कृषि अनुसंधान केंद्र की वैज्ञानिक और लायंस क्लब की अध्यक्ष डॉ अनीता शुक्ला का घटिया और वाहियात बयान ---
"पीडिता
अगर सात बलात्कारियों से घिर गयी थी तो समर्पण कर देना चाहिए था , हौले
से बलात्कार करवा लेना चाहिए था ! इतना हंगामा ना करती तो आंत न निकालनी
पड़ती ! स्वस्थ रहती। गलती लड़की की है , लड़कों की नहीं, न ही पुलिस की!"
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इतना शर्मनाक बयान देने वाली डॉ अनीता पर थूकना चाहिए , जो स्त्रियों को इज्ज़त लुटने वक़्त समर्पण की सलाह दे रही हैं!
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मेरा व्यक्तिगत विचार-- लड़कियों को जूडो-कराटे सीखना चाहिए! खुद को बेहद मज़बूत बनाना चाहिए ! सेल्फ-डिफेंस में इस बलात्कारियों को मौत के घाट उतार देने का जज्बा रखना चाहिए! इज्ज़त लुटे उससे बेहतर से संघर्ष करें ! हिम्मत और हौसला रहेगा तो तो ये छिछोरे, नपुंसक कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे !
वस्त्र
बेहद सुविधाजनक होने चाहिए ! लड़कों की तरह ही सुविधानक कपडे और
स्पोर्ट्स-शू पहनने चाहिए , ताकि वक़्त ज़रुरत जो-चार किक मुंह पे जड़ सके !
नाखूनों से इन नपुंसकों की आखें फोड़ देनी चाहिए और पेचकस रखें साथ में ताकि
इनकी आँतों का फालूदा बनाकर इनके परिजनों को सौपा जा सके!
33 comments:
डॉ अनीता को ये भी नहीं पता की यदि लड़की द्वारा विरोध नहीं किया गया है तो वह बलात्कार की श्रेणी में ही नहीं आएगा ! उसे 'consensual-sex' कहा जाएगा। अर्थात उसमें लड़की की सहमती मानी जायेगी। बलात्कारी आराम से बच जाएगा !
ये तो अति है असंवेदनशीलता की
दिव्या जी आपसे बिना पूछे आपका लिंक शेयर कर रही हूँ उम्मीद है आप सहमत होंगी। क्योंकि ऐसे सच सबको पता चलने चाहियें।
ह्रदय इस अनीता (डॉ तो ये है नहीं) का किसने निकाला ......... इतना गहन विचार जो यह औरत के नाम पर कलंक बनी दे रही हैं - क्या अनुभव बयान कर रही हैं
मतलब उस घटिया औरत के कहने का मतलब यह था कि "उस लड़की को वह बलात्कार एन्जॉय करना चाहिए था। जब सभी लडकियां खुद को लम्पट बना लेंगी तो फिर इन बेचारे(?) पुरुषों को बलात्कार की ज़रूरत ही क्या पड़े? ये तो बेचारों का दुर्भाग्य है कि लडकियां चरित्रवान हैं और मानती ही नहीं। अब ऐसे में बेचारे बलात्कार नही करें तो और क्या करें?"
इस घटिया औरत के हिसाब से भारत को अमरीका की तर्ज पर व्यभिचारियों का देश बना देना चाहिए।
लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सीखने ही चाहिए। आपने सही कहा, धारधार हथियारों के साथ मिर्च वाला स्प्रे भी रखना चाहिए। जरूरत पड़ने पर इन दरिंदों की आँख में स्प्रे छिडक कर उसे पीट-पीट कर आंतें बाहर निकाल दें।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2012) के चर्चा मंच-११०७ (आओ नूतन वर्ष मनायें) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
ये सब हमारे अंग्रेजी प्रेम का नतीजा है जो अर्थ का अनर्थ करता करवाता है -माननीय डॉ .साहिबा ने अंग्रेजी मुहावरे -When rape becomes inevitable enjoy it .का शब्दश अनुवाद कर लिया है बिना दिमाग का इस्तेमाल किए .एक किस्सा याद आ रहा है .यूनिवर्सिटी कोलिज रोहतक का वरांडा ,वरांडे में एक छात्र एक छात्रा को धमका रहा था लताड़ रहा था .हम वहां से गुजर रहे थे पूछा भैया क्या हुआ है बात क्या है आप क्यों इतने नाराज़ हो रहे हैं कहने लगा इसने मुझे शैतान कहा है .हमने पूछा वह कैसे और किस सन्दर्भ में बोला -कहा था इसने या नहीं पूछो इससे -
Think of the devil and devil is there .
हमने उसे समझाया भैया इसका शब्दिक अर्थ वह नहीं है जो आप समझ रहे हैं -'शैतान को याद करो ,शैतान हाज़िर 'बल्कि भाव अर्थ यह है -जिस प्रिय व्यक्ति को आप याद कर रहे थे वह हाज़िर हो
गया .बड़े अभागे हो तुम बच्चे .हमारे हाथ में CAMBRIDGE Idioms Dictionary थी उसे दिखलाया मुहावरे का असली अर्थ -रंगा खुश हुआ .डॉ .साहब को भी बतलाना पड़ेगा .
नूतन वर्ष अभिनन्दन !मूर्खों की कमी नहीं है एक ढूंढोगे हजार मिलेंगे .Expand
3hVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी
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3hVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का
सहमत हूँ आपसे... आत्मरक्षा के लिए महिलाओं को स्यवं को मज़बूत बनाना ही चाहिए...
वर्ना पुरुष होने का दंभ करने वालों का इलाज मुश्किल है...
लगता है ये महोदया कई बार ऐसी सिचुएशन में घिर चुकी हैं और कई बार.....आगे लिखना भी महिला की गरिमा के विरुद्ध है...इसका क्या मतलब है, यही कि जब पुरुषों से घिर जाओ तो सरेंडर कर दो...हौले से... अपनी बहन बेटी को भी यही सलाह दी होगी. इज्जत से ज्यादा जान प्यारी हो गई ? लड़की की गलती बता रही है...इससे तो इसका चरित्र समझ में आ रहा है...
मैं तो सिर्फ़ इतना जानता हूं कि चलिए इस बहाने लोगों के असली चेहरे और मानसिकता सामने तो आ रही है । अफ़सोस होता है जब एक महिला मन इस तरह की सोच ज़ाहिर करती हैं
इस महिला ने क्या पश्चिम में शिक्षा ग्रहण किया है ,जो इतनी बेशर्मी से बेशर्म बयाँ देती है ,यह भारत की देवी/दुर्गा/सती /लक्ष्मी/स्वर्स्वती मानी जानी बाली बहु/बेटियों को ऐसे बयाँ देकर क्या सन्देश देना चाहती है ,यह हमारी पूज्य मताए/बहने बच्चिया ही समझ सकती है ,मुझे तो यह स्वछन्द बिक्रत महिला लगती है ! ऐसे बयानों का भारतीय संस्कृति पर बुरा असर पड़ता है ,इसका भर-पुर बिरोध ही नहीं उसे ऐसे बयानों से रुक्बाने का प्रयाश होना चाहिए|
अपना अपना विचार हें ,अनीता को वलात्कार से कोई परेशानी नहीं हे तो हमें क्या / देश क्या इसे स्वीकार लेगा ?
swamiji.devendra@facebook.com
mb-09410084200
ऐसा बयान देने वाली उस घटिया औरत के लिए एक ही शब्द प्रयुक्त हो सकता है जो यहाँ लिखते भी नहीं बन रहा !
kuchh log janaboojh kar aise bayan dete hain taki ve charcha men bane rahe aur usa par khoob unaka naam uchhale.
ya phir ye kisi dimagi beemari ka shikar mahila hain. aise logon ko samaj men koi ijjat hogi hi nahin .
डॉ अनीता महोदया यदि आपने इस प्रकार का बयां दिया है तो आपके विचारों को दाद , खाज , खुजली , सब कुछ देता हूँ . और आपके महिला खासकर भारतीय होने पर संदेह होता है ...
धिक्कार है इस पर।
औरत के नाम पर कलंक है ये।
डा. अनीता शुक्ला की यदि लड़की होती तो क्या तब भी वह यही बयान देती क्या ?
डॉ.अनीता,यह कैसे सोच सकीं आप?
डॉ अनीता असंवेदनशीलता की अति'kuch to sharm karo...
जो कह रही हैं वह स्वयं कर सकती हैं क्या सुश्री अनिता?
बेहूदी मानसिकता, बेहूदा बयांन ! समझ में नहीं आता की ये साइंटिस्ट बन कैसे गई !
आप जैसी महिलाएं ही महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं...जहां इस तरह के शब्द लिखने में महिला सकुचाती है वहां आप नसीहत दे रही हैं कि रेपिस्टों से घिरने पर हौले से...क्या आपको नहीं पता कि इसका मतलब क्या होगा...सहमति के विरुद्ध महिला से संबंध बनाने को रेप कहा जाता है फिर चाहे पति ही क्यूं ना अपनी पत्नी पर जबरदस्ती करे.सहमति देने पर रेप नहीं रह जाता.
अपनी आप बाती सुनाई है क्या आपने...लगता है अपना अनुभव शेयर किया है. शर्म आनी चाहिए ऐसी मानसिकता पर, जहां जान को इज्जत से ज्यादा प्यारा समझा जाए...कहना तो बहुत चाहती हूं पर आप जैसी बेशर्मी नहीं दिखाना चाहती..वर्ना...
महिलाओं के खिलाफ मैं एक भी शब्द नहीं सुन सकती, चाहे मैं उस महिला से वाकिफ होऊं या ना होऊं...तुम औरत के नाम पर काला धब्बा हो...
यदि दुष्कर्मियों को सब छूट दे दी जायेगी तो जीवन रहेगा कहाँ पर? दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य।
दुर्भाग्य है ये देश का जहाँ इतनी गैरजिम्मेदाराना बयानबाजियां हो रही हैं ! अब राष्ट्रपति के बेटे अभिजीत ने बाप सहित सबको शर्मसार कर दिया यह कह कर की -- "प्रदर्शन के बाद डिस्को जाती हैं रंगी-पुती महिलाएं" ! कितनी औरतों का पीछा करता है ये छिछोरा अभिजीत जो ऐसी टिपण्णी कर दी महिलाओं पर? सारी स्त्रियाँ इसकी बीवी की तरह अश्लील नहीं होतीं ! इस मूर्ख ने तो अपने पिता (देश के राष्ट्रपति) की भी इज्ज़त नहीं रखी ! सारे के सारे कांग्रेस सांसद इतने ही घटिया हैं क्या ?
कृषि वैज्ञानिक डॉ अनीता शुक्ला ने अनेक वरिष्ट अधिकारियों एवं जन सामान्य की भर्त्सना के बाद भी अपने विक्षिप्त बयान को वापस नहीं लिया है, अभी तक उसी पर दृढ हैं ! इन्हें उक्त वक्तव्य के लिए सजा अवश्य मिलनी चाहिए एवं पद से इस्तीफ़ा तत्काल ले लेना चाहिए!
dr. Anita jee ke ssath aisa kuch hota to kya khud ko ladko ke aage daal deti
dr. Anita jee ke ssath aisa kuch hota to kya khud ko ladko ke aage daal deti
स्त्री होना गुनाह है ---
आखिर मार ही डाला एक निर्दोष लड़की को ! उन चरित्रहीन, पतित , लफंगे लड़कों ने! दोष समाज का है और उनके माता-पिता का जिन्होंने अपने लड़कों को लफंगा बनाया , कोई संस्कार नहीं दिया ! कभी ये नहीं देखा की ये कैसी संगत में रहते हैं !
ये बलात्कार जैसे जघन्य अपराध तभी रुकेंगे जब बच्चों को सही संस्कार और शिक्षा दी जायेगी! लोगों को अपनी सोच और मानसिकता ऊंची करनी होगी! नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देनी होगी!
देश पतन पर है क्योंकि हमारी सरकार के पास संस्कार नहीं है! संवेदनशीलता नहीं है , नैतिक मूल्य नहीं है! लड़कियों की इज्ज़त रहे या जाए , ये लोग दिशाहीन और संवेदनहीन ही रहेंगे!
निर्भय (दामिनी) की इस जिल्लत और दर्दभरी मौत के बाद के बाद कुछ बदलेगा क्या? जब तक शीला, सोनिया और महेश भट्टों का नैतिक उत्थान नहीं होगा तब तक कुछ नहीं बदलेगा !
निसंदेह , उस लड़की की मौत कुछ दिन पूर्व हो चुकी थी, लेकिन सरकार अपने हित में नौटंकी करने से बाज़ नहीं आई ! कसाब हो या कोई मासूम लड़की , मौत पर सियासत करना तो कांग्रेस का शौक है! दोगली , मक्कार सरकार !
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समस्या सिर्फ यही है कि हम दोगले विचार वाले लोग हैं....एक तरफ पाशाचात्य सभ्यता के पीछे हैं तो दूसरी तरफ अपनी पंरपरा का गुनगान करते हैं..यानि अधरंगे सियार जो सिर्फ हुआ हुआ करते हैं....अभिजीत बाबू से पूछा जाना चाहिए था कि डिस्को जाने वालो पर क्या पाबंदी लगानी चाहिए कि वो किसी का विरोध न करें...साथ ही इस बात पर भी पाबंदी लगा देनी चाहिए कि मेकअप करने लोग आंदोलन में शामिल होने न हों। हद है....अगर कोई डिस्को जाता है तो इसका मतलब वो आंदोलन में शामिल न हो..ये तो वही हुआ कि अगर कोई लड़की जींस पहने तो बलात्कार को न्यौता दे रही है। हद है कि प्रणव मुर्खीजी जैसे नेता के बेटे का ये बयान है
विश्वास नही होता कि एक महिला के शब्द हैं । बेहद शर्मनाक । क्या ये महोदया अपने साथ हुई घटना पर यही करतीं ???
dr anita sukla kii najar main ijjat see badi cheez jan bachana hai..aap logo kii najro main jann badi yaa izzat.yee murgi pahele yaa anda pahele aaya jaisa sawal hai
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