famous blogger if you aren't
already ;) Cheers!
My blog post - AletaOFeichtner
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