जो अल्पमत जबरदस्ती देश का विभाजन करा सकता है, उसे आप अल्पसंख्यक क्यूँ समझते हैं ? वह एक मजबूत सुसंगठित अल्पमत है, फिर उसे संरक्षण एवं विशेष सुविधाएं क्यूँ ? -- सरदार वल्लभ भाई पटेल-- (दिनाक२५-२६ मई १९४९ को संविधान सभा में)
साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक द्वारा केंद्र सरकार पूरे जोर-शोर से एक ऐसा क़ानून बनाने की तैय्यारी कर रही है, जो भारत में बड़े रक्तपात और विभाजन की बुनियाद रख सकता है। श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार पार्षद द्वारा तैयार इस कानून के हिन्दू विरोधी प्रारूप को शीघ्र अतिशीघ्र कानून का रूप देने के लिए केंद्र सरकार तत्पर है। यदि यह प्रारूप कानून का रूप लेता है तो इस देश में अल्पसंख्यक के बहाने मुसलमान और ईसाइयों के हाथों में सारे अधिकार और संसाधन सौंप दिए जायेंगे अर्थात अपने ही राष्ट्र में हिन्दू , दोयम दर्जे का एक भयभीत और गुलाम नागरिक होगा। क़ानून कितना भयावह होगा उसे स्वयं देखिये-----
यदि यह विधेयक नहीं रोका गया तो ----
- जिस मंडली ने इसका प्रारूप तैयार किया है उसमें वे सभी शामिल हैं जो राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के विरोधी हैं । जैसे राम जन्मभूमि आन्दोलन के घोर विरोधी हर्ष मंदर , गुजरात में मुसलामानों को सदैव उकसाने वाली अनु आगा, गुजरात दंगों में झूठे गवाह जुटाने का दुष्कृत्य करने वाली तीस्ता सीतलवाद, मुस्लिम इण्डिया चलाने वाले सैय्यद शहाबुद्दीन, भारत में धर्मांतरण कराने वाले जून दयाल, हिन्दू देवी-देवताओं का खुला अपमान करने वाले शबनम हाशमी तथा नियाज़ फारुखी आदि।
- यह सभी हिन्दू विरोधी तत्वों की वह जमात है जिसे किसी विधेयक को तैयार करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। एक ओर सरकार सिविल सोसायटी के औचित्य पर प्रश्न खड़ा करती है वहीँ दूसरी ओर ऐसे तत्वों को भारत विध्वंस की खुली छूट दे रखी है।
- यह विधेयक उस समय सार्वजनिक किया है जब अमेरिका की बदनाम इसाई संस्था अंतर्राष्ट्रीय धर्म स्वातंत्र्य आयोग ने भारत को अपनी निगरानी सूची में रखा है। इस आयोग ने गुजरात और उडीसा के दंगों का उल्लेख किया है लेकिन काश्मीर, त्रिपुरा और मणिपुर के जघन्य नरसंहारों पर मौन साध रखा है।
- यह विधेयक सांप्रदायिक हिंसा के अपराधियों को अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के आधार पर बांटने का अपराध करता है। अभी तक यही लोग कहते थे की अपराधी का कोई धर्म नहीं होता है , लेकिन इस विधेयक में क्यों सांप्रदायिक हिंसा के अल्पसंख्यक अपराधियों को दंड से मुक्त रखा रखा गया है।
- विधेयक का अनुच्छेद-८ , अल्पसंख्यकों की आलोचना को घृणा का प्रचार या अपराध मानता है परन्तु हिन्दुओं के विरुद्ध इनके नेता और संगठन खुले आम दुष्प्रचार करते हैं लेकिन उन्हें अपराधी नहीं माना जाता।
- स्वतंत्र भारत के इतिहास में कथित अल्पसंख्यक समाज के द्वारा हिन्दू समाज पर १,५०,००० से अधिक हमले हुए हैं तथा हिन्दुओं के मंदिरों पर लगभग ५०० बार हमले हुए। २०१० में बंगाल के देगंगा में हिन्दुओं पर भायक अत्याचार हुआ।
- अनुच्छेद-७ के अनुसार एक मुस्लिम महिला के साथ दुर्व्यवहार होता है तो वह अपराध है जबकि हिन्दू महिला के साथ किया बलात्कार भी अपराध नहीं है.
- यह हिन्दू समाज को विभक्त करने का षड्यंत्र है। संघर्षों को रोकने के लिए जिस सद्भाव की आवश्यकता होती है , इस कानून के बाद तो उसकी धज्जियाँ ही उड़ने वाली हैं।
- वो हिन्दू समाज जिसके कारण आज भारतवर्ष में धर्म-निरपेक्षता ज़िंदा है, उसे ही आज कटघरे में खड़ा किया जा रहा है इस विधेयक के माध्यम से।
- ये लोग सेक्युलेरिज्म की मनमानी परिभाषा देकर देशभक्तों को प्रताड़ित करना चाहते हैं । वन्देमातरम का उद्घोष और गो हत्या के खिलाफ बोलना भी कानूनी जुर्म हो जाएगा।
- सोनिया जी के अनुसार सेक्युलेरिज्म की परिभाषा है - अफज़ल गुरु को बचाना, आजमगढ़ जाकर आतंकवादियों के हौसले बढ़ाना , मुंबई हमले में बलिदान हुए लोगों के बलिदान पर प्रश्न चिन्ह लगाना, मदरसों में आतंकवाद के प्रशिक्षण को बढ़ावा देना, बंगलादेशी घुसपैठियों को बढ़ावा देना आदि।
- विधेयक के उपबंध ७४ के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के ऊपर घृणा सम्बन्धी प्रचार या साम्प्रदायिक हिंसा का आरोप है तो उसे तब तक दोषी माना जाएगा जब तक वह निर्दोष सिद्ध न हो जाये । यह उपबंध संविधान की मूल भावना के विपरीत है जिसके अनुसार जब तक अपराध सिद्ध न हो जाए तब तक आरोपी को निर्दोष माना जाए। अतः अब किसी को जेल भेजने के लिए किसी हिन्दू पर आरोप लगाना मात्र ही पर्याप्त होगा।
- कोई कार्यकर्ता यदि आरोपी है तो संगठन का मुखिया भी अपराधी माना जाएगा। अतः आसानी से हिन्दू संगठनों और उनके नेताओं को जकड़ा जा सकेगा।
- यदि दुर्भाग्य से यह विधेयक पास हो जाता है तो राज्य सरकार के अधिकारों को केंद्र सरकार आसानी के साथ हड़प सकती है।
- प्रस्तावित अधिनियम में निगरानी व निर्णय लेने के लिए सात सदस्य होंगे जिसमें से चार अल्पसंख्यक होंगे। किसी न्यायिक प्राधिकरण का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन देश को किस और ले जाएगा ?
- इस प्राधिकरण को असीमित अधिकार दिए गए हैं । यह न केवल सशस्त्र बालों को सीधे निर्देश दे सकता है अपितु इनके सामने दी गयी गवाही न्यायालय के सामने दी गयी गवाही न्यायलय के सामने दी गयी गवाही मानी जाएगी। इसका अर्थ है तीस्ता जैसी झूठा गवाह तैयार करने वाली अब अधिक खुलकर अपने षड्यंत्रों को अंजाम दे सकेंगीं।
- अनुच्छेद १३ सरकारी कर्मचारियों पर इस प्रकार शिकंजा कसता है की वे अल्पसंख्यकों का साथ देने के लिए मजबूर होंगे , चाहे वे ही अपराधी क्यों न हों। कोई अधिकारी इन लोगों से सहज काम भी नहीं करवा सकेगा । किसी अल्पसंख्यक की झूठी शिकायत पर भी हिन्दुओं को २-५ वर्ष की सश्रम कारावास का प्रावधान है। यानी पुलिस भी उनकी कठपुतली होगी।
- यदि यह विधेयक लागू हो जाता है तो किसी भी अल्पसंख्यक व्यक्ति के लिए किसी भी बहुसंख्यक को फंसाना आसान हो जाएगा । वह केवल पुलिस में शिकायत दर्ज कराएगा और पुलिस अधिकारी को उस हिन्दू को बिना किसी आधार के गिरफ्तार करना पड़ेगा। वह हिन्दू किसी सबूत की मांग नहीं कर सकता न ही शिकायतकर्ता का नाम पूछ सकता है। इसका अर्थ है अब कोई भी मौलवी या पादरी द्वारा किये हुए किसी भी दुष्प्रचार की शिकायत नहीं कर सकता ।
- इस विधेयक के अनुसार अब पुलिस अधिकारी के पास असीमित अधिकार होंगे। वह जब चाहे तब आरोपी हिन्दू के घर की तलाशी ले सकता है । यह अंग्रेजों द्वारा लाये गए कुख्यात 'रोलेट-एक्ट' से भी ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो सकता है । इस विधेयक की धारा ८१ में कहा गया है की ऐसे मामलों में नियुक्त विशेष न्यायाधीश किसी अभियुक्त के ट्रायल के लिए उसके समक्ष प्रस्तुत किये बिना भी उसका संज्ञान ले सकेगा और उसकी संपत्ति को भी जब्त कर सकेगा।
- इसके अनुसार किसी अल्पसंख्यक के व्यापार में बाधा डालना भी इसमें अपराध है। यदि कोई मुसलमान किसी हिन्दू की संपत्ति को खरीदना चाहता है और वह हिन्दू माना करता है तो वह अपराधी कहलायेगा हिन्दू मकानमालिक , अल्पसंख्यक किरायेदार से अपना मकान खाली नहीं करा सकता । इस विधेयक में गृहस्वामी ही कटघरे में होगा।
- अब हिन्दू को इस अधिनियम में इस तरह क़स दिया जाएगा की उसको अपने बचाव का बस एक ही रास्ता दिखाई देगा की वह धर्मांतरण को मजबूर हो जाएगा।
- इस विधेयक के भेदभाव का सबसे बड़ा नमूना यह है की जम्मू-काश्मीर और पूर्वांचल के जिन राज्यों में आज हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया है , वहां यह कानून लागू नहीं होगा। अतः स्पष्ट है की यह विधेयक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए नहीं अपितु हिन्दुओं को प्रताड़ित और गुलाम बनाने के लिए लाया जा रहा है।
यदि यह विधेयक पास हो जाता है तो परिस्थिति और भी भयावह होगी । आपातकाल में किये गए मनमानीपूर्ण निर्णय भी फीके पड़ जायेंगे। हिन्दू का हिन्दू के रूप में रहना और भी मुश्किल हो जाएगा। भारतवासियों को दो हिस्से में बांटने की कानूनी साजिश और घृणा की स्थायी दीवार बनाकर , नए विभाजनों की नीव रखी जा रही है। श्री मनमोहन सिंह ने पहले कहा थी कि देश के संसाधनों पर मुसलामानों का पहला अधिकार है। यह विधेयक इस कथन का नया संस्करण है। इस विधेयक के विरोध में एक सशक्त आन्दोलन खड़ा करना होगा तभी इस तानाशाहीपूर्ण कदम पर रोक लगायी जा सकती है।
Zeal
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इस तरह का कानून बनाने वालों को नहीं पता कि वे इस कानून की आड़ में भस्मासुर पैदा कर अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार रहे है, जब इस कानून से उपजा भस्मासुर इसी सेकुलर गैंग पर भारी पड़ेगा और इस गैंग को अक्ल आएगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी|
नहीं बदलते राजपूत समाज में महिलाओं के सरनेम : ज्ञान दर्पण
यदि ऐसा कोई विधेयक पारित होता है तो यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होगा।
देश विभाजित हो सकता है कई देशों में।
धर्म,सम्प्रदाय और जाति के आधार पर किसी विशेष वर्ग को सुविधाएं देना संविधान की मूल भावनाओं का निरादर करना है।
सचेत करती अच्छी प्रस्तुति।
I AM DEADLY AGAINST THIS BILL AND AS A JOURNALIST I HAVE PUBLISHED THE NEWS TOWARDS THIS BILL.
यह राजनीतिक न होकर समाजिक व आर्थिक समस्या है जिसका राजनीतिक लोग तो बस फ़ायदा उठाते चले रहे हैं और इसे हल करने के लिए आर्थिक/ समाजिक दृष्टिकोण से कभी कोई समुचित पहल नहीं की गई. और हां... अल्पसंख्य केवल धार्मिक आधार पर ही नहीं बल्कि बहुत से दूसरे आयामों पर निर्धारित किया जाना चाहिये.
आज की राजनितिक धार्मिक सामाजिक स्थिति की प्रथमतः भूमिका संगठनात्मक मजबूती की है ,जिसमें हम बहुत पीछे हैं ,कारन हमारा दोगलापन ,सिद्धांत का सन्दर्भ तो लेते हैं ,पालन कितना करते हैं ? हमने भारतीय राज्यों को करीब से देखा ,महसूस किया है , संविधानिक रूप में सभी को बराबरी प्राप्त है ,यथा रोजगार धार्मिकता आदि ..पर खान -पान ,धार्मिक , समाजीक ,नैतिक रूप में कितनी स्वीकार्यता है ,आप कल्पना नहीं कर सकतीं दृश्य देखकर अमानवीय अन्याय और गैर-बराबरी का ,मंदिरों से लेकर चौबारे तक / आम-जन मानस तो ठगा सा है ,जीवन तो है सम्मान नहीं ,हाथ तो है काम नहीं ,कानून तो है ,अलिखित धार्मिक कानून आज भी उससे ऊपर हैं ,कैसे मजबूत समाज ,संगठन बनेगा ? आदिम हिंदुत्व की स्थिति आज भी है / इन्हीं बुराईयों की आज तथा कथित नायक फसल काट रहे हैं.. / बिखराव कायम है ,गैर-बराबरी का बर्चस्व कायम रहते हुए,राष्ट्र प्रेम प्रतिपादित नहीं हो सकता इतहास गवाह है / सिख्खी का प्रादुर्भाव क्यों हुआ ,कारन को जरुर पढ़ें / शहादत तभी आकार लेती है ,जब उद्देश्य, परिणाम, निश्छल प्रेम, ह्रदय में जन्म लेता है , ....वरना पाला बदलने वाले कानून बना सकते हैं ,शहीद नहीं हो सकते ....विभाजित कर सकते हैं,
दिव्या दीदी,
बहुत सही किया जो इस समय आपने इस मुद्दे को उठाया| अब जब सरकार इस प्रारूप को संसद में पेश कर चुकी है और संसद को तो ये लोग अपनी बपौती समझते हैं तो जाहिर सी बात है कि पास भी करवा लेंगे, क्योंकि जब भाजपा जैसा कमज़ोर विपक्ष हो तो किसी भी सरकार के लिए अपनी मनमानी करना बहुत आसान है|
प्रारूप की रूप रेखा को सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार समिति (NAC) ने तैयार किया है|
अव्वल तो प्रश्न यही उठता है कि NAC को क्या अधिकार है कि वह ऐसा कोई क़ानून बनाए? NAC कोई सरकारी समिति नहीं है और न ही सोनिया गांधी कोई प्रंधन मंत्री अथवा राष्ट्रपति| वह केवल एक सांसद है| हाँ यूं पी ए अध्यक्ष है तो usse क्या हुआ? यूं पी ए अध्यक्ष होना कोई संवैधानिक पद नहीं होता| फिर उसे इतना महत्त्व क्यों? यह तो हमारी गुलाम मानसिकता का परिचायक है|
इस क़ानून के अनुसार हर वह घृणित कार्य किया जाएगा जो मुगलों, तुर्कियों, ईरानियों आदि ने हज़ार सालों तक किया| जो काम do sau वर्षों तक अंग्रेजों ने किया| तलवार की नोक पर धर्म परिवर्तन करवाया जाएगा| जो नहीं करेगा उसे मार दिया जाएगा| उसका घरबार उजाड़ दिया जाएगा| उसके घर की स्त्रियों के साथ बलात्कार किया जाएगा| हिंन्दु मंदिरों को ध्वस्त किया जाएगा और ये सब ड्रामा कहलाएगा सेक्युलरिज्म|
यदि किसी दंगे में मुस्लिम महिला के साथ बलात्कार होता है तो उसे इस क़ानून के अंतर्गत जांच में लाया जाएगा व दोषी को कठोर दंड का प्रावधान है| किन्तु यदि पीडिता कोई हिन्दू महिला है तो उसकी साधारण जांच होगी और अप तो जानती ही हैं कि हमारे देश में साधारण जांच कितने वर्षों तक चलती रहती है| शायद इनका नंबर तब आएगा जब इन महिला को गुज़रे चार-पांच वर्ष हो जाएंगे|
सही कहा आपने कि अब हिन्दू अपने ही देश में अकेला पड़ जाएगा|
पूरे विश्व में मुस्लिम देश हैं, इसाई देश हैं, यहूदी देश भी हैं किन्तु हिन्दू राष्ट्र एक भी नहीं| नेपाल एक मात्र हिन्दू राष्ट्र था किन्तु सेक्युलर जमात ने उसे भी धर्मनिरपेक्ष बना डाला| भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं| यदि यहाँ भी हिन्दुओं के साथ पराया व्यवहार किया जाएगा तो कहाँ जाएगा हिन्दू?
भारत भूमि होंदुओं की भूमि है| यदि यहाँ से हिन्दू खदेड़ दिए गए तो पूरे विश्व से हिन्दुओं की प्रजाति ही लुप्त हो जाएगी| और हिन्दुओं का लुप्त हो जाना विश्व की प्राचीनतम विरासत का अंत होगा| सच कहें तो धरती पर सत्य का विनाश हो जाएगा, ज्ञान नष्ट हो जाएगा, हमारी प्राचीन संस्कृति नष्ट हो जाएगी, पाप का उदय होगा, पूरे विश्व में अशांति व लहू की नदियाँ बहेंगी| अच्छाई का तो अंत ही हो जाएगा| क्योंकि हिन्दू ही है जिसके कारण धरती मानवता जीवित है|
किन्तु हस्ती मिटती नहीं हमारी| भागवान की बनाई इस दुनिया में हिन्दू ही है जो इस धरा को बचा सकता है| तो स्वयं की रक्षा करने भी हिन्दू सक्षम है| आवश्यकता मात्र एकता की है| किन्तु वर्तमान परिस्थितियों में हिन्दू ही हिन्दू का दुश्मन बन बैठा है| जो हिन्दू स्वयं को सेक्युलर कहता है, दरअसल उसे या तो अपने बाप का naam नहीं पता या सभी को अपना बाप मानता है|
यही हिन्दू असल में हिन्दुओं के विनाश का कारण बनता है|
भारत देश कांग्रेस व गांधी परिवार के बाप की संपत्ति नहीं है कि जैसा चाहें तानाशाही चला लें| यदि हिन्दुओं को बचाना है तो पहले कांग्रेस को ख़त्म करना होगा|
बहुत सही विषय व सार्थक व्याख्या|
प्रस्तुत आलेख के लिए आपका आभार|
आज की राजनितिक धार्मिक सामाजिक स्थिति की प्रथमतः भूमिका संगठनात्मक मजबूती की है ,जिसमें हम बहुत पीछे हैं ,कारन हमारा दोगलापन ,सिद्धांत का सन्दर्भ तो लेते हैं ,पालन कितना करते हैं ? हमने भारतीय राज्यों को करीब से देखा ,महसूस किया है , संविधानिक रूप में सभी को बराबरी प्राप्त है ,यथा रोजगार धार्मिकता आदि ..पर खान -पान ,धार्मिक , समाजीक ,नैतिक रूप में कितनी स्वीकार्यता है ,आप कल्पना नहीं कर सकतीं दृश्य देखकर अमानवीय अन्याय और गैर-बराबरी का ,मंदिरों से लेकर चौबारे तक / आम-जन मानस तो ठगा सा है ,जीवन तो है सम्मान नहीं ,हाथ तो है काम नहीं ,कानून तो है ,अलिखित धार्मिक कानून आज भी उससे ऊपर हैं ,कैसे मजबूत समाज ,संगठन बनेगा ? आदिम हिंदुत्व की स्थिति आज भी है / इन्हीं बुराईयों की आज तथा कथित नायक फसल काट रहे हैं.. / बिखराव कायम है ,गैर-बराबरी का बर्चस्व कायम रहते हुए,राष्ट्र प्रेम प्रतिपादित नहीं हो सकता इतहास गवाह है / सिख्खी का प्रादुर्भाव क्यों हुआ ,कारन को जरुर पढ़ें / शहादत तभी आकार लेती है ,जब उद्देश्य, परिणाम, निश्छल प्रेम, ह्रदय में जन्म लेता है , ....वरना पाला बदलने वाले कानून बना सकते हैं ,शहीद नहीं हो सकते ....विभाजित कर सकते हैं,
एका नहीं / शहीदी और विभजन का दर्द उनसे पूछो ,जिसने ,सहा है ,उनसे क्या वास्ता जिनका सम्बन्ध शिर्फ़ पदलोलुपता से है ,सत्ता से है ..वे किसी भी दौर में महफूज हैं .....बस महफूज नहीं है तो भारत ......./ कुछ ज्यादा लिख गया ,माफ़ी चाहेंगे , ज्वलंत प्रश्न को बहुत सम्मान
सोनिया गांधी के नेतृत्व में इन 'देशप्रेमियों' ने 'सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण विधेयक-२०११' को तैयार किया है।
१. सैयद शहबुदीन
२. हर्ष मंदर
३. अनु आगा
४. माजा दारूवाला
५. अबुसलेह शरिफ्फ़
६. असगर अली इंजिनियर
७. नाजमी वजीरी
८. पी आई जोसे
९. तीस्ता जावेद सेतलवाड
१०. एच .एस फुल्का
११. जॉन दयाल
१२. जस्टिस होस्बेट सुरेश
१३. कमल फारुखी
१४. मंज़ूर आलम
१५. मौलाना निअज़ फारुखी
१६. राम पुनियानी
१७. रूपरेखा वर्मा
१८. समर सिंह
१९. सौमया उमा
२०. शबनम हाश्मी
२१. सिस्टर मारी स्कारिया
२२. सुखदो थोरात
२३. सैयद शहाबुद्दीन
२४. फरह नकवी
देख लीजिये, ये सब नाम दिखने में कितने सेक्युलर दीखते हैं|
यह सूची ग्वालियर के एक राष्ट्रवादी मित्र व पत्रकार भाई लोकेन्द्र सिंह राजपूत जी से प्राप्त हुई है|
यह हृदय को विचलित करने वाली जानकारी दी है आपने. इस प्रस्तावित विधेयक के बारे में कहीं से विस्तृत जानकारी मिल सकती है क्या? कोई लिंक?
LETTER WRITTEN TO INDIAN ARMY REGARDING NDTV INDIA PROGRAMS RELATED TO INDIAN ARMY.
DEAR SIR,
YESTERDAY'S NIGHT I WAS WATCHING NDTV AND SAW A PROGRAM RELATED TO INDIAN ARMY. IN THAT THEY WERE SHOWING THAT HOW OUR SOLDIERS WORKING IN ANDMAN HOW THEY GET TRAINING WHAT KIND OF WEAPONS, PLANES SHIPS WE ARE USING. I WOULD LIKE TO INFORM YOU THAT IT MAY BE VERY DANGEROUS ISSUE FOR THE SECRECY & SECURITY OF INDIAN ARMY. BECAUSE NDTV IS THE ONLY NEWS CHANNEL WHICH IS OFFICIALLY AIRED IN PAKISTAN, HENCE PAKISTANI TERRORISTS, PAKISTANI ARMY THEY ALL SEE AND GET VERY GOODINFORMATION RELATED TO INDIAN ARMY. BROADCASTING THESE KINDS OF PROGRAMS ON THE NDTV IS JUST LIKE HOW ISI AGENT GATHER INFORMATION RELATED TO INDIAN ARMY AND PROVIDE IT TO THEIR OFFICERS IN ISI IN PAKISTAN. INFACT IT IS QUITE BETTER FOR PAKISTANI AMRY AND GOVERNMENT TO GET INFORMATION ABOUT INDINA ARMY AND I DEEPLY FEEL THAT THEY MUST BE RECORDING ALL THOSE PROGRAMS AND PROVIDING IT TO THE TERRORIST FOR THE TRAINNG PURPOSE. FEW DAYS BEFROE I HAVE READ ON FACEBOOK THAT DURING THE KARGIL WAR A REPORTER OF NDTV BARKHA DUTT WENT TO KARGIL TO RECORD THE VIDEO OF KARGIL WAR AND SOME DAY THE PROGRAM WAS AIRED LIVE WHEN OUR SOLDIERS WERE FIGHTING WITH TERRORIST IN THE VALLEY AND SHE SHOT THE VIDEO LIVE AND AT THE SAME TIME IT WAS AIRED ON NDTV AND THE CHANNEL WAS AIRED IN PAKISTAN TOO THE TERRORIST GOT THE LOCATION OF INDIAN SOLDIERS WHEN THEY SAW THEM LIVE ON NDTV AND KILLED THEM BY SENDING MORE TERRORISTS BEHIND OUR SOLDIERS, ONE INDIAN ARMY OFFICER ASKED HER NOT TO SHOOT THAT VIDEO BUT SHE DENIED TO FOLLOW HER INSTRUCTIONS AND BECAUSE OF HER OUR SOLDIERS HAD BEEN KILLED BY TERRORISTS, THIS INCIDENT SHOWS THAT HOW IRRESPONSIBLE NEWS CHANNLE IS THIS NDTV. I HAVE NOTICED THAT NO CHANNEL ENJOYS THE PRIVILIGE TO RECORD ANY VIDEO IN INDIAN ARMY ESTABLISHMENTS OTHER THAN NDTV. I HAVE DOUBT ON NDTV THAT IT MUST BE HAVING SOME RELATIONS WITH THE PAKISTANI MEDIA AS WELL AS GOVERNMENT BECAUSE ONLY THIS CHANNEL GET INTERVIEWS OF SEPRATISTS IN KASHMIR VALLEY, IT ALWASYS GET INTERVIEWS OF PAKISTANI POLITICIANS VERY ESAISLY, ANOTHER THING IS THAT THIS CHANNEL IS PREPARING NEWS AGAINST THE AFSPA AND SUPPROTING THE OMAR ABDULLAH THE C.M. OF JAMMU KASHMIR. HENCE ALL THESE THINGS FORCED ME TO WRITE THIS LETTER TO YOU TODAY, HERE I KINDLY REQUESTE YOU TO RESTRICT THE NDTV AND OTHER NEWS CHANNELS ALSO NOT TO RECORD & BROADCAST ANY PROGRAMS IN INDIAN AMRY ESTABLISHMENTS.
PLEASE TAKE NECESSARY ACTIONS IN THIS CONTEXT IMMEDIATELY.
DEVIATIONS FROM THIS REPORT WILL LEAD TO DANGEROUS RESULTS.
sadhuvad aap nirntr kam rhi hain shubhkamnayen
भूषण जी ,
जितनी जानकारी मिली थी , यहाँ प्रकाशित कर दी । नयी जानकारी मिलते ही उसे यहाँ जोड़ दिया जाएगा। पाठकों से निवेदन है नयी जानकारी यहाँ जोडें।
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मुझे अफ़सोस सिर्फ एक बात का बात का है की हिन्दुओं की आधी से ज्यादा आबादी सोयी हुयी है। उसे दुश्मनों की पहचान ही नहीं है। जो लोग कांग्रेस पर आँख बंद कर विश्वास करते हैं , वे ये भी नहीं जानते की कांग्रेस उनके सर से छत और पैरों के नीचे से जमीन खींच रही है। ये हमें अनाथ, बेघर और गुलाम बनाना चाहती है।
विपक्ष में बैठे लोगों से भी अब उम्मीद नहीं रही।
हिन्दुओं को अब तो चेतना होगा। नहीं तो बहुत देर हो चुकी होगी । हिन्दुओं में एकता बहुत जरूरी है। अन्यथा इस लडाई को नहीं लड़ा जा सकेगा। देशद्रोही अपने गंदे मंसूबों में सफल हो जायेंगे।
अल्पसंख्यक नामक कोढ़ , हमें हमारे देश में ही कभी आरक्षण तो कभी विधेयकों द्वारा जीने ही नहीं देगा। अभी तो काश्मीरी विस्थापित हुए हैं, अब हम सबकी बारी है बेघर होने की।
दुःख बस इस बात का है की हमारी आने वाली पीढियां क्या दिवाली मना पायेंगी इस देश में ?
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ये दश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है और लगता है ऐसा जल्दी ही होने भी वाला है ... कोई भी पार्टी खुल के इसका विरोध नहीं कर रही ... और देश की जनता को तो पता ही नहीं चल पायगा पूरी तरह से इस बिल में क्या है ...
समय के अनुरूप ,विचारोत्तेजक लेख पढ़ा कर मन को संतोष हुआ
इस्लाम साम्राज्य वाद मे विश्वास करता है उसका पहला पाठ यही है की जब तक पूरी दुनिया मे इस्लाम कायम नहीं होगा तब तक मोहम्मद नहीं आएगा !! इसलिए हर मुस्लिम भले ही आमिर खान हो या ओसामा बिन लादेन कोशिश करता है जन्नत मे जाने की ....
एक सेकुलर हथियार के साथ लव जिहाद अपनाता है, तो ओसामा लोगो को मारता है
कश्मीर असम बंगाल को मिलकर मुगलिस्तान बनाने की बाते हो रही है, प्रधानमंत्री बांग्लादेश को जमीन गिफ्ट करके आते है, वित्त मंत्री इस्लामिक बेंक का स्वागत करते है.
गृह मंत्री अफजल की दाढ़ी पर मक्खन लगाते है और बॉलीवुड के सेकुलर प्रशंसक दक्षिण पंथियों को गरियाते है.
जाने क्या हो गया इस देश कीकथित धर्म निरपेक्ष सरकार को ! एक तो देश को जाति के आधार पर बाँटते हो फिर कहते हो की हम धर्म निरपेक्ष हैं वाह भाई तुम्हारी मानसिकता!!!!!
bahut sangeen khabar di hai Divya tese vidheyak ka poore desh ko virodh karna chahiye sahi kahte hain kursi ke laalach me to ye apni maa ka sauda bhi kar lenge.iske vipaksh me poore desh ko ek jut hona chahiye.sachet karne ka bahut bahut aabhar.
अच्छा मुद्दा उठाया है आपने,चिंतन व चर्चा योग्य !
बहुत अच्छी प्रस्तुति !
Don't worry!
This bill (I am hearing about it for the first time) is absolutely foolish.
It will galvanize the Hindus into united action, in a way, nothing in the past has ever done.
I don't think such a bill will be introduced .
The Congress is too smart and will not so foolishly "gift away" its present privileges to the BJP.
If they are serious about such a bill, the BJP should celebrate.
They don't even have to try to win the elections
Janta will force power on them even without their asking.
Neither the Ram Temple nor the 2G scam will match this bill in its potential to catapult the BJP to power.
Have faith in the Indian people.
We are not so stupid.
Regards
GV
एक और विभाजन की तैयारी??????????
mam bahut hi mahtavpurn mudda uthaya hai apne..
agar yah kanoon lagu ho gaya to sach me isthti bahut hi bhayavah ho jayegi or hame apne hi desh me rahmo karm oar rahna padega...
jab pakistan ke alpsankhyako ko waha par koi adhikar nahi diye gaye to hindustan ke alpsankhyko ko kyun?
pakistan ke alpsankhyak waha par apni marji se puja bhi nahi kar sakte or yahan ke alpsankhyak hame hi ghar me ghutkar jine ke liye paryatan kar rahe hain....
agar iska ilaaj nahi dhunda gaya to sarvnaas hoga......koi madhy hal bhi dhunda jaa sakta hai...
ham apne ghar me aaram se jeena chahte hain or mehmano ko bhi puri ijjat dena chahte hain, lekin mehmaan hi jab ghar par kabja karne lagen to kya hoga?
jai hind jai bharat
यह खबर और माध्यम से भी मिली है.दुखद भविष्य की आशंका ....
एक जरुरी पोस्ट, आँखें खोलने में सक्षम आपका आभार ...
विचारोत्तेजक आलेख।
नई जानकारी।
दुर्भाग्य है देश का....
बढिया जानकारी।
आभार....
आदरणीय महोदया
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं। आपका विचार ही आज के सभ्य समाज में आपसी सामन्जस् या समझौता कहलाता है। यह हिन्दुओं का दुर्भाग्य है कि उनके धर्म में सहिष्णुता है और सभी धर्मों का आदर करना मूल भावना है। कट्टरता न अपनाने के कारण ही हम हिन्दुओं का भौगोलिक दायरा सिमटता जा रहा है।
एक और सवाल है जब सर्वधर्म समभाव की बात है तो किसी धर्म विषेश अथवा जाति बिषेश के लिये विषेश दर्जा क्यो?
इससे पहले देश के एक राज्य को विशेष दर्जा देकर वहाँ अपनी छीछालेदर हम पहले ही करा चुके हैं । आखिर आंखें क्यों नहीं खुलतीं ?
आताताइयों के इस समाज में हम सभी हिन्दु लोग आजकल शायद अपनी अपनी लाश को ही तो ढो रहे है।
इससे पहले देश के एक राज्य को विशेष दर्जा देकर वहाँ अपनी छीछालेदर हम पहले ही करा चुके हैं । आखिर आंखें क्यों नहीं खुलतीं ?
आताताइयों के इस समाज में हम सभी हिन्दु लोग आजकल शायद अपनी अपनी लाश को ही तो ढो रहे है।
कुछ पंक्तियाँ हमारी भी नजर फरमाइयेः-
आताताइयों के इस समाज में
मै ठिठक कर रुक गया
मंदिर के आहाते में
आज फिर एक लाश मिली थी
तमाशबीन
लाश के चारों ओर खडे थे
नजदीक ही कुछ
पुलिसवाले भी खडे थे
उत्सुकतावश मै भी शामिल हो गया तमाशवीनों में
देखा कटे हाथों वाली वह लाश
औधे मुॅह पडी थी
नजदीक ही उसके कटे हाथ पडे थे
जिसकी मुट्ठियॉ
अभी तक भिंची थी
न मालूम क्रोध से अथवा विरोध से
भीड का एक आदमी
चिल्ला चिल्लाकर बता रहा था
आज दूसरा दिन हुआ है
मंदिर को खुले और
हिंसा फिर होने लगी है
मुझे उसकी बात पर हॅसी सी आयी
तभी पुलिसवाले ने मेरी तरफ निगाह घुमायी
और बोला मिस्टर! तुम जानते थे इसे?
मैने कहा- जी नहीं,
तभी दूसरे ने लाश को
पलट दिया
लाश का चेहरा देखते ही मै सकपका गया
खून से लिपटी
कटे हाथों वाली वह लाश
किसी और की नहीं
मेरी अपनी ही तो थी?
टीवी पर इस विषय पर काफी पहले चर्चा सुन चूका हूँ...सालों से जो सार मैंने देखा है वह यह है कि कोई भी चर्चा पूरी नहीं होती - केवल एक प्रश्न के स्थान पर कई अन्य प्रश्न उठाये जाते हैं और अनुत्तरित रहते हैं!
'हिन्दू' भी ('मुस्लिम'/ 'सिख'/ 'इसाई' भी) संग्रहालय के नमूने से हैं जो एक और तो कहते हैं "उस की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता" किन्तु ('माया' के कारण?) मानते हैं 'उस' की (यू एस, अर्थात क्रिस्तान अमेरिका की!) मर्जी के बिना कुछ नहीं हो सकता! और वैसे ही "एक नूर तों सब जग उपजेया / कौन भले को मंदे"? टीवी पर इस विषय पर काफी पहले चर्चा सुन चूका हूँ...सालों से जो सार मैंने देखा है वह यह है कि कोई भी चर्चा पूरी नहीं होती - केवल एक प्रश्न के स्थान पर कई अन्य प्रश्न उठाये जाते हैं और अनुत्तरित रहते हैं!
'हिन्दू' भी ('मुस्लिम'/ 'सिख'/ 'इसाई' भी) संग्रहालय के नमूने से हैं जो एक और तो कहते हैं "उस की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता" किन्तु ('माया' के कारण?) मानते हैं 'उस' की (यू एस, अर्थात क्रिस्तान अमेरिका की!) मर्जी के बिना कुछ नहीं हो सकता! और वैसे ही "एक नूर तों सब जग उपजेया / कौन भले को मंदे"?
मुंह से कहते हैं "वसुधैव कुटुम्बकम", किन्तु धरातल पर रहते हुए भी धरा, अर्थात वसुधा, अर्थात गंगाधर शिव को सक्षम नहीं मानते हमारा, दोषी और इस कारण दूषित शरीर का नहीं अपितु अमृत आत्माओं का, उद्धार करने का (अर्थात अज्ञान के कारण निम्न स्टार पर पहुंची आत्माओं का ही) परमात्मा शिव का उद्देश्य...:(
भारत माता की जय!
मुंह से कहते हैं "वसुधैव कुटुम्बकम", किन्तु धरातल पर रहते हुए भी धरा, अर्थात वसुधा, अर्थात गंगाधर शिव को, सक्षम नहीं मानते हमारा, दोषी और इस कारण दूषित शरीर का नहीं अपितु अमृत आत्माओं का, उद्धार करने का ही शिव का उद्देश्य...:(
भारत माता की जय!
नए कानून बन जाएं उससे जज़्बातों को नहीं मारा जा सकता जिनके चलते आप और हम किसी विषय पर कह पाते हैं। ये सब लिख कर भी हम भारतीय संविधान की कई धाराओं के अंतर्गत दोषी करार दिये जा सकते हैं। विधेयक का मसौदा तैयार करने का संवैधानिक अधिकार तो कथित "सिविल सोसायटी" को भी नहीं है जो कि लोकतान्त्रिक पद्धति से बनी सरकार को धमका रही है। अभिप्राय यह है कि भारत की जनता मानसिक तौर पर अभी भी सामंतवाद को पसंद करती है जिसके चलते उसने मतदान(जो कि यदि पचास प्रतिशत हो जाए तो बड़ी बात होती है हमारे देश के कानून में मतदान अनिवार्य नहीं है नागरिक के लिये)। की शक्ति को प्रयोग करके प्रत्याशियों से वैसे ही खेलती है जैसे मुर्गे लड़ाने वाले जाहिल उत्तेजित रहते हैं।
१) इस विधेयक से (?)लाभ के दायरे में मात्र धार्मिक अल्पसंख्यकों का ही बंधन है या भाषायी अल्पसंख्यकों का भी जिक्र है?
२) मात्र मुस्लिम ही नहीं ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन, यहूदी आदि भारतीय अल्पसंख्यक इसका दुरुपयोग कर सकेंगे ।
३) एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय धर्म स्वातंत्र्य आयोग बना हुआ है दूसरी तरफ ईशनिंदा विरोधी कानून भी मौजूद है। विचारणीय विषय है।
४) सेक्युलरिज़्म और धर्मनिरपेक्षता शब्द और इनके अमली अर्थ भिन्न हैं जिन्हें हमारे देश के संविधान बनाने वाले(?) लोगों ने अनजाने या जानबूझ कर घालमेल कर दिये हैं।
५) अनुच्छेद-७ के अनुसार एक मुस्लिम महिला के साथ दुर्व्यवहार होता है तो वह अपराध है जबकि हिन्दू महिला के साथ बलात्कार भी अपराध नहीं है ये बात शोचनीय है कि क्या सचमुच इस अधिनियम के मसौदे में ऐसा है यदि है तो हिन्दू अधिकारों की कथित रक्षा करने वाले लोग क्या सिर्फ़ राम मंदिर बना देना ही सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं? विश्वहिंदू परिषद से लेकर हिंदूमहासभा, श्रीराम सेना, बजरंग दल आदि के नायक इस विषय पर क्या कर रहे हैं सिफ़ बयानबाजी या उनके पास भी कोई मसौदा तैयार है?
इस विधेयक पर जिरह करने की नहीं अपितु संविधान में ही आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
यदि आप हिंदू हैं और आप किसी तरह "एट्रोसिटी एक्ट" की लपेट में आ जाएं तो भी कमोबेश आप ऐसा ही महसूस करेंगे कि काश भंगी चमार(इन शब्दों को पाठक अन्यथा न लें) होते तो बच सकते थे उच्च कुल में पैदा होकर अभिशप्त हो गए, ये क्यों हो रहा है क्योंकि अभी देश को राष्ट्र बनने में बहुत समय लगेगा और हम सब क्रमिक बदलाव के दौर में हैं। आप ये नहीं कह पाएंगे कि सरकार आप पर मुस्लिम होने का दबाव बना रही है बल्कि ये भी बोल सकेंगे कि ऊंची जाति(जन्मना) के लोग निशाने पर हैं तो फिर कैसा संविधान जिस पर हमें भरोसा ही नहीं कि वह न्याय देता है। वैचारिक संघर्ष चल रहा है हर व्यक्ति अपने भले के लिये परेशान है चाहे वो कोई भी हो।
क्या हिंदुओं को उनके मूल पहचान गृन्थ "वेद" याद हैं या राम, कृष्ण,शिव,दुर्गा,वैष्णोदेवी आदि में उलझ कर ही अशक्त और बेहोश बने रहेंगे जब तक हिन्दू वेदोन्मुख नहीं होंगे यही हाल रहेगा। आर्य समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग इस चर्चा में सुप्त हैं उनकी कमर पर आपकी जगाने वाली लात की जरूरत है।
विमर्श जारी रखिये
टिप्पणीकारों की बीमारी जारी है.... अच्छी पोस्ट , विचारोत्तेजक पोस्ट , जानकारी देने वाली पोस्ट.... खुद क्या करेंगे पता नहीं है
भइया
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने सुंदर प्रस्तुति..बधाई....
मेरी नई पोस्ट में स्वागत है
आपने अक्षरश: सही लिखा है ...विचारात्मक प्रस्तुति ...आभार ।
दिव्या जी,
आपने काफ़ी आसान शब्दों में इसे समझाने का सफ़ल प्रयास किया है… इस बिल को संसद में आ ही जाना चाहिए, ताकि इस पर बहस हो और इसके बिन्दु जनता (यानी मूर्ख हिन्दू सेकुलरों) के बीच पहुँचें। चन्द बिन्दु मैं भी पेश कर रहा हूँ -
1) साम्प्रदायिक दंगा होने पर सिर्फ़ बहुसंख्यक ही दोषी माने जाएंगे, अल्पसंख्यकों की रिपोर्ट न लिखने पर थानेदार की नौकरी जाएगी…
2) हिन्दू को ही यह सिद्ध करना होगा कि वह दोषी नहीं है…
3) इस प्रस्तावित अधिनियम के तहत यदि जनसेवक दोषी पाया जाए तो उसके साथ ही संगठन का मुखिया अर्थात या तो मुख्य सचिव या मुख्यमंत्री भी गिरफ़्तार होगा…। यदि किसी दंगे में किसी शहर में किसी हिन्दू संगठन के कार्यकर्ता दोषी पाए गये तो उस संगठन के अध्यक्ष को भी गिरफ़्तार किया जाएगा…
4) यदि किसी हिन्दू का कोई मुस्लिम कर्मचारी है तो वह उसे अपनी मर्जी से निकाल नहीं सकता…
5) यदि चार हिन्दुओं की दुकानों के बीच एक मुस्लिम की दुकान है और उसने थाने में रिपोर्ट कर दी कि ये चारों मिलकर उसके खिलाफ़ दुष्प्रचार करते हैं तो चारों हिन्दू बिना जमानत के सीधे जेल जाएंगे…
6) जब कोर्ट में मामला चलेगा तो हिन्दुओं (यानी दोषी) को यह नहीं बताया जाएगा कि उसके खिलाफ़ किसने रिपोर्ट की है, कौन उसके खिलाफ़ गवाही देगा…
7) यह बिल पास होने के बाद आप किसी मुसलमान-ईसाई को अपना मकान किराये पर देने से इंकार नहीं कर सकते, यदि किया और उसने थाने में जाकर रिपोर्ट कर दी तो मकान मालिक बिना जमानत के "अन्दर" और मुकदमे का जो भी खर्च होगा वह उस हिन्दू की सम्पत्ति बेचकर ही पूरा किया जाएगा…
यह तो सिर्फ़ एक झलक दिखाई है मैंने…। जो-जो हिन्दू दिन-रात, सुबह-शाम "सेकुलरिज़्म-सेकुलरिज़्म" का जाप करते हैं, जो हिन्दू आये दिन कांग्रेस उसके "चचा" और महारानी-युवराज के गुण गाते नहीं थकते… यह बिल पास होते ही सबसे पहले इस्लाम स्वीकार करेंगे…, जो बाकी बचेंगे वह संघर्ष करने के बाद…। हिन्दुओं को जगाना वाकई सर्वाधिक दुष्कर कार्य है… ये तभी आवाज़ उठाएंगे (तब भी शायद ही) जब इनके घर तक आँच पहुँचेगी…।
दिव्या जी आपका धन्यवाद जो आपने इस ज्वलंत विषय को अपने ब्लॉग पर आसान शब्दों में जगह दी…। मेरे जैसे और आप जैसे आम इंसान सिर्फ़ प्रयास ही कर सकते हैं, शायद यह बिल हिन्दुओं को जागृत करने में सहायक हो, इसलिए इसे आने दीजिये… तीस्ता जावेद सीतलवाड, राम पुनियानी, हर्ष मन्दर जैसे (अ)हिन्दुओं (ड्राफ़्टिंग कमेटी में शामिल जॉन दयाल, शबनम हाशमी अथवा मंजूर आलम जैसों का नाम लेने का कोई फ़ायदा नहीं) यानी "सुपर सेकुलरों" द्वारा हिन्दू दमन के इस घृणित प्रयास की जितनी निंदा की जाए वह कम है…
जिसे विस्तार से पढ़ना हो वह यहाँ पढ़े… http://nac.nic.in/pdf/pctvb_hindi1.pdf और इनके मंसूबे समझ जाए… वरना वह "सेकुलरिज़्म" का भजन गाने लायक भी नहीं बचेगा। :)
दिव्या जी, सब की जड़ में है बस वोट बैंक , और सत्ता की कुर्सी . तर्क वितर्क कुतर्क देकर किसी भी तरह से अपनी बात सर्वोपरि रखनी है इसमें चाहे संस्कार रसातल में जाएँ या देश और समाज.इसकी हमें कोई परवाह नहीं. देश में जातिवाद का कोढ़ भी तो इसी कोढ़ी मानसिकता का प्रतिबिम्ब है जो आज राजनीतिज्ञों का विशेष हथियार है. और अब ये अल्पसंख्यक वाद कोढ़ में खाज. इस देश में जिस चीज़ की जरूरत है वो इन राजनीतिज्ञों को सबक सिखाने की न की किसी और बात की . एक जुट होकर इन वोट के भुक्खड़ों को जमीन चटाने का आवाहन जैसे अन्ना ने हिसार में किया वैसा की इन भुक्खड़ों के लिए होना चाहिए पूरे देश में, लेकिन इसके लिए स्वयं की मानसिकता में परिवर्तन पहली शर्त होगी. तब ऐसे अतार्किक विधेयक पर चर्चा ही नहीं होगी पास होना तो दूर की बात.
आदरणीय रुपेश भईया
नए क़ानून बन जाने से जज्बातों को तो नहीं मारा जा सकता किन्तु इस क़ानून से हिन्दुओं को आसानी से मारा जा सकता है|
आपके कथन से सहमत हूँ कि ये सब लिखकर हम संविधान की धारां का उलंघन कर रहे हैं| क्या करें, कभी कभी क़ानून भी तोडना पड़ता है| अपने बचाव के लिए यदि ये भी करना पड़े तो नैतिक रूप से मैं इसे बुरा नहीं मानता|
कोई कश्मीर तोड़ने की बात करे तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और यदि कोई हिंदुत्व की रक्षा की बात करे तो क़ानून का उलंघन| क्या करें, हमारा संविधान ही ऐसा है|
जहाँ तक मेरा ज्ञान है केवल जन्म के आधार पर ही किसी को अल्पसंख्यक की श्रेणी में रख दिया जाता है| अत: यहाँ केवल धार्मिक अल्पसंख्यक ही लाभ के अधिकारी होंगे|
सही है कि मुसलामानों के अलावा इसाई, पारसी, जैन, बौद्ध, यहूदी भी इसका लाभ उठा सकते हैं| किन्तु हम देख सकते हैं कि यहाँ केवल मुसलमान ही अधिकतर इस प्रकार की हरकतें करते हैं, इनके अतिरिक्त कुछ क्षेत्रों में इसाई भी| जैन, पारसी, बौध तो वास्तव में हिन्दू ही हैं| और यहूदियों की तो यहाँ कोई संख्या ही नहीं| मुख्यत: लाभ उठाने वालों में मुसलमान व इसाई ही हैं|
किन्तु आपकी एक बात पर मुझे आपत्ति है| अधिनियम-७ वाली बात बिलकुल सही है| और ऐसा नहीं है कि हिन्दू दलों ने इसके विरुद्ध कुछ नहीं किया| जब से ये बिल अस्तित्व में आया है मीडिया में इसका कोई समाचार नहीं है| किन्तु फिर भी यह खबर आप तक, मुझ तक इसलिए पहुंची क्योंकि विश्व हिन्दू परिषद् अपना काम बखूबी कर रही है| प्रवीण भाई तोगड़िया ने गाँव गाँव शहर घूम घूम कर इसके विरोध में प्रचार किया| लोगों को इस विषय में जागरूक करने का प्रयास किया| मैंने जयपुर में उनका भाषण सुना था| जहां उनका तेज साफ़ दिखाई दे रहा था|
राम मंदिर एक मुद्दा है तो यह बिल दूसरा| दोनों ही महत्वपूर्ण है| हिन्दू राम मंदिर की मांग भी करेगा और इस बिल का विरोध भी करेगा|
कई बार हम अपने ही लोगों का अपना दुश्मन समझ लेते हैं| जबकि मुझे लगता है कि पहले मैं अपने दुश्मनों को पहचान लूं और उन पर ऊँगली उठाऊं| अत: मेरे निशाने पर कांग्रेस व NAC हैं|
आपकी बाकी सभी बातों से सहमत हूँ| हम हिन्दुओं को भी अपने धर्म की शिक्षा से जुड़ना चाहिए|
टिप्पणीकारों की बीमारी से मैं भी सहमत हूँ| पता नहीं इससे आगे बढ़कर टिप्पणियाँ कब आएंगी?
"काला अक्षर भैंस बराबर दिखने लगे तो समझो घोर कलियुग आ गया है, और अब "भैंस के सामने बीन बजाने" से कोई लाभ नहीं...कह गए ज्ञानी -ध्यानी!
सब मिलकर अब महिषासुर मर्दिनी दुर्गा माता की जय बोलो!
यह नए प्रकार का आपातकाल लग रहा है जो हिदुओं पर लागू किया जाएगा .
किसी भी हिन्दू के लिए ही इस तथ्य को ध्यान में रखना आवश्यक समझा गया था प्राचीन ज्ञानियों द्वारा, कि प्रकृति परिवर्तनशील है...
अर्थात, जैसे पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के साथ साथ सूर्य के चारों ओर अपनी पूर्व निर्धारित कक्षा में भी घूमते रहना पूर्व निश्चित है, अर्थात जिनके कारण दिन-रात और विभिन्न प्रकृति/ चरित्र वाले (ब्रह्मा के तथाकथित चार मुंह समान, भारत में चार मुख्य 'धर्म' की मान्यता वाले हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई समान) चार मौसमों का चक्र चलता आ रहा है साढ़े चार अरब वर्षों से...किन्तु, प्राचीन हिन्दुओं ने यह भी जाना की काल-चक्र उल्टा चलता है - तथाकथित सत्य युग से कलियुग तक!...
और वर्तमान कलियुग / कलयुग है जिसमें सभी कल अर्थात मशीनें हैं - जो सौर-मंडल द्वारा संचालित हैं :) मानव सर्वश्रेष्ठ कृति होते हुए भी इस मशीन कि कार्यक्षमता किन्तु सत्य युग में १००% से घट कलि युग में अधिकतम २५% से न्यूनतम ०% के बीच में ही रह जाती है :(
"मजबूरी का नाम महात्मा गांधी है" :(
संस्कृत में ज्ञानी कह गए, "यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे" और, 'शिवोहम / तत त्वम् असी"!...
और अंग्रेजी में वर्तमान में कुछ ऐसा ही कहते हैं, "Child is the father of man", "The microcosm and the macrocosm are built on the same plan", AND "God created man in His own image"...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बालदिवस की शुभकामनाएँ!
ज्वलंत मुद्दे पर सही,सटीक एवं सार्थक लेख....सराहनीय चिंतन
इन्टरनेट पर ही यह विषय पहले भी एक बार उठाया गया था .पर एक तमाचा खाकर दूसरे के लिये तैयार रहने वाले, दयनीय लोग क्या करेंगे भला ?
ALL THIS IS HAPPENING BECAUSE HINDUS ARE NOT UNITED. WE ARE DIVIDED IN VARIOUS CASTES. IF WE DO NOT REMOVE THE CASTE BARRIERS THERE WILL BE NO HINDU LEFT!
दिव्या दीदी
बहुत सही तस्वीर लगाईं है आपने| वास्तव में हिन्दू शेर ही है, किन्तु सो रहा है| जिस दिन यह शेर जाग गया, पूरे जंगल में अफरा-तफरी मच जाएगी| और हाँ सियार जैसे धूर्त प्राणी जो शेर की अनुपस्थिति में खुद शेर का मुखौटा लगाए फिरते हैं, शेर के आते ही उसके आगे लोटने को भी तैयार हो जाएंगे|
आप लोगों की जानकारी के लिये सारा विधेयक का मसौदा रखा है जिसमें मात्र धार्मिक अल्पसंख्यक नहीं अपितु भाषायी अल्पसंख्यकों का भी बड़े सीधे शब्दों में उल्लेख है लेकिन यदि कोई पूर्वाग्रह पाल कर चले तो अड़चन है। सारे नेता तो अपने अपने समुदायों के हितचिंतक हैं फिर भी देश में कोई भी समुदाय अपना सिर कड़ाही में डाल कर घी नहीं पी रहा है। नेता हमेशा से दूसरे समुदाय से खतरा बता कर खुद को आपका शुभचिंतक जताते हैं इसमें नया क्या है?
मैं उन तमाम विचारकों को आमंत्रित करता हूँ कि इस विधेयक के पाठ के बाद बताएं कि क्या सचमुच इसमें कहीं हिंदू खतरे में हैं मैं तो कहता हूँ कि विधेयक आ गया तो आगे इसमें सुधार भी तो हो सकते हैं कई बार कानूनों में एमेंडमेंट्स हुए हैं, महाराष्ट्र में हिंदी बोलने वालों के खिलाफ़ हिंसा करने वालों पर भी ये कानून लागू होगा इस बारे में कोई विद्वान चूं तक नहीं करा क्या बात है???? या बस सबको धार्मिक संकट ही दिख रहा है।
नागरिक सिर्फ़ नागरिक हो उसका हिंदू या मुस्लिम या ईसाई होना उसके नागरिक कर्तव्यों और अधिकारों को प्रभावित न करे ऐसा संविधान चाहिये हमारे देश में, जरूरी है कि संविधान की समीक्षा हो ये कार्य सहज नहीं है संबंधित विद्वानों को स्वेच्छा से आगे आना होगा।
यह सोया हुआ शेर विष्णु जी हैं :)
एक कहानी है, और तस्वीरों में दिखाया जाता आ रहा है, कि कैसे चतुर्भुज विष्णु भगवान् क्षीर सागर के मध्य में शेषनाग की पीठ पर योगनिद्रा में लेटे हुए हैं...
और उनके नाभिकमल पर चतुर्मुखी ब्रह्मा जी बैठे हुए हैं... (किन्तु वो वर्तमान हिन्दुओं समान) विष्णु जी के कानों से निकलते और निरंतर बढ़ते राक्षसों को देख घबराए जा रहे थे...
वे विष्णु जी की योगमाया को प्रार्थना करने लग गए...
किन्तु विष्णु जी ने उन दोनों राक्षसों को सही समय आने पर ही हाथों में दबोच लिया... :)
हमारे पूर्वजों ने 'सत्य' को मनोरंजक कहानियों के माध्यम से अल्प ज्ञानी आम आदमी, किन्तु सीधे सादे व्यक्तियों के तपस्या, अर्थात प्रयास के पश्चात सत्य तक पहुँचने के लिए, दोहराते चले आ रहे हैं...
शिव 'हिन्दू' हैं दर्शाने के लिए उनके शरीर के उच्चतम स्थान अर्थात माथे में इंदु अर्थात गंगा नदी के स्रोत चन्द्रमा को दर्शाया गया है - अनादिकाल से सांकेतिक भाषा में...
किन्तु काल के प्रभाव से अपने को परम ज्ञानी मान आदमी आज कितने भी संकेत देखले धृतराष्ट्र (और उस की तथाकथित संतान समान आँखें होते हुए भी) काम, क्रोध, लोभ, मद, अहंकार आदि तथाकथित नरक के द्वार को खोल अँधा ही रहना पसंद करता है...
यह ही माया का प्रभाव कहलाया गया है :)
विष्णु ने राहू का सर काट दिया था, इसलिए पहले यह जानना आवश्यक है कि 'हिन्दू' है कौन ?!
दिव्या जी, ॐ न मः शि-वा-य
(नभ अर्थात 'आकाश') + (महि, अर्थात गंगाधर 'पृथ्वी' यानी शिव) + शिखी (अर्थात 'अग्नि', यानी प्प्र्जा) + ('वायु', रथात वातावरण) + यमुना, यमराज की बहन, अर्थात दूषित 'जल')...
शिव के विभिन्न नाम लिंक में भी सुने जा सकते हैं - सत्संग का लाभ उठाइए :)
http://www.youtube.com/watch?v=VlwcbjTi8ek
लोकतंत्र के चौथे खम्बे पर अपने विचारों से अवगत कराएँ ।
औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता
.
@ डॉ रूपेश -
एक ही आलेख पर दो मुद्दों पर बहस संभव नहीं है , इसलिए भाषाई अल्पसंख्यकों पर अन्य आलेख में विचार करेंगे. अभी तो धार्मिक संकट ही गहराता नज़र आ रहा है, अतः मुद्दे से बिना भटके पहले इसी पर मनन किया जाए. अल्पसंख्यकों की आड़ में हिन्दुओं के विनाश की साजिश नज़र आ रही है. यदि हिन्दू ही नहीं बचेंगे तो भाषा बचा कर क्या करेंगे. क्यूंकि अल्पसंख्यकों को तो न ही देश से मतलब है , न ही हिंदी भाषा के विकास से. उन्हें तो बस अपना स्वार्थ ही दीखता है.
यदि हिन्दू नष्ट हो गए तो राष्ट्र नहीं बचेगा, संस्कृति नहीं बचेगी, भाषा नहीं बचेगी, .....फिर बचेगा क्या ?
फिर बचेंगे केवल देशद्रोही, अलगाववादी, तिरंगे का अपमान करने वाले, गोहत्या करने वाले, आतंकवाद फैलाने वाले, राष्ट्रगान का अपमान करने वाले, वन्देमातरम उद्घोष से द्वेष रखने वाले....आदि आदि...(अल्पसंख्यक)
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आपने लिखा --विधेयक आने दिया जाए, बाद में अमेंडमेंट कर लेंगे.....
जहाँ बहुसंख्यों पर अत्याचार साफ़ दिख रहा हो , उस बिल को पास हो जाने दिया जाए ?. ....अमेंडमेंट के इंतज़ार में हज़ारों को बलि का बकरा बनने दिया जाए ?
-----------------------
आपने लिखा नागरिक सिर्फ नागरिक हो , उसका धर्म कर्तव्यों के आड़े न आये.....
कृपया यह बात कांग्रेसियों को समझिए जो वोट के लालच में हिन्दुस्तानियों को धर्म के नाम पर बाँट रही है. ...खुल कर विरोध कीजिये डॉ रूपेश. ....दोनों तरफ चलने से क्या फायदा?
-------------------
आपने लिखा --सम्बंधित विद्वानों को स्वेच्छा से आगे आना होगा......
कौन से विद्वानों के आगे आने की अपेक्षा कर रहे हैं आप ? ...नहीं जानती ...
लेकिन एक बात तो स्पष्ट है की जो स्वेच्छा से आगे आते हैं , राष्ट्र हित की बात करते हैं , उनका विरोध शुरू हो जाता है ...लोग उन्हें आगे बढ़ते हुए देखना ही नहीं चाहते....न जाने क्यूँ विरोध करते हैं ?....आपसी एकता का प्रदर्शन तक नहीं करते ....
.
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@ अनिल पाटिल --
आपका कथन सोलह आने सत्य है. हिन्दुओं में एकता ही नहीं है. ....यही उनके विनाश का कारण बन रहा है और विदेशी ताकतें हम पर राज कर रही हैं. मनमाने और बचकाने विधेयक बनाकर हिन्दुओं को तोड़कर बिखराव पैदा कर रही हैं. ...कुछ लोग इस षड्यंत्र (divide and rule policy ) को समझ नहीं पा रहे हैं....और भाईचारे का राग अलाप रहे हैं जबकि सरकार स्वयं ही भारत को अल्प और बहुसंख्यां के नाम पर तोड़ रही है....
सरकार को तो वोट चाहिए. ये किसी की सगी नहीं है. एक तीर से दो शिकार कर रही है. मूर्ख हैं वे जो इसे समझ नहीं पा रहे हैं. ..
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महर्षि दयानन्द सरस्वती ने कहा था - ' समृद्धि की अधिकता किसी भी सभ्यता के पतन का कारण बनती है । ' इसी बात को टायनबी ने कुछ इस प्रकार कहा है - ' सभ्यता जब अति सभ्य हो जाती है , तब कोई न कोई बर्बरता आकर उसे निगल जाती है । ' और अरब साम्राज्यवादी जेहादी विचारधारा के इसी अडियलपन , अनुदारता और असहिष्णुता की भावनाओं को देखते हुए जार्ज बर्नाड शा ने लिखा था - It is too bad to be too good . ( बहुत बुरा होता है बहुत भला भी होना । ) प्रख्यात साहित्यकार गुरूदत्त अक्सर कहा करते थे - ' हिन्दू समाज के पतन के दो कारण मुख्य है । एक तो ' भाग्यवाद ' और दूसरा ' वसुधैव कुटुम्बकम् ' की भावना ।
.
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उदारता के इस अतिरेक को चेतावनी देते हुए ही राष्ट्रकवि दिनकर ने कहा था -
विष खींचना है तो उखाड विषदन्त फेंको ,
वृक-व्याघ्र-भीति से मही को मुक्त कर दो ।
अथवा अजा के छागलों को ही बनाओं व्याघ्र ,
दान्तों में कराल कालकूट विष भर दो ।।
.
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अपने ही देश में जहाँ --
साधू और साध्वियों का अपमान हो ,
गो हत्या हो ,
भगवा का अपमान हो ,
तिरंगे को जलाया जाए ,
आतंकवादियों को शाही दामाद बनाया जाये.
अलगाववादियों को अल्पसंख्यकों के नाम पर विशेषाधिकार दिए जाएँ ...
वहां तो होश में आने आने की ज़रुरत है....
जागो हिन्दू जागो ....
वन्देमातरम !
.
Afsos Afsos Afsos... ghatiya rajniti ... desh ko Ghatiya darja dene par tuli hai... reservation ke naam par dhruvikaran alag alag dhrovo ...jati vadi dange uksaati yahi rajniti hai... Kyoo hindu kyoo muslmaan kyoo jaati ka adhaar .... sirf siksha ke liye aarthik base par madad honi chahiye... naa kee jati ke aadhaar par unka jatigat reservation..alpsankhyak... kya majaak bana dee hai in ghatiya rajnitigyon ne...
सार्थक चिन्तन उपयोगी जानकारी..धन्यवाद..
एक जागरुक करती पोस्ट....
जानता हूँ ... कुछ पावर वाले लोगों के हाथों अनिष्ट होने की तैयारी हो रही है.... बस चौकन्ने रहना ही विकल्प बचा है.. और समय आने पर अपने एक मात्र वोट के अधिकार को भुनाना है..
अरे... लेकिन अब ऐसा इंतजाम होने को है कि वोटिंग मशीन भी सरकारी पक्ष में बहुमत की उल्टी करे... क्या करें, क्या न करें?... ..राजनीतिक जलसों में काले झंडे दिखाएँ या चप्पल-जूते फैंककर आक्रोश को समाप्त करते रहें... या फिर नाथूराम नीति एक बार फिर ... आजमायें.
अब जो अपने को ज्ञानी समझते हैं, उनके लिए सोचने वाली बात यह है कि यदि ब्रह्मा के सोने का समय हो गया हो तो क्या वे अल्पज्ञानी मानवों द्वारा जागने के लिए कहने पर जागते रहेंगे ???
प्रकृति के संकेत जो समझे उसे ही ज्ञानी कहा गया... उदाहरणतया जब प्रातःकाल पूर्व दिशा में सूर्योदय का समय होता है तो सब जानते हैं कि मुर्गा बांग देता है, सभी को प्रकृति से औसतन ८ घंटे ऊर्जा ग्रहण करने के पश्चात, अर्थात निद्रा के पश्चात, जागने के लिए... और पृथ्वी पर शक्तिशाली राजा समान सूर्य द्वारा उपलब्ध कराये गए उजाले के रहते मुख्यतः (फैक्ट्री एक्ट समान) ८ घंटे राजसिक कर्म करने के लिए... अर्थात विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अपनी ज्ञानोपार्जन द्वारा प्राप्त की गयी क्षमतानुसार पेट भरने से सम्बंधित, जीविकोपार्जन हेतु कार्य करने के लिए...
इसी प्रकार, हमारे औसतन १२ घंटे के दिन के बाद जैसे हमारी रात्री का, उजाले के पश्चात अन्धकार का, शनै शनै आगमन हो जाता है और मध्य रात्री तक सम्पूर्ण राज हो जाता है... संध्याकाळ के पश्चात, किसी समय हमारी ही नहीं अपितु अधिकतर सारे पशु जगत के प्राणियों के सोने का समय हो जाता है (उल्लू आदि को छोड़ - वो पक्षी हों अथवा कलयुगी मानव... गीतानुसार निमित्त मात्र, सभी प्रभु की रचनाएँ!)...
आश्चर्य है अभी भी इस काले क़ानून पर खुल कर आपत्तियां नहीं उठ पा रहीं|
अभी भी भाईचारे के नारे लगाए जा रहे हैं|
शायद भाईचारे का ठेका केवल हिन्दुओं के पास ही हैं|
जी हाँ केवल हिन्दू ही मरेगा इस काले क़ानून से, जरा देखिये कैसे?
यदि मुसलामानों में शिया व सुन्नी समुदाय के मध्य कोई दंगा होता है तो इसे इस विशेयक की दृष्टि से नहीं देखा जाएगा| यहाँ तक कि इसाई व मुस्लिम समुदाय में हिंसा होती है तब भी इस विधेयक का उपयोग नहीं होगा|
इस विधेयक का उपयोग केवल और केवल तब ही होगा जब हिंसा में हिन्दू शामिल हो| अब चाहे वह पीड़ित हो अथवा अपराधी, मरना तो हिन्दू को ही है| क्योंकि हिन्दू बहुसंख्यक है और विधेयक के अनुसार बहुसंख्यक को गुनाहगार मान लिया जाएगा|
भारतवासियों को केवल नागरिक की दृष्टि से देखने वालों को यह जान लेना चाहिए कि इस विधेयक को लाकर NAC ने ही हमे नागरिक न रहने दिया व हिन्दू, मुस्लिम व इसाई में बाँट दिया|
इससे भी पेट न भरा तो हिन्दुओं को ही आपस में बांटने के लिए सवर्ण, दलित व दलित में बाँट दिया|
आगे कहानी और भी है
यदि किसी सामुदायिक दंगों में मुस्लिम व हिन्दू दलित शामिल हैं तो वहां हिन्दुओं को ही आरोपी माना जाएगा| यदि कोई हिन्दू दलित किसी मुसलमान की शिकायत करता है तो इस परिस्थिति में इस विधेयक का उपयोग नहीं किया जाएगा|
मतलब निशाना केवल हिन्दू ही हैं|
यदि कोई हिन्दू अपनी दूकान पर कोई विशेष स्कीम लगाकर अपने व्यवसाय को आगे बढाता है जिससे निकट के किसी मुस्लिम अथवा इसाई के व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो वह हिन्दू व्यवसायी की शिकायत कर सकता है|
ऐसी परिस्थिति में इस विधेयक का उपयोग किया जाएगा| जबकि वही काम यदि मुस्लिम अथवा इसाई व्यापारी करे तो हिन्दुओं को शिकायत करने का भी अधिकार नहीं है|
यदि कोई हिन्दू किसी मुसलमान अथवा इसाई को घर अथवा दूकान किराए पर देने से इनकार कर दे तो हिन्दू की शिकायत इस विधेयक के अंतर्गत हो सकती है|
सार्वजनिक रूप से मुसलामानों व ईसाईयों को यह अधिकार होगा कि वे हिन्दू धर्म में व्याप्त कुप्रथाओं का विरोध कर सकें किन्तु यदि हिन्दू इस्लाम अथवा इसाई धर्म में व्याप्त कुरीतियों का विरोध करता है तो इस विधेयक के अंतर्गत दोषी पाया जाएगा|
यहाँ तक कि वे हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने के लिए भी स्वतंत्र हैं|
किसी हिन्दू के खिलाफ किसी मुसलमान अथवा इसाई की शिकायत आने पर उस हिन्दू को स्वत: ही दोषी मान लिया जाएगा व गैरजमानती वारंट के साथ गिरफ्तार कर लिया जाएगा| उसे शिकायत करता का नाम भी नहीं बताया जाएगा| जब तक वह स्वयं को निर्दोष सिद्ध नहीं कर देगा तब तक उसे जेल की यातनाओं को झेलना पड़ेगा|
अब बताइये, शिकायत करता का नाम पता चले बिना भला कोई कैसे स्वयं को निर्दोष सिद्ध कर सकेगा?
यदि सड़क पर चलते समय कोई हिन्दू किसी मुसलमान अथवा इसाई से गलती से टकरा जाए व मुसलमान अथवा इसाई इसकी शिकायत यह कह कर दे कि मैं फलाने धर्म का हूँ इसलिए हिन्दू ने मुझे टक्कर मारी तो हन्दू को दोषी पाया जाएगा|
यहाँ तक कि केवल जबानी विवाद में भी इस मानसिक यातना के अंतर्गत रखकर देखा जाएगा|
यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी मुसलमान अथवा इसाई की शिकायत पर ध्यान नहीं दे व मुसलमान इसकी शिकायत यह कह कर दे कि मैं मुसलमान हूँ इसलिए इस हिन्दू पुलिस अधिकारी ने मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया तो वह पुलिस अधिकारी भी दोषी पाया जाएगा|
यदि कोई हिन्दू इस विधेयक के अंतर्गत दोषी पकड़ा गया तो आरोप सिद्ध हुए भी बिना ही उसकी सारी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी| ऐसे में उसका परिवार क्या खाएगा, कहाँ रहेगा इसकी कोई जिम्मेदारी कोई नहीं लेने वाला|
विधेयक के अंतर्गत मुसलमान व इसाई को सरकारी खर्चे पर बड़ा वकील उपलब्ध किया कैगा जबकि आरोपित हिन्दू को स्वयं अपने खर्चे पर वकील करना होगा|
यह धारणा तो संविधान के भी विरुद्ध है| हमारे संविधान में आरोपित को एक सरकारी वकील मुहैया किया जाता है| यहाँ तक कि अफजल गुरु व अजमल कसाब को भी सरकारी वकील दिया गया था| किन्तु यहाँ आरोपित हिन्दू है तो उसे कोई वकील नहीं मिलेगा|
और इस काले क़ानून की सबसे काली बात तो यह है कि शिकायत करने वाला मुसलमान अथवा इसाई सम्बंधित हिन्दू का परिचित हुआ तो सज़ा दुगुनी हो जाएगी|
इसका अर्थ यह है कि सरकार यही कहना चाहती है कि दो समुदाय आपस में मैत्री स्थापित न करें| फिर कौन कहता है कि यह एक धर्म निरपेक्ष सरकार है?
बेशक हो सकता है कि यह क़ानून पास न हो किन्तु इसकी हवा से ही देश में एक ऐसी मानसिकता जन्म ले लेगी जो वर्षों पहले जिन्ना के मन में थी| इस अलगाव के चलते कहीं देश के फिर से टुकड़े न हो जाएं|
अभी भी भाषाई अल्पसंख्यक के नाम पर लड़ने वाले, क्या इन बातों को नज़र अंदाज कर पाएंगे?
क्यों इतनी सी बात समझ नहीं आती कि मरेगा केवल हिन्दू ही, भले ही वह कोई सी भी भाषा बोलता हो| गलती हिन्दुओं की ही है| जब तक आपस में बनते रहेंगे, तब तक ऐसे काले क़ानून इनको मारते रहेंगे| पहले मुगलों ने मारा, फिर अंग्रेजों ने और अब ये कांग्रेसी मारेंगे|
प्रेम के गीत गाने वाले हिन्दुओं, यदि अब भी प्रेम व भाईचारे का राग अलापते रहे तो तुम्हारा विनाश निश्चित है|
और हाँ, कश्मीर में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं| किन्तु कश्मीर में धरा ३७० है अत: यह विधेयक लागू नहीं होगा|
समझ आया न, केवल हिन्दू ही मरेगा|
बहुत बढ़िया विचार हैं!
फिर भी सब हिन्दू - जो कॉँग्रेस पार्टी में हैं, अथवा आम जनता हैं - लाचार हैं, क्यूंकि हम नहीं जानते इस निरंतर, दिन प्रतिदिन, अधिक शक्तिशाली होते चक्रव्यूह को तोडना! उम्मीद पर सब जी रहे हैं कि कलिकावातार / कृष्णावतार शीघ्र होगा, जिससे हिन्दुओं की आत्माओं को अंततोगत्वा आशानुसार/ हिन्दू मान्यतानुसार शान्ति मिल पाएगी!...
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
सबको अपनी-अपनी पडी है।वोट बैंक के खातिर।बहुत अच्छे एवं प्रेरक मुद्दे को उठाया आपने दिव्या जी।धन्यवाद।
हमने पुरे भारत वर्ष में इसका विरोधकरने के लिए रणनीति बनायीं है जो भी जुड़ना चाहे और सुझाव् देना चाहे वो सम्पर्ककरे 09610555900
हमने पुरे भारत वर्ष में एक साथ विरोध करने की ठानी है जो भी जुड़ना चाहे या सुझाव देना चाहे सम्पर्क करे 09610555900
Only Solution.. Military rule for five years with total authority to the hardcore patriots who always given priority to country than their life /family and other issues..
otherwise a social revolution but it may cost worse than anything.. which is not preferable..
and
Third best option with democracy way is to elect the hard core patriot MPS (minimum 400 members) may be from any party.. and form a GOVT.. and change the rules completely by keeping our countrys cultures /religions /mentality of people / attitude etc and change in a military way.. otherwise
it will be a very very difficult time for all of us..
we as a ex Military, always support such peoples/missions which is giving top priority to our Nation.. and want to have complete change..
JayHind
100% सहमत
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