Tuesday, July 2, 2013

अपने स्वार्थ से परे ..

ना देश की परवाह , ना ही प्रकृति की ! फिर मरने वाले श्रद्धालुओं , हिन्दू धर्म और उनके मंदिरों की क्यों होगी ? पहाड़ों पर पेड़ लगाने के बजाये डायनामाईट से पहाड़ों को चिटका रहे हैं ! उत्तराखंड में इतनी अधिक संख्या में बाँध बनेंगे तो वो दिन दूर नहीं पूरा उत्तराखंड ही बह जाएगा , और यही तो चाहती है कांग्रेस-- धीरे-धीरे करके भारत को समूल नष्ट करना। चाईना से सावधान रहने की ज़रुरत है। दुश्मन पडोसी मुल्कों से न हाथ मिलाने की ज़रुरत है , ना ही किसी प्रकार के दबाव में आने की ज़रुरत है। सरकार को अपने स्वार्थ से परे , धन का लालच छोड़कर , देश के विकास के लिए सोचना होगा।

18 comments:

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

सही कहा आपने, लेकिन इनकी समझ में आए तब ना..


उत्तराखंड त्रासदी : TVस्टेशन ब्लाग पर जरूर पढ़िए " जल समाधि दो ऐसे मुख्यमंत्री को"
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372748900818#c4686152787921745134

पूरण खण्डेलवाल said...

सही कहा है !!

Kailash Sharma said...

प्रकृति के साथ खिलवाड़ और उसका व्यावसायिककरण हमें विनाश की और ढकेल रहा है...

kunwarji's said...

सार्थक पोस्ट!
हर एक चिंता जायज और सच्ची है!
कुँवर जी,

Maheshwari kaneri said...

सही कहा ..लेकिन सरकार को समझ आए तब न..

Bhola-Krishna said...

सच है कि किसी को नहीं है "देश" की परवाह
मन में सभी नेताओं के है 'चेयर'की ही चाह

पाकेट भरी रहे मेरी कुर्सी न जाए छिन
बस इस उधेड़बुन में ही काटे हैं रातदिन !

हम दूर हैं मजबूर हैं कुछ कर नहीं सकते,
'फुल-जील' से भिड जाइए अय 'यूथ' देश के

shashi purwar said...

बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार

Pallavi saxena said...

बात तो सही है मगर सरकार तो चिकना घड़ा है उनकी समझ में यह बात आए तब न...

विभूति" said...

its true...

सूबेदार said...

ये उत्तराँचल का विकाश नहीं ये विनाश कर रही है सरकार तीर्थ क्षेत्र में पर्यटन के नाम पर सूरा-सुंदरी परोसना ------ तो प्रकृति का कृत्य यही होगा,

सूबेदार said...

हिन्दू धर्म का विरोध ही सार्थक सेकुलरिज्म है जिसका उत्तराँचल पूरी तरह पालन कर रही है

Jyoti khare said...

बहुत सही और सार्थक कहा आपने
बस जागरूकता की कमी है
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई

जीवन बचा हुआ है अभी---------

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

तबाही के कारणों को अब बच्चा-बच्चा समझ रहा है पर ये शासक और व्यवस्थापक क्यों नही समझते । अब भी समझ जाएं कि स्वार्थ व लापरवाहियों के दण्डस्वरूप ही तो कितनी भयानक नसीहत दी है प्रकृति ने ।

Madan Mohan Saxena said...


प्रभावशाली , बहुत बधाई.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

BILKUL SAHI LIKHA HAI AAPNE.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

BILKUL SAHI LIKHA HAI AAPNE.

Ramakant Singh said...

सचमुच चिंतनीय

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

इन्हें बाँध बनाने की बीमारी हो गयी है
इनकी बीमारी हमपे भारी हो गयी है
देश की कश्ती को डुबो देंगे सारे नेता
इसे बचाने की अब जिम्मेवारी हमारी है
सादर बधाई के साथ