Friday, May 11, 2012

यह घोषणा सुकूनदायी लगी...

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने प्रदेश की चिंता है। उसके विकास की चिंता है। अपने किसानों की चिंता है।

श्री शिवराज सिंह ने किसानों से मुखातिब होकर उनसे कहा की वे कृषि की अहम् भूमिका से ही राज्य का विकास देख रहे हैं। किसान की मेहनत व्यर्थ नहीं होने दिया जाएगा। गेहूं का एक-एक दाना खरीदा जाएगा। यदि पुराने बारदाने में गेहूं आएगा तब भी खरीदा जाएगा और यदि बारदाने की कमी के चलते खुला गेहूं लाया जायगा तब भी उसे खरीदा जाएगा और खुले गेहूं को रखने की व्यवस्था कर ली गयी है। अब तक जो भी विघ्न आये या फिर उपस्थित किये गए, उनको दूर कर लिया गया गया है। १३८५ रूपए , प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा और याद रहे-- गेहूं का एक-एक दाना खरीदा जायेगा।। आप ही निराश होयें, ही चिंतित। आपकी मेहनत ही हमारी समृद्धि का आधार है।

जय जवान
जय किसान

13 comments:

रविकर said...

बिलकुल |
अन्न देवता |
किसान देवता |
नमन ||

ANULATA RAJ NAIR said...

shivraaj singh ne aur bhee kaafi achhe kaam kiye hain pradesh mei....
especially for women and girls...

regards
anu

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

hai apna hindustaan kahan..wah basa hamare gaaon mein,,,,is baat se to sabhi sarkaron ko sabak lena chahiye...sadar badhayee ke sath

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

घोषणाएँ सिर्फ सुनने में अच्छी लगती है,गेहूँ बेचने में क्या२ परेशानियां झेलनी पडती है किसानो को ये आपको नही मालुम,..परेशानियों का लाभ किसानो से विचौलिये लोग उठा रहे है,.इसी तरह धान खरीदी के १माह बाद बाद धान सूखती के नाम पर ५ से १० क्विंटल वजन काट कर किसानो का भुगतान किया गया
और आप मुख्य मंत्री की तारीफ कर रही है,...अफसर साही के कारण किसान परेशान है,मुख्य मंत्री जी का अफसर साही पर कोई नियंत्रण नही है,....बस ...दूर के ढोल सुहावने वाली कहावत है ,....

MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

Kailash Sharma said...

बहुत प्रशंशनीय कदम..आभार

दिवस said...

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में चलने वाली भाजपा सरकार है, जो किसान हित में निर्णय ले रही है। किसानों के हित में किये गए उनके ये प्रयास सराहनीय हैं। कम से कम प्रदेश का अन्न दाता अब भूखा तो नहीं मरेगा।
यहाँ बीकानेर (राजस्थान) में तो दस दिन से किसान कृषि मंदी में बारदाने की प्रतीक्षा में हैं। आज दोपहर मजबूरन उन्हें अपना खुला गेंहू समेत कर अपने-अपने गाँवों को लौटना पडा। कूई उनका गेंहू खरीदने को तैयार नहीं है। गहलोत सरकार से इससे अधिक और अपेक्षा भी क्या की जा सकती है। एक तरफ तो देश में अनाज सड़ जाता है, दूसरी ओर जो है उसे खरीदने वाला कोई नहीं। जनता भूखी न मरे तो क्या करे?

जय जवान
जय किसान
जय शिवराज सिंह चौहान

HAKEEM YUNUS KHAN said...

यह मज़मून अच्छा है.

VIVEK VK JAIN said...

दिव्या जी, मैंने आपकी हर पोस्ट पढ़ी है और जो बच गई थी वो आज पूरी कर ली......आप माया, ममता, कांग्रेस के खिलाफ हैं........ समझ आता है क्यों हैं, at least कांग्रेस के खिलाफ क्यों हैं, समझ आता है.....लेकिन आप अखिलेश को भी गुंडों कि सरकार कहती हैं, तो क्या आप बता सकती हैं, किसे उस जगह बिठाएं जहां ना अखिलेश और ना मायावती सही हैं. personally मैं आपका सच में फेन हूँ, लेकिन आपका ब्लॉग पर इस तरह कांग्रेस के खिलाफ लिखना थोड़ा अजीब है.......क्योंकि इस घोटालों कि सरकार को तो हटा दिया जा सकता है लेकिन उसकी जगह किसे बिठा दिया जाये ये एक पहेली ही है...जिसका जबाव शयदाप भी नहीं दे पाएंगी. तो मुझे नहीं लगता यहाँ लिखने के बहुत फायदे हैं, क्यूंकि कंप्यूटर चलाने बाले लोगों के पास दिमाग तो है.....और सच गलत समझने कि सोच भी.
आज धर्मनिरपेक्ष होने का मतलब एक हिन्दू का अपने धर्म के खिलाफ बोलना माना जाता है......मैं बिलकुल सहमत हूँ, लेकिन आपकी तरह अति-हिंदूवादी होना भी कहाँ तक सही है.....और जब हम आप जैसे लोग सम्प्रदायिक सोच और कहीं ना कहीं इसे फैलाने में जिम्मेवार होंगे तो शायद हममें और सफ़ेद-कुर्तों में ज्यादा फर्क नहीं रहेगा. और हमारा चंद किताबें पढने का भी मतलब नहीं रहेगा.
बाकी उम्र और सोच में आपसे बहुत छोटा हूँ. फिर भी बहुत दिन से मन था तो जो लगा वही थोड़ा सा कह रहा हूँ......शेष क्षम्य हो!

virendra sharma said...

आदमी का काम और नीयत जन मन के प्रति सदाशयता सभी बोलतें हैं .शिव राज जी अच्छा काम कर रहें हैं .उनके काम को सलाम .किसान अन्नदाता है ,सही अन्नपूर्णा है .इस पोस्ट के लिए आपका आभार .

महेन्‍द्र वर्मा said...

किसानों का शोषण करने वाले मुख्यमंत्री बहुत हैं। शिचराज सिंह जी किसानों के लिए उदारतापूर्वक काम कर रहे हैं। दूसरे मुख्यमंत्री भी इनसे सीख लें तो अच्छा हो।

Maheshwari kaneri said...

बहुत प्रशंशनीय कदम.. दिव्या जी...आभार

ZEAL said...

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विवेक जी -- हर व्यक्ति स्वविवेक से ही सब कुछ करता है। मुझे जो उचित लगता है वही लिखती हूँ। यदि आपको मेरा लिखा अनुचित लगता है तो आप मेरे विरोध में अपने ब्लॉग पर लिख सकते हैं। आपका तो नाम भी 'विवेक' है। अपने विवेक से जाँचिये , परखिये और तदनुसार लिखिए। आप सेक्युलर पोस्टें लगाइए, इस्लाम के हित में लिखिए। कांग्रेस का समर्थन कीजिये। आप स्वतंत्र हैं अपने विचारों को अपने ब्लॉग पर रखने के लिए। आपकी विचारधारा से इत्तिफाक रखने वाले शायद ज्यादा ही होंगे। लेकिन मुझसे अपेक्षा मत रखिये की मैं हिन्दू-विरोधी बन जाऊं अथवा सेक्युलर। अथवा कांग्रेस में व्याप्त भ्रष्टाचार और समाजवादी की गुंडागर्दी पर कलम न चलाऊं। जो सत्ता में बैठा है और अपनी ताकत का नाजायज इस्तेमाल कर रहा है, उसके खिलाफ आवाज़ बुलंद अवश्य की जायेगी....

खाली बैठकर चाँद-सितारों पर लिखकर समय नष्ट करना मेरी फितरत नहीं है।

आभार।

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ZEAL said...

तुम चलना शुरू करो,मंजिल दूर है तो क्या?अकेले हो तो क्या?मार्ग कंटकाकिर्ण है तो क्या?कोई यशगीत गाएगा,कोई उपेक्षा करेगा,कोई उपहास करेगा,कोइ विरोध करेगा कोई अपमानित पर ध्येयवादी को अवकाश कहा?चलते जाना बस।