Wednesday, December 28, 2011

मेरा तुमसे मतभेद है मनभेद नहीं

अक्सर लोग ये कहते हुए मिल जायेंगे -"मेरा तुमसे मतभेद है , मनभेद नहीं ! लेकिन सच तो यही है की ९० प्रतिशत लोगों में मतभेद होते ही मनभेद भी हो जाता है ! बहुत जल्दी बुरा मान जाते हैं और अलग हो जाते हैं एक दुसरे से! मौका पाते ही एक दुसरे पर व्यक्तिगत आक्षेप और छींटाकशी करते हैं ! आलोचनाओं के दौर से शुरू होकर उस व्यक्ति के अपमान और फिर दुश्मनी तक पहुँच जाते हैं !

वैसे यदि मतभेद होने के बावजूद भी मनभेद न हो तो यह एक आदर्श स्थिति होगी , लेकिन यदि मनभेद भी हो जाए तो दूरी बना लेनी चाहिए , बजाये इसके की मल्ल-युद्ध शुरू कर दें !

60 comments:

दिगम्बर नासवा said...

मन भेद होने पर दूरी बना लेना तो ठीक है पर टीका टिपण्णी न करना शायद किसी साधू के लिए ही संभव हो ... आम आदमी तो इर्ष्य द्वेष के जाल से बच नहीं पाता ...

दिगम्बर नासवा said...

नव बर्ष की मंगल कामनाएं ...

सदा said...

बिल्‍कुल सही कहा है आपने ...बहुत ही सार्थक प्रस्‍तुति ।

अरुण चन्द्र रॉय said...

सार्थक प्रस्‍तुति ।

महेन्‍द्र वर्मा said...

सही है।
मतभेद होते ही मनभेद की नींव पड़ जाती है।
लेकिन अपने निकटस्थ के साथ चाहे कितने भी मतभेद हो जाए, मनभेद से बचना चाहिए।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

मन को मत भेदो :)

ashish said...

हम पूरी कोशिश करते है की मतभेद , मनभेद ना बने.लेकिन क्या करें , कंट्रोल ही नहीं होता . नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें .

ashish said...

हम पूरी कोशिश करते है की मतभेद , मनभेद ना बने.लेकिन क्या करें , कंट्रोल ही नहीं होता . नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें .

Yashwant R. B. Mathur said...

सहमत हूँ।



सादर

Anonymous said...

SAMAY MAN MAIL BHI DHOTA HAI.
UDAY TAMHANE
BHOPAL.

शूरवीर रावत said...

मतभेद और मनभेद को पहले तो अलग अलग किया जाना संभव नहीं है, यह ऐसा ही है जैसे कि किसी सांसारिक व्यक्ति से अनासक्त, निर्लोभ होकर रहने की कामना की जाय. क्या संभव है कि कोई किसी से मतभेद रखे किन्तु मन में कोई विकार न आने दे. दिखावा या अभिनय भले ही कर दे परन्तु ........
कम शब्दों में ही बहुत कुछ कह जाने के लिए आभार !!

Anonymous said...

SAMAY MAN MAIL BHI DHOTA HAI.
UDAY TAMHANE.
BHOPAL.

Rohit Singh said...

आदर्श ज्यादातर किताबों में रह जाती हैं...कहीं कहीं आदर्श उतर आता है..पर ज्यादातर आदर्श को बिना लोकव्यवहार जाने जीवन में उतारना, जख्मों को न्यौता देना होता है।
मनभेद ही मतबेद में तब्दील हो जाता अक्सर...

रेखा said...

सही है ....नए साल की शुभकामनाएँ.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

हमें राजनीतिज्ञों से सीखना चाहिये दोनों का सामंजस्य

Rakesh Kumar said...

धर्म भी शायद यही सिखाने की कोशिश
करता है.

तुझ में राम,मुझमें राम
सबमें राम समाया
सबसे करले प्यार जगत में
कोई नही पराया रे.

मन जैसे जैसे विशाल होता जाता है
भेद मिटता जाता है.

मन का विशाल करना ही असली साधना
और तपस्या है.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यह तो कुछ वैसे ही है जैसे कि कई साल पहले राजनीतिबाजों के दल बदल जाते थे और दिल मिलने की बात कहते रहते थे.

मनोज कुमार said...

सहमत आपसे। कोई मतभेद नहीं।

दिवस said...

मुझे तो नहीं लगता कि इन दोनों शब्दों में कोई अंतर होगा| मन से ही तो मत बनता है| अब यदि मतों में भिन्नता है तो मानों में भी अवश्य ही होगी|
मेरा तुमसे मतभेद है मनभेद नहीं"
ऐसा बोलने वाले ज़रूर अपने मत अपने मन से निर्धारित नहीं करते होंगे या फिर केवल शाब्दों के जाल में फंसाना चाहते होंगे| और भला क्या कारण हो सकता है?
निश्चित रूप से दूरी बना लेनी चाहिए|

बाल भवन जबलपुर said...

बहुत उम्दा जी

mukeshjoshi said...

भेद, शब्दों से होता हे, शब्द-अर्थ करता अनर्थ,
मन में भेद ना पालीये, मन का भेद हे व्यर्थ,

Atul Shrivastava said...

मतभेद बुरा नहीं..... मनभेद नहीं होना चाहिए।
खैर

नए साल की शुभकामनाएं.....

Kunwar Kusumesh said...

आपकी पोस्ट पढ़कर किसी का एक प्यारा-सा शेर याद आ गया.शेर है:-
दुश्मनी लाख करो पर ये गुंजाइश रहे,
जब कभी दोस्त बन जायें तो शर्मिंदा न हों.

Bharat Bhushan said...

मतभेद, मनभेद, निंदा आदि मन की स्वाभाविक गतिविधियाँ हैं. ज्ञानी लोग इन्हें डाइल्यूट कर लेते हैं. वाक्युद्ध और मल्लयुद्ध भी हमेशा से चलते आए हैं. ज्ञानियों से ज्ञान के गुर सीख लेने चाहिएँ. आढ़े वक्त बहुत काम आते हैं.

Gyan Darpan said...

लेकिन यदि मनभेद भी हो जाए तो दूरी बना लेनी चाहिए

@ सही कहा आपने
बहुत पुरानी कहावत है -"राड़ से बाड़ भली"|

NKC said...

bade hi fateh ki baat kahi hai aapne ,matbhed ho par manbhed na ho,aur agar ho to ahinsa na karke duriyan bana lena behtar hai.

Aruna Kapoor said...

सही कहा आपने!...मनभेद और मतभेद साथ साथ ही पैदा होते है और साथ साथ ही खत्म भी हो जाते है!

Rajesh Kumari said...

mat bhed ek do baaton se ho sakta hai par man bhed poorntah alagaav ki sthiti hai.mat bhed hi badhte badhte man bhed par aa jata hai.

अजय कुमार झा said...

हां सच कहा आपने मानव मनोविज्ञान भी इसी को पुख्ता करता है बेशक एक आध अपवाद भी हों तो आश्चर्य नहीं । हालांकि निदान तो आपने बता ही दिया है ।

नए साल के लिए शुभकामनाएं

P.N. Subramanian said...

मतभेद से प्रारंभ होकर मनभेद तक पहुँच जाना दुर्भाग्यजनक स्थिति है.

aarkay said...

मतभेद बुद्धिजीवियों की पहचान है परन्तु इस से मनभेद उत्पन्न नहीं होना चाहिए. औरों के विचारों के प्रति सम्मान एवं सहिष्णुता तो होनी ही चाहिए.
यदि ऐसा संभव न हो तो एक गीत की पंक्तिया भी इसका निदान प्रस्तुत करती हैं :

" वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक खूब सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा "
एक विचारणीय विषय पर सार्थक आलेख !

vidha said...

इस पर मतैक्य

प्रतिभा सक्सेना said...

सही कहा 1

kshama said...

Bilkul theek kaha!
Naya saal bahut,bahut mubarak ho!

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-743:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

vandana gupta said...

सही कहा।

vedvyathit said...

kripya apna mail dene ka ksht kren
dr. vedvyathit@gmail.com

आशा बिष्ट said...

achha lekh...

हरीश प्रकाश गुप्त said...

क्या करें लोग? ज्यादातर लोग कई चरित्र एक साथ जीते हैं। मनभेद होने के बावजूद दिखावा ऐसा करते हैं कि जैसे उनके जैसी आत्मीयता रखने वाला दूसरा कोई और नहीं।

Anonymous said...

दिव्या जी मैं देख रहा हूं कि आपके पाठकों की बढती संख्या से अनेकों के सीने पर सांप लोट रहे हैं।

कुमार संतोष said...

बिलकुल सही पूरी तरह सहमत हूँ आपसे ! बात केवल मतभेद तक ही रहे तो रिश्तों में खटास ही क्यों आये !
आभार !!


मेरी नई रचना
एक ख़्वाब जो पलकों पर ठहर जाता है

Anonymous said...

happy new year ji

अशोक सलूजा said...

नव-वर्ष की शुभकामनाएँ !

मन के - मनके said...

आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं,परंतु ऐसी आदर्श-स्थिति,आदर्शों की दुनिया में ही सम्भव है,फिर भी कोशिश होनी ही चाहिये.

Unknown said...

दरअसल आज की दुनिया में मुखौटे लगा के जीते है लोग और मुखौटा एक नहीं कई कई. पता नहीं कब कहा कौन से मुखौटे की जरूरत हो जाये.मतभेद कतई खतरनाक नहीं मगर मनभेद सारा परिवेश प्रदूषित कर देता है शायद.

उपेन्द्र नाथ said...

बहुत अच्छी सीख है. मगर कुछ पहलवान ढीथ किस्म के होते है .मैदान से बाहर जाने के बाद भी जबरदस्ती ललकारते रहते है........

संजय भास्‍कर said...

मनभेद नहीं होना चाहिए।
.......नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो

शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर

Rakesh Kumar said...

दिव्या जी, आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष
२०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.
आशा है आप मेरी भूल ,त्रुटि या किसी भी मतभेद को भुला कर अपना स्नेह सैदेव बनाये रखेंगीं.

मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन
में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.

नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

प्रवीण पाण्डेय said...

इन दोनों में अन्तर कर पाना बहुत कठिन हो जाता है हम मानवों के लिये।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

सुंदर अभिव्यक्ति सुंदर विचार,.....
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....

मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

Bharat Bhushan said...

आपको और आपके परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Bikram said...

Mam jinko aapse MANBhed hai acha hai aap unko rehne hi den.. :)

you take care
have a great day and happy new year to you and family and everyone around you ... :)

Bikram's

Deepak Saini said...

आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Anonymous said...

बहुत ही सार्थक प्रस्‍तुति ।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

महेन्‍द्र वर्मा said...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं, दिव्या।

Sawai Singh Rajpurohit said...

आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.

इस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
!! नया साल मुबारक !!

आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥


सादर
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
एक ब्लॉग सबका

आज का आगरा

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

हर शख्स अपनी तस्वीर को बचा कर निकले,
ना जाने किस मोड पर किस हाथ से पत्थर निकले।

नया साल बहुत बहुत मुबारक

Rajput said...

बिलकुल सही कहा आपने , मतभेद के बाद दिलों में फर्क आना लाजमी है अगर न आये तो
फ़रिश्ते ही हो सकते हैं वो लोग

Unknown said...

जी दिव्या जी

Unknown said...

दिव्या जी .मतभेद कभी ना हो , किसी विषय पर हो भी तो मनभेद तो कभी ना हो