आज के दिन 3 दिसंबर 1984 को देश की सबसे बड़ी
त्रासदी जिसमें भोपाल में गैस (MIC) त्रासदी में तकरीबन 25 हज़ार मौतें हुयीं। भोपाल में उस
त्रासदी का आरोपी वारेन एंडरसन फरार है क्यों सरकार ने फिरंगियों से
रिश्वत जो खायी है ! नहीं पकड़ेगी उसे ! नहीं मिलेगा न्याय मरने वालों को
और उनके बचे-खुचे व्याधिग्रस्त परिवार जनों को! आज भी भोपाल में उस
त्रासदी से प्रभावित लोगों की संतानें विकलांग पैदा हो रही हैं , लेकिन
सरकार इन सब बातों से बेपरवाह है !
13 comments:
मार्मिक -
सत्ता सुख के आगे-
बेबस हैं बेचारे-
इन्हें कौन मारे-
kisi ki bhool, kisi ko sazaa. lekin ye santrast logon ko ek inaam hai ki itne samay baad bhi aapne unka dukh yaad kiya.
क्या कहें , एंडरसन को मेहमान की तरह देश से विदा करने वाले राज कर रहे है उसी बेवकूफ जनता पर जिसने दर्द सहे !
इन सब कामो के लिए सरकारों को फुर्सत नहीं-----!
आम जनता में इसका दर्द आज भी है लेकिन सरकार वोट बटोरने की निति में मशगुल है ..
हमें ऐसी सरकार की आवश्यकता नही जो जनता का दर्द न समझे।
आम जनता में इसका दर्द आज भी है लेकिन सरकार वोट बटोरने की निति में मशगुल है ..
हमें ऐसी सरकार की आवश्यकता नही जो जनता का दर्द न समझे।
"भारत तरक्की कर रहा है |
कैसे ?
अरे भाई , यहाँ अमीर और अमीर हो रहा है (और गरीब उससे भी ज्यादा तेजी से और गरीब हो रहा है )"
डार्विन का सिद्धांत पूरी तरह अपने देश पर लागू होता है , बड़ा जीव छोटे जीव को मारकर जिन्दा है |
और साथ ही साथ इंसानियत भी मर रही है |
सादर
घाव अब भी हरे हैं...हमने तो भोगा है स्वयं.
श्रद्धासुमन..
अनु
सुन्दर प्रस्तुति !!
जाके पांव न फटी बेवाई
सो का जाने पीर पराई
सत्ता के सगे तो मौज मे है देश और जनता जाये चूल्हे मे
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 4/12/12को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
अमरीकी कम्पनी युनियन कार्बाइड को भारत सरकार (राजिव गांधी) ने उस समय एक परिक्षण की अनुमति दी थी। युनियन कार्बाइड एक बम बनाने वाली कम्पनी है। राजिव गांधी ने हजारों भारतीयों की जान की कीमत पर यह परिक्षण करवाया। और बहाना बनाया कि एनर्जी प्लांट में गैस का रिसाव हो गया। गैस भी कौनसी , मिथाइल आइसो सायनेट...
अब बताएं, कि यह कौनसी सुधरी हुई कम्पनी थी जो मिथाइल आइसो सायनेट का उपयोग कर रही थी? यह तो एक जहरीली गैस है जो सिर्फ विस्फोटक बनाने के काम आती है। तो क्या हम भारतीयों की जान इतनी सस्ती है कि गोरी चमड़ी के विदेशियों को और अमीर बनाने के लिए हमे ही बलि का बकरा बनाया जाएगा? और नीचता की हद तब हो गयी जब चुप्ले से वारेन एंडरसन को प्लेन से भगा दिया।
राजिव गांधी को उसके किये की सजा भगवन ने दे दी। कुत्ते की मौत मारा, और पीछे छोड़ गया एक विदेशी पत्नी जो देश के साथ-साथ उसके अपने परिवार को भी खा गयी।
भूली हुई त्रासदी को याद किया,धन्यवाद.
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