प्रिय राहुल (अमूल बेबी),
आज ख़याल आया , क्यूँ न तुम्हें एक पत्र लिखूं। हर किसी को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर , किसी की ज़रुरत होती है। तुम्हें नहीं लगता की तुम्हें है, लेकिन तुम्हें ज़रुरत है एक शुभचिंतक की, जो तुम्हे बताये की तुम क्या करो और देश को तुमसे क्या अपेक्षाएं हैं।
तुम सोने के पिंजरे मैं कैद हो, आजादी का सुख तुमने नहीं चखा है। बड़े वृक्ष के नीचे छोटा वृक्ष कभी नहीं पनपता । तुम कांग्रेस रुपी महा-वृक्ष के नीचे दिन प्रतिदिन सूख रहे हो। बाहर आ जाओ इस मृग-तृष्णा से । पार्टी के दिग्गज तुम्हारी पवित्र और मौलिक सोच को बदल डालेंगे और तुम्हें पता ही नहीं चलेगा। अपनी पहचान खुद बनाओ । त्याग दो मोह , इस उपहार में मिली विरासत का।
तुम्हारे पिताजी ४५ वर्ष की आयु में प्रधान मंत्री बने थे । तुम ४० वर्ष की आयु में ही अपने पिता से ज्यादा दुःख और दुनिया देख चुके हो। तुम देश का नेतृत्त्व करने की क्षमता रखते हो , लेकिन नहीं, त्याग दो कुर्सी के मोह को। इनकार कर दो लेने से, विरासत में मिलने वाले उपहारों को।
प्रिय राहुल तुम शतायु हो, ऐसी मेरी कामना है तुम्हारे लिए। देखो , अब सिर्फ ६० वर्ष हैं तुम्हारे पास इस देश के लिए कुछ कर सकने के लिए। इसलिए देर मत करो । आज़ादी के ६० साल बाद भी हम लोग दासता और मानसिक गुलामी में जकड़े हुए हैं। तुम कुछ करो राहुल। मुक्त कर दो अपने देशवासियों को इस विकृत मानसिकता से।
अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करो । तुम्हारे पास पैसा है, रुतबा है, जज्बा है , तुम शक्तिशाली हो। तुम्हारी आवाज़ गरीबों की, इमानदारों की, देश भक्तों की आवाज़ को मजबूत बनाएगी। विरासत में मिली अपनी शक्तियों को अपने लिए नहीं बल्कि अपने देश के गौरव की रक्षा , तथा जरूरतमंदों के लिए लगाओ। अगर तुम्हारे जैसे ताकतवर लोग नहीं सोचेंगे तो हम जैसे मामूली लोगों के आवाज़ उठाने से क्या होगा भला ? हमारी आवाज़ में आवाज़ मिलाओ राहुल।
सिद्धार्थ / राहुल / बुद्ध /- की तरह घर छोड़कर संन्यास लेने की जरूरत नहीं है । वहीँ रहो, उनके साथ रहो , लेकिन एक पार्टी के लिए मत जियो और सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए मत जियो। तुम पृथ्वी पर सबसे बड़े देश के सपूत हो। तुम्हारे एक -अरब भाई-बहन हैं। सबके बारे में सोचो।
और हाँ राहुल , अपनी एजुकेशन और बढाओ और कोशिश करो ये समझने की, कि हमारे देश में उच्च शिक्षा के लिए कितनी कम सीटें हैं और शिक्षा मेंहंगी भी है। कुछ करो । तुम कर सकते हो , क्यूंकि तुम सक्षम हो। देश में विद्यार्थियों को अच्छे शैक्षणिक संस्थानों कि ज़रुरत है। हो सके तो प्रति वर्ष , हर कसबे में एक विद्यालय और एक चिकित्सालय खुलवाओ।
तुमसे बहुत अपेक्षाएं हैं देश को। तुम कांग्रेस के नहीं , भारत माता के सपूत हो। लज्जित मत करो अपनी माता को। अभी भी देर नहीं हुई है, सही दिशा में बढ़ो । किसी के बहकावे में मत आओ। देश के बड़े-बड़े मुद्दों पर तटस्थ मत रहो। तुम्हारी चुप्पी बहुत खलती है। चुप रहना सबसे बड़ा अपराध है। इसके लिए ये गरीब जनता तुम्हें कभी नहीं माफ़ करेगी , जो तुम्हारे आगमन पर तुम्हें पलकों पर बिठा लेती है।
काश्मीर मुद्दा, अयोध्या मुद्दा, उच्च शिक्षा, वृद्धों और बच्चों , सबके लिए कुछ करो। कब तक यायावरी में जिंदगी गुजारोगे ? आज हम गरीबों क़ी महनत का ७० हज़ार करोड़ रुपया पानी क़ी तरह बह गया। इस पर कुछ बोलो, अंदर के सारे भेद खोलो । सच को छुपाओ नहीं। गुनाहगार को बचाओ नहीं। तटस्थ मत रहो, क्यूंकि वो तुम्हारे अपने हैं ? क्या हम सभी तुम्हारे नहीं हैं ?
प्रिय राहुल , तुम बदलाव लाना चाहते हो न ?, तो फिर देर किस बात क़ी ? स्वजन के मोह में गांडीव मत रखो। बांधो सर पे कफ़न और अपनी देश-सेवा से ये बता दो क़ी तुम्हारी रगों में भी देश-भक्ति से भरा , भारतीय लहू दौड़ रहा है।
मौका दो, नेताजी, भगत सिंह और शहीदों को तुम पर नाज़ करने का।
बता दो देश को , कि तुम्हारा जीवन देश के लिए समर्पित हैं। सुख और विलासिता में रहकर , देश के प्रति अपने कर्तव्यों को मत भुला देना।
जागो राहुल, देर न करो ।
तुम्हारी शुभचिंतक ,
दिव्या।
आज ख़याल आया , क्यूँ न तुम्हें एक पत्र लिखूं। हर किसी को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर , किसी की ज़रुरत होती है। तुम्हें नहीं लगता की तुम्हें है, लेकिन तुम्हें ज़रुरत है एक शुभचिंतक की, जो तुम्हे बताये की तुम क्या करो और देश को तुमसे क्या अपेक्षाएं हैं।
तुम सोने के पिंजरे मैं कैद हो, आजादी का सुख तुमने नहीं चखा है। बड़े वृक्ष के नीचे छोटा वृक्ष कभी नहीं पनपता । तुम कांग्रेस रुपी महा-वृक्ष के नीचे दिन प्रतिदिन सूख रहे हो। बाहर आ जाओ इस मृग-तृष्णा से । पार्टी के दिग्गज तुम्हारी पवित्र और मौलिक सोच को बदल डालेंगे और तुम्हें पता ही नहीं चलेगा। अपनी पहचान खुद बनाओ । त्याग दो मोह , इस उपहार में मिली विरासत का।
तुम्हारे पिताजी ४५ वर्ष की आयु में प्रधान मंत्री बने थे । तुम ४० वर्ष की आयु में ही अपने पिता से ज्यादा दुःख और दुनिया देख चुके हो। तुम देश का नेतृत्त्व करने की क्षमता रखते हो , लेकिन नहीं, त्याग दो कुर्सी के मोह को। इनकार कर दो लेने से, विरासत में मिलने वाले उपहारों को।
प्रिय राहुल तुम शतायु हो, ऐसी मेरी कामना है तुम्हारे लिए। देखो , अब सिर्फ ६० वर्ष हैं तुम्हारे पास इस देश के लिए कुछ कर सकने के लिए। इसलिए देर मत करो । आज़ादी के ६० साल बाद भी हम लोग दासता और मानसिक गुलामी में जकड़े हुए हैं। तुम कुछ करो राहुल। मुक्त कर दो अपने देशवासियों को इस विकृत मानसिकता से।
अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करो । तुम्हारे पास पैसा है, रुतबा है, जज्बा है , तुम शक्तिशाली हो। तुम्हारी आवाज़ गरीबों की, इमानदारों की, देश भक्तों की आवाज़ को मजबूत बनाएगी। विरासत में मिली अपनी शक्तियों को अपने लिए नहीं बल्कि अपने देश के गौरव की रक्षा , तथा जरूरतमंदों के लिए लगाओ। अगर तुम्हारे जैसे ताकतवर लोग नहीं सोचेंगे तो हम जैसे मामूली लोगों के आवाज़ उठाने से क्या होगा भला ? हमारी आवाज़ में आवाज़ मिलाओ राहुल।
सिद्धार्थ / राहुल / बुद्ध /- की तरह घर छोड़कर संन्यास लेने की जरूरत नहीं है । वहीँ रहो, उनके साथ रहो , लेकिन एक पार्टी के लिए मत जियो और सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए मत जियो। तुम पृथ्वी पर सबसे बड़े देश के सपूत हो। तुम्हारे एक -अरब भाई-बहन हैं। सबके बारे में सोचो।
और हाँ राहुल , अपनी एजुकेशन और बढाओ और कोशिश करो ये समझने की, कि हमारे देश में उच्च शिक्षा के लिए कितनी कम सीटें हैं और शिक्षा मेंहंगी भी है। कुछ करो । तुम कर सकते हो , क्यूंकि तुम सक्षम हो। देश में विद्यार्थियों को अच्छे शैक्षणिक संस्थानों कि ज़रुरत है। हो सके तो प्रति वर्ष , हर कसबे में एक विद्यालय और एक चिकित्सालय खुलवाओ।
तुमसे बहुत अपेक्षाएं हैं देश को। तुम कांग्रेस के नहीं , भारत माता के सपूत हो। लज्जित मत करो अपनी माता को। अभी भी देर नहीं हुई है, सही दिशा में बढ़ो । किसी के बहकावे में मत आओ। देश के बड़े-बड़े मुद्दों पर तटस्थ मत रहो। तुम्हारी चुप्पी बहुत खलती है। चुप रहना सबसे बड़ा अपराध है। इसके लिए ये गरीब जनता तुम्हें कभी नहीं माफ़ करेगी , जो तुम्हारे आगमन पर तुम्हें पलकों पर बिठा लेती है।
काश्मीर मुद्दा, अयोध्या मुद्दा, उच्च शिक्षा, वृद्धों और बच्चों , सबके लिए कुछ करो। कब तक यायावरी में जिंदगी गुजारोगे ? आज हम गरीबों क़ी महनत का ७० हज़ार करोड़ रुपया पानी क़ी तरह बह गया। इस पर कुछ बोलो, अंदर के सारे भेद खोलो । सच को छुपाओ नहीं। गुनाहगार को बचाओ नहीं। तटस्थ मत रहो, क्यूंकि वो तुम्हारे अपने हैं ? क्या हम सभी तुम्हारे नहीं हैं ?
प्रिय राहुल , तुम बदलाव लाना चाहते हो न ?, तो फिर देर किस बात क़ी ? स्वजन के मोह में गांडीव मत रखो। बांधो सर पे कफ़न और अपनी देश-सेवा से ये बता दो क़ी तुम्हारी रगों में भी देश-भक्ति से भरा , भारतीय लहू दौड़ रहा है।
मौका दो, नेताजी, भगत सिंह और शहीदों को तुम पर नाज़ करने का।
बता दो देश को , कि तुम्हारा जीवन देश के लिए समर्पित हैं। सुख और विलासिता में रहकर , देश के प्रति अपने कर्तव्यों को मत भुला देना।
जागो राहुल, देर न करो ।
तुम्हारी शुभचिंतक ,
दिव्या।
57 comments:
बता दो देश को , कि तुम्हारा जीवन देश के लिए समर्पित हैं। सुख और विलासिता में रहकर , देश के प्रति अपने कर्तव्यों को मत भुला देना।
जागो राहुल, देर न करो "ati uttam" par ek sawaal hai use hee kyo ouro ko bhee ab ye batanaa hogaa ki unaka jeevan तुम्हारा जीवन देश के लिए समर्पित हैं। सुख और विलासिता में रहकर , देश के प्रति अपने कर्तव्यों को मत भुला देना जागो राहुल, देर न करो ।
ek achchha blaag shubh kaamanaaye
sirf rahul kyon sare nayi pidhi ko kyon na awaj di jay?
Nice Post...
divya ji,
jis tarah se aapnr mister raajiv ji ke baare me vykhan likha hiai vah vastav me kabile tarrif hai.bahut achhi lagi apki yah post.
dhanyvaad---------------
poonam
सच को छुपाओ नहीं। गुनाहगार को बचाओ नहीं। तटस्थ मत रहो, क्यूंकि वो तुम्हारे अपने हैं ? क्या हम सभी तुम्हारे नहीं हैं ?
बिल्कुल सही कहा है मगर अगर वो सबको अपना समझे तब बात है ना……………क्या सच मे समझते हैं……………बहुत मुश्किल सवाल है ये………………फिर भी आपकी कोशिश के लिये आपको बधाई ……………शायद आपकी पुकार सुन ली जाये और देश का कुछ भला हो जाये।
bahut prernadyak....aabhar
संजीदा और खुला पत्र राहुल के नाम . अच्छा लगा पढ़कर . देश में राजनीति को नई विचारधारा की जरुरत है जी विकासोन्मुखी हो
bahut badhiya post..aapne rahulji ko patra me theek hi likhaa hai......rahul yadi aisa karen to desh kaa bhalaa hogaa.
...आशा करती हूं कि राहुल गांधी के मन पर इस पत्र का असर हो...और वह अपने सारे निर्णय भारत का हित ध्यान में रख कर ही लें!....सुंदर रचना!
आपके ब्लाग् पर आया पढ़कर बहुत अच्छा लगा
आपने पत्र लिखकर राहुल को अच्छे सुझाव दिये हैं,
मगर वो ब्लॉग पढें भी तो!
दिव्या जी , राहुल ही क्यों ?
यह आलेख आपकी इमानदार सोच और नसीहत का उदाहरण है. बहुत अच्छा लगा.
‘। बड़े वृक्ष के नीचे छोटा वृक्ष कभी नहीं पनपता ।’
अब वह इतना बड़ा हो गया है कि कुर्सी छोटी लगने लगी है :)
राहुल को हम और आप कांग्रेस और कांग्रेस के मालिको से जुड़े होने के कारण जानते है यदि वो इन दोनों से अलग हो गये तो उनका ना तो कोई अस्तित्व है और ना ही कोई उपयोग | राहुल राहुल इस लिए है क्योकि वो वहा है और उनमे से एक है तो वो कांग्रसी सोच से कैसे अलग हो सकते है | वो जोकाम कर रहे है वो अपनी पार्टी और परिवार के लिए कर रहे है देश के भले के लिए नहीं |
उतिष्ठत जाग्रत, प्राप्य वरान्निबोधत।
कहीं पढ़ा था कि राहुल का शाब्दिक अर्थ होता है बेड़ी (the chain).अब बेड़ीयों से आजादी की बातें?
बेड़ीयों को आभूषण मानने वाली कौम से अपील कीजिये, शायद बात बनें!!
मेरे ख्याल से राहुल जी अपनी पार्टी में ही रह कर भी अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं.कोई भी माँ बाप यह नहीं चाहते कि उनकी संतान उन से अलग हो.वो आज के युवा वर्ग के आदर्श हैं. और उनकी communication skill भी जिसका एक नमूना इस लिंक पर देखा जा सकता है-
http://www.youtube.com/watch?v=EfxDLpBCe3k
कह सकते हैं कि शायद उनका नेतृत्व सभी को पसंद आये.
पूरे देश को राहुल से बहुत उम्मीदें हैं।
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सोच रहा हूँ कि इतनी आत्मीयता और भक्ति भाव के साथ लिखे इस पत्र को कांग्रेस के युवराज व भारत के भावी निर्विवाद तारणहार के चित्र के सम्मुख सस्वर गाऊँ...
पर आरती का थाल कहाँ है ?...
...
मुझे भी कुछ कहना है :
_____________________
देश के सभी राहुल अपने-अपने पिता के पदचिह्नों पर चलें.
लेकिन कुछ चीज़ों से हमेशा बचे रहें तो परमपिता उन्हें सच्ची पापुलरटी दिलाएगा.
जिनसे बचें, वे हैं:
— विदेशी व्यामोह और धन की हवस,
— नैतिक चरित्र,
— निर्णय में जल्दबाजी.
हे राजीव गांधी के लाल राहुल!
विदेशी व्यामोह और धन की हवस आपको अपने पिता जैसी ही कीर्ति दिलायेगी.
हे प्रमोद महाजन के लाल राहुल!
नैतिक चरित्र समतुल्य रखोगे तो आपको भी पिता जैसी ही कीर्ति मिलेगी.
हे शरद द्रविड़ के लाल राहुल!
निर्णय में जल्दबाजी करके आप पिता की तरह अवकाश नहीं ले पाए, सो आप २०-२० में ही पिता जैसी ही कीर्ति अर्जित करो.
हे प्रथम बिग बॉस विनर राहुल!
आपको रॉय [राय] की ज़रूरत नहीं क्योंकि आप स्वयं रॉय हैं.
___________________
केवल मनोविनोद हेतु की गयी टिप्पणी
आपकी पोस्ट पढकर लगता है कि राहुल से उम्मीदें रखना इतना भी गलत नहीं हैं। वर्ना कुछ समय से इस परिवार के सदस्यों का नाम सुनकर ही मुझे गुस्सा आने लगता हैं।
... बहुत खूब !!!
सार्थक और सामयिक आलेख पढ़कर अच्छा लगा...देश की युवा पीढ़ी को अब जाग जाना चाहिए...बधाई।
दिव्याजी
उम्मीद पर दुनिया टिकी है हम सब एक सम्पन्न ,सुद्रढ़ ,देश कि आशा और कल्पना करते है और यही नही हमारे पूर्वजो ने इसके लिए लिए अपनी जान कि बाजी तक लगा दी | राहुल ही क्यों ?हमारी तो उन सारे युवाओ से और उन सारे राजघराने से भी जवाब देहि है जो एक ही घर में अलग अलग पार्टियों के मुखिया बनते है ,सडक पर एक दूसरे के खिलाफ नारे लगाते है और राज करने वाली पार्टी से अपने काम निकलवाते है और बरसो से गरीबी दूर करने कि बात करके हमको और गरीब बनाते है |
बहुत अच्छी पोस्ट .. पर प्रत्येक व्यक्ति को देश के लिए अच्छी सोंच विकसित करने की जरूरत है !!
सवाल ये नहीं है कि राहुल गांधी ने विरासत में सत्ता पाई है या नहीं। उनकी जगह वहां कोई भी हो सकता था। सवाल ये है कि क्या वो जन्म से मिले इस मौके को देश को आगे बढ़ाने में ले जाएंगे या नहीं। उनके पास एक शानदार मौका है। उनके सामने कई राज्यों में मजबूत विपक्ष है। विरोधी पार्टियां हैं। पर लोकसभा में देशभर में कोई सशक्त विपक्ष नहीं है। इकलौती विपक्षी पार्टी तो आपसी कलह से नहीं निकल पा रही है। हवाई नेता सर्वेसर्वा बने हुए हैं। जनाधार वाले नेता व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा में फंसे हुए हैं और अपने को पार्टी से बड़ा समझने की भूल कर डालते हैं फिर पार्टी से बाहर होकर पार्टी को भी नुकसान पहुंचा चुके हैं और खुद तो गायब ही होते जा रहे हैं।
5 साल से ज्यादा हो गए देश में भ्रमण करते हुए। अब खुलकर सत्ता अपने हाथ में लेकर जनता के दरबार में आ जाना चाहिए उन्हें। वैसे भी उत्तर प्रदेश और बिहार चुनाव उनके लिए फाइनल होंगे।
Sashakt post.... badhai.
.
Ref--
arthdesai (9/29/2010 11:12:24 PM): wonder what makes you write to real 'big-shots' like Chidambaram and Rahul Gandhi
arthdesai (9/29/2010 11:12:44 PM): when they are certainly going to be the last people on earth to read your post
arthdesai (9/29/2010 11:13:10 PM): can't understand the utility of wasting so much of your energy in this way
..................
अर्थ देसाई जी,
यदि भारत वर्ष की महिलाएं , घर के चबूतरे पर बैठकर गप-शप करें , चौके-चूल्हे में फूंकती रहे तो , झाड़ू-पोंछा करें , टेलिविज़न पर सास-बहु के सीरियल देखें, परपंच करें, किटी पार्टीस करें पति से अनावश्यक विवाद करें , या फिर घर वालों की सेवा में शाही पनीर बनाएं तो समय का सदुपयोग होता है ?
लेकिन यदि कोई जागरूक महिला देश के बारे में सोचे और पुरुषों द्वारा निर्धारित सीमा रेखा से बाहर निकल कर सोचे तो आप जैसे सुपर-पुरुषों को लगता है की महिला अपने समय की बर्बादी कर रही है ?
जो बातें दिल को व्यथित करती हैं , उन पर अपने विचार न लिखूं ? सामने जो घट रहा है , वहाँ अपनी आँखें मूंद लूँ ? क्या महिलाएं समाज का हिस्सा नहीं हैं ? क्या देश में फैले भ्रष्टाचार में हमारा तटस्थ रहना जरूरी है ?
अर्थ जी, हमें भी पता है , की कौन इसे पढ़ेगा और कौन नहीं। ये जागरूकता को लाती एक पोस्ट है। हमारे भाई बहन इसे पढ़ रहे हैं और ये लहर दूर तक जायेगी। शुरुआत तो होनी चाहिए।
वैसे आप मुझसे , फूलों, हिरन से नयन, मदमस्त मुस्कान , भंवरों , रसीले होंठ , तथा चाँद-सितारों पर लेख और कविताओं की उम्मीद मत कीजिये।
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डॉ दाराल--
क्यूंकि वहां एक उम्मीद की किरण दिखती है। राहुल एक संवेदनशील व्यक्तित्वा के धनी हैं।
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ref- ...केवल मनोविनोद हेतु की गयी टिप्पणी
प्रतुल जी ,
इस दुनिया के सभी कार्य 'मनोविनोद 'के लिए ही किये जाते हैं । यहाँ तक की इश्वर ने इस श्रृष्टि की रचना भी स्वयं के मनोविनोद के लिए ही की है। ६-बिलियन कठपुतलियां बना दी, अलग-अलग , धर्म और प्रान्तों में बांटकर विभिन्न नामों से अपनी पूजा करवाता है। ऊपर बैठा अपने बन्दों की नादानियों पे मुस्कुराता रहता है और अपना मनोरंजन करता है।
यदि इश्वर मनोविनोद के लिए सृष्टि की रचना कर सकता है , तो आप मनोविनोद के लिए टिपण्णी करते हैं तो क्या बुरा करते हैं भला ?
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बहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
मध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
aap apni kahen.....log apni kahenge......
bas sishtata aur sahishnuta jarrori hai...
very good effert .... keep it up.....
pranam.
भई वाह क्या लिखा है !!!!
और सही लिखा है ....
आपमें एक अच्छे पत्रकार वाले सभी गुण मौजूद हैं .
आपके इस बेहद अच्छे लेख पर आपको बधाई ....
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
बेहतरीन प्रस्तुति
आपके इस बेहद अच्छे लेख पर आपको बधाई
मिलिए ब्लॉग सितारों से
उस भोंदू को हिन्दी पढनी तो आती ही नहीं :)
आपकी लेखन शैली जबरदस्त है ..... ये व्यंग की पैनी धार है या इमोशनल पत्र .... समझना मुश्किल है .... पर जो भी है .... आपने मुद्दे बहुत से उठाए हैं ... लाजवाब उठाए हैं .... किसी भी तरह से .... अगर राहुल सच में कुछ करना चाहते हैं देश के लिए तो वो कर सकते हैं आज ..... उनको छोड़ कर कोई भी ऐसा नेता नही है देश में जो इतना स्वतंत्र हो कर निर्णय ले सकता है ... चाहे कोई भी विषय हो ... पूरी कॉंग्रेस पार्टी में कोई भी उनका विरोध नही करेगा ....
आपकी लेखन शैली जबरदस्त है ..... ये व्यंग की पैनी धार है या इमोशनल पत्र .... समझना मुश्किल है .... पर जो भी है .... आपने मुद्दे बहुत से उठाए हैं ... लाजवाब उठाए हैं .... किसी भी तरह से .... अगर राहुल सच में कुछ करना चाहते हैं देश के लिए तो वो कर सकते हैं आज ..... उनको छोड़ कर कोई भी ऐसा नेता नही है देश में जो इतना स्वतंत्र हो कर निर्णय ले सकता है ... चाहे कोई भी विषय हो ... पूरी कॉंग्रेस पार्टी में कोई भी उनका विरोध नही करेगा ....
agr bat me dum ho our use sshkt roop se prstut kiya jaye to vo nihsndeh prbhavshali hota hai . ye ahwahn beshk sbhi yuva ke liye hai lekin vishesh aagrh rajeev ke liye hai kyon ki is samay unke pas power hai our aapki drishti me vo uska achchhe se nirvah kr skte hai .
राजीव का जब देहान्त हुआ,शायद गांधी परिवार को भी यक़ीन न रहा हो कि फिर कभी राजनीति में लौटना होगा। सोनिया ने बाकायदा अलविदा कह भी दिया था। मगर राजनीति जो न कराए।
divya ji
meri post ko bhut ghre se smjha ek bar fir shukriya our maine rahul ki jgh rajeev likh diya iske liye mafi ki drkar hai .
sahi kaha...rahul gandhi ko sirf alpsankhyako ke bare me nahi sochana chahiye. desh me aur log bhi hain. madhyam varg, jo har desh ki reedh ki haddi hoti hai. use nakhush kar ke koi bhi saltnat kayam nahi rahi hai. itihas gawah hai is baat ka.
आपकी दुश्चिंताएं बहुत सामयिक और सार्थक है दिव्या जी ! आशंका बस इस बात की है कि जिस व्यक्ति से उनके समाधान की अपेक्षा आपको है वह खुद भी इनके लिये प्रतिबद्ध है या नहीं ! आजकल राजनीति चंद लोगों का शौक और हैपी पास टाइम हो गया है ! काम करने में किसीको दिलचस्पी नहीं होती ! देश की समस्याओं के प्रति आपकी चिंता ने मेरा मन मोह लिया है ! आपको ढेर सारा प्यार और शुभकामनाएं !
काश कि राहुल गांधी आपके इस पत्र को पढ लें । बहुत सुंदर सुझाव ।
स्वजन के मोह में गांडीव मत रखो। बांधो सर पे कफ़न और अपनी देश-सेवा से ये बता दो क़ी तुम्हारी रगों में भी देश-भक्ति से भरा , भारतीय लहू दौड़ रहा है। इस रचना के लिये बहुत बधाई ।
तुम पृथ्वी पर सबसे बड़े देश के सपूत हो
??????
गोंदियाल जी ने राहुल को भोंदू कह कर खम्भा नोच लिया सही करा थोड़े नाखून पैने हो जाएंगे।
राहुल को सचमुच न तो देश के भूगोल की जानकारी है न ही इतिहास और न ही सामाजिक विषमताओं की.... बेचारा यदि विरासत की हिरासत से खुद को आजाद करा ले तो ये पत्र उसे लिखा जाए इसका कोई कारण ही नहीं रह जाता।
एक तस्वीर खूब मेल पर अग्रेषित करी गयी थी जिसमें ये बालक धूर्त राजनेताओं का अभिनय करने की कोशिश करते हुए सिर पर तसला उठाए हुए है।
पत्र की सार्थकता तब है जब राहुल गाँधी इसे पढ़े और फिर प्रतिक्रिया दे हमने पढ़ा और प्रतिक्रिया भी दी लेकिन क्या लाभ???
दिव्या जी
कविता लिख देने, किसी रेसिपी को लिख देने से, चांद-सितारों पर लिख देने का मतलब ये नहीं है कि कोई जागरुक नहीं है। आप नहीं लिख रही कोई बात नहीं, पर कौन जानता है कब क्या कलम से निकलने के लिए तड़प पड़े। राहुल गांधी के नाम खुला पत्र अभी तक मैने नहीं देखा हैं कहीं, अगर देखा है तो याद नहीं। मगर आपने लिखा न। गंभीर लिखा है। उम्मीद की है जो गलत नहीं है। समस्या है कि विपक्ष के पास कोई उत्तर नहीं है तो वो उन्हें खारिज करने पर तुली हुई है। एक लड़का(राजनीति में) नई बात कहता है, विपक्ष के पास पुरानी बातें, या सिर्फ निंदा.....अब जनता इतनी भी भोली नहीं है कि बाप-दादा के नाम पर वोट डाल दे। ये अगर विपक्ष पहले समझ गया होता तो, कहना ही क्या था।
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डॉ रुपेश ,
बात निकली है तो दूर तलक जायेगी ही । समय लगेगा लेकिन असर तो होगा ही । राहुल पढ़े न पढ़ें । पत्र में लिखा सन्देश तो लोगों तक पहुँच रहा है न।
आखिर ६० साल पहले जो मुकदमा दायर किया गया था। फैसला आया ना। सत्य की अलख जगाये रखना भी तो हमारा फ़र्ज़ है न।
अब अगर सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद , उसका फैसला अगले साठ साल बाद आये , और में जीवित न रहूँ , तो भी क्या ...
देर आयद , दुरुस्त आयद की उम्मीद के साथ जी तो सकुंगी।
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साधना जी,
आपने जो प्यार और शुभकामनाएं दीं , उसके लिए मन बहुत पुलकित है। आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ।
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ब्लॉग4वार्ता में जिक्र देखा कि राहुल को संबोधित पत्र है, इसलिए खोल बैठा, कृपया क्षमा करें.
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राहुल सिंह जी,
इसमें क्षमा मांगने जैसी क्या बात है ?
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बहुत बढ़िया सलाह है एक सक्षम राजकुमार को | उनके पिताजी से भी हम लोगों को आशा थी कि वे राजनीति में शुचिता का ध्यान रखेंगे| लेकिन ऐसा नहीं हो पाया | वे स्वयं भी गरीबों के घर खाना खाने जैसे लटके झटके सीख रहे हैं, इसलिए अधिक आशा नहीं की जा सकती |
धन्यवाद आपने तो राहुल को देश वाशियों के दर्द का अनुभव करने को आगाह कर बहुत सुन्दर काम किया है
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राहुल, तुम कब बड़े होगे ?...काश तुम बोलने के पहले दो बार विचार तो करते । इतनी अपरिपक्वता भी अच्छी नहीं। हमारे साथ राजनीति मत करो ।
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Dr.Divya ji ka lekh padkar Mujhe lag raha hai ki harek kaam ka koi seema hota hai lekin CHAMCHAGIRI ka koi seema nahi hota hai.
Aapko yaad hoga Rahul Gandhi ne U.P. me 1 Gareeb Mahila ke yahaan khana khaya tha Media me khub news aaya tha. Naveentam Samachar yah hai ki us mahila ke DAMAD Greebi ke karan Aatmahatya kar liya hai Dr.Divya ji Aapke Rahul BABA kahaan hai?
Dr.Divya ji ke Rahul Baba U.S.A. ke Ambassador ko kya bol diya (Weakileaks).
Aapto khandani Protocol wale hain ITNA bhi nahi abhi tak shikh paye?
December aate aate GHOTALA HI GHOTALA Dr.Divya ji ke Rahul Baba ki Chuppi!
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बिनोद जी ,
आपने जो लिखा मैं भी सहमत हूँ। लेकिन जिस तारीख में मैंने ये पोस्ट लिखी थी , उसमें और आज में बहुत अंतर आ गाया है । राहुल गांधी ने निसंदेह बहुत निराश किया है। यदि ऐसे लोगों के हाथ में देश की बाग़-डोर आ गयी , तो ये लोग देश को डुबा ही देंगे।
आप कृपया मेरे बाद के लेख भी पढ़ते तो शायद आप समझते की चापलूसी मेरी फितरत में नहीं है।
आपके लिए दो लिंक दे रही हूँ नीचे समय निकाल के पढियेगा।
हर शाख पे दिग्गी बैठा है , अंजामे गुलिस्ताँ जाहिर है -- हिन्दू आतंकवाद
http://zealzen.blogspot.com/2010/12/blog-post_21.html
Thanks
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