ये राधिका भी ! जब देखो तब कहती है - " क्या दिव्या भारी भरकम पोस्ट लगा दी , पका देती हो तुम तो । तुम्हारे लेख पढ़कर तो नींद ही नहीं आती , Diazepam की गोली खाकर नींद बुलानी पड़ती है " । तो समर्पित है आज की हलकी-फुलकी पोस्ट राधिका के नाम ।
जैसे जैसे उम्र बढती है , बुढापा घेर लेता है । लोग खाना कम कर देते है , सोचते हैं , पचा नहीं पाऊंगा । चटक-मटक कपडे कम पहनता है , सोचता है लोग क्या कहेंगे । पार्टीज़ में कम जाता है , डरता है कहीं समाज हँसे न मुझ पर । घर में बूढी कुर्सी पर खुद ही बैठने लगता है , डरता है कहीं कोई टोक न दे मुख्य सोफे पर बैठने से।
न भाई ना! डरिये नहीं । जीने के यही चार दिना , जिंदगी न चले प्यार बिना । धन-दौलत बिना चले मगर , जिंदगी ना चले यार बिना । इसलिए खुद कों , खुद ही अकेला मत कीजिये । मिल कर रहिये । बुज़ुर्ग कम हों तो युवाओं के साथ हाथ मिलाइए। फिर देखिये ज़िन्दगी आप पर किस तरह मेहरबान होती है। उनकी ऊर्जा से खुद कों चिर-युवा बनाइये। अपने अहम् कों ताख पर रखकर युवाओं और बच्चों की मस्ती भरी अटखेलियों का आनंद उठाइए और निरंतर ऊर्जान्वित रहिये।
अरे हम तो भटक गए , बात हो रही ब्लॉगर्स की । हाँ तो जनाब जैसे जैसे एक ब्लॉगर बड़ा होता जाता है , उसकी टिप्पणियां छोटी हो जाती हैं । ऐसा क्यों ? अरे भाई वो डरने लगता है -
जैसे जैसे उम्र बढती है , बुढापा घेर लेता है । लोग खाना कम कर देते है , सोचते हैं , पचा नहीं पाऊंगा । चटक-मटक कपडे कम पहनता है , सोचता है लोग क्या कहेंगे । पार्टीज़ में कम जाता है , डरता है कहीं समाज हँसे न मुझ पर । घर में बूढी कुर्सी पर खुद ही बैठने लगता है , डरता है कहीं कोई टोक न दे मुख्य सोफे पर बैठने से।
न भाई ना! डरिये नहीं । जीने के यही चार दिना , जिंदगी न चले प्यार बिना । धन-दौलत बिना चले मगर , जिंदगी ना चले यार बिना । इसलिए खुद कों , खुद ही अकेला मत कीजिये । मिल कर रहिये । बुज़ुर्ग कम हों तो युवाओं के साथ हाथ मिलाइए। फिर देखिये ज़िन्दगी आप पर किस तरह मेहरबान होती है। उनकी ऊर्जा से खुद कों चिर-युवा बनाइये। अपने अहम् कों ताख पर रखकर युवाओं और बच्चों की मस्ती भरी अटखेलियों का आनंद उठाइए और निरंतर ऊर्जान्वित रहिये।
अरे हम तो भटक गए , बात हो रही ब्लॉगर्स की । हाँ तो जनाब जैसे जैसे एक ब्लॉगर बड़ा होता जाता है , उसकी टिप्पणियां छोटी हो जाती हैं । ऐसा क्यों ? अरे भाई वो डरने लगता है -
- कहीं कुछ कम ज्यादा न लिख दे
- कहीं कोई विवाद न हो जाए
- कहीं कोई छुटके ब्लॉगर का मान न बढ़ जाए ।
- कहीं छुटंकू का TRP न बढ़ जाए
- कहीं छुटकू ज्यादा भाव न खाने लगे
- कहीं मेरी महिमा घटने न लगे .
- सबको पता चल जाएगा की मैं इसे पढता हूँ
- मैं दूसरों कों तो टिप्पणी करने से नहीं रोक सकता , लेकिन अपनी एक टिप्पणी से तो इसको वंचित कर ही डालूँ
- बडके बिलागर की चार पोस्ट पर टिपण्णी करो , तब आयेंगे गरीबों की एक पोस्ट पर । ४: १ का रेशिओ । और छुटकू उसी में हो जायेंगे मगन कि तारनहार आये हमरे द्वार । लगेंगे गाने , आभार , आभार , आभार ।
- कभी कभी तो राधिका जैसे बडके ब्लॉगर दांत भींचे लौट जाते हैं , और छुटकी टिप्पणी भी नहीं देते । धत तेरे की , ऐसा भी क्या गुमान ।
- कभी-कभी तो बडके ब्लॉगर इतनी microscopic टिप्पणी देते हैं की हम उतने micro ( सूक्ष्म) स्तर तक सोच ही नहीं पाते और उनके monosyllable ( इकलौते शब्द) में व्यक्त अनेकार्थों कों समझ ही नहीं पाते ।
- कभी-कभी वो invisible ink में लिखते हैं , जो कमेन्ट बॉक्स में नज़र ही नहीं आती । वो आते हैं , पढ़ते हैं, होठों ही होठों में बुदबुदाते हैं और बिना चाय-पानी , दुआ-सलाम के चले जाते हैं।
- कभी-कभी बड़का ब्लॉगर घबराते हैं की कहीं उनकी टिप्पणी भीड-भाड़ में खुवाय न जाए , इसलिए भी खुदकों अलग थलग ही रखते हैं।
- जाने कौन कौन से डर पाले हैं , मन में । डरिये मत ! लिख डालिए ! दर्दे दिल। हाले मन। मन की हलचल ! याँ फिर भड़ास । टिप्पणी तो आखिर टिप्पणी है लेखक का मनोबल ही बढ़ाएगी , घटाएगी नहीं । और यकीन मानिए टिप्पणी लिखकर आप बडके से छुटके ब्लॉगर कदापि नहीं बनेंगे । बल्कि आपकी शान में एक और feather बढ़ जाएगा ।
थोडा सा प्रवचन झेलेंगे क्या ?
Food chain का नाम तो सुना ही होगा । एक सीधा खड़ा हुआ शंकु ( upright pyramid)होता है , जिसमें ढेरों टिड्डे एक साथ दल बनाकर जीवन का मज़ा लेते हैं , लेकिन शिखर पर बैठा शेर अकेला होता है । वो राजा है , उसकी जी-हुजूरी करने वाले असंख्य होते हैं , लेकिन दोस्त कोई नहीं होता ।
Food chain का नाम तो सुना ही होगा । एक सीधा खड़ा हुआ शंकु ( upright pyramid)होता है , जिसमें ढेरों टिड्डे एक साथ दल बनाकर जीवन का मज़ा लेते हैं , लेकिन शिखर पर बैठा शेर अकेला होता है । वो राजा है , उसकी जी-हुजूरी करने वाले असंख्य होते हैं , लेकिन दोस्त कोई नहीं होता ।
corporate world की बात करें तो शीर्ष पर बैठा CEO , नितांत अकेला पड़ जाता है । जीवन की हलकी-फुलकी बात किससे करे ? अरे बड़ा होने का खामियाजा तो बड़े लोग ही जानते है ।
तनहा-तनहा हम रो लेंगे , महफ़िल-महफ़िल गायेंगे ..
मुई राधिका मेरा पीछा नहीं छोड़ेगी । पूछती है - " दिव्या तुम छुटकी हो या बडकी बिलागर ?
हमने कहा -"अरी मूरख , इतनी बड़ी-बड़ी टिपण्णी लिखती हूँ की पढने वाला भी पक जाए ।" दिल से लिखती हूँ दिल से। "एक हाथ से लेती हूँ दोनों हाथ से देती हूँ" ( सौजन्य IDBI Bank )। इसलिए छुटकी बिलागर हूँ छुटकी ! और हमेशा छोटे ही बने रहना चाहती हूँ।
"कल और आयेंगे नगमों की , खिलती कलियाँ चुनने वाले ,
मुझसे बेहतर लिखने वाले , तुमसे बेहतर पढने वाले ....
इसलिए जी भर के लिखो , लेख भी और टिपण्णी भी । आपके शब्द ही आपकी पहचान हैं।
वैसे कोशिश करती हूँ - "कम खर्च बालानशीं " की तर्ज पर संक्षेप में लिखकर काम चलाया करूँ पर क्या करूँ ये निगोड़ी उंगलियाँ मानती ही नहीं । कहती हैं - "ये दिल मांगे मोर "
आभार ।
86 comments:
दिव्या जी, आपने छुटकी और बडकी की बहस छेड़ कर , ब्लॉग जगत को एक मुद्दा दे दिया, मसाला दे दिया और सच भी है कम से कम ये पता तो लगना ही चाहिए कि छोटा-बड़ा ब्लोगेर पहचाना कैसे जाये. मै तो इस बहस का हिस्सा ही नहीं बनना चाहता, लेकिन ये साफ़ कहना चाहता हू कि आप यू ही बड़ा लिखा करे, कम शब्दों में, दूर तक सोचने को मजबूर करने वाली बात,एक बडकी को बधाई , शुभ कामनाये
हम्म ...
( आपका कहना सही है ... इस लिए असली टिप्पणी छोटी ही दे रहा हूँ | )
बडको को उनका बड़प्पन हो मुबारक ..हम तो छुटके ही भले :)
काफी खिचाई कर ली है बडको की
बढ़िया है ये हलकी फुलकी पोस्ट.
तुम्हारी इस पोस्ट पर तो लगता है बड़ी बड़ी टिप्पणियाँ आने वाली हैं ...सब यही सोचेंगे की कहीं हमारा नंबर ही न लग जाये ..:) :)
रोचक पोस्ट
एक बहुउद्देश्यीय परियोजना की मानिंद उपरोक्त हलकी- फुलकी पोस्ट को पढकर ...................क्या लिखूं ?
एक बेहतरीन पोस्ट हेतु आभार...........
अरे वाह , भाई हमे तो राधिका एक सच्ची उत्प्रेरक लगी जो आपसे ऐसे पोस्ट लिखवा जाती है . और भी बड़ा रोचक तथ्य आपने बताया है की टिपण्णी की लम्बाई ब्लोग्गर के कद के व्युत्क्रमानुपाती होती है . भाई अब हम जैसे ब्लोग्गर (अगर कोई माने तो ) इस पोस्ट के बाद टिपण्णी को खीच कर लम्बा करने की कोशिश करेंगे की कही जबरदस्ती वाले बड़के ना हुई जाय . अब इत्ता प्रवचन झेला है तो मन की भड़ास निकालने में बढती है लम्बाई टिप्पणी की तो बढे मेरा क्या जाता है . राधिका को ये वाला गाना सुना देना "कही पे निगाहे कही पे निशाना ".
एक हल्की-फ़ुल्की टिप्पणी---बहुत खूब...
दिव्याजी के दोहरे ज्यो नाविक के तीर
देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर
.......क्योकि बडकू कभी छुटकू थे
अब क्या लिखूँ ? बडा या छोटा? पता नही क्या मान लो……हम तो डर गये दिव्या जी।
मुझे इस राधिका का फ़ोन ना दे जरा इस के कान पकडूं, जो आप को रोज रोज तंग करती हे , लेकिन धन्यवाद भी करूंगा, जो आप से जबर्द्स्ती लिखवाती भी हे, चलिये अब हमारी यह छुटकी टिपण्णी ले लिजिये कही कोई बडके ब्लॉगर आ कर बात का बतंगड ही ना बना दे... राम राम जी की
अरे वाह दिव्या जी !
आपने तो दुखती रग पर हाथ रख दिया या यूं कहें कि मेरी अपनी बात को शब्द दे दिए | ये छुटका/ छुटकी
ब्लागर और बड़का/बडकी ब्लागर के बारे में लिखकर और वह भी इतने मूडी अंदाज़ में , आपने बड़ा भला काम कर डाला | क्या कहूं १०१ प्रतिशत सहमति है आपके लेख से |
चलते-चलते कह ही डालूँ .......
मीत न बात पुरानी लिख
गुम हो गयी जवानी लिख
बड़े बड़प्पन से खाली हैं
तू भी अब मनमानी लिख
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क्या वंदना जी , आप भी डर गयीं ? अब राधिका मेरी जान खाएगी - " कहा था हलकी-फुलकी लिखने कों , ये क्या दुधारी तलवार लटका दी सबके ऊपर "
जो भी हो , छोटे- छोटे कमेन्ट लिखकर बच नहीं पायेंगी आप । ज़रा दमदार लिखिए ।
सबसे छुटके ब्लॉगर कों थाईलैंड की ट्रिप मुफ्त । वादा रहा हमारा भी !
नोटिस - शानदार अंकों के साथ बढ़त बनाए हुए हैं - श्री आशीष जी ।
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ये हल्की-फुल्की पोस्ट है जी ???
खैर अपन तो ना छुटके में आते हैं और ना बडके में
हम तो पाठक हैं जी
और कुछ कहना ही ना आये तो क्या टिप्पणी करें
और पोस्ट मोबाईल में पढ रहे हैं तो भी मुश्किल है :)
प्रणाम
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शिखा जी ,
चलिए हम लोग 'छुटके ब्लोगर्स एसोसियेशन' बनाते हैं , फिर मसाले वाली होली खेलेंगे संग-संग ।
संगीता जी ,
आपका अनुमान गलत निकला । टिप्पणियों की लम्बाई देखकर तो सबके सब 'बडके' ही लग रिये हैं।
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अब समझ में आया कि बड़ा ब्लोगर कैसे बना जाता है । : )
छुटकी टिप्पणी बड़का घाव करती है दिव्या जी . सुन्दर पोस्ट .
हाले-दिल हमारा जाने न बेवफा , ये ज़माना -ज़माना
सुनो दुनिया वालों , आएगा लौट के दिन सुहाना -सुहाना .................................
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@--मीत न बात पुरानी लिख
गुम हो गयी जवानी लिख
बड़े बड़प्पन से खाली हैं
तू भी अब मनमानी लिख॥
झंझट जी वाह ! ...क्या बात लिखी । ....मेरे मूड से मूड मिला दिया ....
आपकी टक्कर आशीष जी साथ है ... सनद रहे , सबसे बडकी टिपण्णी वाले कों सबसे 'छुटका ब्लॉगर' का खिताब मिलेगा और थाईलैंड की यात्रा मुफ्त !
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काहे छुटकी और बडकी के फेर मेे पडते हो
जो दे उसका भी भला जो ना दे उसका भी भला (टिप्पणी)
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यहाँ 'बडके ब्लॉगर' के दावेदार ज्यादा दिख रहे रहे हैं। अधिकतम अंकों के साथ शिवम् जी बढ़त बनाए हुए हैं ...टक्कर है कांटे की ।
छुटके ब्लॉगर चाहें तो एक से ज्यादा टिप्पणियां लिख सकते हैं , कोई टैक्स नहीं लगेगा , उलटे उनकी टिप्पणियों कों जोड़कर अंतिम लम्बाई ही मान्य होगी ।
हाँ तो भाइयों और बहनों शुभकामनायें आपको 'थाईलैंड की मुफ्त यात्रा के लिए ' ....वीजा का झंझट नहीं । यहाँ की सरकार tourism कों promote करने के लिए 'visa on arrival' दे रही है । खाना पीना , छुटकी बिलागर 'दिव्या' के घर free । शुद्ध शाकाहारी भारतीय भोजन के साथ 'Swensen's ice cream' का वादा ।
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:-) achchi post hai...
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@ - दीपक सैनी -
मुई राधिका जो न करवा दे ।
कहती है ऊपर से चाहे कोई कितना भी भोला बने , अन्दर से सब इसी फेर में रहते हैं।
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कुश्वंश जी ,
शुभकामनायें कबूल हैं आपकी ।
भाटिया जी ,
क्या कहें आपसे , ये राधिका का फोन - " out of coverage area' बता रहा है । शायद फर्जी नंबर दी है हमको भी ।
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me to gagar me sagar bharna chahta hu./.
Safal nahi ho pata hu ye aur bat hai...
महान लेखक शेक्सपियर ने लिखा था " संक्षिप्तता तेरा ही नाम बुद्धि है". अनुशरण करने दे
:)
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गिरधारी जी ,
कितनी सुन्दर बात लिखी आपने । मेरी तो उम्र बीत गयी महान लेखक टैगोर ,प्रेमचंद्र ,शरतचंद्र और भारतेंदु हरीश्चन्द्र कों ही पढने में । इन लोगों ने ऐसी कोई बात लिखी ही नहीं।
और शेक्सपियर की अंग्रजी कभी पल्ले ही नहीं पड़ी । वर्ना हम भी 'संक्षिप्त' की महिमा समझ पाते।
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बड़ा छोटा कोई नहीं यहाँ सब एक धरातल पर खड़े हैं ....!
ये बड़के ब्लॉगर भी न..अजब लोग हैं..हर तरफ हालाकान किये हैं. :)
हाय हाय ! मैं तो बेकार ही अबतक अमिताभ बच्चन जी को कोसता रहा कि ..हुंह काहे के बिग बी बे ..एक स्माल सी टीप तक तो देते नहीं बनती ..और न हो ये नहीं कि एक स्माइली ही चिपका दें ..आज आपकी पोस्ट को पढ के ही मालूम हुआ कि हाय कित्ते मजबूर होंगे वे ....ओह हम तो मारे नमी के ..समझिए कि ...बस बेहोसी सी आ गई है ...। चलिए आप कहती हैं तो माफ़ किया अमिताभ बच्चन को ...
छोटे व्लागर की छोटी टिपण्णी हलकी फुल्की पोस्ट भी भारी लगी ...
दिव्या जी,अभी इसी फेर में हूँ कि छोटी टिप्पणी दूं या बड़ी.
कहीं थाईलैंड की ट्रिप मिस न कर दूं.
कृपया इसी टिप्पणी से काम चलायें.
सलाम.
दंश तो छोटा ही होता है मगर असर बहुत गहरा करता है!
ारे ये तो अच्छा तरीका है बडे ब्लागर बनने का तो आज से केवल नाईस लिख कर गुजारा कर लूँगी किसे अच्छा नही लगता बडे होना? समय का भी तो अभाव हो सकता है? दिन ब दिन ब्लागस बढ रहे हैं सब पर रोज बडी बडी टिप्पस्णी करना सम्भाव भी नही होता और बुढापे मे बेचारी ऊँगलियाँ रात भर कोसती रहती हैं एक कारण ये भी है। बातों बातों मे मेरे दिल की बात सुना दी सब को। अपना तो साहस नही होता किसी बडे ब्लागर की ओर ऊँगली उठा दें। हा हा हा । बधाई।
वाह पोस्ट पढ़कर मजा आ गया बात तो सही है जितने बडके ब्लॉगर उन्ती छुटकी टिपण्णी और हाँ आपने यह सही कहा है एक "छुटका ब्लॉगर एसोसिएसन" बनाने की बेहद आवश्कता है जिसके माध्यम से हम जैसे छुटके ब्लॉगर जाने पहचाने जा सकें....बहरहाल आप नियमित बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई स्वीकार करें और एसोसिएसन बनने पर हमें अवश्य सूचित करें :-} :-} :-}
दिव्या जी!
आपने एक बार फिर विमर्श के लिये एक अच्छा बिन्दु दे दिया।
पोस्ट पढ़कर दी गयी टिप्पणी कुछ बड़ी अवश्य होगी। टिप्पणी का आकार उसके लेखक की लेखनी पर निर्भर करता है। कुछ लोग संक्षिप्ता में भी काम चला लेते हैं। संक्षेप, विस्तार तो चलता रहता है।
पर जहाँ तक उत्साहवर्द्धन की बात है, वहाँ संक्षेप से काम नहीं चलता। उसके लिये विस्तार आव्श्यक है। यहाँ केवल प्रसंशा ही अपेक्षित नहीं है, अपितु सम्यक् आलोचना भी आवश्यक है ताकि लेखक का परिष्कार हो सके।
संक्षेपण का वास्तविक महत्त्व तो वैयाकरण के पास है जहाँ एक मात्रा काअ लाघव भी पुत्रोत्सव के समान माना जाता है।
परन्तु यहाँ संक्षेपण वैसा नहीं है।
इसके विषय में क्या कहें? सभी नवागन्तुक एवम् प्रतिष्ठापित ब्लॉगर बन्धु/भगिनी इससे भलीभाँति परिचित हैं।
पुनश्च इस विमर्श-बिन्दु के लिये धन्यवाद!
वाह दिव्या जी ......... बहुत ही रोचक बात कही है .......... गागर में सागर वाली बात हो गयी है .........
"झंझट" साहेब ने सही लिखा है...
"बड़े बड़प्पन से खाली हैं
तू भी अब मनमानी लिख"...
दिव्या जी, आप लिखते रहें..
हाथी चले बाज़ार...
कुत्ते भौंकें हज़ार.....
" संक्षिप्तता तेरा ही नाम बुद्धि है"....
तो भाई.... शेक्सपियर ने इतने बड्डे बड्डे लिखन कार्य क्यों किये?
एक दो वाक्यों और ज्यादा से ज्यादा १-२ पन्नों में लिख डालते जो लिखना था... :-)
एक नज़र इधर भी....
http://jayantchaudhary.blogspot.com/2009/06/blog-post_2183.html
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हा हा हा हा,
एकदम मस्त पोस्ट, खूब खिंचाई की हैं आप...
पूरे ब्लॉगवुड में अब कोई ऐसा नहीं बचेगा जो Zeal तक आये और टिपिया कर न जाये !... बड़का-बुढ़वा ब्लॉगर से बड़ी कोई गाली होगी भला ?
... :))
आभार!
...
ये कीबोर्ड मांगे ऊंगलियां और अंगूठा।
हम बिना चाय पानी , दुआ सलाम जा रहे हैं :)
बढ़िया लगी ये छुटकी-बड़की पोस्ट
एक निवेदन-
उपर के सभी बड़े-छोटे-बराबर साथियों की टिप्पणी को मेरी टिप्पणी भी मानी जाए। सभी टिप्पणियों की लम्बाई को जोड़कर मेरा हिसाब किया जाए।
पुनश्च-
इस हल्की-फुल्की पोस्ट के लिए गंभीरतापूर्वक बधाई।
अच्छा लेख , बिलकुल सही कहा है आपने
आपके लेख से तो शायद यह न जुड़े फिर भी रहीम का दोहा याद आ रहा है , खुद को रोकते हुए भी कह रहा हूँ ---
बड़ा बड़ाई न करे , बड़े न बोले बोल
रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका है मोल .
वैसे आप कैसी ब्लॉगर हैं , ये आप कहें-न-कहें , हम जानते हैं .
दिल का कहना मत टालो...
nice
बहुत सार्थक पोस्ट..लेकिन यह प्रवृति केवल बड़े ब्लोगर्स में ही नहीं समाज के तथाकथित सभी बड़े लोगों में दिखाई देती है.कार्यालयों में नीचेवाला अफसर अगर १० पेज का नोट लिखता है तो फ़ाइल जैसे जैसे ऊपर जाती है वैसे वैसे अफसरों की टिप्पणियां छोटी होती जाती हैं औए मंत्री के स्तर तक पहुंचते यह एक या दो शब्दों की रह जाती है. बड़े लोग या नेता किसी शादी या फंक्शन में जाते हैं तो केवल दर्शन देकर निमंत्रण देने वाले पर एक अहसान दिखाने के लिए. यह प्रवृति अगर बड़े ब्लोगर्स में भी दिखाई देती है तो कोई ताज्जुब की बात नहीं. वह किसी ब्लॉग पर पहले तो टिप्पणी देने में दस बार सोचते हैं और अगर टिप्पणी दी भी तो ब्लॉगर पर अहसान दिखने की तर्ज़ में कुछ शब्दों में. किसी ब्लॉग का फोलोअर बनने की आशा तो एक तरह से गुस्ताखी होगी. लेकिन सभी बड़े ब्लोगर्स ऐसे नहीं हैं, कुछ इसके अपवाद भी हैं. बहुत गंभीर विश्लेषण बड़े ब्लोगर्स की मानसिकता पर..आभार
हरेक ब्लॉगर के नज़दीक एक राधिका होती है जो टोकती भी है और लिखाती भी है. टिप्पणी लिख रहा हूँ और एक राधिका डिक्टेशन दे रही है....डरते हुए लिखे जा रहा हूँ. यह टिप्पणी जानबूझ कर मध्यम आकार की बन रही है. श्रेय राधिका को जाता है.
kiya baat hai ye bloger ka ek naya daur hai-----ek chota bloger aur ek bada bloger-----
bade blagar bahut naam ke aaye hai-----
jai baba banaras
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@-बड़का-बुढ़वा ब्लॉगर से बड़ी कोई गाली होगी भला ?
प्रवीण शाह जी ,
मुई राधिका मुझे , जब देखो तब बुद्धू-बुढिया कहती है , मुझे तो गाली नहीं लगती बल्कि 'जादू-की-झप्पी' लगती है।
Smiles !
न ..न ..न ... इश्मायिल ज़रा इश्टाईल से । ( सौजन्य अजय कुमार झा )
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कैलाश जी ,
आपकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूँ।
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बड़का ब्लॉगर ?
ई कोनो नवा ज़िनावर है, का ?
'Aapke shabd hi aapki pehchan hai'
Bade miyan to bade miyan,chote miyan subhaan-allah.Yadi aise aise chote miyan mil jaye, Phir to kehna hi padega....... kya baat hai.....kya baat hai......kya baat hai.
Divya ji ye kya suzee sharaarat aapko ki Radhika
ke bahaane sabhi badko ko ulzaa diya aur khud chutki banke saaf nikal aain.Ye to badi naainsaafi hai.Chutko-badko me lagake aag,khoob karva rahi ho tippanion ki barsaat.
खरी बात। आपने तो नए नवेले ब्लागरों की दुखती रग में हाथ रख दिया। दिव्या जी, वैसे मैं दिल से कहूं तो मुझे बडी खुशी होती है जब आप जैसे वरिष्ठ(बडे और छोटे के झंझट में मैं नहीं पडना चाहता) लोग मुझ जैसे नए नवेले ब्लागर के पोस्ट पर कमेंट देते हैं और कोफत भी होती है उन लोगों पर जिनके पोस्ट पर मैं कमेंट देता हूं(इस उम्मीद में नहीं कि वे मेरे ब्लाग पर भी आएंगे बल्कि इसलिए कि मुझे पढने का शौक है, कोई अन्यथा न ले) वे कभी झांकते भी नहीं।
दिल में रह जाती है ऐसी बात। इस बात को लेकर आपने एक पूरी पोस्ट ही लिख डाली। आपने कई ब्लागरों के मन की बात को जुबान दी है।
मजा आ गया। बधाई हो आपको।
वैसे मैं छोटा हूं और थाईलेंड का ट्रिप मुझे ही मिलना चाहिए।
हल्की फुल्की पोस्ट ..... पर है बहुत भारी
bahut manoranjak baaten likhi hain,padhne men maza aya.
वाक्यों की लम्बाई नहीं शब्दों का वजन देखिए
पाठक का गंथन नहीं सिर्फ उसका मन देखिए।
गंथन-बेसिर पैर की लम्बी-चौड़ी बातें।
वाक्यों की लम्बाई नहीं शब्दों का वजन देखिए
पाठक का गंथन नहीं सिर्फ उसका मन देखिए।
गंथन-बेसिर पैर की लम्बी-चौड़ी बातें।
दिल ब्लॉग ब्लॉग हो गया ।
बड़े ब्लॉगर, बड़ों को मुबारक. छोटे रह कर रचनात्मक और पठनीय बने रहना ही श्रेयस्कर है. (टिप्पणी की लंबाई ठीक तो है न)
अच्छा लिखा है. छुटके और बड़े में भेद पता लगाने में यह लेख मेरी सहायता करेगा!
हल्की फुल्की एक बेहतरीन पोस्ट हेतु आभार....
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आपने ब्लागर जगत के कपडे ही नही खाल खींच डाली है। ऐसी बातें पढना सबको अच्छा लगता है पर शायद अपने में तब्दीली लाने में हम कंजूस हैं ,गोया मेरा नाम दानी है। सार्थक पोस्ट के लिये आप मुबारकबाद के मुस्तहक़ हैं।
आकार में बड़ी लेकिन नावक के छोटे-छोटे तीरों जैसी असरदार पोस्ट.
hum hoon sabse barka biloger.....koi manta hi nahi
....apki to achhi chalti hai......ek bar logon se
han kalwa den.....hame nahi chahiye thalend ki trip.....bas barka biloger banwa den.....
khoob dhoeeye.....excell wali.....safai hai.....
sab chamak uthenge......jai ho...jai ho....
pranam.
टिप्पणियाँ तो बस लेन-देन पर ही निर्भर करती हैं...और अगर आपको १०० टिप्पणियाँ मिलती हैं तो १५० देनी भी पड़ती हैं...और १५० टिप्पणियाँ तो लम्बी नहीं लिखी जा सकतीं...सो बन गए बड़े ब्लॉगर
हम बच्चे तो छोटे ही हैं...
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'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
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हाँ तो ब्लॉगर मित्रों , वक्त आ गया है निर्णय करने का बडके-छुटके ब्लोगर का । निर्णय निष्पक्ष होगा तथा लम्बाई कों मापदंड बनाकर किया जाएगा । निर्णय से असंतुष्ट ब्लोगर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं । सुप्रीम कोर्ट होगा विजेता सबसे 'छुटकू ब्लोगर ' का ब्लॉग।
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सबसे पहले मैं घोषणा करुँगी विजेता सबसे छुटकू ब्लॉगर - श्री कैलाश चन्द्र जी कों । इनकी टिपण्णी बहुत ही सारगर्भित है। मन के विचारों कों हम जब दिल से और सच्चाई के साथ गहन विश्लेष्णात्मक तरीके से लिखते हैं तो टिप्पणियाँ लम्बी हो ही जाती हैं , और विषय के साथ न्याय करती हैं।
श्री कैलाश जी कि उम्दा , सारगर्भित, दीर्घतम टिपण्णी के लिए विजेता घोषित किया जाता है । आपके बहुमूल्य विचारों के लिए आपको नमन ।
श्री कैलाश जी सपरिवार हमारे घर Thailand आमंत्रित हैं । आशा है आप हमें मेजबानी का मौक़ा देकर कृतार्थ करेंगे। वादे के मुताबिक़ कैलाश जी कि यात्रा छुटकी दिव्या स्पोंसर करेगी ।
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दुसरे स्थान पर हैं 'वृक्षारोपण' जी । जिनकी उम्दा टिपण्णी में बेहतरीन भावों कों अभिव्यक्त किया गया है । आप पर्यावरण के लिए जन-जन कों जागरूक कर रहे हैं , इसलिए आपकी जीत कि ख़ुशी में इस बार , भारत अपने निवास लखनऊ में , घर के सामने एक छोटा सा 'नीम' का पौधा पिताजी से कहकर लगवाया है । जब ये बड़ा होकर लहराएगा तो आपका स्मरण कराएगा और पर्यावरण कि रक्षा के लिए सचेत करता रहेगा ।
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तीसरे स्थान पर हैं -- आशीष जी , श्रीमती निर्मला कपिला जी , राज भाटिया जी , कुश्वंश जी , सुरेन्द्र झंझट जी , अजय कुमार झा जी , गौरव शर्मा भारतीय जी , अंतर सोहिल जी , राकेश कुमार जी एवं अतुल श्रीवास्तव जी । आपकी सभी कों swensen's icecream उपहार स्वरुप घोषित कि जाती है।
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अब बारी है बडके ब्लोगर्स कि --
प्रथम स्थान पर हैं - विवेक जी ( VV)- एक smiling icon के साथ ।
द्वितीय स्थान पर हैं -प्रतुल वशिष्ट जी - दो मासूम से dots के साथ ।
तीसरे स्थान पर हैं - सुमन जी एवं मानव विकास जी - 'Nice' के साथ ।
Well done !
Congrats !
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शिखा जी कों छुटके ब्लोगर्स एसोसियेशन का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है । संगीता जी कों 'Chairperson " नियुक्त किया जाता है । दीपक सैनी जी 'no-nonsense ' विभाग का अध्यक्ष बनाया जाता है ।
चंद्रमौलेश्वर जी बिना चाय-पानी के रूठ कर चले गए इसलिए उन्हें पूरा कैंटीन सौंपा जाता है ।
अक्षिता पाखी ने अपनी टिपण्णी में अपने ब्लॉग का लिंक दिया इसलिए उसे विज्ञापन विभाग सौंपा जाता है ।
महेंद्र वर्मा जी का आईडिया अच्छा लगा , इसलिए उन्हें सांत्वना पुरस्कार दिया जाया है । लम्बाई बढाने का अंदाज़ रोचक लगा ।
समीरलाल जी कि उड़नतश्तरी , उनकी अनुमति से ब्लोगर एसोसियेशन के ट्रांसपोर्ट के लिए उपयोग कि जायेगी ।
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इस लेख का एक उद्देश्य है जो इस लघु कथा के माध्यम से स्पष्ट करना चाहूंगी --
एक बार एक व्यक्ति एक दरजी के पास गया उसको एक मीटर कपडा देकर बोला मेरा कुर्ता बना दो , दर्जी बोला साहब , कपडा कम है , कुर्ता नहीं बन पायेगा । व्यक्ति ने कहा अच्छा टोपी बना दो । दर्जी ने कहा जी बहुत अच्छा , टोपी तो बेहतरीन बन जायेगी , इतने कपडे में। युवक निश्चिन्त होकर घर जाने लगा , अचानक उसे लगा शायद इसे कुछ ज्यादा कपडा दे रहा हूँ , वो वापस आया और दर्जी से बोला , सुनो भैया , क्या दो टोपी बन जायेगी ? दर्जी ने कहा - जी जनाब , बन जायेगी । युवक चल दिया , लेकिन बार बार उसके मन में यही संशय रहता था कि शायद कपडा ज्यादा है , क्यूँ न ज्यादा टोपियाँ बनवा लूँ । और यही क्रम जारी रहा ।
एक हफ्ते बाद वह युवक दर्जी के पास पहुंचा टोपियाँ लेने। दर्जी ने अपने हाथ कि पांचो उँगलियों में नन्ही-नन्ही टोपियाँ पहनी हुई थीं । युवक बोला , ये क्या किया , ये मेरे किस काम कि ?
दर्जी ने कहा - साहब मैंने तो पहले ही कहा था कपडा कम है । एक ही टोपी बनवाते तो किसी काम की होती ।
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यहाँ आये सभी ब्लोगर मित्रों कों ह्रदय से आभार .
जिन्होंने लेख के मर्म कों समझा , उनका विशेष आभार ।
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यदि मुझसे कहीं कुछ लिखने में गलती हुई हो तो करबद्ध क्षमाप्रार्थी हूँ ।
To err is human , to forgive is divine .
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apnke ko ghar waale computer par devnagri mein likhna nahin aata, isliye aadha maza to kam ho gaya! apne ko pata hee nahin tha ki aap itne mazedaar blog likh rahi hain! aaj apne dost onkar kedia ke blog par aapka zordaar comment dekha to utsuktavash aapke blog par chala aaya. accha laga. aap isi tarah likhna jaari rakhen, inhi shubhkamnaon ke saath, Vidya Bhushan Arora
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Vidya Bhushan Arora ji ,
Thanks .
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Entertaining post!
What am I ?
Chutka or baduva Tippanikaar?
Be back soon after Feb 28
Keep going.
Regards
GV
आने में देर तो कर दी है ...माफी चाहूंगी आपसे, लिखा ही इतना अच्छा है कि शब्द नहीं मिल रहे राधिका ...बड़े छोटे का पता नहीं पर रोचकता पूर्ण यह लेख बहुत अच्छा लगा बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये ।
दिव्या जी,इतना किस तरह लिख लेती हैं आप!
बहुत सही लिखा है आपने.....
"कल और आयेंगे नगमों की , खिलती कलियाँ चुनने वाले ,
मुझसे बेहतर लिखने वाले , तुमसे बेहतर पढने वाले ....
इसलिए जी भर के लिखो , लेख भी और टिपण्णी भी । आपके शब्द ही आपकी पहचान हैं।
एक बेहतरीन पोस्ट हेतु आभार...........
बहुत दिनों बाद नेट पर आना हुआ |पहले मुंबई फिर बेंगलोर ||आज आपकी यह पोस्ट पढ़ी आनन्द आ गया \आज मुझे समझ आया परीक्षा में पूरी उत्तर पुस्तिका भ्ररने के बाद भी हमेशा कम नम्बर आते और हमारे साथ पढने वाली कलेक्टर की बेटी आधी कापी भर्ती और अव्वल आती |
अब बताये मै कोंसी ब्लागर हुई ?
बाकि पोस्ट धीरे धीरे पढूंगी क्योकि छुटका निमांश(पोता ) अभी अभी उठा है और जब तक वो जगता है लेपटाप बंद |
शुभकामना
Нашла кошечку не знала как её назвать. Нашла здесь unisex cat names http://allcatsnames.com/unisex-kitten-names полный список имен для котов.
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