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Saturday, October 6, 2012

अब वो बीमार रहती है..

पिज्जा बेचते-बेचते उसके मनहूस कदम भारत भूमि पर पड़ गए ! अब वो बीमार रहती है !इलाज के लिए बार-बार विदेश जाती है क्योंकि भारत के चिकित्सक भ्रष्टाचार से पीड़ित इस महिला का इलाज करके अपयश के भागीदार नहीं होना चाहते ! इनका रोग लाइलाज है !

इनकी विदेश यात्राओं पर 1880 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं सरकारी खजाने से ! जब मौत आती है तो गीदड़ शहर की तरफ भागता है , लेकिन ये तो काला धन छुपाने अमेरिका भागती है ! कोई समझाएं इन्हें की ऊपर का टिकट जब कटता है तो कुछ भी साथ नहीं जाता है साथ में ! अगले सत्र में सरकारी खर्चे पर की गयी इनकी निजी यात्राओं पर प्रकाश डाला जायेगा

जय हिन्दू ! जय हिन्दू राष्ट्र ! भारत माता की जय !

Friday, March 9, 2012

राष्ट्रवादी लेखकों के फेस-बुक अकाउंट बंद !

धन्य हैं वे सभी फेसबुकिये, जिनके लेखन से डरकर 'चिम्पांजी सरकार' उनके अकाउंट बंद कर रही है और लानत है उन सब पर जिनके खाते अभी तक चालू हैं। अरे सौभाग्य समझो अपना की चिम्पांजी डरने लगे हैं राष्ट्रवादियों से। लिखो। जम कर लिखो। भ्रष्टाचार के खिलाफ बेख़ौफ़ होकर लिखो। एक अकाउंट क्या , इन भ्रष्टों के खिलाफ तो हम लाखों अकाउंट बनायेगे ये बंद कराते जायेंगे, हम धार बढाते जायेंगे। ये हमें तोड़ने आयेंगे , हम इन्हें छील कर खायेंगे। जो जनता को रौंदेगा, हम उसे कुचलते जायेंगे। --वन्देमातरम।

Thursday, March 8, 2012

इमानदारी और निष्ठा की सजा है- मौत

ऐसा नहीं की देश में इमानदारों की कमी है। लेकिन इमानदारी और निष्ठा दिखाने वालों की सजा है मौत। ग्वालियर के बामौर इलाके में एक IPS अधिकारी की ट्रक से कुचलकर हत्या कर दी गयी, क्योंकि उन्होंने अवैध उत्खनन को रोकने का प्रयास किया था। उनकी पत्नी जो स्वयं एक आईएस ऑफिसर हैं और इस समय गर्भवती भी थीं, उनकी तो दुनिया ही उजड़ गयी। गुंडों ने इमानदारों की इमानदारी भी खरीद ली। जो बिकने को तैयार नहीं , उनकी ज़िन्दगी उजाड़ डाली। भ्रष्ट सरकार के राज में अनाचार। यथा राजा तथा प्रजा।

Wednesday, March 7, 2012

देश का दुर्भाग्य...

भारत देश का ये दुर्भाग्य है की यहाँ की राजनीतिक पार्टियाँ सिर्फ अपने बारे में सोचती हैं देश के बारे में सोचना उन्हें गुनाह लगता है सपा और बसपा जैसे दल के नेताओं के पास इतनी बुद्धि ही नहीं है की वे राष्ट्र हित में सोच भी सकें इनको तो ये भी नहीं पाता की जश्न कभी बन्दूक की गोलियों से नहीं मानना चाहिए उस मासूम का गुनाह क्या था जिसकी मौत हो गयी पत्रकारों की पिटाई क्यों की गयी इतनी जल्दी यादव जी की पार्टी अपनी गुंडागर्दी दिखाएगी , ये मालूम था उत्तर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस का बहिष्कार करके एक और अच्छा तो किया लेकिन गवारों के इस दल को जिताकर भारी भूल की है

बीजेपी चाहती तो आसानी से इस समस्या का हल निकल सकता था उन्हें अपने प्रधानमंत्री(मोदी) और उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री (सुश्री उमा भारती) का नाम स्पष्ट रूप से घोषित करना चाहिए था गोल-मोल रखने से , ईर्ष्या द्वेष , आपसी फूट और षड्यंत्र की बू आती है जब तक एक जुट नहीं होंगे तब तक गुंडा राज झेलना ही पड़ेगा देश का धन निठाल्ले उड़ायेंगे और बाकि अपने स्विस खातों में जमा करते रहेंगे

Wednesday, August 17, 2011

७३ साल के सत्याग्रही से डरी सरकार

मारो , पीटो , बंदी बनाओ - यही है भारतीय सरकार की रणनीति ! कुचल दो , दमन कर दो , बुझा दो लोगों के दिलों में धधकती आग को , दबा दो जागरूक होती आवाजों को - यही है पहचान , भारतीय लोकतंत्र की !

कितने अन्ना और रामदेव को मारोगे, जिन्होंने अपने जैसे करोड़ों तैयार कर दिए हैं भारत-भूमि , देशभक्तों , सत्याग्रहियों , अहिंसावादियों , सत्यवादियों और स्पष्ट्वादियों से अभी खाली नहीं हुयी है आन्दोलन जारी रहेगा। दमन की नीति कारगर नहीं हो सकेगी लोकतंत्र सही अर्थों में बहाल होगा

गरीब जनता बढती महंगाई और भूखमरी से त्रस्त होकर आत्महत्या का विकल्प चुन रही है , जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है। हमारी सरकार तानाशाही की मिसाल कायम कर रही है। छोटे से लेकर बड़े , हर स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। ऐसे में अन्ना की मांग जायज है और बहुत जरूरी भी है। जनता की हर इकाई की यही मांग है। लोकपाल बिल के दायरे में सभी को होना चाहिए। आखिर डर किस बात का ? डर तो सिर्फ चोरों को लगना चाहिए। जो सही है उसे भय किस बात का?

वैसे हमारी सरकार इतनी भी कमज़ोर नहीं। आजादी के ६४ वर्षों में बड़ी उस्तादी से कुर्सी बचाए हुए है। एक अरब जनता को मूर्ख बनाना कोई मामूली काम नहीं है। अन्ना , रामदेव और उनके साथ उठती लाखों आवाजों का दमन करना कोई हमारी सरकार से सीखे।

लोगों का कहना है कि सभी राजनीतिक पार्टियाँ एक सी ही हैं , सरकार बदलने से कोई लाभ नहीं यदि यह सच है तो भी तख्ता पलटना चाहिए और यह सिलसिला तब तक जारी रहना चाहिए जब तक हम पर शासन करने वाली सरकारें अपनी जनता के हित में सोचना सीख जाएँ

हमारे बेशकीमती मतों का लाभ स्वार्थी सरकार आराम से ले रही है। हमारी सरकार कमज़ोर है, डरपोक भी। स्वार्थी और अलोकतांत्रिक भी। भ्रष्ट भी और असंवेदनशील भी। जो जनता कि आवाज़ का दमन करे , वह असंवैधानिक और अनैतिक भी है।

Zeal

Wednesday, June 15, 2011

क्या अनशन व्यर्थ गया ?

दो अनशन -

  • बाबा रामदेव का अनशन भ्रष्टाचार और काले धन की वापसी के लिए
  • स्वामी निगमानंद का अनशन गंगा नदी बचाने के लिए।

एक की मृत्यु हो गयी और दुसरे का अनशन तुडवा दिया गया क्या दोनों असफल हैं ? क्या अनशन व्यर्थ गया ? क्या सरकार की विजय हुयी ?

मेरे विचार से , कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता। विज्ञान की मानें तो ऊर्जा का नाश नहीं होता , ये केवल अपना स्वरुप बदलती है kinetic से potential , और कभी heat energy तो कभी sound आदि आदि...

इसी प्रकार बाबा के अनशन और स्वामी निगमानंद के अनशन से जो जन चेतना चुकी है , वही इस अनशन की सफलता है। सजग तो मनुष्य पहले से ही था, बस एक नेतृत्व की आवश्यकता थी मार्ग दर्शन की ज़रुरत थी अब जनता को दिशा मिल गयी है। यही सफलता है इस जन आन्दोलन की।

हार तो सरकार की हुयी है। सरकार ने इस पूरे प्रकरण में निम्न मिसालें कायम की हैं।

  • सरकार ने बर्बरता की मिसाल कायम की है।
  • इस देश में संतों का कितना अनादर होता है , ये बताया है।
  • कायरों का देश है जहाँ सोयी हुई निहत्थी जनता को मारा जाता है।
  • कोई भूखा प्यासा , देश के हित में मांग कर रहा है , तो कैसे उसके दम तोड़ने का इंतज़ार किया जाता है।
  • जनता के मूल अधिकारों का हनन करती है ।
  • लोकतंत्र की हत्या करती है ।
  • मानवता जैसी कोई चीज़ नहीं है राजनीतिज्ञों के दिलों में।
  • बाबा निगमानंद के ६८ दिन के अनशन पर भी जूँ तक नहीं रेंगी दृष्टिहीन और बधिर राजनीतिज्ञों पर।
  • ये सरकार तानाशाह है जो जनता पर शासन कर रही है , जनता के कष्टों से उसे कोई सरोकार नहीं है।
  • लोगों को five star होटल में बुलाकर गुप-चुप मंत्रणा करती है फिर धोखा और blackmail करके पत्र लिखवाती है , फिर पब्लिक में जलील करती है और सबके सोने का इंतज़ार करती और फिर निशाचरों की तरह अपनी असलियल दिखाती है।
  • इस देश में देशभक्त होना भी गुनाह है।
  • सच्चाई के मार्ग पर चलना गुनाह है।
  • दुश्मन मुल्कों के साथ नाश्ता पानी करती है।
  • आतंकवादियों को शाही दामाद की तरह रखती है , और मासूमों को पीटती है।
  • खुद तो दो जून की रोटी भी त्याग नहीं सकती , लेकिन देशहित सोचने वाले संतों और नागरिकों के मरने का इंतज़ार करती है।
  • सबसे बड़ी मिसाल तो घोटालों में कायम की है।
  • उससे भी बड़ी मिसाल सबकी धन-सम्पति पर आयोग बिठाने में की है
  • वाह जनाब वाह ! कमाल हैं आप !

विपक्ष की राजनितिक रोटियां -

विपक्ष में बैठे राजनीतिज्ञ भी अनशन की आंच पर अपनी कुटिल रोटियां सेंकते दिखाई दिए। घायलों का हाल चाल नहीं पूछा , केवल बयानबाजी की और जगह-जगह निरर्थक सत्याग्रह किया।

देशभक्ति के नाम पर अनावश्यक रूप से नाचा-गाया , लेकिन कोई देशभक्त भूख से दम तोड़ रहा है , उस दिशा में नहीं सोचा।

मायावती की सोंधी रोटी -

कांग्रेस की निंदा तो कर दी , लेकिन बाबा को अपने राज्य में घुसने की इज़ाज़त तक नहीं दी डर किस बात का ? सब एक जैसे हैं दम्भी और स्वार्थी चोर-चोर मौसेरे भाई

राहुल राजकुमार की राजनीति -

यत्र-तत्र गत्रीबों का झंडा लिए दिखाई दे जायेंगे। सब के दुःख-सुख से नकली सरोकार रखेंगे। देश के युवा को जागृत करते फिरेंगे। लेकिन जब लोग जागृत हो जायेंगे तो ये आँख बंद करके नंदन-कानन में underground हो जायेंगे

क्या इस सुकुमार को तंत्र की बर्बरता नहीं दिखी ? स्त्रियों , युवाओं और बुजुर्गों पर अत्याचार नहीं दिखा ? बड़ा selective दिल पसीजता है राजकुमार का।

ईमानदार प्रधानमन्त्री के रहते यदि भ्रष्टाचार पनपता है तो क्यूँ कोई अत्यंत-भ्रष्ट व्यक्ति को शासन की बागडोर सौंपी जाये , शायद राम राज्य वापस जाए ?

क्या ख़याल है आपका ?