कांग्रेसी कोयला मंत्री का यह कहना कि -- "औरत जब पुरानी हो जाती है तो मज़ा नहीं देती " ---बेहद दुखद और खेदजनक है ! इस तरह के बेहूदा और अश्लील बयान देने वाले सत्ता में बैठकर , जनता के पैसों पर ऐश कर रहे हैं। और उससे भी घृणित ये है की कांग्रेसी महिला मंत्री इन जैसों के इस घटिया बयान को लीपा-पोती कर सही ठहरा रही हैं। क्या हो गया है इन कांग्रेसियों को? न पुरुषों में लज्जा है न ही स्त्रियों में कोई स्वाभिमान शेष रह गया है?
महिला आयोग भी चुप हैं ?
हो रहा भारत निर्माण ....?
15 comments:
जब बयान इतना बेहूदा, बेशर्मी से खी खी की |
क्रियान्वयन होगा कैसा तब, क्या बोलूं बस छी छी छी |
कांग्रेस की महिला कर्मी, अगर अधर्मी मिल जाये तो-
बोलो बोलो क्या बोलोगी, कर देना बस ही ही ही ||
प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
कुछ तो शर्म करो मेरे नेता जी
श्री प्रकाश जैसवाल ने कोई गलत नहीं कहा क्यों की उनके आदि पुरुष गाँधी और नेहरु तो यही करते थे इस नाते उनका कोई अपराध नहीं, अपराध तो भारतीय जनता का है जो इन कांग्रेसियों को वोट देती है.
महिला आयोग ने ही तो पहल की थी जायसवाल के विरुद्ध शिकायत करने की. इस प्रकार के बयान भर्त्सनीय हैं. सच ये है कि ये इन लोगों की मर्दवादी मानसिकता को दिखाते हैं.
उनने अपनी अस्लियत बता दी,अच्छी तरह समझ लेना जनता का काम है!
सोनिया गांधी की जै बोलने के अलावा इन्हें कुछ नहीं आता .
तू मैं ,(शादी से पहले )
तूमैं ,(हो गई शादी ,तू मैं मिलके हम हो गए )
तू तू .में में .... (हो गई कलह शुरु शादी के बाद )
मंत्री जी इसी बात को व्यंजना में भी कह सकते थे .
अब भुगतो !
जील
उन्होने पुरानी पत्नी कहा था , अब पत्नी पर तो "इतना अधिकार " होता ही हैं ना की उसके खिलाफ कुछ भी लिख सको
वैसे मुझे सबसे ज्यादा हंसी ब्लॉग लेखको पर आती हैं जो इन पोस्ट पर कमेन्ट करते हैं और अपने ब्लॉग पर खुद यही सब लिख ते हैं और आपत्ति करो तो नाम को बिगाड़ कर रे- चना लिखते हैं और एक बार नहीं निरंतर कई पोस्ट पर करते ही रहते हैं
जब तक ये सब खुद यही करते हैं केवल किसी की पोस्ट पर कविता इत्यादि कमेन्ट में लिखने से क्या होता हैं
@और अपने ब्लॉग पर खुद यही सब लिख ते हैं और आपत्ति करो तो नाम को बिगाड़ कर रे- चना लिखते हैं और एक बार नहीं निरंतर कई पोस्ट पर करते ही रहते हैं
जब तक ये सब खुद यही करते हैं केवल किसी की पोस्ट पर कविता इत्यादि कमेन्ट में लिखने से क्या होता हैं
रेचना का शाब्दिक अर्थ -
अधोवायु या मल का बाहर निकालना होता है आदरेया ||
और रे-चना का अर्थ भी फूहड़ नहीं है-
रविकर फटीचर जैसा ही -सामान्य-
वाणी पर संयम जरूरी है!
यह बयान क्षम्य नहीं है!
ravikar ji
aap ne jis tarah रे- चना kaa prayog kiyaa thaa wo aap khud jaantae haen
aur kyun kiyaa thaa yae bhi jaantae haen
shabdik arth kyaa haen unkae bhaashan kaa yae mantri ji bhi do din sae samjhaa rahey haen phir antar kyaa haen un mae aur aap me
Samne aaye to zaban kheench lun.
काँग्रेस की घिनौनी सोच का यह एक नमूना भर है ।
काँग्रेस की घिनौनी सोच का यह एक नमूना भर है ।
काँग्रेस की घिनौनी सोच का यह एक नमूना भर है ।
Post a Comment