Wednesday, May 9, 2012

दिव्या एक बात बताओ....

कल एक वरिष्ठ ब्लॉगर मित्र ने पूछा---- "दिव्या एक बात बताओ, फलां फलां फलां तो बहुत पढ़े-लिखे हैं , मैं तो इन लोगों को बहुत अच्छा समझता था , लेकिन अत्यंत दुखित हूँ इन लोगों के विचार जानकार और इनकी असलियत जानकार। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है ? इतनी बड़ी-बड़ी डिग्रियां रखने वाले भी ऐसी तुच्छ सोच कैसे रख सकते हैं भला? मैं बहुत निराश हूँ इन लोगों के आचरण से"

क्या कहती उनसे--वे स्वयं ही विद्वान् हैं। उनसे कुछ कहना सूरज को दिया दिखाने के समान होता, अतः चुप रह गयी।

लेकिन, "All that glitters is not gold"

इस समाज में सभ्यता का मुखौटा लगाये गंदे षड्यंत्रों में लिप्त ये लोग परदे पर तो चमकते हैं , लेकिन परदे के पीछे चौपाल लगाए , जाम से जाम टकराते हुए, नशे में उन्मत्त हो सारी गन्दगी बाहर निकालते हैं। तब इनका नकाब उतर जाता है और इनका 'वाचिक-संयम' और 'दिखावटी शालीनता' नदारद हो जाती है। वही समय होता है जब इनकी असलियत को जांचा परखा जा सकता है।

Zeal

6 comments:

virendra sharma said...

दिव्या जी ! डिग्री कवच सभ्यता का प्रतीक नहीं है .पढ़े लिखे से गुणवान अच्छा होता है .होनहार बिरवान के होत चीकने पात ... ORCHECTOMY :Gr .orchis means testicles ,ektome means excision ,also Orchiectomy.हाँ ! कई मर्तबा विषय इतना सामयिक होता है तत्काल छापनी पडती है पोस्ट .वैसे हिंदी एक अति -समृद्ध भाषा है विज्ञान संचार के सर्वथा उपयुक्त और प्रवाह लिए हुए प्रपात सा .

ORCHIDECTOMY/ORCHIECTOMY IS SURGICAL REMOVAL OF ONE OR BOTH TESTICLES. GREEK. का हिंदी पर्याय अंडकोष उच्छेदन (अंडकोष तराशी ),PENECTOMY माने इन्सिश्जन ऑफ़ पेनिस यानी लिंगोच्छेदन ,
VAGINOPLASTY यानी प्लास्टिक शल्य से योनि रचना ,
BREAST AUGMENTATION माने वक्षाकार संवृद्धि . .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
आरोग्य समाचार
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल
क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

vandana gupta said...

true

दिवस said...

ऐसे बहुत से नकाबपोश यहाँ-वहाँ बैठे हैं। अधिक दूर जाने की आवश्यकता भी नहीं, हमारे हिंदी ब्लॉग जगत में भी ऐसे ही नकाबपोश मठाधीशी बनाए हुए हैं। कहने को तो मोटी-मोटी डिग्रियां किन्तु अक्ल दो कौड़ी की। आज की शिक्षा में पढ़ा-लिखा होने से कोई सभ्य नहीं हो जाता। मानवीयता का अभाव आज के शिक्षित वर्ग में अधिक है।
विद्वान् होते हुए भी जो इन्हें न पहचान पाए तो उनकी विद्वानता पर ही संदेह है। साफ़-साफ़ दिखाई देने पर भी जो भरी धुप में आँखें मूँद यह कहे की सूरज तो अभी निकला ही नहीं उन्हें रास्ता कौन दिखाए?
किसी स्त्री को चालाक लोमड़ी बोलने वालों व उसकी मसालेदार पोस्ट पर चटखारे ले लेकर कमेन्ट करने वालों में भला कैसी सभ्यता? उस स्त्री का समर्थन करने वालों को चमचौड़ कुत्ता कहने वालों की डिग्रियां भी किसी काम की नहीं। महिला हो कर महिला का अपमान करने वालों में भी कैसी शालीनता? वहाँ समर्थक बन, व्यक्तिगत मेल द्वारा स्पष्टीकरण देने वालों का क्या भरोसा?
ये सभी घृणा के पात्र हैं। हमे तमीज सिखाते हैं और खुद की बदतमीजी को भूल जाते हैं। शर्म आनी चाहिए।

दिवस said...

ऐसे बहुत से नकाबपोश यहाँ-वहाँ बैठे हैं। अधिक दूर जाने की आवश्यकता भी नहीं, हमारे हिंदी ब्लॉग जगत में भी ऐसे ही नकाबपोश मठाधीशी बनाए हुए हैं। कहने को तो मोटी-मोटी डिग्रियां किन्तु अक्ल दो कौड़ी की। आज की शिक्षा में पढ़ा-लिखा होने से कोई सभ्य नहीं हो जाता। मानवीयता का अभाव आज के शिक्षित वर्ग में अधिक है।
विद्वान् होते हुए भी जो इन्हें न पहचान पाए तो उनकी विद्वानता पर ही संदेह है। साफ़-साफ़ दिखाई देने पर भी जो भरी धुप में आँखें मूँद यह कहे की सूरज तो अभी निकला ही नहीं उन्हें रास्ता कौन दिखाए?
किसी स्त्री को चालाक लोमड़ी बोलने वालों व उसकी मसालेदार पोस्ट पर चटखारे ले लेकर कमेन्ट करने वालों में भला कैसी सभ्यता? उस स्त्री का समर्थन करने वालों को चमचौड़ कुत्ता कहने वालों की डिग्रियां भी किसी काम की नहीं। महिला हो कर महिला का अपमान करने वालों में भी कैसी शालीनता? वहाँ समर्थक बन, व्यक्तिगत मेल द्वारा स्पष्टीकरण देने वालों का क्या भरोसा?
ये सभी घृणा के पात्र हैं। हमे तमीज सिखाते हैं और खुद की बदतमीजी को भूल जाते हैं। शर्म आनी चाहिए।

Rajesh Kumari said...

ऐसे दोहरे चरित्र वाले मुखोटे वाले हर जगह मिल जायेंगे ....बाहर .गरीबों से हाथ मिलायेंगे अन्दर जाकर डिटाल से धुलेंगे

सुशील कुमार जोशी said...

कभी आईने में अपने भी
बहुत से चेहरे हो जाते हैं
दो चेहरे वाले उस समय
बहुत छोटे नजर आते हैं ।

क्या किया जाये है तो सही !!!