पहले
तो नेताओं के संपर्क सूत्र अंडरग्राउंड आतंकवादियों से हुआ करते थे लेकिन
अब तो अखिलेश सरकार खुलेआम ऐसे लोगों को आगे-आगे रख के चल रही है। आज़म और
भाटी जैसे लोग , इमानदार आफिसर का निलंबन करके गर्व से अकड़ रहे हैं और अपने
कुकृत्यों को लोकतंत्र की संज्ञा दे रहे हैं। ४१ मिनट में निलंबन
प्रक्रिया पूरी कराने पर उछल रहे हैं ये सामप्रदायिक गद्दार।
13 comments:
छोटा अखिलेश ! :) :)
अरे साप्रदायिक ताकतों को रोकना जो है. धर्मनिरपेक्षता का दामन थामे रखने के लिए ये सब तो करना ही होग.
तुर्रा यह भी कि पवित्र(?) रमजान महीने में मुसलमानों की भावनाएं आहात महीम करनी चाहिए, फिर भले ही दीपावली के अवसरपर शंकराचार्य को गिरफ्तार ही क्यों न कर लिया जाए।
सच तो यही है की हिन्दुओं की भावनाएं होती तो उनकी कद्र की जाती, किन्तु हिन्दुओं ने खुद ही अपनी भावनाएं सेक्युलरिज्म की कीमत पर बेच दॆ. फिर भी दुर्गा जैसी ईमानदार पुलिस अधिकारी को नमन है. अब हिन्दू उसका साथ ज़रूर दें, अन्यथा सरकारी महकमों में एक और सन्देश जाएगा की हिन्दुओं के हित में शासन तो क्या प्रशासन को भी हाथ नहीं जलाने चाहिए, आखिर ये हिन्दू अपनों के सगे भी क्यों नहीं होते?
माटी का सौदा करें, लाठी का उस्ताद |
गोरख-धंधे रात-दिन, हुआ जिन्न आजाद |
हुआ जिन्न आजाद, कहीं यह रेप कराये |
कहीं गिरे दीवाल, कहीं सस्पेंशन लाये |
हो जाते हैं क़त्ल, वही माफिया खाटी भाटी |
सत्ता करे खराब, मुलायम उर्वर माटी |
सही कहा !!
बहुत सही कहा ...
आपके ब्लॉग को "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
प्यादा ते फर्जी भयो, टेढ़ो-टेढ़ो जाय!
निश्चित रूप से निलंबन राजनीतिक है और राजनीति मूल्यों रहित है ... आगे आगे देखिये होता है क्या ..?
प्रदेश का प्रतिनिधि का व्यवहार समता का होना चाहिए साथ ही न्याय के प्रति खासकर ईमानदार अधिकारी के लिए सदैव मार्गदर्शक हो गलत फैसला सम्मान को कम करता है
वाह , बहुत सुंदर
यहाँ भी पधारे
गजल
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_4.html
दिव्या जी कृपया आप इन्हें साम्प्रदायिक गद्दार न कहें क्योंकि ये तो सर्व धर्म प्रचारक हैं ,अभी आप सलमान खुर्शीद को ही देख लीजिये सुनने में आया है कि ये जनाब चौबीसों घंटे मद्भागवत गीता गले में कंठी की तरह धारण करके घूमतें हैं एवं एक और महान आत्मा हैं शकील अहमद जो हर मंगलवार को अपने घर पर सुन्दरकाण्ड का आयोजन करवाते हैं. अब आजम खान के बारे में ज्यादा क्या कहूं बेचारे जब तक काशी जा कर शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक नहीं कर लेते तब तक सांस ही नहीं लेते .आजम खान तो रोज अयोध्या जा कर रामलला के नाम का एक लंबा सा तिलक अपने माथे पर लगायें रहते हैं और दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी हैं जो टोपी पहनने से मना करते रहते हैं मै तो कहता हूँ की देश की जनता एवं नरेन्द्र मोदी को इन सदभावना के पुजारियों से सीख लेनी चाहिए .ये बेचारे तो सबको समान निगाहों से ही देखतें हैं चाहे ओसामा बिन लादेन हो या महात्मा गांधी इनकी नजरों में में इनमें कोई अंतर नहीं . इसीलिए अबकी मंत्रिमंडल की बैठक में ये प्रस्ताव लाने वाले हैं की गाँधी की तस्वीर की बजाय ओसामा की तस्वीर मशीनगन के साथ भारतीय रुपये में छापी जाए ,इसके दो फायदे होंगे पहला ये कि भारत में तो इनकी पूजा होगी ही एवं दूसरे पाकिस्तानी जनता भी इन्हें वोट देने भारत आएगी . साम्प्रदायिक गद्दार तो वो हैं जो हिन्दू हितों की अथवा हिंदुत्व की बात करतें हैं ,गोधरा में वाकई दिव्या जी बहुत ही अन्याय हुआ जो बेचारे शान्ति के दूत शकील ,सलमान ,मुलायम एवं अन्य की मेहनत एवं मनौतियों से पैदा की हुई निरीह संताने बेवजह मारी गयीं,हिन्दू कारसेवकों का क्या है वो तो अपने माँ बाप की अनचाही संतानें थी कि कोई भी उन्हें बंद बोगी में जलाकर भून डाले या अयोध्या में गोलियों से छलनी कर डाले ..इसलिए दिव्या जी सबसे बड़ा गद्दार तो वो हो जो खुद को हिन्दू कहता है और इन गद्दारों में सबसे बड़ा गद्दार तो मै हूँ क्योंकि मेरी रगों में शुद्ध हिन्दू गद्दार का ही रक्त है .........जय हिन्द ,जय भारत ,जय हिन्दू...........
खुश हो जाओ कठमुल्ले पाठकों आज तुम्हारी तारीफ के कसीदे जो लिख दिए मैंने
very good सेक्युलरो के मुह पे तमाचा जड़ दिया
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