बढती महत्वाकांक्षाओं ने हर किसी को प्रधानमन्त्री बनने के सपने दिखा दिए हैं ! हर कोई खुद को पोटेंशियल कैंडिडेट समझता है इस पद के लिए ! अब लद गए वो दिन जब जद्दोजहद होती थी अपनी पार्टी को जिताने की ! उम्र बीत जाती थी लेकिन अपनों के लिए कुछ करने का जज्बा समाप्त नहीं होता था ! लेकिन अब तो हर कोई खुद को ही हीरो समझता है और दूसरों को आईना दिखने में ही सबसे बड़ी काबिलियत समझता है !
Zeal
आज कुकुरमुत्ते की तरह गली-गली में एक स्कूल है और एक टूटपुंजिया सी राजनीतिक पार्टी खड़ी दिखाई देगी, लेकिन अफ़सोस तो ये है की अशिक्षित लाखों है और लोकतंत्र नदारद है !
एक ही पार्टी का प्रत्येक सदस्य खुद को प्रधानमन्त्री पद का दावेदार समझता है। एक दुसरे का वोट काटकर खुद को चतुर समझता है। वो दिन दूर नहीं जब ये सारे के सारे मौकापरस्त केवल अपने एक इकलौते वोट से ही जीतकर खुद को प्रधानमन्त्री बना हुआ समझेंगे !
मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं सभी !
- नितीश को लगता है वो सबसे काबिल है
- राज ठाकरे तो खुद को खुदा सामझता है
- बाल ठाकरे को सुषमा सुहाती है
- अर्थशास्त्री तो अनर्थशास्त्री बनकर भी जमा हुआ है सत्ता में
- माँ का लाडला अमूल बेबी तो प्रधानमन्त्री की कुर्सी को बपौती समझता है
- राउडी राबर्ट के तो कहने ही क्या है , पूछता है अपनी सास से - " अमूल बेबी में ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं है ? अगर वो बलात्कारी है तो मैं भी तो भ्रष्टाचारी हूँ, फिर मैं क्यों नहीं बन सकता प्रधानमन्त्री ?
- फिर प्रियंका गुस्से से तमतमाई, बोली- " नेहरू खानदान रीत है न्यारी, पत्नियाँ होती हैं पतियों पर भारी , अतः प्रधानमंत्री तो सिर्फ मैं ही बनूंगी"
- कजरारी अखियों वाले केजरीवाल का तो कहना ही क्या -अन्ना को गन्ने की तरह चूसकर किया किनारे , अब खुद को प्रधानमंत्री समझ रहा है और मुसलमानों को फंसाने के लिए उन्हें 11% आरक्षण का लालच दे रहा है ! क्योकि मुसल्मानों को खरीदना सबसे आसान जो है !
- माया , मुलायम राबड़ी टाइप दलित तो दलितों के नाम पर आरक्षण लेकर गुडागर्दी करते हैं ! रहेंगे सब FIVE STAR जैसे सुसज्जित बंगलों में और लूटेंगे देश को दलित बनकर !
अब जिम्मेदारी उस समझदार वर्ग की है कि किसके इकलौते वोट से अपना वोट जोड़कर एक और एक दो कर दे।
Zeal
12 comments:
Maujooda haalaat ki bebaak aur sateek Tasveer !
बहुत सटीक विश्लेषण !!
बहुत सटीक विश्लेषण !!
सशक्त लेखन ।
सार्थक प्रस्तुति....!
निरवंशी नवाब : नव-कथा (100 शब्द)
नजफगढ़ के नवाब गुलाब गोदी गुरिल्ला युद्ध में मारे गए । शहजादी परीजाद की शादी रुहेले सरदार रोबे खान से हुई ही थी कि परीजाद की ननद की घोड़े से गिरकर मौत हो गई । उसका इकलौता देवर भी पानीपत के मैदान में डूब मरा। सरदार के अब्बू की रहस्यमय-परिस्थिति में मौत हो चुकी है -अब सास एवं पति के साथ वह अपनी रियासत की उन्नति में लगी हुई है -दिन हजार गुनी, रात लाख गुनी |
शायद नजफ़गढ़ पर भी शहजादी की नीयत खराब है- तभी तो 45 साल की उम्र में भी इसका भाई शहजादा असलीम कुँवारा है -
कुँवारे के भांजा-भांजी ही मारेंगे भाँजी-
सब एक से बढ़कर एक.
कमाल है.
मुझे याद है,पिछले वर्ष
आप भी तो प्रधानमंत्री
बन चुकी हैं एक बार अपनी
ब्लॉग पोस्ट पर धमाका करते हुए.
जब मनमोहन दो बार हो सकते हैं,
तो आप भी ट्राई कीजियेगा दूसरी बार
इस वर्ष भी कुछ नए अंदाज के साथ.
सबकी औकात पता चल गई...इसके लिए आपका आभारी रहूँगा...|
क्या गज़ब की बत्तियां उधेडी हैं आपने...
सच कहा है आपने, एक वोट दुसरे वोट से जुड़ जाए तो कमाल हो जाएगा। देश का वह वर्ग जो पढ़ा-लिखा bh है और समझदार भी किन्तु अपने घर में बैठा है, वोट नहीं डालता। यदि वह वर्ग घर से बाहर आकर वोट डाले तो सारी बाज़ी ही पलट जाए।
हाँ आजकल देश भर मेपता नहीं कितनी ही पार्त्यियाँ बन गयी हैं? जिसे देखो खुद को नेता समझ लेता है। आपने सही कहा कि वो दिन दूर नहीं जब ये ढोंगी अपने खुद के इकलौते वोट से ही स्वघोषित प्रधानमंत्री बन जाएंगे। आज देश में कई ऐसी भी पार्टियां हैं जिन्होंने वर्षों से कोई उम्मीदवार भी नहीं उतारा। अरे चुनाव आयोग इन पार्टियों को झेलता ही क्यों है? पार्टी बनाने का कोई क्राईटेरिया तो होना चाहिए। जो कमसे कम २८० लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार न खडा कर सके उसे पार्टी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
सबकी ढफली अलग...राग अलग !!
दिव्या जी ने हमेशा की तरह बहुत ही अच्छा लिखा है। भ्रष्टाचारियों और व्याभिचारियों से भरा काँग्रेसी जहाज अब डूबने के कगार तक पहुँच चुका है। अगर अभी भ्रष्ट लोग टाल मटोल भी करते रहैं तो भी सत्ता परिवर्तन के बाद जैसा अकसर होता है, उन्हें भी जनता के सामने अपने पापों का फल तो भोगना ही पडे गा।
काँग्रेस में अगर अब भी कोई देश भक्त, इमानदार लोग बचे हैं तो उन्हें इस पार्टी को छोड देना चाहिये। समझदारी इसी में है कि वह वक्त रहते अलग हो कर अपने अपने दामन को कोयलों की कालिख से बचा लें और फिर इस पाप भरे जहाज को हमेशा के लिये डूब जाने दें।
जीलजी ,
कहाँ तक गिनोगी गिनाओगी इनको ,ये
असंख्य हैं और अनगिनत हैं इनकी काली करतूतें ! काश कुछ ऐसा चमत्कार हो जाता कि देश की "आम जनता" इन्हें पहचान सकती और मतदान के समय इन्हें उचित सजा देती !
बेटा ८४ वर्ष के जीवन में लगभग ७५ वर्ष तक मैं स्वयं झेल चूका हूँ वहाँ की कुव्यवस्था ! साधारण नागरिक की साइकिल की सवारी वाली हैसियत से लेकर सत्ता की लाल बत्ती वाली कार की सवारी तक !अब तो देश के आप सरीखे विद्वतजन कुछ मार्गदर्शन करें !
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