आई आई टी में भी मुस्लिम आरक्षण चाहते हैं ये बददिमाग नेता। न नेता सुधरेंगे , न ही मुसलमान। स्वाभिमान से जीने की तो कोई बात ही न करे इनसे। बस भीख दे दो। यहाँ भी आरक्षण , वहां भी आरक्षण दे दो। पहले ही आरक्षण के कारण शिक्षा का स्तर इतना गिर चुका है, यदि और किया तो बस नीम-हकीम डाक्टर, इंजिनियर और पायलट ही निकलेंगे। जैसे राजनीति में जड़-बुद्धि वाले बढ़ रहे हैं , वैसे ही योग्य युवाओं के साथ अन्याय करके इन मंद बुद्धि वालों की संख्या टिड्डी-दल की तरह बढ़ने लगेगी।
कपिल सिब्बल का दिमाग उलटा ही सोचता है हमेशा। कभी ये झंडा उल्टा लगाता है तो कभी उलटे-सीधे आईडियाज़ देता है , वो भी शिक्षा के क्षेत्र में। इसको तो नगर-निगम की कचरा सफाई का विभाग देना चाहिए। आई आई टी में कॉमन परीक्षा और अल्पसंख्यक कोटा जैसी वाहियात बात कर रहा है। एक परिक्षा जिसमें बेहद ज़हीन विद्याथियों को होना चाहिए , उसमें भी कठमुल्लों को घुसा रहा है जबरदस्ती । मदरसे में पढने वाले अब आई आई टी जैसे संस्थानों को दूषित करेंगे।
आजकल सिब्बल वॉशिंगटन में है, उच्च शिक्षा सम्बन्धी नीतियों पर विचार करने के लिए। जैसे नेहरू ने कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ को घसीट कर हम लोगों को सदियों तक के लिए श्रापित कर दिया है, वैसे ही अब ये सिब्बल IIT का मसला विदेशियों के हाथ में दे रहा है।
जागो अब तो...
Zeal
18 comments:
बस किसी बहाने वोट बैंक बन जाए, देश जाए भाड़ में, इन्हें क्या?
ईश्वर बचाए हमारे बच्चों को....इसकी पकड़ से....
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
दीदी इसे कहते हैं वोट बैंक की राजनीती...कोई भी बोटी फेंको पर वोट मिलना चाहिए...वोट के लिए कुछ भी करेगा ये सब...वोट बैंक की माया अपरम्पार है..देश में मचा हाहाकार है
अब तो राम ही राखा
शिक्षा के क्षेत्र को कपिल ने काफी भ्रष्ट कर दिया है. यह जग ज़ाहिर है.
आरक्षण तो वोट बैंक है नेताओ का...ये अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकते हैं...
Kya kahe sab ko pata hai....
आई आई टी बनाई ही विदेशियों ने थी तो अब उनका उपयोग तो यहाँ होना ही था। कपिल सिब्बल जैसे टटपूंजियों को क्या समझ शिक्षा की? देश के इन उच्चतम शिक्षण संस्थानों को तो कम से कम आरक्षण नामक कोढ़ से दूर रखो। आई आई टी चेन्नई के डायरेक्टर एक बार कह भी चुके हैं कि हमारे कॉलेजों में ५०% सीटें खाली रह जाती हैं। क्योंकि आरक्षित वर्ग के लोग पासिंग लायक अंक भी नहीं ला पाते इससे उनकी सीटों पर किसी सामान्य वर्ग को नहीं बैठाया जाता। वहीँ जो पास कर लेते हैं वे इंजीनियरिंग की पहली परीक्षा में ही भाग लेते हैं। यदि देश की योग्यताओं का सही इस्तेमाल किया जाए तो ये देश कहाँ पहुँच जाए?
मुल्लों को आई आई टी में पढाया भी दिया तो ये अग्नि, पृथ्वी अथवा ब्रह्मोस नहीं अपितु गौरी, गजनी व अब्दाली ही बनाएंगे।
जब देश के नेता हो, सिब्बल जैसे...
देश की हालत सुधरेगी कैसे?
कोंग्रेस से तो कुछ अपेक्षा भी नहीं है वैसे...
सभी राजनेताओं को दिख रहे है..सिर्फ पैसे!
आपकी बात बिल्कुल सही है ... बेहतरीन प्रस्तुति।
वर्तमान क्रांतिकारी 'दिवस' के विचारों में बहुत ज्वाला है... ऎसी ज्वालाओं से ही राष्ट्रभक्ति का हवन पूरा होगा. अभी तो दिवस जैसे कई सपूतों को वैचारिक आहुतियाँ देनी हैं.
आरक्षण का यह सिलसिला देश के त्वरित विकास में बाधक है।
आपके ब्लॉग का नया रूपरंग सज गया है. आखिर भारत माँ के चरण पड़े हैं.
very nice post,,,
aane wale samay me kitnee bhayabah sthiti hone jaa rahi hai ab to samajh se pare hai...netaon kee manmani charmotkarsh par hai ...wakai dukhad..lekin aapka prayas rang jarur laayega,,sadar
१९ फीसदी वोटों के लिए बौरा गए हैं कांग्रेसी... इन्हें देश की तो कतई चिंता ही नहीं है...
आरक्षण के कोढ़ ने इस देश को तबाही के रास्ते पर डाल दिया है । कपिल सिब्बल , इसकी पार्टी की सरकार तथा नेता सब के सब अंग्रेजोँ के मानसपुत्र ही तो हैं । आज हमारा देश इनके हाथोँ मेँ सूरक्षित नहीँ है ...,,।
जहा आरक्षण है वही पर तो वोट है इन नेताओ का और इनको सिर्फ अपने वोट की लगी है.
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