ये माया और मुलायम अली दोगले हैं हाई ब्रीड उपज हैं राजनीति की क्रोस ब्रीड हैं .भाषण में इनके लिए प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश भारत को गुलाम बनाने की सजाइश है और व्यवहार में ये इसके साझीदार हैं .चर्च की एजंट के दल्ले हैं .
रंगे सियार कुछ भी बर्दाश्त करेंगे किन्तु सांप्रदायिक शक्तियों को नहीं। इन भूखे भेडियों से तो यह प्रश्न पूछने की औकात अरविन्द केजरीवाल की भी नहीं कि अर्थ नीति में संप्रदाय बीच में कहाँ से आ गया
ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ ,तथा 'सपा 'और 'बसपा 'ने जो कुछ किया उस पर टिपण्णी करने की तो देश को कोई ज़रुरत नहीं है ,पर जो कुछ इस देश ने महसूस किया है उस
पर विचारक कवि डॉ .वागीश मेहता की ये पंक्तियाँ पठनीय हैं :
सत्ता जीती संसद हारी ,
हारा जनमत सारा है ,
चार उचक्के दगाबाज़ दो ,
मिलकर खेल बिगाड़ा है .
एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :
11 रंगे सियार है ये राजनीति के Virendra Kumar Sharma कबीरा खडा़ बाज़ार में एवं A रंगे सियार .. ZEAL
होता पर्दाफाश है, खा खरबूजा खाज । हुक्कू हूँ डट के किया, जोर-शोर का राज । जोर-शोर का राज, ऊँट किस करवट बैठे । बड़े मतलबी दोस्त, रहे बाहर से ऐंठे । अन्दर मेल-मिलाप, बना सत्ता का तोता । यू पी माया विकट, मुलायम मूषक होता ।
इनके पिछलग्गुओं में अगर अपनी औलाद और अपने देश के प्रति चिंता है तो चुनावों के वक्त इन्हें करारी मात दे'कर सबक सिखाएं … … … … … … वरना चाटते रहें इनका पिछवाड़ा !
22 comments:
बहुत ही बढ़िया सत्य फ़रमाया है आपने,
अरुन शर्मा
www.arunsblog.in
कच्चे रंग पहली बारिश में उतर जाते हैं.....
:-)
अनु
होता पर्दाफाश है, खा खरबूजा खाज ।
हुक्कू हूँ डट के किया, जोर-शोर का राज ।
जोर-शोर का राज, ऊँट किस करवट बैठे ।
बड़े मतलबी दोस्त, रहे बाहर से ऐंठे ।
अन्दर मेल-मिलाप, बना सत्ता का तोता ।
यू पी माया विकट, मुलायम मूषक होता ।
ये माया और मुलायम अली दोगले हैं हाई ब्रीड उपज हैं राजनीति की क्रोस ब्रीड हैं .भाषण में इनके लिए प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश भारत को गुलाम बनाने की सजाइश है और व्यवहार में ये इसके साझीदार हैं .चर्च की एजंट के दल्ले हैं .
:)
Liked the way you have expressed it.
रंगे सियार कुछ भी बर्दाश्त करेंगे किन्तु सांप्रदायिक शक्तियों को नहीं।
इन भूखे भेडियों से तो यह प्रश्न पूछने की औकात अरविन्द केजरीवाल की भी नहीं कि अर्थ नीति में संप्रदाय बीच में कहाँ से आ गया
यही है डबल गेम....
जनता सब समझती है....
Hundred Percent True.
well mam, the khadi wearing leaders have shown their colors a lot of time , its us who dont see them often
not their fault we let them do it :)
and they will continue doing it till WE the people put a stop to it
Bikram's
जी सच ही तो है कि सरकार सीबीआई चला रही है
what an idea madam ji
जिनका जैसा आचरण होता है वैसा ही व्यवहार करता है और उल्टा तो तब होता जब ये सरकार के खिलाफ वोट करते जो हुआ वो तो सब जानते ही थे !!
जनता मूर्ख कब तक बनेगी। अब तो कलई खुल गयी है।
इन्होने देश को बेचना तो कब का शुरू कर दिया था अब तो जनता को थोडा सा रंग दिखाया है.
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
बेहतर प्रस्तुति !!
बिल्कुल सही कहा आपने 1
ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ ,तथा 'सपा 'और 'बसपा 'ने जो कुछ किया उस पर टिपण्णी करने की तो देश को कोई ज़रुरत नहीं है ,पर जो कुछ इस देश ने महसूस किया है उस
पर विचारक कवि डॉ .वागीश मेहता की ये पंक्तियाँ पठनीय हैं :
सत्ता जीती संसद हारी ,
हारा जनमत सारा है ,
चार उचक्के दगाबाज़ दो ,
मिलकर खेल बिगाड़ा है .
एक प्रतिक्रया ब्लॉग पोस्ट :
11
रंगे सियार है ये राजनीति के
Virendra Kumar Sharma
कबीरा खडा़ बाज़ार में एवं
A
रंगे सियार ..
ZEAL
होता पर्दाफाश है, खा खरबूजा खाज ।
हुक्कू हूँ डट के किया, जोर-शोर का राज ।
जोर-शोर का राज, ऊँट किस करवट बैठे ।
बड़े मतलबी दोस्त, रहे बाहर से ऐंठे ।
अन्दर मेल-मिलाप, बना सत्ता का तोता ।
यू पी माया विकट, मुलायम मूषक होता ।
इनके पिछलग्गुओं में अगर अपनी औलाद और अपने देश के प्रति चिंता है तो चुनावों के वक्त इन्हें करारी मात दे'कर सबक सिखाएं …
… …
… … …
वरना चाटते रहें इनका पिछवाड़ा !
BAHUT KHOOB,NAGNTA KI PARAKASTHA
'गागर में सागर' भरती पोस्ट |
:)
Sahee kaha bilkul.
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