उत्तर प्रदेश सरकार हिन्दू विरोधी है , वो हिन्दुओं को उनके मौलिक एवं संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रही है। पंचकोसी यात्रा हो या फिर चौदह कोसी यात्रा हो या फिर चौरासी कोसी यात्रा हो , ये तो सभी त्यौहार और पर्व की तरह हैं, उल्लास के साथ मनाने देना चाहिए ! संतों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। या यात्रा कोई आतंकवाद नहीं है ! श्रद्धालुओं के खिलाफ सेना की छावनी बना दी गयी है ! संतों और श्रद्धालुओं को गिरफ्तार किया जा रहा है!
अखिलेश सरकार हिन्दुओं पर बहुत अत्याचार कर रही है। अब हम लोग क्या मुग़ल सल्तनत में रह रहे हैं?
17 comments:
क्या है चौरासी कोस परिक्रमा, जानिए?
मान्यताओं के मुताबिक अयोध्या के राजा राम का साम्राज्य 84 कोस (252 किलोमीटर) में फैला था। राज्य का नाम कौशलपुर था जिसकी राजधानी अयोध्या थी। इसी वजह से दशकों से 84 कोसी परिक्रमा की परंपरा है।
यात्रा के मार्ग में उत्तर प्रदेश के छह जिले आते हैं- बाराबंकी, फैजाबाद, गोंडा, बहराइच, अंबेडकरनगर और बस्ती जिला। उक्त जिलों में यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव होते हैं जहां रुककर यात्री आराम करते हैं।
कैसे करते हैं परिक्रमा : परिक्रमा करने वाले 84 कोस की दूरी पैदल, बस, ट्रैक्टर-ट्रॉली तथा अन्य साधनों से तय करते हैं। इनमें अधिकांश परिक्रमार्थी संपूर्ण परिक्रमा पैदल चलकर पूर्ण करते हैं।
यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं- धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथासंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है। सत्य बोलना, दूसरों के अपराधों का क्षमा करना, तीर्थों में स्नान करना, आचमन करना, भगवत निवेदित प्रसाद का सेवन, तुलसीमालापर हरिनामर कीर्तन या वैष्णवों के साथ हरिनाम संकीर्तन करना चाहिए।
परिक्रमा के समय मार्ग में स्थित ब्राह्मण, श्रीमूर्ति, तीर्थ और भगवद्लीला स्थलियों का विधिपूर्वक सम्मान एवं पूजा करते हुए परिक्रमा करें। परिक्रमा पथ में वृक्ष, लता, गुल्म, गो आदि को नहीं छेड़ना, साधु-संतों आदि का अनादर नहीं करना, साबुन, तेल और क्षौर कार्य का वर्जन करना, चींटी इत्यादि जीव-हिंसा से बचना, परनिन्दा, पर चर्चा और कलेस से सदा बचना चाहिए
नेटवर्क की सुविधा से लम्बे समय से वंचित रहने की कारण आज विलम्ब से उपस्थित हूँ !
भाद्र पट के आगमन की वधाई !!
सच है !अति सर्वत्र वर्जयेत !!
उत्तर प्रदेश में राम राज है , सर्वत्र शांती है। अशांती हो भी नहीं सकती क्योंकि सारे साधू संत जेल में हैं , आई ए एस निलंबित हैं, शहर बना सेना की छावनी और आम जनता घरों में सिकुड़ी हुयी है !
सचमुच अति हो रही है अभी की न्यूज़ है सभी विश्व हिन्दू परिषद के नेता गिरफ्तार हो चुके हैं । अशोक सिघल जैसे बूढे सियान को भी गिरफ्तार कर लिए हैं ।
आदरणीया दिव्या जी ...इससे ज्यादा विवशता और क्या हो सकती है ..पहले सचेत हो जाते थे बस्ती में आये गोरों से पर खतरा अब बढ़ गया बहुत अपने ही जैसे लोगों से ..लेकिन राख फेंक देने से शोले ख़त्म नहीं होते ..उनकी तपिश ख़त्म नहीं होती ..आप अपने लेखन से हवा करती रहे ..मुझे उम्मीद है शोलेप फिर भड़केंगे ..सादर प्रणाम के साथ
किसी ने सच ही कहा है कि यदि किसी को नीचा दिखाना हो तो उसके दुश्मनों को बढ़ावा देते रहो।
दिव्या जी बड़े ही दुःख के साथ कहना पड़ रहा है की हम वासी तो हिन्दुस्तान के हैं पर नियम पाकिस्तानी लागू हो रहें हैं । मुस्लिमों के जुलूस निकालने पर सरकारी सुरक्षा दी जाये किन्तु जब हिन्दू कोई आयोजन करें तो जेल में ठूंस दिए जाये,कलेजा फटता है आज के माहौल को देखकर । जो बड़े का मांस खायें वो शान्तिवादी और जो सात्विक आचरण करे वो आतंकवादी । आज की परिक्रमा पर रोंक लगाकर भले ही मुलायम सिंह और उनके गर्दुल्ले नेता अपनी पीठ ठोंकते रहें लेकिन इतिहास गवाह रहा है की सांप ने हमेशा अपने पालने वाले को ही काटा है । हम हिन्दू मंदिर में घंटा बजाकर आरती करें तो शान्ति भंग, पर जब यही कठमुल्ले मुर्गे की तरह माइक पर बांग दें तो सौहार्द्र ? लोग हमेशा ही नाथूराम गोडसे के खिलाफ बोलते रहें लेकिन मेरी नजर में वो सबसे बड़ा हिन्दू वादी था और रहेगा और मै ही नहीं हर एक हिन्दू के मन यही बात चलती रहती है कि अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले इस देश को जातिवाद की आग में झोंककर चले गए । सिर्फ और सिर्फ हम हिन्दू ही बचें हैं झुलसने के लिए।
इतने पर भी हिन्दू समाज की आँखे नहीं खुल रही तो फिर किसी भी हिन्दू को ये अधिकार नहीं कि वो महंगाई ,भ्रष्टाचार ,या फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति पर बहस अथवा चर्चा करे।अगर कोई हिन्दू ये सोंच रखता है कि कौन सी ये घटना उसके साथ घटी है तो इसका मतलब यही है कि नपुंसकता का असर उसकी रगों में हो चुका है और दिव्या जी शारीरिक नपुंसकता तो शायद औषधियों से ठीक भी हो जाए किन्तु मानसिक नपुंसकता का कोई इलाज नहीं । यात्रा पूरी न होने देना ही हिन्दुओं का सर शर्म से झुकाने के लिए काफी है और आज की घटना से हर हिन्दू का सर शर्म से झुकना भी चाहिए , मगर नहीं दिव्या जी इन बातों का कोई असर आज के आलसी और सुस्त हिन्दुओं पर नहीं पड़ने वाला। आज का नौजवान सिर्फ बलात्कार की घटना के बाद हांथों में विरोध की कुछ तख्तियां पकड़ने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकता और हमारी इसी नपुंसकता का सबसे अधिक फायदा मीडिया और राजनेता उठाते ही रहेंगे । दिव्या जी हम हिन्दू क्या नहीं कर सकते? पर करना नहीं चाहते बस सुबह आफ़िस चले गए और शाम को बीबी के हांथों बनी हुई चाय की चुस्कियां ले कर टेलीविजन पर समाचार देख लिया बस हमने विश्व जीत लिया । पता नहीं ये हिन्दू समाज किस आस अथवा भरोसे पर जी रहा है । दिव्या जी कोई चमात्कार नहीं होने वाला जो हमारी गिरती हुई साख को सम्हालेगा या फिर कोई मोदी नहीं आएगा हमें हमारा आत्मसम्मान वापस दिलाने।जब तक हम खुद को मजबूत नहीं करंगे,जब तक अपनी इच्छाशक्ति को सुदृढ़ नहीं बनायेंगे, जब तक अपनी हिन्दू एकता को बढ़ावा नहीं देंगे तब तक हम कुछ नहीं कर सकते सिवाय ब्रेकिंग न्यूज़ देखने के । अगर इस घटना के बाद भी किसी हिन्दू की नसों में रक्त का उबाल ना उठे तो वो कृपया खुद को सच्चा हिंदूवादी या हिन्दुस्तानी समझने का भ्रम ना पाले ..जय हिन्द
कोई सरकार और समाज हिन्दू विरोधी नहीं है, हिन्दू खुद हिन्दू विरोधी है .. हिन्दू , हिन्दू के नाम पे लड़ने के लिए तैयार नहीं है , सब अपने निजी स्वार्थों में लिप्त है , कायरों का कोई समर्थन नहीं करता , कायरों की किस्मत में सिर्फ पराधीनता होती है .
आदरणीय दिव्या जी अब समय आ गया है.... खुद के जागने का और औरों को जगाने का भी.... जय श्री राम ....
आदरणीय दिव्या जी .... बहुत दुख हुआ ये सब देखकर ... अब समय आ गया है जगने का और जगाने का भी ....
दिव्या जी आप सही कह रही हैं ..
पता नहीं क्यों इलेक्शन नज़दीक आता है तभी यह सब होता है हां नहीं तो!
आदरणीय दिव्य जी तुश्तुकरण की निति सदा उपयुक्त नहीं आपके ज्ञान वर्धक पोस्ट हेतु सुप्रभात संग प्रणाम
साधू संतों की मंदिरों में घुस कर तलाशी ली गयी !पुलिस और सेना के जवान जूते पहनकर मंदिरों में गए ! श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना तक नहीं करने दिया! सैकड़ों गिरफ्तारियां हुयीं , मानो हिन्दू न हुए आतंवादी हों। ऐसी तानाशाही तो अंग्रेजों और औरंगजेब के ज़माने में भी नहीं थी जो अब मुलायम सरकार के राज में है !
लोगों ने बड़े अरमान के साथ सपा को चुना था कि अखिलेश युवा है, पढ़ा लिखा है , शायद UP की स्थिति में सुधार होगा , लेकिन सबकी अपेक्षाओं पर पानी फिर गया।
सब वोटों की राजनीति है । ये नेता किसी के सगे नही होते । पर ये हिंदू की कमजोरी ही है कि अपनी संख्या के बावजूद हम इस तरह के अत्याचार सह रहे हैं ।
काश कभी तो हिन्दुओं का स्वाभिमान जागे. अ खिलेश जैसे कुत्तों को उनकी औकात तो दिखाएं.
हरामी सरकारें सेक्युलरों की. कभी हज यात्रा पर भी प्रतिबन्ध लगाओ. हदें पार हो चुकी हैं सारी, पानी सर से ऊपर निकल चुका है. हिन्दुओं होश मे आ जाओ वरना तुम्हारे लिये इस देश में साँस लेने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया जाएगा.
मैं आपकी सबसे ज्यादा इज्ज़त करता हूँ. आप मेरी नज़र में एक आदर्श नारी हैं. कभी-कभी इस ब्लोगजगत में ही जब महिलाओं द्वारा ही आपका विरोध होते देखता हूँ तो शर्म आती है उन महिलाओं पर जो दिखावे के लिये ब्लोगिंग में नारीवाद रोती हैं किन्तु जब असल में कोई नारी निडर व साहसी हो इस देश की राजनीति पर लिखती है तो उसके खिलाफ स्यापा मचाने आ जाती हैं.
उन्हे महिला सशक्तिकरण आपसे सीखना चाहिये.
आपके चरणों मे नतमस्तक हूँ...
Gujarat riots which took place in 2002 where Hindus were burnt alive, Rajdeep Sardesai and Bharkha Dutt working for NDTV at that time got around 5 Million Dollars from Saudi Arabia to cover only Muslim victims, which they did very faithfully……….., as the eyebrow lifters say it confidently.
Not a single Hindu family was interviewed or shown on TV whose near and dear ones had been burnt alive in Godhra Carnage, as it is reported.
The ownership explains the control of media in India by foreigners. The result is obvious.
This is the main cause of subversion in Indian media against the State.
Then it is easy to understand how the cross border enemies, fifth column inside and the global super powers use Indian media to fulfill their aim to harm `India and her people’ .
This is the time to wake up.
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