Sunday, October 24, 2010

आपके निमंत्रण का शुक्रिया राजीव जी..

invitation for 30th oct. meeting on ayodhya judgement - in hindi & english








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rajeev yadav

to rajeev.pucl
show details Oct 22 (2 days ago)

A NATIONAL DISCUSSION ON AYODHYA JUDGEMENT

Dated: 20th October, 2010

Dear friends,
We feel that a debate is necessary on the
recent UP High Court judgement on the Ayodhya dispute. While most of
the middle class, political parties and media feel that judgement is
quite good from the point of view of motivating the parties in the
case to arrive at a solution by settlement and that the country
remained peaceful after the pronouncement of judgement is being
considered a major achievement, we feel that this judgement has raised
questions over the future of India as a secular democracy and whether
the rule of law will prevail or not.

You’re cordially invited to a national discussion on the
Ayodhya judgement scheduled to be held in Lucknow.

Date: 30th October, 2010
Venue: Karna Bhai Sabhagar, Gandhi Bhawan, opposite
Residency and Shaheed Smarak, Lucknow (enter from Gate No. 6)
Time: 10 am to 5 pm

Professor Roop Rekha Verma (9335905337), Professor Ramesh Dixit
(9415103162), Veerendra Yadav (9415371872), Shakeel Siddiqui
(9839123525), Advocate Mohammad Shoaib (9415012666), Advocate Randhir
Singh Suman (9450195427), Dr. Naseem Iqtadar Ali (9451175349), Shehla
Ghanim (9235669557), Rajeev Yadav (9452800752), Shahnawaz Alam
(9415254919), Sandeep Pandey (0522 2347365)

Note: For participants coming from outside Lucknow, if you’ll require
stay arrangement please let us know in advance.

RAJEEV YADAV
Organization Secretary, U.P.
Peoples Union for Civil Liberties (PUCL)
०९४५२८००७५२

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प्रिय मित्र राजीव ,

आपने निमंत्रण देकर जो सम्मान दिया है , उसके लिए ह्रदय से आभारी हूँ

लेकिन मेरा मानना है , इस प्रकार की मीटिंग्स में प्रतिभागी इमानदार नहीं रह पाता हैजान बचाने के लिए कब किस दिशा में बहना शुरू करेगा , उसे खुद ही नहीं मालूम होतामेरी पिछली पोस्ट को ही मेरी बेबाक राय मानी जायेमीटिंग में उपस्थिति होते हुए भी मेरे विचार , मेरे ब्लॉग के माध्यम से आप लोगों तक जरूर पहुंचेंगे

कुछ अवगुण हैं मुझमें, जिसके कारण मैं स्वयं को इस प्रकार की मीटिंग्स का प्रतिभागी बनने के लायक नहीं समझती

  • पहली बात तो ये की मैं धर्म-निरपेक्षता में यकीन नहीं रखतीइस फर्जी शब्द से घृणा है मुझेइस्लाम के ठेकेदार , सुप्रीम कोर्ट में धर्म के नाम पर हक मांगने जा रहे हैंकायर हिन्दू डटे हुए हैं उनका तलवा चाटने मेंऐसे में मुझसे अपेक्षा मत कीजिये धर्म निरपेक्षता की
  • कश्मीर में मुसलमान झंडा जला रहे हैं और नपुंसक बने हिन्दू , पहले एक तिहाई का स्वागत कर रहे हैं, फिर पूरा लुटने की दिवाली मनायेंगेऐसी स्थिति में कायर हिन्दू तथा लालची मुसलमान के साथ मीटिंग्स का कोई औचित्य नहीं है
  • तीसरी बात मुझे संतई करना नहीं आता
  • चापलूसी करना नहीं आता
  • शक्कर में लपेट कर बोलना नहीं आता
  • थाली के बैगन की तरह और मौकापरस्त दोगले हिन्दुओं की तरह दल बदलना नहीं आता
प्रोफ़ेसर रूप रेखा वर्मा मेरी नजदीकी रिश्तेदार हैं , उनसे मेरा अभिवादन कहियेगा.

आपका आयोजन सफल हो, इन्ही शुभकामनाओं के साथ,
दिव्या.





21 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत-बहुत बधाई!

अजय कुमार said...

एक तरफा धर्मनिरपेक्षता है यह । काश्मीर का उदाहरण सटीक है ।

कडुवासच said...

... aapkaa paksh ... saarthak hai !!!

vandana gupta said...

बिल्कुल सही कह रही हैं आप्।

सुधीर राघव said...

आपका यह ब्लाग भी एक सशक्त मंच है। ऐसे में निमंत्रण ही बेमानी था। आपने अच्छा किया उसे ठुकरा कर।

महेन्‍द्र वर्मा said...

आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मस्जिद के पक्ष में फैसला आ जाता तो धर्मनिरपेक्ष चरित्र खतरे में नहीं पड़ता. यही उम्मीद थी इन लोगों से... आपने बहुत ही बढ़िया उत्तर दिया...

Unknown said...

:) :)

* पहली बात तो ये की मैं धर्म-निरपेक्षता में यकीन नहीं रखती। इस फर्जी शब्द से घृणा है मुझे । इस्लाम के ठेकेदार , सुप्रीम कोर्ट में धर्म के नाम पर हक मांगने जा रहे हैं। कायर हिन्दू डटे हुए हैं उनका तलवा चाटने में। ऐसे में मुझसे अपेक्षा मत कीजिये धर्म निरपेक्षता की ।
* कश्मीर में मुसलमान झंडा जला रहे हैं और नपुंसक बने हिन्दू , पहले एक तिहाई का स्वागत कर रहे हैं, फिर पूरा लुटने की दिवाली मनायेंगे। ऐसी स्थिति में कायर हिन्दू तथा लालची मुसलमान के साथ मीटिंग्स का कोई औचित्य नहीं है।
* तीसरी बात मुझे संतई करना नहीं आता।
* चापलूसी करना नहीं आता
* शक्कर में लपेट कर बोलना नहीं आता
* थाली के बैगन की तरह और मौकापरस्त दोगले हिन्दुओं की तरह दल बदलना नहीं आता

अरे…अरे… यह सारे अवगुण तो मुझमें भी हैं…

amar jeet said...

मानना पड़ेगा दिव्या जी हिंदुस्तान से दूर रहकर भी यहाँ के हिन्दुओ से ज्यादा अच्छी सोच रखती है वास्तव में आज हिन्दू कायर हो गए है मुसलमानों के तलुए चाटने की ही वजह से आज हमें अपने भगवान की सत्यता को सिद्ध करना पद रहा है आज देस के न्यायालयों को ये सिद्ध करना पद रहा है की राम का जन्म कहा हुवा है अभी कुछ दिन पूर्व एक SMS मेरे मोबइल पर आया था ....रामचंद्र कह गए शिया से ऐसा कलयूग आएगा मेरा जन्म कहा हुवा है अब हाईकोर्ट बताएगा शर्मनाक बात है देश की राजधानी में कुछ लोग आकर खुले आम गिलानी और अरुधंति राय जैसे लोग आकर भारत विरोधी आयोजन करते है और हमारी सरकारे ये कहती है की जाच की जाएगी की मामला देश द्रोह का है की नहीं ! कसाब जैसा आतंकवादी इस देश की न्याय व्यवस्था पर थूक देता है और हमारे news चैनलों की TRP बढाने में मददगार होता है! अब तो हमारे देश में ही हिन्दू त्योहारों को ही तथाकथित बुद्धिजीवी कहलाने वाले लोगो ने प्रदूषण या अन्य नामो से दुष्प्रचारित करना सुरु कर दिया है दीवाली पर ध्वनी प्रदूषण होली में पानी की बर्बादी नवरात्र में तेल की बर्बादी आस्था को अंधविश्वास का नाम दिया रहा है !

Manoj K said...

दिव्या जी,
नमस्कार,

आपके ब्लॉग पर आने पर कुझे ज़रूर कुछ 'food for thought' मिलता है. ऐसी मीटिंग्स में कोई आम राय बनना संभव नहीं होगा.. फ़िलहाल आपके उद्गार आपके सशक्त विचारधारा को इंगित करते हैं. यहाँ पर टिप्पणियाँ भी काफी प्रभावित करती हैं. खासकर अमरजीत भाई की टिप्पणी.. "कसाब जैसा आतंकवादी इस देश की न्याय व्यवस्था पर थूक देता है"
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आभार
मनोज खत्री

Kunwar Kusumesh said...

मैडम,
कल के विषय पर किसी अन्य स्थान पर टिप्पणी आमंत्रित की जा रही हैं. उस विषय को कोई तूल देना चाहता है तो वह उसकी सोंच-समझ हो सकती है. आपका उस ब्लॉग पर जाकर जवाब देना पुनः बात को कल की तरह बढ़ा सकता है.
मेरी प्रार्थना है की अब आप उस पर कोई प्रतिक्रिया न दें. बहुत डरते डरते ये प्रार्थना कर रहा हूँ कि कहीं आप मुझे डांट न दें.

कुँवर कुसुमेश

ZEAL said...

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कुसुमेश जी,

आपकी सलाह बिलकुल उचित है। मैं आपकी बात मानती हूँ। ये उनकी सोची समझी साजिश ही है , और मैं वहां बिलकुल प्रतिक्रिया नहीं दूंगी। आपने मेरे लिए इतना सोचा , इसके लिए आपका ह्रदय से आभार।

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कुमार राधारमण said...

बहुत से लोग हैं जो आप जैसा ही छला गया महसूस करते हैं मगर अपनी अन्य कमज़ोरियों के कारण बार-बार शब्दजाल का शिकार हो जाते हैं,स्पष्ट विरोध नहीं कर पाते।

सुधीर राघव said...

दिव्या जी,
सबसे पहले तो मैं इसके लिए क्षमा चाहता हूं कि मेरे लिखने से आपको दुख पहुंचा। यह पोस्ट आपके खिलाफ नहीं है। वही बात है जिस विचार से मैं सहमत नहीं हूं, और क्यों सहमत नहीं हूं उसका तर्क भर है। विचार विनिमय ऐसे ही होता है। मैं आपको जब से पढ़ रहा हूं तभी से आपकी लेखनी का कायल हूं और आदर करता हूं। आपके जिन विचारों से मेरी असहमति थी मात्र उन्हीं को मैंने जताया क्योंकि यह मुझे लगता था कि इस रूप में देश में काफी राजनीति हुई है और उसका लगातार नुकसान हुआ है। एकाध असहमति से कोई आदर नहीं घट जाता, इसे सहजता से लीजिए। मुझे सिर्फ इतना लालच था कि अगर मेरे तर्क से आप सहमत नहीं होंगी तो और तर्क देकर उन्हें काटेंगी और इससे मेरी जानकारियां भी बढ़ेंगी। आपको दुख पहुचाना मेरा मकसद न कभी था और न होगा। हां इस बात से मैं अब भी असहमत हूं कि किसी भी जाति या समुदाय के खिलाफ हम टिप्पणी करें। हर समुदाय में अच्छे बुरे लोग होते हैं। आतंकवाद आज पूरी दुनिया की समस्या है और सभी सरकारें उससे निपटने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। आप मेरी बात का बुरा न मानें यह मेरी गुजारिश है। हम ब्लॉगर लोग एक दूसरे की पोस्ट पर आकर प्रशंसा करते ही हैं, अगर जिस बात से सहमत नहीं है उसकी असहमति जताने भर का हक तो आपको देना ही होगा। आशा है मेरी बात का बुरा नहीं मनाएंगी। आपकी लेखनी से मुझे काफी उम्मीद हैं। ब्लाग जगत की आप एक सशक्त लेखिका हैं।
सादर

डा० अमर कुमार said...
This comment has been removed by the author.
Udan Tashtari said...

आयोजन की सफलता के लिए हमारी भी शुभकामनाएं आपके माध्यम से.

ZEAL said...

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डॉ अमर ,

पोस्ट का प्रयोजन -

इस प्रकार के निमंत्रण फेस-बुक तथा ब्लॉग जगत से मिलते हैं तो मैं कभी रेस्पोंस नहीं देती थी , उस पर कुछ शिकायती पत्र मिलने पर मैंने एक सार्वजनिक जवाब देने के प्रयोजन से ये लिखा , जो भविष्य के भी , इस प्रकार के निमंत्रण का उत्तर होंगे।

ब्लॉग पर अपने विचार व्यक्त करने से बेहतर माध्यम और कोई नहीं हो सकता। ऐसी मीटिंग्स में अक्सर गुटबाजी होती है , जिसका शिकार मैं नहीं होना चाहती।

आपने प्रश्न पूछकर मुझे उत्तर देने का मौका दिया , इससे बहुत से लोगों के मन में आ रही जिज्ञासा शांत हो गयी होगी।

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सञ्जय झा said...

kassh ke suresh bhaijee wale awgun thoda hum sabme
hota......

firzi ko firzi hi rahne de......ye public hai.....
sub janti hai......fikar not.....keep it up.......


pranam.

दिगम्बर नासवा said...

आपका जवाब पढ़ कर बहुत अच्छा लगा ... दिल से निकली बात हमेशा अच्छी लगती है .....

Ram said...

To Dr. Divya,
Are ihe to hai thetth Banarasi jawab. Ekdam lanka-BHU gate ke bahar jhakajhak pan ki tarah.
I appreciate your your thoughts and clarity a lot.
If you can,plz write something about Dr. Subhash of west bangal(person behind first test tube baby(Durga) in India).
Best wishes from BHU,Vranasi.

ZEAL said...

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@ Ram -

I will sure write on the topic suggested by you.

Regards

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