नितीश ने मांग की है की एक शरीफ और सेक्युलर प्रधानमन्त्री होना चाहिए भारत का। मैंने तो बहुत सोचा , मुझे तो कांग्रेस के सिवा दूसरा कोई शरीफ और सेक्युलर दिखाई नहीं दिया। तो फिर २०१४ में लुटेरों को दुबारा जिता दिया जाये ? या फिर श्री श्री १००८ स्वामी नितीश कुमार को ही प्रधानमंत्री बना दिया जाए ?
राष्ट्रपति की तो मारा-मारी चल ही रही है। UPA , आनन्-फानन में अपना मनचाहा चुन ही लेगी, लेकिन प्रधानमन्त्री किसे बनाएं ?
Zeal
26 comments:
सही कहा आपने, आपसे सहमत
No party in India is secular or democratic
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जी वैसे तो करोडो ईमानदार और सरीफ आदमी हैं, पर सबकी ऐसी किस्मत कहाँ ?मेरी नज़र में एक ही आदमी हैं ,श्री मान मोदी साहिब जिनमें प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं ,पर कुछ लोग इनमें भी कमियाँ निकाल रहें हैं ......
om ji,
bilkul 101 %saty kaha .is tathakathit sekularishth congresiyo ko bnbakr sri nitish ji ko bhi khub kamane ka mauka mil jayega ,jaisa ki mulla-mulayam/mayabati kr rahe hai ,aur congress ke sauhadra se dusre mulla nitish bhi bn jaye ,aur hamesha
satta pr kabij hone ka spna bhi safal hojaye . badi uchi soch hai bah..............bah...kamal......!!!
अगर हिन्दुस्तान की पहचान को बनाये रखना है तो गाँधी वाद और धर्म निर्पेक्षता के जाल से बाहर निकल कर नयी सोच के साथ कट्टरता से हिन्दू धर्म को अपनाना होगा।
जब आस पास बीमारी फैलती है तो उसे रोकने के लिये 'कट्टर' दवाईयाँ खानी पडती हैं।
नितीश कुमार जैसे धर्म निर्पेक्ष लोग घास में छुपे साँप हैं पता नहीं कब और कहाँ काट लें।
क्या बात है!!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 25-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-921 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
I am ready zeal , can you help
love
rachna
अधर्मी पी एम् बने, बकते श्री नितीश ।
मोदी से भरसक इन्हें, बे-हिसाब है रीस ।
बे-हिसाब है रीस, छोड़ देंगे गठबंधन ।
पर कहिये श्रीमान, राष्ट्रपति पद पर क्रंदन ।
एन डी ए असहाय, दिखे सब की बेशर्मी ।
दिया ना कंडीडेट, ढूँढ़ ना सके अधर्मी ।।
एक ही शेर दिल इन्सान है जो प्रधान मंत्री बनने लायक है वो हैं मोदी जी...पर कुछ भेड़ें मिल कर उन्हें डराने में लगी हैं...और सेक्युलरिज्म का पाठ पढ़ा रही है...क्या वो भेड़ें सेक्युलरिज्म के बारे में खुल कर बोल पाएंगी की क्या है सेक्युलरिज्म? और ये सेक्युलरिज्म जब शायद इसकी सबसे ज्यादा जरुरत थी १९५० में तब क्यों नहीं जोड़ा गया था|
अब नितीश भी प्र.म. बनने के सपने देखने ही लग गया !!
नितीस जी की मांग जायज है,,,,
RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
सेक्युलर के मायने ही बदल गए हैं आज
कभी कभी मन मे आया प्रश्न भी सुन्दर होता हैं ...
सुमित जी
धन्यवाद
आपसे मै वाकिफ हूँ/
मेरी आदत है पढ़ कर मंथन करना /
उसके निष्कर्ष को अपने ब्लॉग में पोस्ट करना/
मै आप से सहमत हूँ / हर चीज पर गहरी पैठ रखता हूँ. /
शैलेश कुमार
यह नितीश कुमार की महत्वाकांक्षा है जो हिलोरे मार रही है | मोदी उन्हें इसी वजह से स्वीकार्य नहीं हो पा रहे हैं | बिहार की सत्ता भाजपा के सहयोग से ही मिली है , इस तथ्य को शायद भूल गए हैं | शायद सोच रहे हों कि कांग्रेस उन्हें प्रधानमंत्री बना देगी ! भला दिवास्वप्न देखने से कौन रोक सकता है ?
शरीफ.... परिभाषाएँ बादल गई हैं देश में
अब तो इसका उल्टे स्वभाव का ढूँढना चाहिए...
सादर
शरीफ़ कौन है आज? किसी को भी बना दें कुर्सी मिलते ही सब बदल जाते हैं।
यूपीए ने प्रधानमंत्री पद के लिये योग्यताएँ रखी हैं :
१] मितभाषी [मतलब .... हाँ और नहीं में उत्तर देने वाला]
२] सहिष्णु [मतलब .... चिकना घड़ा]
३] धैर्यवान [मतलब..... अवसर खोने वाला]
४] चतुर [मतलब .... मौकापरस्त]
५] प्रजा-हितैषी [मतलब ..... दलालों का यार]
... और भी खूबियाँ हैं... लेकिन अभ्यर्थी को हो बतायी जाएँगी.
कोई भी बने प्रधान मंत्री पर अपना दिमाग भी रखता हो और जबान भी रखता हो
बहुत नमूने हैं अभी मैडम के पास...
हाहाहाहा सेकुलर का राग सब गा रहे हैं ...... क्या करें वोट की चिंता में दुबले हो जाते है जयादातर नेता ... कई लोगों के लिए तो मोदी का मतलब सिर्फ सांप्रदायिक होता है
सेक्युलर शब्द हमारे सम्विधान से हटा दिया जाए जो इंदिराजी ने जुड़वाया था ..तभी से यह शब्द हिन्दुस्तान के समुदायों में दरार डालने वालों का वोट बैंक बढाए है .अब इसे तुष्टिकरण कह लो या कुछ और .नीतीश जी अच्छे खासे आदमी हैं बढिया संभाषण करतें हैं अच्छे सहृदय प्रशासक हैं ये पंथ -निरपेक्ष ,धर्म निरपेक्ष वोट बैंकियों के झांसे में कैसे आ गए .... .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
सोमवार, 25 जून 2012
नींद से महरूम रह जाना उकसाता है जंक फ़ूड खाने को
http://veerubhai1947.blogspot.com/
वीरुभाई ,४३,३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८ ,१८८ ,यू एस ए .
modi se itna kyun chidhte hain..poore desh kee janta jo chahti hai wo galat hai..accha dharmnirpekshata ka dhindhora peet rakha hai..sadar badhayee ke sath
जो कोई भी; एक परिवार को ही सर्वोपरि मान कर उसके ही हित के लिए कामना करे, जो देश-भगवान् के स्थान पर एकमात्र माँ-बेटो को ही सब कुछ माने!जो उन्ही के इशारों पर देश तो क्या अपने परिवारों तक को बेच खाए... ओह सॉरी उन्हें बेच खिलाये ....
वो ही शरीफ है इस सरकार में तो!
कुँवर जी,
तथाकथित सैक्युलर अगर भ्रष्ट है तो इसका प्रधानमंत्री भी हमें नहीं चाहिए.
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