Tuesday, July 23, 2013

गंदे बयान

गंदे बयान देकर कांग्रेस , देश में साम्प्रदायिक दंगे करवाना चाहती है।
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"राशिद मसूद और शकील अहमद का कहना है की २००२ के दंगों के बाद ही इन्डियन मिजाहिद्दीन बना"
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ऐसे घटिया बयान कांग्रेसी ही दे सकते हैं और नपुंसक जयचंद उन्हें वोट देकर जिताते हैं। --शकील अहमद ही इन्डियन मुजाहिद्दीन का सरगना होगा इसीलिए उसे मालूम का इस आतंकी संगठन का जन्म कब और क्यों हुआ।

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हमेशा शांति की भीख मांगने वाले हिन्दुओं .....आजतक के इतिहास का सबसे बड़ा संकट हिन्दुओं पर आने वाला है , ईसाईयों के ८० देश और मुल्लो के ५६ देश है , और हिन्दुओं का एकमात्र देश भारत ही अब हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा. भारत को एक फ़ोकट की धर्मशाला बना दिया गया है जहाँ इसके मेजबान हिन्दू ही बहुत जल्दी मुल्लो की सेना तैयार करने वाली संस्था PFI द्वारा शुरू होने वाले गृहयुद्ध में कश्मीर की तरह पुरे भारत में हिन्दुओं के हाथ पैर काट दिए जायेंगे, आंखे निकाल ली जाएँगी , बहन बेटियों के साथ सामूहिक बलात्कार करके उनकी छातियाँ काट के वहां अल्लाह के नाम की गरम मोहरे दाग के अपनी निशानी छोड़ दी जाएगी , और कश्मीर की ही तरह उनकी सुरक्षा के लिए कही पे भी सरकार नाम की दलाल संस्था कोई भी सेना नहीं भेजेगी और अगर भेजेगी भी तो मुलायम सिंह की तरह अयोध्या के रामभक्तों की तरह समस्त हिन्दुओं पे गोली चलने के लिए.....
नपुंसक हिन्दू खुद तो ख़तम हो रहा है और समस्त विश्व के कल्याण की बकवास करता फिरता है जबकि समूचा विश्व ईसाई और मुल्ला उसको पूरी तरह निगल लेने की पूरी तैयारी कर चूका है...आज तक हिन्दू जितनी अधिक उदारता और सज्जनता दिखलाता रहा है , उसको उतना ही कायर और मुर्ख मान कर उसपे अन्याय, और हर तरह का धार्मिक , सामाजिक और आर्थिक विश्वासघात किया जाता रहा है ...और हिन्दू है की आंख बंद कर के बस कहावतों में जिंदा रहकर बस भगवान के शांति स्वरूपं की पूजा करते करते सच में नपुंसक बन chukaa है !

11 comments:

Guzarish said...

आपकी रचना कल बुधवार [24-07-2013] को
ब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया

सूबेदार said...

शकील अहमद ही नहीं पूरी कांग्रेस इंडियन मुजाहिदीन के साथ कड़ी है देश और हिन्दू समाज ही निर्णय करें---!

Maheshwari kaneri said...

बहुत सही कहा..

पूरण खण्डेलवाल said...

इस देश की अजीब विडम्बना है !!

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

दिग्विजय और शकील अहमद की बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि इन दोनों नेताओं को भी एक सच में किसी अच्छे डाक्टर के पास जाना चाहिए..


मुझे लगता है कि राजनीति से जुड़ी दो बातें आपको जाननी जरूरी है।
"आधा सच " ब्लाग पर BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी !
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/07/bjp.html?showComment=1374596042756#c7527682429187200337
और हमारे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर बुरे फस गए बेचारे राहुल !
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/blog-post.html

Ramakant Singh said...

धर्म और राजनीति एक दुसरे के पर्याय बनते जा रहे हैं

ZEAL said...

जिस तरह से मोदी के लिए अमेरिका को हमारे सांसदों ने चिट्ठी लिखी है उससे दो तिन बाते साफ़ हो जाती है। पहली तो ये की अगर मोदी आदमखोर हैं यमदूत हैं तो हमारे नेता इस यमदूत के साथ तो अपने देश में रह सकते हैं पर यह यमदूत अमेरिका जाए इन्हें स्वीकार नहीं। मतलब अमेरिका की जनता की सुरक्षा के लिए ये ज्यादा चिंतित है भारतीयों के लिए नहीं। दूसरी बात हमारे नेता लिखना जानते है. ख़ुशी होती अगर ये चिट्ठी इन मुद्दों पर राष्ट्रपति/प्रधानमंत्री को लिखते

- उत्तराखंड में लोगो को क्यों नहीं बचाया गया ?
- रूपया इतना गिरता क्यों जा रहा है ?
- भ्रष्टाचार क्यों इतना बढ़ गया है ?
- महंगाई क्यों बढती जा रही है
- चीन हमारे सीमा के अन्दर क्यों घुस गया ?
- दिल्ली बलात्कार के आरोपी को सजा जल्दी क्यों नहीं दी जा रही ?
- कश्मीरी पंडित अपने ही देश में अनाथ क्यों जी रहे हैं ?
-कश्मीर का आधा भाग पाकिस्तान से वापस क्यों नहीं लिया जा रहा ?
- हमारे सैनिको का सर काट के ले जाने वालो को जवाब क्यों नहीं दिया गया ?

पर हमारे नेता ये न करेंगे। गुलामी इनके खून में ही नहीं क्रोमोजोम तक में है। पर अहम् सवाल ये है की ये इनको चुनता कौन है ?

indianrj said...

एकदम सटीक बात कही है आपने दिव्याजी। हम लोगों को कोई ऐसे ही झिंझोडे, लानत मनालत दे, तो शायद कुछ बात bane.

indianrj said...

एकदम सटीक बात कही है आपने दिव्याजी। हम लोगों को कोई ऐसे ही झिंझोडे, लानत मनालत दे, तो शायद कुछ बात bane.

प्रतिभा सक्सेना said...

औँध घड़ा हैं - कोई असर नहीं !

Unknown said...

दिव्या जी बयान अगर गंदे हों तब भी कुछ हद तक इनको राजनीतिक वोट बैंक का रंग दिया जा सकता है पर इन नेताओं की गन्दी मानसिकता का क्या कहा जाए . इसकी कुछ मिसाल पेश करता हूँ ...

1. नितीश कुमार ने इशरत जहां को गोद ले कर यही साबित किया है .(भले अपनी संतान को कभी न देखा हो )

2.कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद जो कि सिमी और इंडियन मुजाहिद्दीन जैसी संस्थाओं के सचिव हैं.

3.लालू यादव के अनुसार सिमी को संघ ही बदनाम कर रहा है .मुलायम यादव का मुस्लिम प्रेम तो जगजाहिर है इसलिए ऐसे नेताओं के बारे में लिखना मैं अपनी लेखनी का अपमान समझता हूँ

और भी ऐसे बहुत से नेता हैं जिनके बारे में लिखने बैठूं तो शायद ये जीवन ही कम पड़ जाएगा . कांग्रेस पार्टी की मानसिकता तो जगजाहिर है जिन्हें सरहद पर कटते जवानों के सिर की कोई चिंता या परवाह नहीं है जबकि बाटला हाउस के एनकाउन्टर में सोनिया सहित पूरी की पूरी पार्टी इस ढंग में अपने टेसुयें बहाती हैं जैसे राजीव गांधी का दोबारा क़त्ल कर दिया हो. दिव्या आज के समय में सोंचने की फुर्सत किसी के भी पास नहीं है कि हमारा देश कहाँ जा रहा है ,कहने को तो हम परमाणु संपन्न देश हैं पर यूपी से भी कम आबादी वाले पाकिस्तान को हम अपने सब्र की दुहाई देतें हैं ,भाड़ में गया ऐसा सब्र जो अपने जवानों की मौत पर भी न टूटे. कोई पूंछे तो इस विदेशी सरकार से कि इन परमाणु हथियारों को क्या राहुल गांधी के निकाह में खर्च करेंगे ? आज जहाँ भी नजर डालता हूँ बस कठमुल्लों के हितैषी ही नजर आतें हैं फिर चाहे आरक्षण की बात हो या गरीबी मिटाने की, तो मै इन दलालों से जानना चाहता हूँ कि जब ये कठमुल्ले किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए निर्णायक साबित होतें हैं तो कब तक सभी पार्टियां इन्हें अल्पसंख्यक मानती रहेंगी ? अल्पसंख्यक तो हमारे सिक्ख भाई भी हैं इनकी याद किसी को क्यों नहीं आती ? पर सच्चाई ये है दिव्या जी कि हमारा हिन्दू समाज ही बिखरा हुआ है तभी तो ये कठमुल्लाओं के हितैषी सिर्फ एक बोतल दारु और मांस के कुछ टुकड़ों से चुनाव जीत जातें है और हमारा हिन्दू समाज बाद में फलाने की जय ,धिमाके की जय चिल्लाता रह जाता हैं. एक बात और हिन्दूओं को समझनी होगी की हिन्दू का उत्थान सिर्फ और सिर्फ हिन्दू ही कर सकता है इसलिए जरूरत है ऐसे मंच की जहाँ पर सभी को एकजुट हो कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करना ही होगा और जिस दिन ऐसा हुआ माँ कसम से कहता हूँ कि गली -गली में जय श्री राम के नारे न गूंजने लगे तो मुझे गोली मार दी जाए .हम हिन्दुओं की फूट का फायदा सदियों से मुगल और अंग्रेजों ने उठाया है और आज भी हम विदेशियों के प्रभाव से मुक्त नहीं हैं .इस देश के जवान चाहे जिस बर्बरता से क़त्ल किये जाएँ ,कश्मीर में हिन्दू लड़कियों का चाहे जिस बेदर्दी से सामूहिक बलात्कार किया जाये इस विदेशी सरकार से न्याय की उम्मीद करना खुद को धोखा देने जैसा है . और सीधी सी बात है जो औरत इटली की पैदाइश हो वो भारत के प्रति अपने दिल में प्रेम या देशभक्ति का जज्बा क्यों रखेगी ? मेरा दिल कहता है दिव्या जी कि देर सबेर एक परिवर्तन आयेगा और तब इन कठमुल्ले रहनुमाओं को देश का बच्चा - बच्चा भी दौड़कर मारेगा और तब मेरे होंठों से सिर्फ एक ही शब्द निकलेगा और वो होगा "वन्दे मातरम्"