शिंदे की ज़बान इस तरह फिसलेगी बार-बार तो कब तक
बर्दाश्त किया जाएगा इन्हें ? धारा 228A का उल्लंघन करते हुए , भंडारा
रेप काण्ड की नाबालिग रेप-पीड़िताओं के नामों का उल्लेख किया . इस प्रकार
की गलती वे सन 2007 में भी कर चुके हैं। कभी वे हिन्दुओं को आतंकवादी भी
कहते हैं ! बार-बार ज़बान फिसलना आखिर क्या दर्शाता है?
पिछले 65 सालों से तो गुलामी के लिए अभिशप्त हैं ही हम लोग, क्या आगे भी गुलामी ही लिखी है?
पिछले 65 सालों से तो गुलामी के लिए अभिशप्त हैं ही हम लोग, क्या आगे भी गुलामी ही लिखी है?
http://timesofindia.indiatimes.com/india/Before-Shinde-a-similar-gaffe-by-an-SC-judge/articleshow/18758667.cms
11 comments:
लोगों को कुछ याद नहीं रहता.
ये नेताओं के लिए नई बात नहीं है.
चिंता की बात यह है कि इस आयाम पर विशेषज्ञों का ध्यान नहीं जा रहा है।
इनकी जबान फिसलने के लिए हि बनी है !!
बिना हड़्डी के अंग का क्या भरोसा!
आज भी आजादी सबके लिए बराबर कहाँ है ... ..यहीं तो यही कहा जाएगा...समरथ को नहीं दोष गुसाई
एक शिंदे की बात नहीं है हमारे देश के नेताओं की जबान कुछ ज्यादा ही फिसल रही है क्या करें सोच में गिरावट तो सब ऒर है
गृहमंत्री अपने घर के क़ानून भी न जाने, ये कैसा भारत निर्माण है?
कम से कम एक चीज तो अच्छी होती है इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया में...उसके रिकॉर्ड बयान पर नेता ये बोल नहीं पाते कि उनकी बात को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है।
गलती यदि बार बार दोहराई जाये तो उचित नहीं .
गलती की माफी मांगी । अपना काम निकल गया तो फिर से सीना जोरी । नेताओं की फितरत है ये ।
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