Monday, July 12, 2010

भाषाओं की अनुपम त्रिवेणी !.....मिलिए ' अर्थ देसाई ' से !

जन्म दिन पे मिला सुन्दरतम तोहफा आप सबके साथ बाँटना चाहती हूँ .....

हिंद देश के निवासी, सभी जन एक हैं,!
रंग, रूप ,वेश, भाषा, तारे अनेक हैं !

हमारा देश विभिन्न प्रान्तों में बंटा हुआ है , सिर्फ भाषा ही है जो हमे एक दुसरे से जोड़े रखती है ! देश, विदेश , सभी एक हुए जा रहे हैं ! भाषा ने हमे एक दुसरे के करीब ला दिया है। दुनिया सिमटकर छोटी और रंगीन हो गयी है!

इसी मौके पर मिलिए , मेरे गुजराती पाठक 'अर्थ देसाई' जी से ! ये मुंबई में एक प्रतिष्ठित संस्थान में वरिष्ट पद पर कार्यरत हैं ! इनकी मात्रभाषा गुजराती है ! इन्हें अंग्रेजी , हिंदी , उर्दू, गुजराती, मराठी , स्पैनिश तथा फ्रेंच भाषाओं का अच्छा ज्ञान है ,इन्होने मेरी भावनाओं की कद्र करते हुए मेरे लिए एक अनुपम तोहफा भेजा है जो आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ !
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प्रिय दिव्या,

तुम्हारा देश के लिए प्रेम और विभिन्न भाषाओ से प्यार देखकर बहुत अच्छा लगता है ! आज तुम्हारे जन्म दिन पर, इस देश की मिटटी के लिए प्यार से भरा हुआ ये गीत , तीन विभिन्न भाषाओँ में भेज रहा हूँ! आशा है तुम्हे ये पसंद आएगा ! इस ग़ज़ल का लिंक नीचे संलग्न कर रहा हूँ !

Vhaali Divya:

Tamaaro desh ne maate apaar prem ane vibhinn bhaashaa-o pratye ni aadarniy laagni joine khub j saaru laage chhe. Aaje, tamaaraa Janm-divas nimitte, vatan ni maati pratye prem thi bhareli aa ghazal, tran bhaashaa-o maa tamne mokli rahyo chhu. Aashaa chhe tamne aa pasand aavse. Aa avismarniy ghazal ni Link ahi nich aapel chhe:

Janm-divas ni Khub, Khub Shubhechchhaa-o sahit,



Dearest ZEAL:

It feels very good to see your huge love for the nation and your respectful liking for various languages. Today, on your birthday, I am sending to you in three languages, this ghazal which is full of love for the soil of one’s native place. Hope you like it. Given below is the link to this unforgettable ghazal:


With the best wishes on your birthday,

Arth Desai



नदी नी रेत मा....

[01]

Nadi ni retmaa ramtu nagar made naa made

Fari aa drayshya smruti pat upar made naa made

Nadi ki ret mein kheltaa nagar mile naa mile

Fir ye drashya smruti pat par mile naa mile

A City playing amidst the river sands, may or may not be

Again this fine sight in the mind’s eye, may or may not be


[02]

Bhari lo swaas maa eni sugandh no dariyo

Pachhi aa maati ni bhini asar made naa made

Bhar lo saanso mein unki khushbu kaa saagar

Fir ye mitti ki bhini asar mile naa mile

Let us fill in the breath the ocean of her fragrance

Again the wet aroma of the soil, may or may not be



[03]

Parichito ne dharaai joi levaa do

Aa hastaa chehraa, aa mithi najar made naa made

Parichito ko ji bharke dekh lene do

Ye haste chehre, ye mithi najar mile naa mile

Let me behold to the heart’s fill the people I know

The smiling faces, the sweet glances, may or may not be


[04]

Bhari lo aankh maa rastaa-o, baari-o, bhito

Pachi aa shaher, aa gali-o, aa ghar made naa made

Bhar lo aankho mein raste, khidkiyaa, diwaare

Fir ye sahar, ye galiyaa, ye ghar mile naa mile

Capture in the eyes, the roads, the windows, the walls

Again the city, the lanes, the home, may or may not be


[05]

Radi lo aaj sambandho ne vitdaai ahi

Pachi koi ne koi ni kabar made naa made

Ro lo aaj risto ko gale mil ke yahaan

Fir kisi ko kisi ki kabar mile naa mile

Cry the heart out in the embrace of the relations

Again one to someone’s grave, may or may not be


[06]

Vatan ni dhul thi mathu bhari lau ‘Aadil’

Arre aa dhul pachhi umr-bhar made naa made

Vatan ki dhul se maang bhar lu ‘Aadil’

Arre ye dhul fir umr-bhar mile naa mile

I adorn my head with the native earth, ‘Aadil’

Again in life this holy soil, may or may not be



इस ग़ज़ल का लिंक नीचे संलग्न कर रहा हूँ !

http://mzc.in/album/22480/Aakar.html#



















31 comments:

ZEAL said...

@ Arth Desai-

Since I recieved this ghazal from you in Manhar Udhaas's voice. I have heard it several times. Your beautiful translation in two more languages have made it all the more beautiful and easily understandable.

Thanks a lot for sharing this beautiful ghazal in a wonderful way.

ZEAL said...

I shared it with few friends and family members. It is very much appreciated by all. Now sharing here on my blog and i hope my readers will surely enjoy this beautiful ghazal.

Your translation in three different languages are awesome and the gesture is praiseworthy.

regards,

ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

The beautiful song by Bryan Adams says it all -

EVERYTHING I DO, DO IT FOR YOU

Zmiles.

I am speechless at your most beautiful presentation.

Languages are mere modes of communication. When the feelings are true, the belief in the heart is absolute, languages can neve inhibit us.

I am awed with amazement.

Thankz a zillion, dearest ZEAL.


Arth kaa
Natmastak charansparsh

Avinash Chandra said...

I strongly believe that there are few things to be felt silently.

This beautiful work is to be felt... not everything should be praised and commented using words.

Having said that, let me go through this all over again.

:)

Many thanks to Divya ji and Arth ji for sharing this work.

ashish said...

आपकी विनम्रता सराहनीय है, .सुन्दर ग़ज़ल सुनाने के लिए साधुवाद.,

नमन्ति फलानिः वृक्षाः, नमन्ति गुनानिः जनाः
शुष्क काष्ठानि, मुर्खैयस्च, न नमन्ति कदाचन.

Udan Tashtari said...

आ तो गये...अब तो खुश हो...क्या तुम चिट्ठाजगत पर नहीं हो. वरना मुझे ईमेल करो, मैं रजिस्टर करा देता हूँ. :)

Udan Tashtari said...

जन्म दिवस की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ...Bonne fête ! :)

ZEAL said...

@ Sameer ji-

aap to gazab hain....aapki udan tashtari ke aage to sab fail hai....Gajab speed hai!

aap aaye yahan ...kabhi hum aapke husn ko , kabhi daro deewar ko dekhte hain...

French mein birthday wishes ke liye--

Dhanyawaad [Hindi]
Shukriya[Urdu]
Thanks [English]
aabhar [Gujrati and Kannad]
taang shu [japanese]
khapun khaa [Thai]

शिवम् मिश्रा said...

दिव्या जी ,
आप तो बस लिखती रहिये ...................अभी तो बहुत से तोहफे आने बाकी है !
वैसे अपना तोहफा हम सब से शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
अर्थ देसाई जी को बहुत बहुत धन्यवाद !

शिवम् मिश्रा said...

दिव्या जी,
धन्यवाद को बंगाली में भी धन्यवाद ही कहते है; समीर भाई को बंगाली में भी धन्यवाद दे दीजिये ! :-)

ZEAL said...

ha ha ha Shivam ji..aaj kuchh naya seekha aapse

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

दिव्या जी, जन्मदिन की बहुत बहुत बहुत शुभकामनाएं !

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

डा० अमर कुमार said...
This comment has been removed by the author.
प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर रही अनुपम त्रिवेणी।

पूनम श्रीवास्तव said...

divya ji,janam din ki hardik badhai swkaren.aapki anupam triveni bahut hi pyari lagi.arth desaai ji ko hamaari taraf se bhi dhanyavaad deejiyega.gazale bhi bahut khoobsurat hain.
poonam

sanu shukla said...

दिव्या जी जन्म दिवस की खूब खूब शुभकामनाए...!!

Mahak said...

Part 1of 4

बहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .

दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे

Mahak said...

आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
जो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए


1. डॉ. अनवर जमाल जी
2. सुरेश चिपलूनकर जी
3. सतीश सक्सेना जी
4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
5. प्रवीण शाह जी
6. शाहनवाज़ भाई
7. जीशान जैदी जी
8. पी.सी.गोदियाल जी
9. जय कुमार झा जी
10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
11.असलम कासमी जी
12.राजीव तनेजा जी
13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
14.साजिद भाई
15.महफूज़ अली जी
16.नवीन प्रकाश जी
17.रवि रतलामी जी
18.फिरदौस खान जी
19.दिव्या जी
20.राजेंद्र जी
21.गौरव अग्रवाल जी
22.अमित शर्मा जी
23.तारकेश्वर गिरी जी

( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )

मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें

mahakbhawani@gmail.com

Mahak said...

हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से

आप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .

तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ

जय हिंद

महक

Sumit Pratap Singh said...

nice post...

रचना दीक्षित said...

mane pan aa post bahu bhaii

डॉ टी एस दराल said...

यह भी खूब रही ।
बधाई।

ashish said...

beautiful work, The Gujrati lyrics have been nicely translated in Hindi and English...and The ghazal is very apt.

Ashish (Ashu) said...

khapun khaa (आपके ही ब्लाग से)

Manish said...

main kaun si language use karu?/? :) :) :)

fir bhi Aapke THANX ke liye itna kahunga....
KOI BAAT NAHIN.. :) agli baar 2 bhejunga hahaha

राजेश उत्‍साही said...

सचमुच दिव्‍या यह तो जन्‍मदिन पर अनुपम उपहार है। अर्थदेसाई जी ने देशप्रेम का गीत उपहार में दिया। बधाई । इधर महक जी ने देशप्रेम के लिए एक ब्‍लाग का प्रस्‍ताव। सचमुच जन्‍मदिन पर ऐसे उपहार पाना अनूठी बात है। शुभकामनाएं।

abhi said...

बीलेटेड हैप्पी बर्थडे दिव्या जी :) हमें मालूम नहीं था की कल आपका जन्मदिन था वरना कल ही हम आपको मुबारकबाद देते, अब एक दिन बाद दे रहे हैं मुबारकबाद, :)

और ग़ज़लें सब बेहतरीन हैं :)

sandhyagupta said...

Janam din ki hardik shubkamnayen.

प्रिया said...

Belated Happy B'day Divya...Be happy Always.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

Vatan ki dhul se maang bhar lu ‘Aadil’
Arre ye dhul fir umr-bhar mile naa mile
...deshbhakti se paripoorn shandar gajal ke liye aabhar. bahut der se lagataar sun raha hoon aur bhii link mile hain.
..tiino bhashaon ka ek saath n likhkar alag-alag likha hota to bhii achha hota. bahrhaal apnii maatii aur bhasha se aapka pyar mahsoos karke mn aanand se bhar jaata hai.