Thursday, October 4, 2012

नर्मदा अब नर-मादा हो गयी ?

नर-मादा के आगे कुछ सोचती हों तब तो बोलेंगी ये 
सारा सफ़ेद धन लूट कर काला कर दिया !
पार्टी में अश्लीलता बढाकर देश की संस्कृति की धज्जियाँ उड़ा दीं,
महंगाई बढाकर आम आदमी की कमर तोड़ दी ,
अब हमारी हिंदी के साथ भी खिलवाड़ ?
नर्मदा अब नर-मादा हो गयी ?
नहीं बर्दाश्त करेंगे इनकी दिमागी जड़ता को
सरकारी खाजाने से ही सही ...
जाओ अपना इलाज कराओ
जब तक तुम स्वस्थ नहीं रहोगी
हमारा भारत यूँ ही तिल-तिल सिसकता रहेगा !

वन्दे मातरम् !


17 comments:

रविकर said...

नर मादा नर्मदा हुई, मर जादा मर्याद ।

जैसा लिखता है सचिव, वैसा करती याद ।

वैसा करती याद, इलाज करवा कर आई ।

अब चुनाव के बाद, पुन: जाएगी माई ।

किन्तु अलग उद्देश्य, निभाई खुदरा वादा ।

लेगी टैक्स वसूल, पूज कर के नर-मादा ।

पूरण खण्डेलवाल said...

जो लोग हिन्दी भी रोमन में लिखकर पढते हैं उनको नर्मदा और नर-मादा का फर्क कैसे मालूम होगा !!

Prabodh Kumar Govil said...

Isiliye desh ve din dekhta hai jab lamhe khataa karte hain, aur sadiyaan sazaa paati hain.

Maheshwari kaneri said...

हनेशा की तरह सटीक....बहुत सही व्यंग .. ..

Rajesh Kumari said...

कुल दो वर्षों में हमारे देश की एक आया इस्राइल में जाकर हिब्रू सीख गई और ये इतने वर्षों में हमारी हिंदी भाषा तक सीख नहीं पाई ना जाने क्यूँ हिन्दुस्तानी इसे बर्दाश्त कर रहे हैं

Dr. sandhya tiwari said...

सत्य उजागर किया है आपने ...........

Rajput said...

बहुत सटीक व्यंग.

सदा said...

सार्थकता लिए सशक्‍त लेखन ..

रविकर said...

होय पेट में रेचना, चना काबुली खाय ।

उत्तम रचना देख के, चर्चा मंच चुराय ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वही तो कर ही हैं माता जी!

virendra sharma said...

माँ का इलाज़ करवाने चार्टर्ड विमान से इटली जातीं हैं अपना भी करवाएं .चिरकुटिया अंदाज़ में इन्हीं राग -सोनिया अलाप रहीं हैं ब्लॉग पे कुछ देवियाँ .

विदुषियो ! यह भारत देश न तो नेहरु के साथ शुरु होता है और न खत्म .जो देश के इतिहास को नहीं जानते वह हलकी चापलूसी करते हैं .

रही बात सोनिया जी की ये वही सोनियाजी हैं जो बांग्ला देश युद्ध के दौरान राजीव जी को लेकर इटली भाग गईं थीं एयरफोर्स की नौकरी छुड़वा कर .


राजनीति में आ गए, पद मद में जब चूर |
निश्चय कटु-आलोचना, पद प्रहार भरपूर |
पद प्रहार भरपूर, बहू भी सास बनेगी |
देवर का कुल दूर, अकेली आस बनेगी |
पूजे कोई रोज, मगर शिक्षा न देवे |सत्ता में सामर्थ्य, देश की नैया खेवे ||...................माननीय रविकर फैजाबादी साहब .

भारतीय राजकोष से ये बेहिसाब पैसा खर्च करतीं हैं अपनी बीमार माँ को देखने और उनका इलाज़ करवाने पर .

और वह मंद बुद्धि बालक जब जोश में आता है दोनों बाजुएँ ऊपर चढ़ा लेता है गली मोहल्ले के गुंडों की तरह .

उत्तर प्रदेश के चुनाव संपन्न होने के बाद कोंग्रेस की करारी हार के बाद भी इस बालक ने बाजुएँ चढ़ाकर बोलना ज़ारी रखा -मैं आइन्दा भी उत्तर प्रदेश के खेत खलिहानों में

आऊँगा .इस कुशला बुद्धि बालक के गुरु श्री दिग्विजय सिंह जी को बताना चाहिए था -बबुआ चुनाव खत्म हो गए अब इसकी कोई ज़रुरत नहीं है .

virendra sharma said...


विदुषियो ! यह भारत देश न तो नेहरु के साथ शुरु होता है और न खत्म .जो देश के इतिहास को नहीं जानते वह हलकी चापलूसी करते हैं .

रही बात सोनिया जी की ये वही सोनियाजी हैं जो बांग्ला देश युद्ध के दौरान राजीव जी को लेकर इटली भाग गईं थीं एयरफोर्स की नौकरी छुड़वा कर .


राजनीति में आ गए, पद मद में जब चूर |
निश्चय कटु-आलोचना, पद प्रहार भरपूर |
पद प्रहार भरपूर, बहू भी सास बनेगी |
देवर का कुल दूर, अकेली आस बनेगी |
पूजे कोई रोज, मगर शिक्षा न देवे |सत्ता में सामर्थ्य, देश की नैया खेवे ||...................माननीय रविकर फैजाबादी साहब .

भारतीय राजकोष से ये बेहिसाब पैसा खर्च करतीं हैं अपनी बीमार माँ को देखने और उनका इलाज़ करवाने पर .

और वह मंद बुद्धि बालक जब जोश में आता है दोनों बाजुएँ ऊपर चढ़ा लेता है गली मोहल्ले के गुंडों की तरह .

उत्तर प्रदेश के चुनाव संपन्न होने के बाद कोंग्रेस की करारी हार के बाद भी इस बालक ने बाजुएँ चढ़ाकर बोलना ज़ारी रखा -मैं आइन्दा भी उत्तर प्रदेश के खेत खलिहानों में

आऊँगा .इस कुशला बुद्धि बालक के गुरु श्री दिग्विजय सिंह जी को बताना चाहिए था -बबुआ चुनाव खत्म हो गए अब इसकी कोई ज़रुरत नहीं है .

इस पोस्ट में जो भाषा इस्तेमाल की गई है उसका भारतीय भाषा से कोई तालमेल नहीं है .यह चरण- चाटू भाषा है जो कहती है लाओ अपने चरण जीभ से चाटूंगी .सीधी- सीधी

चापलूसी है इस भाषा में कोई भी दो पंक्ति ले लीजिए पहली पंक्ति सामान्य रूप से कही जाती है ,दूसरी में ज़बर्ज़स्ती कीलें ठोक दी जातीं हैं किले खड़े कर दिए जातें हैं ..हरेक

पंक्ति के बीच यात्रा राहुल सोनिया के बीच की जाती है .एक छोर पर राहुल दूसरे पर सोनिया .

जिन्हें इतिहास का पता नहीं बलिदान का पता नहीं जिन्हें ये नहीं पता इस मुल्क के महाराष्ट्र जैसे राज्यों के तो कुल के कुल बलिदान हो गए,अनेक पीढियां हैं बलिदानी

.सावरकर को उम्र भर की सजाएं मिलीं .पंजाब में गुरुओं ने क्या जुल्म न सहे .क्या क्या कुर्बानी देश के लिए न दीं.

औरतें तो इस देश में खुद्द्दार हुआ करतीं थीं .चाटुकारिता कबसे करने लगीं? पुरुष बाहर रहता था उसे बेचारे को कई तरह के समझौते करने पड़ते थे .महिलाएं चारणगीरी नहीं

करतीं थीं .

और फिर चाटुकारिता के भी आलंबन होते थे .जिसकी चाटुकारिता की जाती थी उसमें कुछ गुण होते थे .जो योद्धा होते थे उनकी वीरता का यशोगान कर उनमें जोश भरा जाता

था .चाटुकारिता निश्चय ही राजपरिवारों के प्रति रही आई है .लेकिन इस पाए की नहीं .

लेकिन जिसे भारत की संस्कृति भाषा भूगोल आदि का ज़रा भी ज्ञान नहीं जिसका कोई कद और मयार नहीं वह आलंबन किस काम का .

ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .

गीता में अनासक्त भाव की भक्ति का योग है .लेकिन जिस भक्ति भाव और तल्लीनता से यह चाटुकारिता की गई है वह श्लाघनीय है

भले यह स्तुति इनका वैयक्तिक

मामला हो .

सन्दर्भ -सामिग्री :-


Monday, October 1, 2012

इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .
इसलिए राहुल सोनिया पर ये प्रहार किये जाते हैं .

जगमगाते अपने तारे गगन पर गैर मुल्कों के ,
तब घमंड से भारतीय सीने फुलाते हैं .
टिमटिमायें दीप यहाँ आकर विदेशों से ,
धिक्कार जैसे शब्द मुहं से निकल आते हैं .

नौकरी करें हैं जाकर हिन्दुस्तानी और कहीं ,
तब उसे भारतीयों की काबिलियत बताते हैं .
करे सेवा बाहर से आकर गर कोई यहाँ ,
हमारी संस्कृति की विशेषता बताते हैं .

राजनीति में विराजें ऊँचे पदों पे अगर ,
हिन्दवासियों के यशोगान गाये जाते हैं .

virendra sharma said...

ram ram bhai
मुखपृष्ठ

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012
ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .
http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/10/blog-post_6908.html

दिवस said...

ल्यो जी अब ये नया घोटाला, भाषा घोटाला।
सोनिया द्वारा हमारी हिंदी की टांग तोडना भी तो किसी घोटाले से कम नहीं। नर्मदा इसे नर-मादा लगती है, या सच में नर-मादा परियोजना की ही बात कर रही थी? क्योंकि लक्ष्ण तो इसके ऐसे ही हैं।

अब आप ज़रा प्रतीक्षा कीजिये। कुछ सनकी सियार आप पर पुन: एक पोस्ट लिखने वाले हैं अपनी सोनिया माता की चाटुकारिता की खातिर व दिव्या देवी के तेज़ से जलने पर बिलबिला कर।

virendra sharma said...

क्या गूगल पे कोंग्रेस ने कोई एजेंट बिठा रखा है

स्पैम बोक्स और भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस में एक साम्य है -

एक कोंग्रेस विरोधी टिप्पणियाँ चट कर रहा है ,

दूसरी देश की संपदा को कोयले में तबदील कर रही है -

लेकिन हिंदी को आगे बढा रही है सोनियावी कोंग्रेस -



इसलिए कहती है नर्मदा को नर और मादा -

देखा आपने क्या दिमाग पाया है ,

इटली का पीज़ा खाया है .

virendra sharma said...

क्या गूगल पे कोंग्रेस ने कोई एजेंट बिठा रखा है

स्पैम बोक्स और भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस में एक साम्य है -

एक कोंग्रेस विरोधी टिप्पणियाँ चट कर रहा है ,

दूसरी देश की संपदा को कोयले में तबदील कर रही है -

लेकिन हिंदी को आगे बढा रही है सोनियावी कोंग्रेस -



इसलिए कहती है नर्मदा को नर और मादा -

देखा आपने क्या दिमाग पाया है ,

इटली का पीज़ा खाया है .

virendra sharma said...

नर्मदा को नर और मादा कहने वाली चील scavenger होती है. चील भारतीय संपदा को दूर से देख लेती है .अब गुजरात की बारी है .