"गाडी के नीचे कुत्ता आ जाए तो भी हमें दर्द होता है , तो फिर यदि इंसान के साथ दुर्घटना हो तो निसंदेह दर्द होगा ही होगा !"
"कहीं पर भी यदि कुछ बुरा हो जाए तो दुःख होना स्वाभाविक ही है!"-
इतनी सी बात समझना मुश्किल हो रहा है क्या लोगों को ? "कौआ कान लेकर भागा " --गंवारों की पहचान यही है , बिना सोचेसमझे हल्ला मचाने लगते हैं !
चैनल चला रहे गीदड़ों और कांग्रेसियों को लगा की मोदी ने मुसलमानों को कुत्ता कहा गया है।
और मुसलमान? क्या उन्हें स्पष्ट समझ आ रहा है की बोलने वाले का intention क्या है , या फिर सबको अर्थ का अनर्थ करने में ही मज़ा आ रहा है?
कुबुद्धि कहें ? दुर्बुद्धि या फिर मंदबुद्धि कहें ऐसे लोगों को ?
"कहीं पर भी यदि कुछ बुरा हो जाए तो दुःख होना स्वाभाविक ही है!"-
इतनी सी बात समझना मुश्किल हो रहा है क्या लोगों को ? "कौआ कान लेकर भागा " --गंवारों की पहचान यही है , बिना सोचेसमझे हल्ला मचाने लगते हैं !
चैनल चला रहे गीदड़ों और कांग्रेसियों को लगा की मोदी ने मुसलमानों को कुत्ता कहा गया है।
और मुसलमान? क्या उन्हें स्पष्ट समझ आ रहा है की बोलने वाले का intention क्या है , या फिर सबको अर्थ का अनर्थ करने में ही मज़ा आ रहा है?
कुबुद्धि कहें ? दुर्बुद्धि या फिर मंदबुद्धि कहें ऐसे लोगों को ?
14 comments:
क्या कहें दिव्या जी …………ऐसे ऐसे लोग सरकार में शामिल हैं तभी तो देश गर्त में जा रहा है।
बारी-बारी से प्रयोग कर दीजिये, तीनों शब्द चलेंगे !
मंदबुद्धि नहीं हो सकते क्योंकि मंदबुद्धि को तो देर से ही सही बात समझ में आ जाती है लेकिन इनको तो दुर्बुद्धि कहना ही उचित होगा जो अर्थ का अनर्थ करने पर तुले हुए हैं !
अगर कही भी रमजान माह मैं दंगा होता है तब वहा के मुसलमानों के रोजे उपरवाले को कबूल नहीं
जय बाबा बनारस ....
कारें चलती रोड पर, कुत्ता गया दबाय ।
बस में बस अफ़सोस ही, क्या है अन्य उपाय ।
क्या है अन्य उपाय, पाय क्षतिपूर्ति बराबर ।
चालक आगे जाय,टाल कर वहीँ कुअवसर ।
जान बूझ कर आप, नहीं ना कुत्ता मारें ।
मिला यही अभिशाप, चलें यूँ ही सर-कारें ॥
babal machane ke liye kuchh bhi kiya ja raha hai aajkal ...
.दिव्या जी नरेन्द्र मोदी जी देश के आगामी प्रधानमंत्री हैं अब तो इस पर बहस चलाइए, वो कुछ भी कहें दुसरे कुछ भी कहें सिर्फ ब्रांड मोदी कायम होगा बस...
कुछ सार्थक करने को नहीं ... व्यर्थ का विवाद करने की आदत है । यही आज की सरकार है ।
मनचाहा मतलब निकालने में माहिर है कांग्रेस सरकार...और अब तो करने के लिए बस यही तो रह गया है....!!!!
उन्हे तो बोलने का बहाना चाहिए ..चाहे अर्थ का अनर्थ ही क्यों न करना पड़े..
ऐसे लोग सरकार में शामिल हैं मतलब निकालने में माहिर है
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
संजय भास्कर
यही तो शब्दजाल है और राज नीति बाकि तो आप खुद समझदार हैं
kisi ko kuch samajh nahi aayega...koowaa kaan lekar bhaga
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