कभी-कभी किसी का व्यक्तित्व समय के साथ ऐसा बन जाता है की हज़ारों लोग उससे
ऊर्जा , हिम्मत और ताकत पाने लगते हैं ! निर्भर करने लगते हैं उस पर ! ऐसे
में उस व्यक्ति का दायित्व बहुत बढ़ जाता है , स्वयं से जुड़े हज़ारों लोगों
की जिम्मेदारी उस पर होती है ! उसका कमज़ोर पड़ना उन हजारों को निराश कर
देता है जिसका ऊर्जा-स्रोत होता है वह ! अतः अपनी जिम्मेदारी समझें और
कमज़ोर न पड़ें , चाहे कैसी भी कठिन परिस्थिति क्यों न आ जाए ! बढ़ता दायित्व संभालिये ! कदम आगे बढाने के लिए होते हैं , पीछे खींचने के लिए नहीं !---जय हिंद ! वन्दे मातरम् !
Zeal
Zeal
10 comments:
सही कहा...
अमल में लाने योग्य संदेश।
सही बात कही आपने...
कदम कदम बढाए जा ,ख़ुशी के गीत गाए जा ,
ये ज़िन्दगी है कौम की ,तू कौम पर लुटाए जा .
कदम कदम बढाए जा ,ख़ुशी के गीत गाए जा ,
ये ज़िन्दगी है कौम की ,तू कौम पर लुटाए जा .
प्रेनाष्पद है ये लेख आप लिखते रहे यही अपेक्षा है .
दीर्घतमा
सच कहा, ठिठकना पुरुषार्थ नहीं।
दायित्व लिया है तो निभाना ज़रूरी है .
Sikhaane yogya Seekh!
बहुत सही कहा है आपने
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