जब पूरी पृथ्वी पर कोई कपड़े पहनना नहीं जानता था तब हम कपड़े का निर्यात करते थे
जब पूरी दुनिया के लोग जानवरों को मार कर खाते थे तब हम यहाँ पर अपने भगवान को 56 भोग चढ़ाते थे
जब पूरी दुनिया के बच्चे नंगे घूमते थे तब हम मंत्रोच्चार करते थे
जब पृथ्वी पर उस परवरदिगार के संदेश वाहक और उस GOD का लड़का नहीं आया था तब हमारे यहाँ के बच्चे सरस्वती वंदना करते थे
जब पूरी दुनिया मे लोग एक दूसरे को लूटते तब हमारे यहाँ पर शांति का उपदेश दिया जाता था
और एक आज का दिन है .... एक तरफ जब हम सबसे विकसित थे तो आज के दिन युवा(??) मित्र आज के दिन उन भूखों नंगों की नकल कर रहे हैं जिन्हे हमने पायजामे मे नाड़ा बांधना सिखाया .... बड़े दुख की बात है ..... :(
जब पूरी दुनिया के लोग जानवरों को मार कर खाते थे तब हम यहाँ पर अपने भगवान को 56 भोग चढ़ाते थे
जब पूरी दुनिया के बच्चे नंगे घूमते थे तब हम मंत्रोच्चार करते थे
जब पृथ्वी पर उस परवरदिगार के संदेश वाहक और उस GOD का लड़का नहीं आया था तब हमारे यहाँ के बच्चे सरस्वती वंदना करते थे
जब पूरी दुनिया मे लोग एक दूसरे को लूटते तब हमारे यहाँ पर शांति का उपदेश दिया जाता था
और एक आज का दिन है .... एक तरफ जब हम सबसे विकसित थे तो आज के दिन युवा(??) मित्र आज के दिन उन भूखों नंगों की नकल कर रहे हैं जिन्हे हमने पायजामे मे नाड़ा बांधना सिखाया .... बड़े दुख की बात है ..... :(
Courtesy --Facebook
15 comments:
Yes,our ancestors had discovered that a long time ago and we must not lose that.Others have a lot to learn from Hinduism and we must not shy away from the great opportunity to present our great faith from an advantageous position.
एकदम सही। विद्वता से मुर्खता की ओर पलायन क्यों कर रहे हैं हम? सारी दुनिया ने हमसे विद्वता सीखी और हम उस दुनिया से मुर्खता सीख रहे हैं।
वेलेंटाइन क्या आया मानो उससे पहले प्रेम होता ही नहीं था।
क्षमा चाहता हूँ एक बेहद अफसोसजनक बात कहने के लिए कि पायजामे में नाड़ा बांधना हमने उन्हें सिखाया किन्तु आज उनसे नाड़े खोलना सीख रहे हैं।
ekdam sahi baat hai-indian citizen.
बहुत ही सार्थक एवं विचारणीय रचना.
बेहतरीन रचना ....
sahi kaha
एकदम सही और सार्थक लिखा है आपने दिव्याजी
हमारी संस्कृति और परम्पराएं
कोई मुकाबला नहीं इनका!!
साभार !!
हम पिछड़ गए या वे आगे बढ़ गए ,यह सोचनेवाली बात है
latest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
atest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
बिल्कुल सही कहा...
अकर्मण्यता और दिमाग़ी-दिवालियापन और क्या-क्या दिखायेगा!
जील बेटा ,
आपके लेख का एक एक शब्द सत्य है ! 'रोग' सैकड़ों वर्ष पुराना है ! उपचार हो जाएगा लेकिन समय तो लगेगा ही ! आप सक्षम हैं, आम जनता के लिए लिख भी रहीं हैं और स्वयम अपने परिवार में जागरूकता भी फैला रही हैं ! बधाई बेटा !
यदि ऐसे ही प्रत्येक हिंदू परिवार अपने बच्चों को प्रशिक्षित करे तो परिवार से पडोस, पडोस से नगर , नगर से देश में जागरूकता आयेगी और कल्याण हो जायेगा सब का !
आपके दिव्य ज्ञान को सलाम दिव्याजी। आपने हमारी आंखें खोल दीं, लेकिन अफसोस कुछ संभालकर नहीं रख पाए हम। अंग्रेजों की नकल पर उतर आए। देखिए न आप ब्लॉग का प्रयोग कर रही हैं, यह किसकी देन है? यह मत कह देना कि यह तो हम करकर छोड़ चुके हैं। दरअसल, कुछ था ही नहीं, सिर्फ कहानियां हैं, सुनाते रहिए और झूठी शान में जीते रहिए। जानता हूं यह कमेंट प्रकाशित नहीं होगा, क्योंकि आप सबकी जमात एकतरफा सोच वाली है, जो अंधेरे में बैठी है और रोशनी की किरण आना नहीं देना चाहते। आप और तालिबान एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हो। गलती हो गई हो, तो माफ कर देना।
आपके दिव्य ज्ञान को सलाम दिव्याजी। आपने हमारी आंखें खोल दीं, लेकिन अफसोस कुछ संभालकर नहीं रख पाए हम। अंग्रेजों की नकल पर उतर आए। देखिए न आप ब्लॉग का प्रयोग कर रही हैं, यह किसकी देन है? यह मत कह देना कि यह तो हम करकर छोड़ चुके हैं। दरअसल, कुछ था ही नहीं, सिर्फ कहानियां हैं, सुनाते रहिए और झूठी शान में जीते रहिए। जानता हूं यह कमेंट प्रकाशित नहीं होगा, क्योंकि आप सबकी जमात एकतरफा सोच वाली है, जो अंधेरे में बैठी है और रोशनी की किरण आना नहीं देना चाहते। आप और तालिबान एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हो। गलती हो गई हो, तो माफ कर देना।
सलीम अख्तर सिद्धीकी, तुम्हारे जैसे गुंडे -मुल्लों को EXPOSE करना बहुत ज़रूरी है , इसलिए तुम्हारा कमेन्ट पब्लिश करना ज़रूरी है ! अगर तुम में थोड़ी सी भी गैरत होगी तो आगे से नहीं आओगे यहाँ अपनी नाक कटवाने!
एक से नौटंकीबाज़ आये और चले गए खिसियाने बिलौटे की तरह ! आशा है अब तुम्हें भी अकल आ ही जायेगी.
दिव्या जी , कमेन्टकर्ता के सारगर्भित[?] कमेन्ट पढ़ने से यह उपयोगी जानकारी मिली कि, " दरअसल, कुछ था ही नहीं, सिर्फ कहानियां हैं "! बेटा , तब तो ये कहना भी मुश्किल होगा कि सिद्दीकी नामक व्यक्ति भी आज कहीं है या नहीं ? और कल उनका कोई वजूद होगा या नहीं ?Dear, we should ignore remarks of so intelligent ?] a person.
अंकल आंटी
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