अपने पाठक से विनम्र निवेदन है की , की मुश्किल की इस घडी में धैर्य न छोडें और माँ का पूरा ध्यान रखें। मैं आपके साथ हूँ।
माँ के स्वास्थ्य के लिए रुद्राष्टक का पाठ कर रही हूँ....
श्रीरुद्राष्टकम्
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे5हं॥1॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतो5हं॥2॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥3॥
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥4॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्।
त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजे5हं भवानीपतिं भावगम्यं॥5॥
कलातीत कल्याण कल्पांतकारी। सदासज्जनानन्ददाता पुरारी।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥6॥
न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥7॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतो5हं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं।
जराजन्म दु:खौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्न्मामीश शंभो।
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति॥
अर्थ :- हे मोक्षस्वरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशा के ईश्वर तथा सबके स्वामी श्रीशिवजी! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। निजस्वरूप में स्थित (अर्थात मायादिरहित), [मायिक] गुणों से रहित, भेदरहित, इच्छारहित, चेतन आकाशरूप एवं आकाश को ही वस्त्ररूप में धारण करने वाले दिगम्बर [अथवा आकाश को भी आच्छादित करने वाले] आपको मैं भजता हूँ॥1॥ निराकार, ओङ्कार के मूल, तुरीय (तीनों गणों से अतीत), वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलासपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे आप परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ॥2॥ जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गम्भीर हैं, जिनके शरीर में करोडों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुन्दर नदी गङ्गाजी विराजमान हैं, जिनके ललाटपर बाल चन्द्रमा (द्वितीया का चन्द्रमा) और गले में सर्प सुशोभित हैं॥3॥ जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, सुन्दर भ्रुकुटी और विशाल नेत्र हैं; जो प्रसन्नमुख, नीलकण्ठ और दयालु हैं; सिंहचर्म का वस्त्र धारण किये और मुण्डमाला पहने हैं; उन सबके प्यारे और सबके नाथ [कल्याण करने वाले] श्रीशङ्करजी को मैं भजता हूँ॥4॥ प्रचण्ड (रुद्ररूप), श्रेष्ठ, तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्यो के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों (दु:खों) को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किये, भाव (प्रेम) के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्रीशङ्करजी को मैं भजता हूँ॥5॥ कलाओं से परे, कल्याणस्वरूप, कल्पका अन्त (प्रलय) करने वाले, सज्जनों को सदा आनन्द देने वाले, त्रिपुर के शत्रु सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालने वाले कामदेव के शत्रु, हे प्रभो! प्रसन्न होइये, प्रसन्न होइये॥6॥ जबतक, पार्वती के पति आपके चरणकमलों को मनुष्य नहीं भजते, तबतक उन्हें न तो इहलोक और परलोक में सुख-शान्ति मिलती है और न उनके तापों का नाश होता है। अत: हे समस्त जीवों के अंदर (हृदय में) निवास करने वाले प्रभो! प्रसन्न होइये॥7॥ मैं न तो योग जानता हूँ, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो! मैं तो सदा-सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ। हे प्रभो! बुढापा तथा जन्म (मृत्यु) के दु:खसमूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दु:ख से रक्षा कीजिये। हे ईश्वर! हे शम्भो! मैं आपको नमस्कार करता हूँ॥8॥ भगवान रुद्र की स्तुति का यह अष्टक उन शङ्करजी की तुष्टि (प्रसन्नता) के लिए ब्राह्मण द्वारा कहा गया। जो मनुष्य इसे भक्तिपूर्वक पढते हैं, उन पर भगवान् शम्भु प्रसन्न होते हैं॥9॥
आभार।
42 comments:
ईश्वर आपकी प्रार्थना स्वीकार करें और उन्हे जल्दी ही स्वस्थ करें...मेरी भी यही दुआ है
मेरी भी यही प्रार्थना है..वह शीघ्र ही स्वस्थ हों
very touching.....We pray to God for her early recovery and good health......
आपकी प्रार्थना जरूर सफल होगी...
नीरज
ईश्वर आपकी प्रार्थना स्वीकार करें और उन्हे जल्दी ही स्वस्थ करें...मेरी भी यही प्रार्थना है
meri bhi shubhkanaayen hain!
....प्रार्थना में अलौकिक शक्ति होती है....अवश्य उनके माताजी को स्वास्थ्यलाभ होगा!...मै भी ईश्वर से प्रार्थना करती हूं!
परम पिता से माताजी की स्वास्थ्य ठीक होने की प्रार्थना करता हूँ. आप सहृदय है और साधुवाद की पात्रा भी .
माताजी को स्वास्थ्यलाभ होगा!.
Dearest ZEAL:
I came. I read.
Hope this will be published.
Arth Desai
मेरी भी प्रार्थना जोड लीजिए।
इस पवित्र और नेक उद्देश्य में आप का साथ देना चाहता हूँ
माँ किसी की भी हो, मेरे लिए सम्मानजनक है।
माँ कौन होती है यह कोई मुझसे पूछे।
मेरी माँ तो चार साल पहले चल बसी।
बहुत याद आती है उसकी।
जी विश्वनाथ
हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं की वे हमारी माताजी को स्वास्थ लाभ प्रदान करें .......
आत्मन बहन डॉ.दिव्या,आप जो कर रही हैं वह तो ऐसा इंसान ही कर सकता है जिसके दिल में सबके लिए सचमुच दर्द महसूस करने का जज़्बा हो। दवाएं असर करे न करें लेकिन प्रार्थनाएं और दुआएं अवश्य असर करेंगी ये मेरा विश्वास है। माता जी स्वस्थ हो रही हैं ऐसा विचार प्रारम्भ कर दीजिये। माँ तो वही है बस नाम अलग,जिस्म अलग,सामाजिक पहचान अलग.... इससे उस सृजन की महाऊर्जा पर कोई बदलाव नहीं आता वो तो शाश्वत सनातन और निरंतर है।
हृदय से आदर सहित
जिस विश्वास के साथ आपने प्रार्थना की है शिव अवश्य स्वीकारेंगे
्हम भी इस हेतु प्रार्थना रत हैं
माता जी को नमन
मेरे पिता बड़े मधुर स्वर से रुद्राष्टक का नित्य प्रति पाठ किया करते थे अतः मुझे इसे याद करने का प्रयास करना नहीं पड़ा. शिव प्रसन्न हों और सबकी पीड़ा हरें यही कामना है.
माँ शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें।
बचपन में नित्य इसका पाठ होता था घर में।
रामचरित्र मानस से लिए गए इस रुद्राष्टक के लिए आभार। उस मां के लिए हमारी भी दुआएं जोड़ लीजिए॥
मेरे भी सारे कष्टों का निवारण रुद्राष्टक के पाठ करने से ही होता है |हमारे बचपन में संध्या आरती में माँ हम सब बहनों को लेकर रुद्राष्टक का पाठ करती थी तभी से कंठस्थ हो गया है |हमरी प्रार्थना भी है माँ के लिए |आशुतोष भगवान उन्हें जल्द स्वस्थ करे |
दिव्याजी
बहुत सालो पहले करीब ४० साल पहले हम तीन बहनों के बीच हमारा एक छोटा भाई बीमार पड़ा था ऑर उसे खून देने कि नोबत आई थी उस समय खून देना बड़ी बात होती थी ऑर उससे भी ज्यादा निगेटिव ग्रुप का खून मिलना |मेरे पिता प्रोफ़ेसर थे उस समय कालेज के कई विद्यार्थी सामने आये पर ब्लड ग्रुप नहीं मिला आखिर में एक सरकारी अस्पताल के एक सफाई कर्मचारी का खून मिला जिसने जीवनदान दिया |उस रात हमने पूरी रात रुद्राष्टक का पाठ ऑर सुन्दर कांड का पाठ किया क्योकि हम भी छोटे थे ऑर लडकिया? हमे अस्पताल भी जाने नहीं दिया था |
पता नहीं इतने सालो बाद वो घटना आज स्मरण हो आई |
आपकी प्रार्थना में हम भी अपना स्वर मिला रहे हैं!
आपका यह भाव वंदनीय है।
मैं भी इसका प्रति दिन पाठ करता हूं। राम रक्षा स्त्रोत मंत्र भी काफ़ी सिद्ध है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
पोस्टर!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए!
प्रसाद की पंक्तिया हैं, जो स्वयं भी शिव भक्त थे :
दुखी पर करुणा क्षण भर हो
प्रार्थना पहरों के बदले,
मुझे विश्वास है कि वह सत्य
करेगा आकर तव सम्मान.
तव — तुम्हारा
मन क्रम वचन चरन रत होई ।
कृपा सिन्धु परिहरिअ कि सोई ।।
अशेष शुभकामनायें !
ईश्वर माँ के स्वास्थय की रक्षा करे ...!
आपकी प्रार्थना जरूर सफल हो.
दिव्या जी आपकी प्रार्थना ईश्वर तक जरुर पहुंच गई होगी। सरल औऱ सह्दय लोगो की प्रार्थना हमेशा उपर सीधे आसमान तक पहुंचती है। हम अकिंचन अज्ञानी हैं मंत्रों का सही उच्चारण नहीं जानते, इसलिए सिर्फ प्रार्थना करते हैं कि भगवान आपकी मनोकामना पूरी करें।
आपकी प्रार्थना ज़रूर सफल होगी।बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
काव्य प्रयोजन (भाग-९) मूल्य सिद्धांत, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
prarthana falibhut ho...maan ji shighra swasth hon.
Divyaji,
Aapka priyas sarahniya hai.U.S.A.key hospital mey resrach sey prarthna ka mahatva sweekarya hai-1965 mey Maunt Evrest fatah karney waley Capt.S.S.Kohli ki Miracle of Ardas Incredeble Survivers and Adventurs mey iska varnan hai,yeh khabar Dainik Jagran,Agra-08.09.2003 sey .
भगवान् आपकी प्रार्थना ज़रूर सुनेगें .... शुभकामनायें
माँ शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें।
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हार्दिक शुभकामनाएं!
शुभकामनायें! माँ को शीघ्र स्वास्थ लाभ हो।
हमारे घर में भी इस 20 तारीख को प्रदोष पूजन था!
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प्रिय अर्थ देसाई ,
आपकी लेखनी पर मुझे पूरा भरोसा है । बीमार माँ के लिए दो शब्द लिखे होते तो बहुत ख़ुशी होती।
विजय जी, शोभना जी, एवं सभी कि शुभकामनाओं का आभार। इसकी बहुत ज़रुरत है।
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भाई,
अब आप चिंता मत करना। देखिये इश्वर के साथ-साथ कितने लोगों की सुन्दर भावनाएं जुडी हुई हैं हमसे। जब मेरी माँ भर्ती थीं तो मैं मीलों दूर, कुछ न कर सकी उनके लिए। लेकिन आपका ये सौभाग्य है कि आप माँ के साथ हैं, और आपके पास उनकी सेवा का अवसर है। पूरी निष्ठा से माँ का ख़याल रखियेगा। मैं सशरीर वहां आ तो नहीं सकती , पर यकीन मानिए ह्रदय से आपके साथ हूँ।
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पाठक-बन्धु की माताजी के स्वास्थ्य-लाभ हेतु हमारी तरफ़ से भी शुभकामनायें।
MAYEE KI LIYE HARDIK SUBHKAMNAYE....
PRANAM.
ईश्वर आपकी प्रार्थना ज़रूर सुनेगा ... पाठक बंधु की माता जी जल्दी ही स्वस्थ होंगी ....
आपके पाठक की माताजी के शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना करता हूँ।
आपकी यह प्रार्थना भोले बाबा अवश्य सुनेंगे, माताजी को शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ हो इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, हमारी भी यही प्रार्थना है।
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