Monday, October 8, 2012

उन्हें रुलाने की कोशिश न करना..

जिल्लत और दुःख सहते-सहते आँखों के आंसू सूख भी जाते हैं कभी-कभी ! जो रोते नहीं हैं कभी, वे अन्दर से टूटे हुए होते हैं अक्सर ! उन्हें रुलाने की कोशिश न करना क्योंकि उनके आवाज़ की झूठी अकड़ ही उनका एकमात्र सहारा होती है जीने का । उनकी आँख से आंसू तभी गिरता है जब वो अंतिम सहारा भी छिन जाता है ! ज़िन्दगी से हार मान लेता है जब वो। 

8 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह दिव्या....
आज तो दिल में उतर गए आपके लफ्ज़....
वरना दिमाग ठनका देते हैं:-)

सस्नेह
अनु

Sunil Kumar said...

सही कहा आपने, आपसे सहमत.

विभूति" said...

खुबसूरत अभिवयक्ति.....

Arvind Jangid said...

उन्हें रुलाने की कोशिश न करना....!!!

प्रवीण पाण्डेय said...

सच कहा आपने, बिना आँसू वाला कभी कहीं अधिक दुखी हो सकता है, संवेदनायें बनाये रहें हम सब।

निर्मला कपिला said...

सही कहा।

Dharmraj Choudhary said...

wah bahut hi achchha

Dharmraj Choudhary said...

bahut achchha