प्राईमरी हेल्थ सेंटर (PHC), शाहजहांपुर में दो
साल की बच्ची , जिसने ठीक से चलना और बोलना भी नहीं सीखा था , के साथ वार्ड
बॉय ने दो बार बलात्कार किया ! बच्ची को बिस्किट, टॉफी देने का कहकर
फुसलाया और अस्पताल के सूने कमरे में दुष्कर्म किया। बच्ची की चीखें सुनकर
लोगों ने उसे बचाया। खून से लतपथ बच्ची को उज्जैन अस्पताल में भर्ती
कराया गया है। उसकी हालात अत्यंत नाज़ुक है।
जिस समय बच्ची का बलात्कार हो रहा था , उस समय माँ ने PHC में एक बच्चे को जन्म दिया। जब उसे इस दुष्कर्म की सूचना दी गयी तो वह सदमे से बेहोश हो गयी।
अब बेचारे वार्ड बॉय का तो कोई दोष है नहीं , 16 साल का तो हो ही गया होगा। दोष तो उस बच्ची का है जिसने स्वेच्छा से बलात्कार नहीं करवाया !
हवस के भूखे कानूनविदों से मेरी अपील है की 16 की जगह दो साल से ही बलात्कार को लीगल कर दिया जाए ताकि वो 'सेक्स' कहलाये और सुनने में मनोरंजक लगे और यदि संभव हो तो कन्या भ्रूण ह्त्या को भी लीगल किया जाए ताकि " न रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी "
फिर इस पृथ्वी पर सिर्फ पुरुष बचेंगे और पुरुषों का ही बलात्कार करेंगे ! सृष्टि ही समाप्त हो जाएगी। बसंत फिर कभी नहीं आएगा।
Zeal
जिस समय बच्ची का बलात्कार हो रहा था , उस समय माँ ने PHC में एक बच्चे को जन्म दिया। जब उसे इस दुष्कर्म की सूचना दी गयी तो वह सदमे से बेहोश हो गयी।
अब बेचारे वार्ड बॉय का तो कोई दोष है नहीं , 16 साल का तो हो ही गया होगा। दोष तो उस बच्ची का है जिसने स्वेच्छा से बलात्कार नहीं करवाया !
हवस के भूखे कानूनविदों से मेरी अपील है की 16 की जगह दो साल से ही बलात्कार को लीगल कर दिया जाए ताकि वो 'सेक्स' कहलाये और सुनने में मनोरंजक लगे और यदि संभव हो तो कन्या भ्रूण ह्त्या को भी लीगल किया जाए ताकि " न रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी "
फिर इस पृथ्वी पर सिर्फ पुरुष बचेंगे और पुरुषों का ही बलात्कार करेंगे ! सृष्टि ही समाप्त हो जाएगी। बसंत फिर कभी नहीं आएगा।
Zeal
25 comments:
समाज के दरिंदों को बहुत से लोग कहते है कि मौत की सजा नहीं मिलनी चाहिए , ये नहीं होना चाहिए , वो नाबालिग है,,,,,, इत्यादि-इत्यादि। किन्तु क्या ऐसे दरिंदो में भय पैदा करने हेतु यह क़ानून नहीं बनाया जा सकता कि जघन्य अपराध का दोषी पाए जाने पर ऐसे नामर्दों के माथे पर ( जिस तरह से हाथों पर नाम गुन्द्वाते है या फिर टैटो बनाते है ) " दरिंदा " गुन्दवा दिया जाना चाहिए, ताकि जब वह घर से बाहर निकले तो आम आदमी को बिना पहचाने ही उसकी हकीकत पता चल जाए।
आदरणीया दिव्या जी ..बिलकुल सही कहा आपने..तरक्की के नाम पर बस ये ही तो बचा है ..खादी ओढ़े जहरीले नाग जहर ही तो उगलेंगे इसके
अलावा इनके पास और कोई काम है ही कहाँ
इस घटना में तो हैवानियत कि सारी हदें तोड़ दी गयी है ऐसे लोगों को समाज में जिन्दा रहने हि नहीं दिया जाना चाहिए !!
आपकी बातें गड़ती हैं लेकिन सत्य को ही बयान करती है
किसी भी चीज की हद होती है पर हैवानियत की तो कोई हद ही नही रह गयी है.ऐसे वहसी जानवरों को तो चौराहे पर लटका देनी चाहिए.
sirf qanun ki ghata jod se kuchh ho jaata to bahut kuchh ho chuka hota.
हद होती है वहशीपन की। दो साल की बच्ची???
१६ साल की आयु में सेक्स करने की परमिशन का कानून बनाया और उसे नाम दिया बलात्कार विरोधी विधेयक? अब मुझे तो समझ नहीं आया कि इसका बलात्कार विरोध से क्या लेना-देना? अब ५० साल के ठरकी १६ साल की लड़कियों को फुसलाकर भोग लेंगे और बाद में डरा धमका कर सहमती से सेक्स करना मनवा लेंगे।
सही है, कांग्रेसियों ने बलात्कार विरोधी नहीं, अपितु बलात्कार पीडिता विरोधी विधेयक पास करवा लिया।
अगर ये बलातर विरोधी विधेयक है तो इसका उम्र से क्या लेना-देना? क्या केवल १६ साल की लडकियों का ही बलात्कार होता है? जब बलात्कार उम्र देख कर नहीं होता तो किसी भी उम्र में सहमती से सेक्स करने की परमिशन क्यों न दे दी जाए? दो साल की बच्चियों की सहमती भी जानना चाहिए न?
आप जैसा गुस्सा जब तक समाज में नहीं आएगा कोई बदलाव नहीं हो सकता..
सहमत हूं आपकी बातों से
आज की यह तीन टिप्पणी यहाँ सटीक हैं-आदरेया-
पाए सत्ता कवच अब, कुंडल पाए स्वर्ण |
घर घर में कुन्ती हुई, बच्चा आया कर्ण |
बच्चा आया कर्ण , जलालत नहीं होयगी-
आया है अधिनियम, नहीं अब मातु खोयगी |
दुर्योधन का मित्र, दुशासन ख़ुशी मनाये |
हैं प्रसन्न धृतराष्ट्र, कलेजा ठंढक पाए |
बहन बेटी बिन मिनिस्टर,
सोच में कुछ भला कब था-
ब्याह से पहले हुवे सच,
किन्तु माँ से पला कब था |
कर्ण दुर्योधन दुशासन,
और शकुनी मिल गए हैं-
विदुर चुप रहते विषय पर,
भीष्म का कुछ चला कब था |
सुनती कर्ण पुकार है, अब जा के सरकार |
सोलह के सम्बन्ध से, निश्चय हो उद्धार |
निश्चय हो उद्धार, बिना व्याही माओं के |
होंगे कर्ण अपार, कुँवारी कन्याओं के |
अट्ठारह में ब्याह, गोद में लेकर कुन्ती |
फेरे घूमे सात, उलाहन क्यूँ कर सुनती ||
सुनती कर्ण पुकार है, अब जा के सरकार |
सोलह के सम्बन्ध से, निश्चय हो उद्धार |
निश्चय हो उद्धार, बिना व्याही माओं के |
होंगे कर्ण अपार, कुँवारी कन्याओं के |
अट्ठारह में ब्याह, गोद में लेकर कुन्ती |
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बहुत खूब कही ,सही कही .अ विवाहित माताओं का देश बनेगा मेरा भारत .षोडशी कन्याओं की सहमती प्राप्त करने का नया दौर शुरू होगा .
ये चर्च की एजेंट सरकार ऐसे ही क़ानून बनवायेगी .वह 4२ साल का लौंडा कहता है मैं शादी नहीं करूंगा ऐसे ही काम
चलाऊंगा (विदेशी मेमों से ),षोडशी कन्याओं को अब और भी ज्यादा ख़तरा पैदा हो गया है अधिक से अधिक लोग इनकी
सहमती प्राप्त करने की चालें चलेंगे ,घर बाहर दफ्तर सब जगह .
हैवानियत की पराकास्था और कब आएगी ..और कब हम इसे समझेंगे ..पुरानो से सुनते थे राक्षस होते थे ,नंग धडंग अब तो कपड़ों में दिख रहे है.मुखौटों में छिप रहे हैं और किसी न किसी दीवार की ओत के पीछे खड़े हैं .
दिव्या जी ,बिलकुल सही कह रही हैं आप
कड़वा सच!
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समाज के दरिंदे को हम ही पाल रहें है,मार्मिक प्रस्तुति.मेरे ख्याल से कल भी मैं टिप्पडी किया था.
सीधी और सटीक राय यही है कि अपराध की सजा नियमित तौर पर प्रभावी तरीके से हो तो अपराधों पर लगाम लग सकता है। जहां तक पुरुषों के बलात्कार की बात है तो समलैंगियों में पैसे को लेकर हत्याएं अक्सर होने लगी है कुछ दिनों में बलात्कार भी होने लगेंगे।
दो साल की बच्ची से बलात्कार. ऐसे नराधम को एक सप्ताह के अन्दर चार्जशीट कर सूली चढ़ा देना चाहिये. नागरिक
सरकार की साजिश नाकामयाब रही। दुष्कर्म की उम्र घटा नहीं पाए। कांग्रेसियों, शुकर मनाओ , इस देश में अभी भी शरीफों की संख्या ज्यादा है जिनके आँख का पानी मरा नहीं है और जिन्होंने तुम्हें कलंकित करने वाली ऐतिहासिक भूल से बचा लिया।
iron lady..दिव्या , मैं शतप्रतिशत गोदियाल भाई जी की टिप्पणी से सहमत हूँ ..इसके साथ-साथ उनका समाजिक बहिष्कार और छोटे से छोटा काम ..जैसे मैला उठाना आदि इन जैसे लोगो से ही करवाया जाये...
शुभकामनायें !
आज मेरे को भी यहाँ आपके विचारों की ज़रूरत है ..
क्या आप अपनी औलाद से प्यार करतें हैं ???
कानून बनानेवाले कानून के आड़ में अपनी हवस पूरी करेंगे ......हैवानियत के सिवा
कुछ भी नहीं है ......ऐसी बातें दिव्या जी ...
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