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Monday, November 8, 2010

गर्भावस्था - एक सामान्य जानकारी

गर्भवस्था सम्बन्धी सामान्य जानकारी प्रत्येक स्त्री एवं पुरुष को होनी चाहिए इसलिए कोशिश की है एक सरल भाषा में इसे यहाँ प्रस्तुत करने की

गर्भधारण
करना अर्थात गर्भ का , गर्भाशय में ठहरना , पलना, तथा आकार पाना इसे ही हम सामान्य भाषा में प्रेगनेंसी कहते हैं गर्भवती स्त्री को चिकित्सकीय भाषा में 'ग्रेविड़ा ' कहते हैं गर्भकाल की अवधी ३८ से ४२ हफ़्तों की हो सकती है लेकिन सामान्तया यह अवधी ३८ हफ़्तों की होती है इसे 'जेस्टेशन पीरियड' कहते हैं गर्भकाल की गणना स्त्री के अंतिम मासिक स्राव की पहली तारीख [Last menstrual period - LMP ] से करते हैं प्रसव की तारिख [Expected date of delivery - EDD] ३८ हफ़्तों के बाद की दी जाती है प्रसव , दी हुई तारिख से १४ दिन पहले या बाद में भी हो सकता है

गर्भाशय में पल रहे गर्भ को , प्रथम आठ हफ़्तों तक 'एम्ब्रियो' कहते हैं तथा उसके बाद से
लेकर प्रसव होने तक इसे 'फीटस' कहते हैं

डायग्नोसिस -
  • मासिक स्राव का रुक जाना [मिस्ड पीरियड या एमिनोरिया]
  • रात्रि के समय मूत्र त्याग की आवृति बढ़ना।
  • लैब जांच- सुबह की मूत्र सैम्पल में 'ह्युमन कोरिओनिक गोनैड़ोत्रोपिन ' नामक हार्मोन की उपस्थिति गर्भ ठहरने की पुष्टि करती है।

गर्भकाल को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है

प्रथम ट्राईमेस्टर
द्वितीय ट्राईमेस्टर
तृतीय ट्राईमेस्टर

प्रथम ट्राईमेस्टर -
  • प्रथम ट्राईमेस्टर , में भ्रूण की स्वाभाविक मृत्यु [मिस्केरिअज ] का खतरा अधिक रहता है।
  • प्रथम बारह हफ़्तों में हारमोंस की अधिकता के कारण निपल्स तथा एरियोला का रंग गहराने लगता है।
  • इस अवधी के अंत तक , भ्रूण की लम्बाई तकरीबन इंच तथा वजन एक औंज हो जाता है


द्वितीय ट्राईमेस्टर-
  • १३ से २४ हफ्ते तक की अवधी द्वितीय ट्राईमेस्टर कहलाती है।
  • इस समय तक मोर्निंग सिकनेस भी समाप्त हो जाती है।
  • इस अवधी में २० हफ़्तों के बाद भ्रूण का घूमना महसूस किया जा सकता है इसे 'क्विकनिंग ' कहते हैं
तृतीय ट्राईमेस्टर-
  • २५ से ३६ हफ़्तों की अवधी तृतीय ट्राईमेस्टर कहलाती है।
  • इसमें तेज़ी से वजन बढ़ता है। गर्भ तकरीबन ३० ग्राम प्रतिदिन के अनुपात में वजन ग्रहण करता है।
  • इस काल के अंत तक , गर्भ का हेड-एंगेजमेंट हो जाने से उदर थोडा relax हो जाता है तथा गर्भिणी को स्वसन सम्बन्धी आराम पुनः मिल जाता है।
  • इस अवधी में जन्मा प्रीटर्म बच्चा , इंटेंसिव केयर द्वारा जीवित रह सकता है
कोंमप्लीकेशंस -
  • एनीमिया [खून की कमी]
  • कमर में दर्द
  • कब्ज़
  • ब्लड प्रेशर
  • हार्ट-बर्न
  • hemorrhoids
  • urinary tract infection
  • varicose veins
  • postpartum depression
नोट-
  • गर्भकाल के दौरान सामान्यता ११ से १५ किलो वजन बढ़ता है।
  • चौथे तथा पांचवे माह में , एक मॉस के अंतर से दो टिटनेस के इंजेक्शन लगवा लेने चाहिए।
  • प्रथम सात महीने तक महीने में एक बार, आठवें महीने में १५ दिन पर तथा नवां महिना लगने पर हर हफ्ते चिकित्सकीय जांच एवं परामर्श के लिए , जाना चाहिए।
  • प्रथम तथा तृतीय ट्राईमेस्टर में रेल यात्रा तथा सेक्स से बचें।
  • गर्भवती स्त्री के स्वास्थय का समुचित ध्यान रखने के लिए उसे पोषक आहार, विटामिन, आयरन तथा कैल्शियम देते रहना चाहिए।
  • नियमित एक्सेरसाइज़ [ थोडा घूमना अथवा तैरना ] लाभदायक है।

यदि कोई जिज्ञासा अथवा शंका हो या कुछ जानना चाहते हों तो निसंकोच पूछें

आभार