डॉ राजेन्द्र प्रसाद -
-भारत के प्रथम राष्ट्रपति का जन्म , बिहार के जिला सीवान में ३ दिसंबर १८८४ को हुआ था। इनके पिता नाम महादेव सहाय तथा माता का नाम कमलेश्वरी देवी था।
-ये भारत के एक मात्र ऐसे प्रेसिडेंट थे जो अपनी तनख्वाह का चौथाई हिस्सा , संस्कृत के विद्यार्थियों को दे देते थे।
-विद्या के धनी डॉ राजेन्द्र प्रसाद
गोल्ड मेडलिस्ट थे । परीक्षा में कहा जाता था-' अटेम्प्ट ऐनी फाइव
'....राजेंद्र प्रसाद सभी प्रश्न हल करके लिख देते थे - " चेक ऐनी फाइव '
- भारत का पहला संविधान १९४८-१९५० , डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बनाया था।
-इन्हें भारत के सर्वोच्च पुरस्कार 'भारत-रत्न ' से पुरस्कृत किया गया।
आजादी के बाद , गांधी जी ने
राजेन्द्र प्रसाद को प्रधान मंत्री बनाना चाह तो इन्होने अस्वीकार कर दिया
और नेहरु को बनाने के लिए कहा। फिर गांधी जी ने इन्हें राष्ट्रपति बनाना
चाह तो इन्होने अस्वीकार करते हुए कहा की- " मैं कर्ज में डूबा हुआ हूँ और
मैं नहीं चाहता की आजाद भारत का पहला प्रेसिडेंट कर्जदार हो। तब गाँधी जी
ने जमुना लाल बजाज को बुलाकर इनको कर्ज-मुक्त कराया और तब ये राष्ट्रपति
बने।
नेहरु जी द्वारा प्रस्तुत - ' हिन्दू कोड बिल ' को जब डॉ राजेंद्र प्रसाद के सामने लाया गया तो उन्होंने उसे
अस्वीकार कर दिया, काट-छाँटके बाद दुबारा लाया गया तो पुनः आपति जाहिर की,
तीसरी बार में जाकर वह बिल पास` हुआ । तब तक उसका दो-तिहाई हिस्सा हटाया
जा चूका था। यदि वो बिल उस समय पूरा पास हो जाता तो भारत का नैतिक मूल्य
जो आज आजादी के साठ साल बाद गिरा है, वो तभी गिर चुका होता।
उस बिल पर डॉ राजेन्द्र प्रसाद को
सख्त आपत्ति थी। उन्होंने लिखा है -- [" Had there been any clause of
referendum in the constitution of India, the electorate would have
decided the question. "]
यानि, यदि यह संवैधानिक अधिकार जनता के पास होता तो यह बिल कभी पास नहीं होता।
21 comments:
सच्चे लीडर को प्रणाम ||
आपके कहने का तरीका भले ही कठोर है लेकिन सच के करीब
स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद जी सच्चे अर्थों में हमारे नेता थे.... उन्हें विनम्र श्रधांजलि
दिव्या जी कुछ औऱ बातें जोड़ना चाहूगा यहां पर...
1-राजेंद्र प्रसाद इकलौते ऐसे राष्ट्रपति हैं जो दो बार चुने गए..
2-दोनो बार उनके गृह प्रदेश से उन्हें लगभग 99 फीसदी वोट मिले..जो अब तक किसी को नहीं मिले है....
3-नेहरुी जी नहीं चाहते थे कि राजेंद्र बाबू दूसरी बार भी राष्ट्रपति बने ..पर पर्दे के पीछे कई कांग्रेसी औऱ उस सबसे बढ़कर राजेंद्र बाबू का अपना कद इतना बड़ा था कि नेहरु ने न चाहने पर भी वो दूसरी बार देश के राष्ट्रपति बने।
4-गांधीजी ने जब राजेंद्र बाबू को राष्ट्रपति बनने कि लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया था। दरअसल नेहरु से राजेंद्र प्रसाद जी की बनती नहीं थी। तब गांधीजी ने कहा था कि कोई तो होना चाहिए जो जहर भी पिए..तब जाकर राजेंद्र बाबू ने राष्ट्रपति बनना स्वीकार किया था।
5-राजेंद्र बाबू के अंतिम संस्कार में नेहरु शामिल नहीं हुए थे।
डॉ.राजेन्द्र प्रसाद जैसे दृढ़ चरित्र के व्यक्ति अब कहाँ ,अगर हों भी तो उनके लिये कोई अवसर नहीं आज की राजनीति में .
राजेन्द्रबाबू को नमन..
बहुत अच्छी जानकारी प्राप्त हुई ... वाकई वे एक महान व्यक्तित्व वाले और प्रतिभा के धनी इंसान थे।
बहुत अच्छी जानकारी प्राप्त हुई ... वाकई वे एक महान व्यक्तित्व वाले और प्रतिभा के धनी इंसान थे।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का कर्जदार तो यह देश है। यदि हिन्दू कोड बिल को उन्होंने उस समय अस्वीकार नहीं किया होता तो सच में आज के भारत में हिन्दू नामक प्रजाति खत्म ही हो जाती।
डॉ. प्रसाद के "चेक ऐनी फाइव" की तर्ज़ पर मैंने भी एक बार अपनी इंजीनियरिंग के चौथे सेमेस्टर के एक पेपर डिजिटल इलेक्ट्रोनिक्स में ऐसा किया था। सच में बहुत सुकून मिला था।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को नमन !!!
डा राजेन्द्र प्रसाद ऐल ऐल डी थे जबकि नेहरू केवल बार ऐट ला (ला ग्रेजुएट)- महज असफल वकील - थे। डा राजेन्द्र प्रसाद तथा राजगोपालाचार्य ने तिब्बत समझोते का विरोध किया था लेकिन नेहरू ने दोनों राजनीतिज्ञों की सलाह को नकार कर देश को धोखे में रखा। सभी पुरानी बातों पर विचार कर के सोचें क्या नेहरू सचमुच देश भक्त थे या फिर कुछ और?
वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे उन्होंने सोमनाथ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नेहरु के विरोध के बावजूद सामिल हुए --- अच्छी पोस्ट.
राजेन्द्रबाबू को नमन..
राजेन्द्र बाबू एक सच्चे देशभक्त और सच्चे भारतीय नेता थे।
उन्हें नमन।
राजेन्द्र बाबू के बारे में अच्छी जानकारियाँ साझा करने के लिए धन्यवाद !!
श्रद्धेय राजेंद्र बाबू को नमन|
सबसे पहले तो रोहितास कुमार जी के कमेन्ट में बताए गए तथ्य बहुत रुचिकर लगे |
अब आपकी पोस्ट की बात तो जैसा बहुत शुक्रिया इतनी महान शख्सियत को खुद याद करने और हमें याद दिलाने के लिए ,
मेरा व्यक्तिगत रूप से ये मानना है कि आजाद भारत के मजबूत निर्माण में सबसे बड़ा भाग सरदार पटेल , बाबू राजेन्द्र प्रासाद और श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का था |
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