Wednesday, February 23, 2011

उच्च पदस्थ लोगों कों भी एक आम इंसान कि तरह खुशियाँ मनाने का अधिकार है .

कल दिल्ली कि मुख्य मंत्री कों समाचार में देखा " ये है दिल्ली मेरी जान " , इस गाने पर उन्हें मित्रों एवं आम जन समुदाय के साथ स्टेज पर थिरकते हुए देखा उनके चेहरे पर एक मासूम बच्ची के जैसी उमंग थी पूरे परिवेश में एक उल्लास सा घुला हुआ था

उसके बाद शीला जी ने माइक हाथ में ले लिया और एक गाना गाया - " कजरा मोहब्बत वाला , अखियों में ऐसा डाला , कजरे ने ले ली मेरी जान , हाय रे मैं तेरे कुर्बान आई हो कहाँ से गोरी , थोडा सा प्यार ले के ...." शीला जी इस उम्र में इतना बेहतरीन गाती हैं , ये पहली बार मालूम हुआ आनंद गया

फिर अगले समाचार में ग्वालियर में , उमा भारती जी का ज़ोरदार नृत्य आया मौका था उनकी भांजी की शादी का शादी के मौके पर हर दिल एक उमंग से भरा होता है बहुत अच्छा लगा उनका ये जीवंत अंदाज़

समाचारों कि श्रृखला में उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी और नितिन गडकरी जी कों एक देश भक्ति गीत गाते हुए सुनवाया फिर नंबर था ओबामा जी का अपनी पत्नी के साथ भारत यात्रा का जिसमें उन्होंने विद्यार्थियों के साथ नृत्य करते हुए धमाल मचाया

कभी कभी तनाव भरी ज़िन्दगी में इस तरह खुश हो लेने में हर्ज़ ही क्या है मुझे तो मज़ा गया जिंदगी की किसी भी उम्र में , किसी भी पड़ाव पर , किसी भी पद पर रहकर , जोश , उमंग , उत्साह ( zeal) , के साथ अपनों के बीच खुशियाँ मनाने का एक अलग ही आनंद है जैसे मंदिर के प्रांगण में कदम रखते ही एक अद्भुत शान्ति का एहसास होता है , वैसे ही इन खुशियों के क्षणों में दीन-दुनिया से दूर एक अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है, और ये क्षण लोगों के दिलों में यादगार हो जाते हैं

कल से शीला जी का गाया हुआ यही गीत ज़बान पर चढ़ा हुआ है गुनगुना रही हूँ..

कजरा मोहब्बत वाला , अखियों में ऐसा डाला
कजरे ने ले ली मेरी जान , हाय रे मैं तेरे कुर्बान

दुनिया है मेरे पीछे , लेकिन मैं तेरे पीछे
अपना बना ले मेरी जान , हाय रे मैं तेरे कुर्बान

अई हो कहाँ से गोरी , आँखों में प्यार ले के
चढ़ती जवानी की ये पहली बहार ले के
दिल्ली शहर का सारा मीना बाज़ार ले के
झुमका बरेली वाला , कानों में ऐसा डाला
झुमके ने ले ली मेरी जान , हाय रे मैं तेरे कुर्बान

दुनिया है मेरे पीछे ....

मोटर बंगला मांगूं , झुमका हार माँगूं
दिल कों चलाने वाले , दिल का करार माँगूं
सैयां बेदर्दी मेरे , थोडा सा प्यार माँगूं
किस्मत बना दे मेरी , दुनिया बसा दे मेरी
कर ले सगाई मेरी जान , हाय रे मैं तेरे कुर्बान

कजरा मोहब्बत ....

जब से है देखा तुझको , हो गए गुलाम तेरे
अपना बना ले गोरी , आयेंगे काम तेरे
अपना ये जीवन सारा , लिख देंगे नाम तेरे
कुरता ये जाली वाला , उस पर मोतियन की माला
कुर्ते ने ले ली मेरी जान , हाय रे मैं तेरे कुर्बान

कजरा मोहब्बत ....

आभार


36 comments:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

बिलकुल ठीक कहा आपने , ख़ुशी मनाने का अधिकार सबको है और सबको मनानी भी चाहिए .

vijaymaudgill said...

divya ji ye gana to aab mere bhi mooh charh gaya hai. aur apka lekh parhne se pehle main office main baitha hi shiv kumar batalvi ka gana gunguna raha tha

ki pushde o haal faqeeran da
sada nadiyon vishre neera da

aab mujhe ye nahi pata ki apko punjabi aati hai ya nahi.
par aap main ek quality dekhne ko mili hai ki aap kitni teevrta ki khud ko kisi bhi stithi se ubaar leti hain.
shukriya

Rahul Singh said...

आम बने रहना बड़ा खास होता है, कम लोगों को ही पता होता है य‍ह भेद.

गौरव शर्मा "भारतीय" said...

बात तो सच है सार्वजानिक जीवन में कभी कभी हसने मुस्कुराने तक का भी वक्त नहीं मिलता और कभी मिल जाये तो उसका फायदा जरुर उठाना चाहिए रहा सवाल शिला दीछित जी के हसने गाने का तो वे इन्सान के तौर पर भी बहुत अच्छी और खुशमिजाज़ हैं |

मनोज कुमार said...

बिल्कुल सही कहा जी। ज़रूर मनाना चाहिए।

Arvind Mishra said...

या इलाही ,ये इश्के हकीकी है या इश्के मजाजी ?

Bharat Bhushan said...

आप शीला जी के गाने पर झूम रही हैं और हम आपको गीत गाते हुए देख रहे हैं. मैं भी खुशी से झूम गया. पोस्ट के नीचे लगे आभार लिंक पर क्लिक किया तो मेरा सिर घूम गया.

mridula pradhan said...

apki post padhkar 90 pratishat log zaroor gungunaenge 'kajra mohabbatwala....'

महेन्‍द्र वर्मा said...

उच्च पदस्थ व्यक्ति भी आखि़र इंसान ही हैं। व्यस्त सार्वजनिक जीवन में कभी-कभी हल्के-फुल्के ढंग से जी लेने के अवसर वे तलाशते रहते हैं। ऐसे क्षणों में कितना आनंद है, यह उनके लिए अनिर्वचनीय होता होगा।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर प्रस्तुति!

kshama said...

Haan!Sahi kaha....kyon nahi har koyi ek aam adami kee tarah khushiyan mana sakta?Kaash!Maine bhee Sheela jee ka nruty dekha hota aur unhen gate hue suna hota!

सोमेश सक्सेना said...

गाना मस्त है आपको गाने का वीडियो भी लगाना चाहिए था you tube से.मज़ा बढ़ जाता.

राज भाटिय़ा said...

जी ऎसे गाने तो वो गरीब भी गाता हे, जिस के हाथ की रोटी यह नेता छीन लेते हे,अब पुरी दिल्ली लुट कर भी मासुम बच्ची ...:)

nilesh mathur said...

सही बात है, गाने के बोल और गाना तो बेहतरीन है!

Deepak Saini said...

sahi kaha aapne sab ko khushiya manane ka adhikar hai

geet padhne me sunne se bhicjyada maza aaya
aabhar

Atul Shrivastava said...

आखिर उच्‍च्‍ा पदस्‍थ्‍ा लोग भी तो इंसान ही हैं। ये अलग बात है कि उन्‍हें वे सार्वजनिक अवसर नहीं नसीब होते जो आम आदमी को होते हैं। कुछ सुरक्षा, कुछ प्रोटोकाल कारण होते हैं।
लेकिन जब इन दायरों से बाहर निकल कर वे खुशियां मनाते हैं तो वह पल अलग ही होता है। उनके लिए और दूसरों के लिए भी।

Rakesh Kumar said...

आपका चहकता ,चुलबुलाता ,गुनगुनाता और गाने की धुन पे झूमता
हुआ अंदाज अच्छा लगा.हल्का फुल्का बने रहना हमेशा तरो ताजगी देता है और मन को प्रफुल्लित कर देता है.आपने मेरा नामकरण 'राकेश' से 'रमेश' किया यह भी अच्छा लगा .

Giribala said...

TV वाले बिना बात के खबरों को सनसनीखेज बनाते है!I have seen Uma Bharti's vid on YouTube. Wlll find out Sheela Dixit's too :-)

ashish said...

मज़ा आ गया ऐसे हलकी फुलकी पोस्ट पढ़कर, छोटे से दिमाग को शांति मिली . श्रीमती ओबामा का नृत्य तो देखा था मैंने , खूब एन्जॉय किय उन्होंने .

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

सभी के अन्दर एक आदमी ज़िंदा है जो इन सारे बंधनों और दिखावों से लगातार जूझ रहा है और मौका मिलते ही बाहर आ जाता है

सञ्जय झा said...

बड़ी कम जगह है ऊँचाई पर।......

yeh....kam shabdon me kitni unchi baat......

pranam.

ZEAL said...

.

Dear SS,

आपने जो बात कही है , उससे सहमत हूँ । आपकी बातों के सार कों ग्रहण कर लिया है । -आभार ।

.

प्रतुल वशिष्ठ said...

.


उच्च पदस्थ लोग जब आम इंसानों की तरह उछलते हुए या चहकते हुए या मिलते-जुलते दिखायी दें तो समझना चाहिए कि जरूर कोई असामान्य-सी बात घटने वाली है.
— या ये पिछले किये काले कारनामों से ध्यान हटाने की कोशिश है.
— या ये जताने की कोशिश है कि हम भी आमजन की ही तरह दुखी और सुखी होते हैं.
............. कैमरे के आगे तो बनमानुष भी डांस दिखा देता है. जब जंगल में मोर नाचता है कौन देखने जाता है?
.............. माइक के सामने तो बेसुरे भी आलाप लेते देखे गये हैं. जब भक्ति-सत्संग होता है तब मुग्ध भक्तों का आलाप कौन सुनता है?

इन सब बातों के पीछे एक मनोविज्ञान है
— जब कोई अपनी झेंप मिटाना चाहता है तो बेवजह हँसने लगता है.
— जब किसी का विश्वास डिगने लगे तो वह गुनगुना कर कुछ हद तक वापिस ला सकता है.
— जब आत्मा पर कुवृतियों का बोझ बढ़ जाये, मन अपने करप्शन से त्रस्त हो, छवि बुरी तरह बिगड़ गयी हो तब आमजन की एक्टिंग करना ही विकल्प बचता है.

.

OM KASHYAP said...

SACCHI BAAT
KHUSHI KE JAJBAT

Girish Kumar Billore said...

beshak
adhikar hai

गिरधारी खंकरियाल said...

क्या आपने बिल क्लिंटन को भी देखा था राजस्थान की ग्रामीण महिलाओं के साथ नृत्य करते हुए ? झूम गए थे

सदा said...

बिल्‍कुल सही कहा है आपने ।

सम्वेदना के स्वर said...

"बड़े लोगों" की "सोशल लाईफ" पर अघोषित सैंसर लगा रहता है, वरना फिल्मी हस्तीयों की पार्टी और निजी जीवन पर तो खूब किस्सा गोई करतें हैं ये न्यूज़ चैनल पर नेताओं को आमतौर पर इस सब से दूर रखा जाता है।

कभी कभी ही ऐसे दृश्य मिलतें हैं और उनका भी इस्तेमाल बहुधा छवि सुधार या बिगाड़ रूप में किया जाता है।

vandana gupta said...

आम हो या खास …………खुशियो के मायने सबके लिये एक जैसे होते हैं।

Arvind Jangid said...

कोई हर्ज नहीं है, पिचली पोस्ट में आपने जो लिखा था बिलकुल सही है, टिपण्णी भी वो ही अच्छी होती है जो कमियों की तरफ ध्यान दिलाए और सुधार होने पर अच्छा भी बताए, अगर ऐसा नहीं है तो फिर चाहे ब्लॉग सुनसान ही क्यों न पड़ा रहे, किसी की जरुरत नहीं.

अच्छे विचारों के लिए आभार.

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

खुशियाँ सभी के लिए है... सभी की भावनाएं है... सबको खुशियाँ मनानी चाहिए ...
आज आपकी कई पोस्ट डेशबोर्ड में दिख रही है इक्क्ठे ..किन्तु खुलती नहीं... क्या कोई कम्पयूटर में गडबडी आ गयी ...

Kailash Sharma said...

खुशी मनाने का अधिकार सभी को है..

anoop joshi said...

Satya bachan,,,,,,,,no comment

Sushil Bakliwal said...

अविस्मरणिय अनुभव...

वाणी गीत said...

सही है , खुशियाँ मानाने का हक़ तो सबको है !

aarkay said...

व्यस्ततम जीवन में से कुछ पल निकाल कर ख़ुशी की नज़र कर दिए जाएँ, यह आवश्यक भी है और वांछनीय भी.
सलेब्रिटिस को भी आम आदमी की तरह यह अधिकार प्राप्त है . बिलकुल ठीक कहा आपने !