Tuesday, January 31, 2012
Thursday, January 26, 2012
हमारा गणतंत्र - क्या संविधान में बदलाव की ज़रुरत है ?
आजादी मिले ६४ वर्ष बीत गए और संविधान बने ६२ वर्ष। लेकिन क्या भारतवर्ष में तरक्की हुयी है? हम जहाँ थे वहीँ हैं या फिर और पीछे चले गए हैं ? इतने वर्षों में क्या तरक्की की है हमने ?
अशिक्षित बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है , ये नहीं जानते की 'गणतंत्र दिवस' और स्वतंत्रता दिवस क्या है । उनके लिए तो इस दिन लड्डू मिल जाते हैं बस यही है इसकी अहमियत।
आधी आबादी जो भारत की सड़कों पर पैदा होती है और फुटपाथ किनारे दम तोड़ देती है क्या ये गणतंत्र दिवस उनके लिए भी है ?
ये झंडा रोहण बड़े-बड़े आफिस , दफ्तरों और संस्थानों तक सीमित है। क्या लाभ इस दिवस का ,जब तक हर नागरिक खुशहाल न हो , स्वस्थ न हो , निर्भय न हो और अनेक अधिकारों से वंचित न हो तब तक।
आजादी के समय नेहरू ने देश को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में बांटा। आज ये विदेशी सरकार अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के नाम पर देशवासियों को बाँट रही है।
देश के लिए जज्बा ही कम हो गया है ,
लोगों के दिलों में स्वाभिमान भी मर रहा है,
अपने अधिकारों के लिए लड़ना भी छोड़ दिया है,
आवाज़ ऊंची करने में भी सहमने लगे हैं देशवासी,
अब ये कहने में भी डरते है की 'आजादी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है',
अब सरकार के अत्याचार से डरकर 'खिलाफत' और "असहयोग आन्दोलन" भी नहीं करते,
एक विदेशी महिला २ अरब जनता को अपने इशारों पर नचा रही है और हम "भारत छोडो" कहते हुए भी डरते हैं,
रामलीला मैदान में 'जलियावाला बाग़ काण्ड' दोहराया जाता है और हम चुप रह जाते हैं।
मीडिया बिकी हुयी है , लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छिनी जा रही है , क्या हम वाकई आजाद भारत में रह रहे हैं ?
अशिक्षित बच्चों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है , ये नहीं जानते की 'गणतंत्र दिवस' और स्वतंत्रता दिवस क्या है । उनके लिए तो इस दिन लड्डू मिल जाते हैं बस यही है इसकी अहमियत।
आधी आबादी जो भारत की सड़कों पर पैदा होती है और फुटपाथ किनारे दम तोड़ देती है क्या ये गणतंत्र दिवस उनके लिए भी है ?
ये झंडा रोहण बड़े-बड़े आफिस , दफ्तरों और संस्थानों तक सीमित है। क्या लाभ इस दिवस का ,जब तक हर नागरिक खुशहाल न हो , स्वस्थ न हो , निर्भय न हो और अनेक अधिकारों से वंचित न हो तब तक।
आजादी के समय नेहरू ने देश को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में बांटा। आज ये विदेशी सरकार अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के नाम पर देशवासियों को बाँट रही है।
देश के लिए जज्बा ही कम हो गया है ,
लोगों के दिलों में स्वाभिमान भी मर रहा है,
अपने अधिकारों के लिए लड़ना भी छोड़ दिया है,
आवाज़ ऊंची करने में भी सहमने लगे हैं देशवासी,
अब ये कहने में भी डरते है की 'आजादी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है',
अब सरकार के अत्याचार से डरकर 'खिलाफत' और "असहयोग आन्दोलन" भी नहीं करते,
एक विदेशी महिला २ अरब जनता को अपने इशारों पर नचा रही है और हम "भारत छोडो" कहते हुए भी डरते हैं,
रामलीला मैदान में 'जलियावाला बाग़ काण्ड' दोहराया जाता है और हम चुप रह जाते हैं।
मीडिया बिकी हुयी है , लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छिनी जा रही है , क्या हम वाकई आजाद भारत में रह रहे हैं ?
अब देश में वालमार्ट लाया जाएगा , अब 'दांडी मार्च' नहीं होते। स्वदेशी से किसी को कोई लगाव नहीं ।
अब साधू संतों और भगवा का अपमान किया जाता है।
अब हमारे पवित्र ग्रंथों पर को बैन लगाने की जुर्रत करते हैं कुछ देश।
भारत में आतंकवादियों को सजा नहीं दी जाती।
हाथी ढकने पर करोड़ों व्यय पर गरीबों को कम्बल नहीं दी जाती ।
किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री के चेहरे पर शिकन नहीं आती ।
६२ सालों का गणतंत्र !! गजब है हमारी उपलब्धियां !
धन्य है भारत ! धन्य हैं भारतवासी!
कभी-कभी देश के बारे में सोचा भी कीजिये ...
"गणतंत्र की शुभकामनाएं" कहकर खानापूर्ति न कीजिये...
Zeal
अब हमारे पवित्र ग्रंथों पर को बैन लगाने की जुर्रत करते हैं कुछ देश।
भारत में आतंकवादियों को सजा नहीं दी जाती।
हाथी ढकने पर करोड़ों व्यय पर गरीबों को कम्बल नहीं दी जाती ।
किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री के चेहरे पर शिकन नहीं आती ।
६२ सालों का गणतंत्र !! गजब है हमारी उपलब्धियां !
धन्य है भारत ! धन्य हैं भारतवासी!
कभी-कभी देश के बारे में सोचा भी कीजिये ...
"गणतंत्र की शुभकामनाएं" कहकर खानापूर्ति न कीजिये...
Zeal
Monday, January 23, 2012
स्वाभिमान जगाता एक समर्पित जन समूह--राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ--RSS
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी संघ है जिसकी स्थापना १९२५ में नागपुर के डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। यह संघ निस्वार्थ रूप से देश की सेवा कर रहा है । इसकी स्थापना सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के रूप में की गयी थी, जिससे देश को एकजुट किया जा सके और अंग्रेजों तथा मुस्लिम की अलगाववादी नीतियों से देश के विभाजन को रोका जा सके।
इस संस्था ने अनेक स्कूल और ऐसी अन्य संस्थाओं की स्थापना की जहाँ के स्वयंसेवकों ने अपनी चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा दी , ग्रामीण इलाकों का विकास किया, दलितों के उत्थान में तत्पर रहे , कुष्ठ रोगियों तथा शारीरिक वा मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के पुनर्स्थापन में विशेष योगदान दिया। संघ के स्वयंसेवक ,किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आने पर निस्वार्थ रूप से ज़रूरतमंदों की हर संभव मदद करते हैं। शिक्षा एवं कृषि के क्षेत्र में इस संस्था का अभूतपूर्व योगदान है।
हमारे देश को लूटने और गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों और कांग्रेस ने इस संस्था को तीन बार बैन किया । संघ की बढती लोकप्रियता और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना ने इन लुटेरों और अलगाववादियों के मन में खौफ पैदा कर दिया।
१९४७ में भारत विभाजन के समय जब लाखों हिन्दू, मुस्लिम और सिख हिंसा का शिकार हो रहे थे तब उनको बचाने में भी इन स्वयंसेवकों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद RSS ने दादरा नागर हवेली और गोवा को १९५५ में पुर्तगालियों के चंगुल से मुक्त कराया।
चुनाव प्रक्रिया में गलत तरीकों का इस्तेमाल करने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव से निष्कासित कर दिया । इससे नाराज़ एवं अति-उग्र होकर इंदिरा गांधी ने १९७५ में 'आपातकाल' की घोषणा कर दी, अनेकों देशभक्तों , निरपराध और मासूमों को गिरफ्तार कर लिया गया। लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया, प्रेस के सारे अधिकार ले लिए गए, और RSS आदि समाज एवं राष्ट्रसेवी संस्थाओं पर भी बैन लगा दिया गया। ऐसी विषम परिस्थियों में RSS ने अपने धैर्य और शांतिपूर्ण सद्प्रयासों से १९७७ में देश में 'लोकतंत्र' की बहाली की।
RSS ने दलितों और पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए अभूतपूर्व योगदान किये। ऊंची और नीची जाती के भेद को मिटाया और समानता और एकता की भावना को बढाया। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर RSS सदैव अग्रणी रहा।
सन २००१ में गुजरात में आये भूकंप ने जो हाहाकार मचाया उसमें भी RSS ने ही ,लोगों को जीवन-दान दिया और गावों को शीघ्रता से पुनः बसाया । किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा हो RSS अपने स्वयंसेवकों के साथ 'मानवता' की मदद एवं उद्दार के लिए सबसे अग्रणी रहता है।
धन्य है राष्ट्र-सेवा के लिए समर्पित ऐसी संस्था ।
जय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
जय हिंद
जय भारत
वन्दे मातरम् !
Zeal
Thursday, January 19, 2012
लव-जेहाद
लव जेहाद क्या है ? इस्लाम धर्म ये आदेश करता है की अपने धर्म को बढाओ! हिन्दुओं को पकड़-पकड़ कर उनका धर्म परिवर्तन करो ! सबसे अच्छा तरीका है हिन्दू लड़कियों को अपने प्रेम-जाल में फंसाओ और उनसे विवाह करके धर्म परिवर्तन कराके उनसे ढेरों इस्लामी बच्चे पैदा करो ! बाद में ये, इन लड़कियों को बहुत प्रताड़ित करते हैं , लड़कियों के परिवार वालों को भी बर्बाद कर देते हैं ! इनके चंगुल में फंसी लड़कियां आत्महत्या का विकल्प चुन रही है! इनके माता-पिता भी लाचार है क्योंकि कोई सुनवाई नहीं है उनकी। इन लड़कों को इस काम के लिए एक-एक लड़की पटाने के लाखों दो लाख से दस लाख रूपए तक मिलते हैं! इतना तगड़ा इंसेंटिव होगा तो क्यूँ न लडकें इस मुफ्त की नौकरी में उतर पड़ें? मुफ्त की रकम और एक हिन्दू-लड़की साथ में फ्री ! भारत समेत अन्य कई देशों में यह समस्या विकराल रूप धरती जा रही है ।
इस्लाम का ये मानना है की ऐसी औरत से विवाह करना चाहिए जो ढेरों बच्चे पैदा कर सके । कितनी अज्ञानतापूर्ण और दुखद है ये सोच ! पत्नी अच्छे संस्कारों को देने वाली होनी चाहिए ना कि बच्चे पैदा करने की मशीन !
चेत जाओ हिन्दुओं नहीं तो फिर पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ! अपनी बच्चियों को समय रहते सावधान करो।
Zeal
इस्लाम का ये मानना है की ऐसी औरत से विवाह करना चाहिए जो ढेरों बच्चे पैदा कर सके । कितनी अज्ञानतापूर्ण और दुखद है ये सोच ! पत्नी अच्छे संस्कारों को देने वाली होनी चाहिए ना कि बच्चे पैदा करने की मशीन !
चेत जाओ हिन्दुओं नहीं तो फिर पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ! अपनी बच्चियों को समय रहते सावधान करो।
Zeal
Monday, January 16, 2012
सेक्युलर और तथाकथित सेक्युलर
हमारे देश में तो सिर्फ "सनातन धर्म " था। जिसमें 'सेवा-भाव' को ही धर्म कहा गया है ! लेकिन अब धर्म की सच्ची परिभाषा कौन समझता है भला? अब तो गद्दारों का सबसे बड़ा धर्म है "सेक्युलर" !
छद्म निरपेक्षता के नाम पर राजनीति की जा रही है। धर्म के नाम पर आरक्षण देकर चुनाव जीता जा रहा है। नेता बनते ही 'सेक्युलर' के नाम का 'कफ़न' ओढ़ लिया जता है , जिसके नीचे आम जनता दफ़न होती रहती है।
दुनिया भर के जितने प्रवचनकारी हैं , वे अपने चेहरे पर 'सेक्युलर' के नाम का मुखौटा लगाये सबको मूर्ख बनाते फिरते हैं ! जैसे सब गंवार हों , इनकी चमड़ी की परख ही न हो कोई।
बाबा रामदेव के मुंह पर कालिख फेंकी , सोयी जनता को आधी रात के बाद पिटवाया, क्या यही करते हैं सेक्युलर जमात वाले ?
चुनाव चिन्ह ढकवाने में करोड़ों रूपया लगाते हैं , लेकिन बिना धर्म के टैग वाली गरीब जनता भूख से और ठण्ड से मर रही है तो मरे , उनके लिए तन ढकने को एक कम्बल और सड़क पर चार अलाव नहीं जलवा सकती ये बेशरम सरकार ? क्या यही है इन भ्रष्टाचारी सेक्युलरों की पहचान ?
दलितों के घर में दावत उड़ाने वाला ये राहू-केतु गांधी , क्या नेत्र विहीन है , जो हाड-कंपाती सर्दी में मरते गरीबों को देख नहीं पाता? क्या इसके मुंह में जिह्वा नहीं है जो देशभक्तों पर स्याही और तेज़ाब फेंकने वाले कामरान जैसे सिद्धिकियों की आतंकवादी कारगुजारियों पर दो शब्द बोल सके ?
उनसे भी बढ़कर वे नपुंसक सेक्युलर लोग हैं जो इस भ्रष्ट एवं छद्म-सेक्युलर सरकार समर्थन करते हैं !
सेक्युलर होने के नाम पर नौटंकी अब बंद हो जानी चाहिए ! इस देश में जो लोग सेक्युलर थे, वे भगत सिंह थे, चाणक्य थे , लौह-पुरुष पटेल थे , नाथूराम गोडसे से , बिस्मिल थे आदि आदि ! अब नहीं पैदा होते ये वीर और जो होते हैं उन पर कालिख फेंकते हैं लोग और मरवाते हैं !
आज की सेक्युलर जमात एक नौटंकी है! --एक फरेब है !--मुखौटे के पीछे बैठे गद्दार हैं !
सेक्युलर प्रवचनकारी जमात देशभक्तों के आक्रोश की अग्नि को बुझा देने वाला कायरता से भरा 'ठंडा-पानी' है , अतः सावधान रहे इन सेक्युलरों और तथाकथित सेक्युलरों से !
गर्व से कहिये हम भारतवासी हैं , सेक्युलर नहीं। जिसका कोई राष्ट्र धर्म नहीं , वो सिर्फ गद्दार है !
आज 'सेक्युलर' से बड़ी कोई गाली नहीं ! बर्बाद हो रही जनता कराह कर कह रही है --- सेक्युलर साले ..
Zeal
छद्म निरपेक्षता के नाम पर राजनीति की जा रही है। धर्म के नाम पर आरक्षण देकर चुनाव जीता जा रहा है। नेता बनते ही 'सेक्युलर' के नाम का 'कफ़न' ओढ़ लिया जता है , जिसके नीचे आम जनता दफ़न होती रहती है।
दुनिया भर के जितने प्रवचनकारी हैं , वे अपने चेहरे पर 'सेक्युलर' के नाम का मुखौटा लगाये सबको मूर्ख बनाते फिरते हैं ! जैसे सब गंवार हों , इनकी चमड़ी की परख ही न हो कोई।
बाबा रामदेव के मुंह पर कालिख फेंकी , सोयी जनता को आधी रात के बाद पिटवाया, क्या यही करते हैं सेक्युलर जमात वाले ?
चुनाव चिन्ह ढकवाने में करोड़ों रूपया लगाते हैं , लेकिन बिना धर्म के टैग वाली गरीब जनता भूख से और ठण्ड से मर रही है तो मरे , उनके लिए तन ढकने को एक कम्बल और सड़क पर चार अलाव नहीं जलवा सकती ये बेशरम सरकार ? क्या यही है इन भ्रष्टाचारी सेक्युलरों की पहचान ?
दलितों के घर में दावत उड़ाने वाला ये राहू-केतु गांधी , क्या नेत्र विहीन है , जो हाड-कंपाती सर्दी में मरते गरीबों को देख नहीं पाता? क्या इसके मुंह में जिह्वा नहीं है जो देशभक्तों पर स्याही और तेज़ाब फेंकने वाले कामरान जैसे सिद्धिकियों की आतंकवादी कारगुजारियों पर दो शब्द बोल सके ?
उनसे भी बढ़कर वे नपुंसक सेक्युलर लोग हैं जो इस भ्रष्ट एवं छद्म-सेक्युलर सरकार समर्थन करते हैं !
सेक्युलर होने के नाम पर नौटंकी अब बंद हो जानी चाहिए ! इस देश में जो लोग सेक्युलर थे, वे भगत सिंह थे, चाणक्य थे , लौह-पुरुष पटेल थे , नाथूराम गोडसे से , बिस्मिल थे आदि आदि ! अब नहीं पैदा होते ये वीर और जो होते हैं उन पर कालिख फेंकते हैं लोग और मरवाते हैं !
आज की सेक्युलर जमात एक नौटंकी है! --एक फरेब है !--मुखौटे के पीछे बैठे गद्दार हैं !
सेक्युलर प्रवचनकारी जमात देशभक्तों के आक्रोश की अग्नि को बुझा देने वाला कायरता से भरा 'ठंडा-पानी' है , अतः सावधान रहे इन सेक्युलरों और तथाकथित सेक्युलरों से !
गर्व से कहिये हम भारतवासी हैं , सेक्युलर नहीं। जिसका कोई राष्ट्र धर्म नहीं , वो सिर्फ गद्दार है !
आज 'सेक्युलर' से बड़ी कोई गाली नहीं ! बर्बाद हो रही जनता कराह कर कह रही है --- सेक्युलर साले ..
Zeal
Thursday, January 12, 2012
तुच्छ-प्रेम -- उच्च-प्रेम
क्या प्रेम भी तुच्छ और उच्च की श्रेणी में विभाजित हो सकता है ? कल एक चर्चा के दौरान मित्र ने कहा उसका 'स्त्री-प्रेम' तुच्छ है। वह केवल 'उच्च प्रेम' अर्थात देश-प्रेम ही करना चाहता है।
माता-पिता, भाई-बहन, मित्र और समाज से प्रेम किये बगैर देशप्रेम संभव हो सकता है क्या। जन-जन से ह्रदय में प्रेम रखे बिना देश-प्रेम भी संभव नहीं है।
मन में स्त्री से प्रेम होने को 'तुच्छ' किस आधार पर कहा गया। यदि स्त्री-प्रेम तुच्छ है तो सेना के जवान या तो अविवाहित रहे , या फिर अपनी स्त्री से प्रेम ही न करें। ऐतिहासिक युद्धों में सेना के कूच करने से पूर्व वीर पत्नियाँ अपने पति का तिलक कर उन्हें विजयपथ पर बढ़ने की प्रेरणा देती थीं। फिर स्त्री-प्रेम , पुरुष की देशभक्ति में बाधा कैसे बन सकता है।
यदि कोई पुरुष अविवाहित है तो क्या उसका स्त्री-प्रेम , राष्ट्र के प्रति निष्ठां को कम कर देगा । उसे उसके कर्तव्यों से विमुख कर देगा ? यदि कमी स्वयं की कर्तव्यपरायणता में ही हो तो दोष किसी स्त्री पर क्यों डाला जाए। स्त्री-प्रेम को तुच्छ कहकर समस्त स्त्री-जाति का अपमान क्यों। इतिहास गवाह है स्त्री और पुरुष दोनों में बराबर से देशप्रेम के होने का। फिर स्त्री से प्रेम पुरुष के लिए बाधक कैसे हुआ। स्त्रियाँ तो ऐसे भय में नहीं जीतीं की पुरुष-प्रेम उन्हें उनके कर्तव्यों अथवा देश-भक्ति से विमुख कर देगा।
प्रेम तो एक ऊर्जा है , एक प्रेरणा-मात्र है जो मनुष्य को भावना-विहीन नहीं होने देता। यही प्रबल भावनाएं ह्रदय में देश के लिए भी प्रेम उत्पन्न करती हैं । बिना भावुकता के न तो स्त्री-प्रेम संभव है , न ही देश-प्रेम।
प्रेम एक पवित्र भावना है, इसे तुच्छ और उच्च की श्रेणी में बांटना अनुचित होगा। प्रेम के व्यापक स्वरुप को समझने के लिए अध्यात्म के धरातल पर उतरना होगा !
Zeal
माता-पिता, भाई-बहन, मित्र और समाज से प्रेम किये बगैर देशप्रेम संभव हो सकता है क्या। जन-जन से ह्रदय में प्रेम रखे बिना देश-प्रेम भी संभव नहीं है।
मन में स्त्री से प्रेम होने को 'तुच्छ' किस आधार पर कहा गया। यदि स्त्री-प्रेम तुच्छ है तो सेना के जवान या तो अविवाहित रहे , या फिर अपनी स्त्री से प्रेम ही न करें। ऐतिहासिक युद्धों में सेना के कूच करने से पूर्व वीर पत्नियाँ अपने पति का तिलक कर उन्हें विजयपथ पर बढ़ने की प्रेरणा देती थीं। फिर स्त्री-प्रेम , पुरुष की देशभक्ति में बाधा कैसे बन सकता है।
यदि कोई पुरुष अविवाहित है तो क्या उसका स्त्री-प्रेम , राष्ट्र के प्रति निष्ठां को कम कर देगा । उसे उसके कर्तव्यों से विमुख कर देगा ? यदि कमी स्वयं की कर्तव्यपरायणता में ही हो तो दोष किसी स्त्री पर क्यों डाला जाए। स्त्री-प्रेम को तुच्छ कहकर समस्त स्त्री-जाति का अपमान क्यों। इतिहास गवाह है स्त्री और पुरुष दोनों में बराबर से देशप्रेम के होने का। फिर स्त्री से प्रेम पुरुष के लिए बाधक कैसे हुआ। स्त्रियाँ तो ऐसे भय में नहीं जीतीं की पुरुष-प्रेम उन्हें उनके कर्तव्यों अथवा देश-भक्ति से विमुख कर देगा।
प्रेम तो एक ऊर्जा है , एक प्रेरणा-मात्र है जो मनुष्य को भावना-विहीन नहीं होने देता। यही प्रबल भावनाएं ह्रदय में देश के लिए भी प्रेम उत्पन्न करती हैं । बिना भावुकता के न तो स्त्री-प्रेम संभव है , न ही देश-प्रेम।
प्रेम एक पवित्र भावना है, इसे तुच्छ और उच्च की श्रेणी में बांटना अनुचित होगा। प्रेम के व्यापक स्वरुप को समझने के लिए अध्यात्म के धरातल पर उतरना होगा !
Zeal
Monday, January 9, 2012
विद्वता,वैज्ञानिकता और बड़प्पन की मिसाल -- भारत भूषण जी
व्यक्ति की ज़िन्दगी में जन्म से लेकर उत्तरोत्तर कई पड़ाव आते हैं , जिनमें व्यक्ति अनेक अनुभव इकट्ठा करता है ! इन्हीं अनुभवों का लाभ नीचे की आने वाली पीढियां लेती हैं ! व्यक्ति की विद्वता और अनुभव उम्र बढ़ने के साथ बढ़ते जाते हैं! हम अपने बुजुर्गों से उनके प्यार और आशीर्वाद के साथ ही उनके द्वारा अर्जित विद्या और अनुभवों का लाभ लेते रहते हैं और वे हमें अक्षय पात्र की तरह देते भी रहते हैं!
ऐसे ही एक शानदार व्यक्तित्व का नाम है -श्री भारत भूषण ! ये एक ऐसे ब्लॉगर हैं जिन्होंने विविध विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है ! इनके आलेखों में विद्वता, वैज्ञानिकता एवं हास्य का भी भरपूर आनंद लिया जा सकता है !
दलितों एवं पिछड़ी जातियों के लिए लिखे गए आलेखों द्वारा ब्लौगिंग के माध्यम से इनका विशेष योगदान है !
स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से जूझते हुए भी सदा मुस्कुराते रहना इनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग है ! किन्हीं विषयों पर मतभेद होने पर भी , बिना लेखक की भावनाओं को ठेस पहुंचाए , अपनी बात को बेहद शालीनता के साथ रखना श्री भूषण जी की पहचान है !
साथी ब्लॉगर्स के साथ परस्पर स्नेह और सम्मान के भाव रखने वाले श्री भूषण जी बड़प्पन की मिसाल हैं !
आइये मिलते हैं इनसे , इनके ब्लौग ---meghnet ---पर !
Zeal
ऐसे ही एक शानदार व्यक्तित्व का नाम है -श्री भारत भूषण ! ये एक ऐसे ब्लॉगर हैं जिन्होंने विविध विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है ! इनके आलेखों में विद्वता, वैज्ञानिकता एवं हास्य का भी भरपूर आनंद लिया जा सकता है !
दलितों एवं पिछड़ी जातियों के लिए लिखे गए आलेखों द्वारा ब्लौगिंग के माध्यम से इनका विशेष योगदान है !
स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से जूझते हुए भी सदा मुस्कुराते रहना इनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग है ! किन्हीं विषयों पर मतभेद होने पर भी , बिना लेखक की भावनाओं को ठेस पहुंचाए , अपनी बात को बेहद शालीनता के साथ रखना श्री भूषण जी की पहचान है !
साथी ब्लॉगर्स के साथ परस्पर स्नेह और सम्मान के भाव रखने वाले श्री भूषण जी बड़प्पन की मिसाल हैं !
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आइये मिलते हैं इनसे , इनके ब्लौग ---meghnet ---पर !
Zeal
Wednesday, January 4, 2012
चोरी, ऊपर से सीनाजोरी ? -- कुछ शर्म कीजिये
आयुर्वेद कितना पुराना है , ये अमरीका और ब्रिटेन को भले ही न पता हो लेकिन समस्त भारतवासी ये जानते हैं की आयुर्वेद , अथर्ववेद का एक उपवेद है जो सृष्टि की उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी के मुख से निकला है ! समुद्र मंथन के दौरान निकले रत्नों में से निकले धन्वन्तरी , जिनके नाम पर हम 'धनतेरस' मनाते हैं , को "Father of medicine" कहा गया है , तथा आचार्य सुश्रुत को "Father of surgery" कहा गया है !
सदियों पूर्व लिखे गए ग्रंथों के पृष्ठ यदि पलटें जाएँ , तो आसानी से देखा जा सकता है उस समय की चिकित्सा एवं शल्य-क्रिया कितनी उन्नत अवस्था में थी ! लेकिन अफ़सोस है कि भारत एक 'ब्लैक-एज' के दौर से गुजरा है , जिस दौरान भारत कि धरोहर, अनेक ग्रंथों को चोरी कर लिया गया और अनेक ग्रंथों को नष्ट कर दिया गया ! ये अमेरिका और ब्रिटेनवासी तो पक्के चोर हैं । इन्होने हमारे ग्रंथों को चुराया फिर उसमें लिखित एवं वर्णित बातों को अपने नाम से पेटेंट करते हैं!
सन २००१ में अमेरिका ने हमारी हल्दी और नीम को अपनी खोज बताकर उसे अपने नाम से पेटेंट करा लिया और हम देखते रह गए ! हमारे आयुर्वेद में शताब्दियों पूर्व लिखे गए ग्रंथों में ही इनका उल्लेख हो चुका है ! ये उन्नीसवी शताब्दी में पैदा हुए एलोपैथ तो सिर्फ चोरी ही कर सकते हैं ! नया क्या करेंगे !
सन २००७ में चाइना ने दावा किया कि उसने 'एवियन-फ्लू' का इलाज 'कालमेघ' नामक औषधि द्वारा ढूंढ लिया है ! हमारे "AYUSH" [Department of Ayurveda, Yoga and naturopathy, unani, siddha and homeopathy ] विभाग ने अपने ग्रंथों का विवरण देकर, जिसमें कालमेघ आदि का सम्पूर्ण विवरण है , सन २०१० में चाइना से ये केस जीता और उसका पेटेंट वापस लिया !
आज के ताजा समाचार के अनुसार , ब्रिटेन ने दावा किया है कि 'अदरख' और 'कुटकी' द्वारा जुखाम (नजला, cold) का सफल इलाज इन्होने ढूंढ लिया है , और पेटेंट का दावा ठोंक दिया ! एक बार फिर 'AYUSH ', ने अपने पुराने ग्रंथों में वर्णित इन सभी औषधीय 'द्रव्यों' को प्रस्तुत करके ब्रिटेन के दावे को ख़ारिज किया !
ये विदेशी क्या जानें कि आज का AIDS, SARS और conjunctivitis जैसी अनेक व्याधियां तो सदियों पूर्व ही हमारे ग्रंथों में उल्लिखित हैं ।
धन्य हैं ये चोर देश जो हमारे देश से ग्रन्थ चोरी करके उसका अनुवाद करने के बाद उसे अपने नाम से पेटेंट कराते हैं। और शर्म आती है अपने ही देश के उन लोगों पर जो अपनी इस मूल्यवान धरोहर का सम्मान नहीं करते ! हमारी धरती वीरों और विद्वानों कि धरती रही है ! गणित से लेकर चिकित्सा तक , सभी विषयों पर मूल्यवान ग्रंथों कि रचना हमारे ऋषि और मनीषी पहले ही कर गए हैं ! ज़रुरत है तो स्वयं में स्वाभिमान पैदा करने कि और अपनी इस अनमोल धरोहर को सुरक्षित करने कि , ताकि ये विदेशी हमारी ओर अपनी गिद्ध दृष्टि न कर सकें !
आइये एकजुट हो जाएँ और अपनी इस गौरवशाली सम्पदा कि रक्षा करें !
Zeal
सदियों पूर्व लिखे गए ग्रंथों के पृष्ठ यदि पलटें जाएँ , तो आसानी से देखा जा सकता है उस समय की चिकित्सा एवं शल्य-क्रिया कितनी उन्नत अवस्था में थी ! लेकिन अफ़सोस है कि भारत एक 'ब्लैक-एज' के दौर से गुजरा है , जिस दौरान भारत कि धरोहर, अनेक ग्रंथों को चोरी कर लिया गया और अनेक ग्रंथों को नष्ट कर दिया गया ! ये अमेरिका और ब्रिटेनवासी तो पक्के चोर हैं । इन्होने हमारे ग्रंथों को चुराया फिर उसमें लिखित एवं वर्णित बातों को अपने नाम से पेटेंट करते हैं!
सन २००१ में अमेरिका ने हमारी हल्दी और नीम को अपनी खोज बताकर उसे अपने नाम से पेटेंट करा लिया और हम देखते रह गए ! हमारे आयुर्वेद में शताब्दियों पूर्व लिखे गए ग्रंथों में ही इनका उल्लेख हो चुका है ! ये उन्नीसवी शताब्दी में पैदा हुए एलोपैथ तो सिर्फ चोरी ही कर सकते हैं ! नया क्या करेंगे !
सन २००७ में चाइना ने दावा किया कि उसने 'एवियन-फ्लू' का इलाज 'कालमेघ' नामक औषधि द्वारा ढूंढ लिया है ! हमारे "AYUSH" [Department of Ayurveda, Yoga and naturopathy, unani, siddha and homeopathy ] विभाग ने अपने ग्रंथों का विवरण देकर, जिसमें कालमेघ आदि का सम्पूर्ण विवरण है , सन २०१० में चाइना से ये केस जीता और उसका पेटेंट वापस लिया !
आज के ताजा समाचार के अनुसार , ब्रिटेन ने दावा किया है कि 'अदरख' और 'कुटकी' द्वारा जुखाम (नजला, cold) का सफल इलाज इन्होने ढूंढ लिया है , और पेटेंट का दावा ठोंक दिया ! एक बार फिर 'AYUSH ', ने अपने पुराने ग्रंथों में वर्णित इन सभी औषधीय 'द्रव्यों' को प्रस्तुत करके ब्रिटेन के दावे को ख़ारिज किया !
ये विदेशी क्या जानें कि आज का AIDS, SARS और conjunctivitis जैसी अनेक व्याधियां तो सदियों पूर्व ही हमारे ग्रंथों में उल्लिखित हैं ।
धन्य हैं ये चोर देश जो हमारे देश से ग्रन्थ चोरी करके उसका अनुवाद करने के बाद उसे अपने नाम से पेटेंट कराते हैं। और शर्म आती है अपने ही देश के उन लोगों पर जो अपनी इस मूल्यवान धरोहर का सम्मान नहीं करते ! हमारी धरती वीरों और विद्वानों कि धरती रही है ! गणित से लेकर चिकित्सा तक , सभी विषयों पर मूल्यवान ग्रंथों कि रचना हमारे ऋषि और मनीषी पहले ही कर गए हैं ! ज़रुरत है तो स्वयं में स्वाभिमान पैदा करने कि और अपनी इस अनमोल धरोहर को सुरक्षित करने कि , ताकि ये विदेशी हमारी ओर अपनी गिद्ध दृष्टि न कर सकें !
आइये एकजुट हो जाएँ और अपनी इस गौरवशाली सम्पदा कि रक्षा करें !
Zeal
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Sunday, January 1, 2012
प्रतिज्ञा-२०१२
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गत वर्ष की प्रतिज्ञा में, क्यों न फिर बघार दूं ,
ग्यारह की प्रतिज्ञा को , बारह में विस्तार दूं ,
पुष्प सारे विश्व के , मैं इन चरण पे वार दूं,
माँ तेरे इस रूप को , मैं फिर ज़रा संवार दूं,
हर ख़ुशी को आज इस धरा पे मैं उतार दूं ,
माँ तेरी पुकार पे मैं जान भी निसार दूं !
माँ भारती की आरती में , देर न हो , कल न हो !
बलिदान मेरे पूर्वजों का, अब कभी विफल न हो !
मिटटी के इस क़र्ज़ को मैं फ़र्ज़ से उतार दूं,
माँ तुझे मैं प्यार से, दुलार दूं, संवार दूं !
जय हिंद !
जय भारत !
वन्देमातरम !
Zeal
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