ISRO जैसे बड़े संस्थान का गिरता स्तर देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण एवं अतिचिंताजनक है। गत दो वर्षों से उन्हें विदेशों से कोई ऑर्डर नहीं मिला। निश्चित समयावधि में उनका काम पूरा नहीं हो पा रहा। क्या वजह हो सकती है इस गिरावट की? आज भारत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अपनी कोई साख नहीं बना पा रहा। बाप-दादा की बनायी साख पर कब तक जिलायेंगे विज्ञान को। गहन शोध, अविष्कार, शिक्षा और नए विकल्प तलाशने की आवश्यकता है। हमारे वैज्ञानिकों को अधिक परिश्रम और समर्पण के साथ काम करने की ज़रुरत है। देश का नाम रौशन कीजिये। आप पर टिकी हैं आशा से भरी करोड़ों जोड़ी आँखें।
वन्दे मातरम् !
5 comments:
our scientist are enough efficient to produce or develop better products,but because of our government's import policies and a lot of interference,
they are helpless.May god wake them up before get too late.
इसरो को अपनी साख सुधारनी चाहिए।
aadecrneeya divya jee..aapki chinta hajayaj hai...ek bahut acchi baat hai kee aapne comment option open kar dia hai ..aapke blog ke niymit pathak ko sambadheenta ke purani sthiti nagabar gujarti thee...sadar badhayee ke sath
हमारे वैज्ञानिकों को मुफ्त खाने की आदत जो पड़ी है | सरकारी नौकरी है एक बार मिल गयी तो कोई हटा तो सकता नहीं फिर क्यों मेहनत की जाय ??
Dr Ashutosh, I'm extremely sorry for that.
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