अक्सर लोग ये कहते हुए मिल जायेंगे -"मेरा तुमसे मतभेद है , मनभेद नहीं ! लेकिन सच तो यही है की ९० प्रतिशत लोगों में मतभेद होते ही मनभेद भी हो जाता है ! बहुत जल्दी बुरा मान जाते हैं और अलग हो जाते हैं एक दुसरे से! मौका पाते ही एक दुसरे पर व्यक्तिगत आक्षेप और छींटाकशी करते हैं ! आलोचनाओं के दौर से शुरू होकर उस व्यक्ति के अपमान और फिर दुश्मनी तक पहुँच जाते हैं !
वैसे यदि मतभेद होने के बावजूद भी मनभेद न हो तो यह एक आदर्श स्थिति होगी , लेकिन यदि मनभेद भी हो जाए तो दूरी बना लेनी चाहिए , बजाये इसके की मल्ल-युद्ध शुरू कर दें !
60 comments:
मन भेद होने पर दूरी बना लेना तो ठीक है पर टीका टिपण्णी न करना शायद किसी साधू के लिए ही संभव हो ... आम आदमी तो इर्ष्य द्वेष के जाल से बच नहीं पाता ...
नव बर्ष की मंगल कामनाएं ...
बिल्कुल सही कहा है आपने ...बहुत ही सार्थक प्रस्तुति ।
सार्थक प्रस्तुति ।
सही है।
मतभेद होते ही मनभेद की नींव पड़ जाती है।
लेकिन अपने निकटस्थ के साथ चाहे कितने भी मतभेद हो जाए, मनभेद से बचना चाहिए।
मन को मत भेदो :)
हम पूरी कोशिश करते है की मतभेद , मनभेद ना बने.लेकिन क्या करें , कंट्रोल ही नहीं होता . नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें .
हम पूरी कोशिश करते है की मतभेद , मनभेद ना बने.लेकिन क्या करें , कंट्रोल ही नहीं होता . नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें .
सहमत हूँ।
सादर
SAMAY MAN MAIL BHI DHOTA HAI.
UDAY TAMHANE
BHOPAL.
मतभेद और मनभेद को पहले तो अलग अलग किया जाना संभव नहीं है, यह ऐसा ही है जैसे कि किसी सांसारिक व्यक्ति से अनासक्त, निर्लोभ होकर रहने की कामना की जाय. क्या संभव है कि कोई किसी से मतभेद रखे किन्तु मन में कोई विकार न आने दे. दिखावा या अभिनय भले ही कर दे परन्तु ........
कम शब्दों में ही बहुत कुछ कह जाने के लिए आभार !!
SAMAY MAN MAIL BHI DHOTA HAI.
UDAY TAMHANE.
BHOPAL.
आदर्श ज्यादातर किताबों में रह जाती हैं...कहीं कहीं आदर्श उतर आता है..पर ज्यादातर आदर्श को बिना लोकव्यवहार जाने जीवन में उतारना, जख्मों को न्यौता देना होता है।
मनभेद ही मतबेद में तब्दील हो जाता अक्सर...
सही है ....नए साल की शुभकामनाएँ.
हमें राजनीतिज्ञों से सीखना चाहिये दोनों का सामंजस्य
धर्म भी शायद यही सिखाने की कोशिश
करता है.
तुझ में राम,मुझमें राम
सबमें राम समाया
सबसे करले प्यार जगत में
कोई नही पराया रे.
मन जैसे जैसे विशाल होता जाता है
भेद मिटता जाता है.
मन का विशाल करना ही असली साधना
और तपस्या है.
यह तो कुछ वैसे ही है जैसे कि कई साल पहले राजनीतिबाजों के दल बदल जाते थे और दिल मिलने की बात कहते रहते थे.
सहमत आपसे। कोई मतभेद नहीं।
मुझे तो नहीं लगता कि इन दोनों शब्दों में कोई अंतर होगा| मन से ही तो मत बनता है| अब यदि मतों में भिन्नता है तो मानों में भी अवश्य ही होगी|
मेरा तुमसे मतभेद है मनभेद नहीं"
ऐसा बोलने वाले ज़रूर अपने मत अपने मन से निर्धारित नहीं करते होंगे या फिर केवल शाब्दों के जाल में फंसाना चाहते होंगे| और भला क्या कारण हो सकता है?
निश्चित रूप से दूरी बना लेनी चाहिए|
बहुत उम्दा जी
भेद, शब्दों से होता हे, शब्द-अर्थ करता अनर्थ,
मन में भेद ना पालीये, मन का भेद हे व्यर्थ,
मतभेद बुरा नहीं..... मनभेद नहीं होना चाहिए।
खैर
नए साल की शुभकामनाएं.....
आपकी पोस्ट पढ़कर किसी का एक प्यारा-सा शेर याद आ गया.शेर है:-
दुश्मनी लाख करो पर ये गुंजाइश रहे,
जब कभी दोस्त बन जायें तो शर्मिंदा न हों.
मतभेद, मनभेद, निंदा आदि मन की स्वाभाविक गतिविधियाँ हैं. ज्ञानी लोग इन्हें डाइल्यूट कर लेते हैं. वाक्युद्ध और मल्लयुद्ध भी हमेशा से चलते आए हैं. ज्ञानियों से ज्ञान के गुर सीख लेने चाहिएँ. आढ़े वक्त बहुत काम आते हैं.
लेकिन यदि मनभेद भी हो जाए तो दूरी बना लेनी चाहिए
@ सही कहा आपने
बहुत पुरानी कहावत है -"राड़ से बाड़ भली"|
bade hi fateh ki baat kahi hai aapne ,matbhed ho par manbhed na ho,aur agar ho to ahinsa na karke duriyan bana lena behtar hai.
सही कहा आपने!...मनभेद और मतभेद साथ साथ ही पैदा होते है और साथ साथ ही खत्म भी हो जाते है!
mat bhed ek do baaton se ho sakta hai par man bhed poorntah alagaav ki sthiti hai.mat bhed hi badhte badhte man bhed par aa jata hai.
हां सच कहा आपने मानव मनोविज्ञान भी इसी को पुख्ता करता है बेशक एक आध अपवाद भी हों तो आश्चर्य नहीं । हालांकि निदान तो आपने बता ही दिया है ।
नए साल के लिए शुभकामनाएं
मतभेद से प्रारंभ होकर मनभेद तक पहुँच जाना दुर्भाग्यजनक स्थिति है.
मतभेद बुद्धिजीवियों की पहचान है परन्तु इस से मनभेद उत्पन्न नहीं होना चाहिए. औरों के विचारों के प्रति सम्मान एवं सहिष्णुता तो होनी ही चाहिए.
यदि ऐसा संभव न हो तो एक गीत की पंक्तिया भी इसका निदान प्रस्तुत करती हैं :
" वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक खूब सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा "
एक विचारणीय विषय पर सार्थक आलेख !
इस पर मतैक्य
सही कहा 1
Bilkul theek kaha!
Naya saal bahut,bahut mubarak ho!
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-743:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सही कहा।
kripya apna mail dene ka ksht kren
dr. vedvyathit@gmail.com
achha lekh...
क्या करें लोग? ज्यादातर लोग कई चरित्र एक साथ जीते हैं। मनभेद होने के बावजूद दिखावा ऐसा करते हैं कि जैसे उनके जैसी आत्मीयता रखने वाला दूसरा कोई और नहीं।
दिव्या जी मैं देख रहा हूं कि आपके पाठकों की बढती संख्या से अनेकों के सीने पर सांप लोट रहे हैं।
बिलकुल सही पूरी तरह सहमत हूँ आपसे ! बात केवल मतभेद तक ही रहे तो रिश्तों में खटास ही क्यों आये !
आभार !!
मेरी नई रचना
एक ख़्वाब जो पलकों पर ठहर जाता है
happy new year ji
नव-वर्ष की शुभकामनाएँ !
आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं,परंतु ऐसी आदर्श-स्थिति,आदर्शों की दुनिया में ही सम्भव है,फिर भी कोशिश होनी ही चाहिये.
दरअसल आज की दुनिया में मुखौटे लगा के जीते है लोग और मुखौटा एक नहीं कई कई. पता नहीं कब कहा कौन से मुखौटे की जरूरत हो जाये.मतभेद कतई खतरनाक नहीं मगर मनभेद सारा परिवेश प्रदूषित कर देता है शायद.
बहुत अच्छी सीख है. मगर कुछ पहलवान ढीथ किस्म के होते है .मैदान से बाहर जाने के बाद भी जबरदस्ती ललकारते रहते है........
मनभेद नहीं होना चाहिए।
.......नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
दिव्या जी, आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष
२०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.
आशा है आप मेरी भूल ,त्रुटि या किसी भी मतभेद को भुला कर अपना स्नेह सैदेव बनाये रखेंगीं.
मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन
में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
इन दोनों में अन्तर कर पाना बहुत कठिन हो जाता है हम मानवों के लिये।
सुंदर अभिव्यक्ति सुंदर विचार,.....
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
आपको और आपके परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
Mam jinko aapse MANBhed hai acha hai aap unko rehne hi den.. :)
you take care
have a great day and happy new year to you and family and everyone around you ... :)
Bikram's
आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत ही सार्थक प्रस्तुति ।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं, दिव्या।
आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
इस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
!! नया साल मुबारक !!
आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥
सादर
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
एक ब्लॉग सबका
आज का आगरा
हर शख्स अपनी तस्वीर को बचा कर निकले,
ना जाने किस मोड पर किस हाथ से पत्थर निकले।
नया साल बहुत बहुत मुबारक
बिलकुल सही कहा आपने , मतभेद के बाद दिलों में फर्क आना लाजमी है अगर न आये तो
फ़रिश्ते ही हो सकते हैं वो लोग
जी दिव्या जी
दिव्या जी .मतभेद कभी ना हो , किसी विषय पर हो भी तो मनभेद तो कभी ना हो
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